RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
इस बात पर मौलवी जायजा लेता रहा और उसे अपने बेटे पर विश्वास था उसने कहा-“ठीक है, अम्मी को ले जाना…”
फ़रदीन ने कह दिया कि 3 दिन के बाद जाना है। इसी तरह सबने खाना खाया और सो गये पर मौलवी नहीं सोया वो परेशान ही इस कदर था।
अगले दिन फ़रदीन उस बाबाजी के पास गया। उसको कहा कि आपने मेरे अब्बू से कोई बात नहीं करनी और बाबा को कहा कि उनको इलाज के पैसा चाहिए वो देगा पर वो इस बात को किसी को ना बताए, क्योंकी ये बाबा मौलवी के घर आ चुका था और मौलवी को जानता था। फ़रदीन ने अपनी सारी प्लानिंग बाबा को बताई जिसको सुनकर बाबा की आाँखें खुली की खुली रह जाती हैं। बाबा को सब समझाने के बाद फ़रदीन अपने घर आ जाता है और अपनी अम्मी को कहता है-“कल बाबा के पास अब नहीं जाना अब हमें 3 दिन और देखना है कि बाबा क्या इलाज बताता है…”
अब फ़रदीन ने जो -जो पहले वाला बाबा कहेगा उसके मुताबिक अमल करना था। डेली फ़रदीन बाबा को फ़ोन करता बाबा उसे यही कहता कि अभी ठीक वक़्त नहीं आया। फिर दो दिन के बाद बाबा ने फ़रदीन को फ़ोन किया कि तुम ऐसा करो कि अपनी अम्मी को लेकर मेरे पास आओ।
तो फ़रदीन ने सोचा कि अपने अब्बू को भी साथ लेकर जाता हूँ ताकी मुझ पर कोई शक ना हो। दूसरे दिन तीनों घर से निकल गये और बाबा के पास आ गये। फ़रदीन ने बाबा को पहले ही बता दिया था कि अब्बू भी साथ हैं। वहाँ अमल हुआ। बाबा अमल करता रहा फिर मौलवी को बुलाया तो बाद में मौलवी मायूस होकर बाहर आ गया। उसके बाद फ़रदीन को बुलाया तो बाबा ने फ़रदीन के सामने उसकी अम्मी को कहा-“बेटा, शलवार में नाड़ा डाला करो…”
रुखसाना नीचे मुँह करके जी जी करती रही।
बाबा ने फिर कहा-“घर में आपस में अपने जिस्म एक दूसरे को दो, फिर सब ठीक हो जाएगा। मेरी नजर में फ़रदीन सबसे ज्यादा बेहतर है…”
वहीं बैठी रुखसाना ने अपने बेटे की तरफ देखा उसके बाद दोनों माँ-बेटा बाहर आ गये और घर की तरफ निकल पड़े।
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घर आने के बाद मौलवी इकबाल और रुखसाना परेशान थे। लेकिन फ़रदीन को सब पता था। उसी वजह से उसने घर वालों को शो नहीं होने दिया कि उन्हें कोई ऐसी टेंशन हो। ये तीनों काफ़ी थक चुके होते हैं इसलिए इनको नींद का पता भी न चला और मजे से सो गये। सुबह फ़रदीन हॉस्पिटल चला गया आजकल वो हाउस जाब कर रहा था। फ़रदीन हार्ट की फील्ड में था और काफ़ी इंटेलिजेंट डॉक्टर था। दोपहर में मौलवी साहब मस्जिद से आकर खाना खा रहे थे कि रुखसाना की छोटी बहन शुगुफ्ता आ गई और रुखसाना से बैठकर बात कर रही थी और कहा कि अब्बाजी के फ़ोन आया था। वो कह रहे थे कि कभी अपने बाप की भी खबर ले लिया करो, जिंदा है कि मर गया।
रुखसाना ने शुगुफ़्ता को कहा कि वो अब्बाजी की खबर लेने जरूर जाएगी।
फ़रदीन सोच रहा था कि ऐसा किया किया जाए जिससे सब बेहतर हो जाए। उसने सोच लिया था कि अगर ऐसा हो जाए तो क्या ही बात है। क्योंकी फ़रदीन जब अंतिम साल में था तब उसे कुछ लोगों की सोसायटी सही नहीं मिली, वैसे भी शहर के माहॉल में वो अपने आपको खराब कर बैठा।
मौलवी साहब ने आकर अपनी बीवी रुखसाना को बताया कि एक और आदमी मिला है अच्छा पहुँचा हुआ है। उसने कहा कि अपनी बड़ी बेटी को सहवान शरीफ ले जाओ, वहाँ 3 दिन रूको, जो-जो कहूँ वो करो और वहाँ की ज़ियारत भी। रुखसाना को मौलवी ने सब बातें बता दिया। मैंने कल की दो सीटें करवा ली हैं एक मेरी और दूसरी निदा की। मौलवी ने निदा से कहा कि बेटी तुम अपने कालेज से छुट्टी ले लो एक हफ़्ते की सहवान में 3 दिन रहना और एक दिन जाने में और एक दिन आने में।
फ़रदीन अपने रूम में बैठा था उसे सब पता चल चुका था। इसलिए उसने खामोश होना बेहतर समझा।
उस रात मौलवी अपनी बीवी रुखसाना को कुछ नहीं कर सका क्योंकी रुखसाना पीररयड्स में थी और नापाक थी। मौलवी बगैर चुदाई के सो गया। मौलवी को चुदाई किए बगैर नींद नहीं आती थी, पर वो करता भी क्या। मजबूर जो हो गया कि उसकी बीवी की फुद्दी को बुखड़ा था। सुबह निदा अपने कालेज जाकर छुट्टी ले आई। वो एक सरकारी कालेज में लेक्चरर थी। निदा ने आकर पेकिंग की और दोपहर के 3:00 बजे मौलवी और निदा सहवान शरीफ के लिए निकल गये। मौलवी और निदा ट्रेन से सहवान शरीफ जा रहे थे। ट्रेन में बैठकर उनका सहवान शरीफ का सफ़र शुरू हुआ।
घर में रात के 8:00 बजे फ़रदीन और बाकी बहनें रुखसाना के साथ बैठकर खाना खा रहे थे। मिशा और आयशा ने कहा-“क्या बात है फ़रदीन, परेशान लग रहे हो?”
तो जवाब में फ़रदीन कुछ नहीं बोला। इस परेशानी को फ़रदीन की अम्मी रुखसाना ने महसूस कर लिया। खाने के बाद फ़रदीन ने चाय पी और उठकर अपने रूम में चला गया। रुखसाना ने सोचा जरूर कोई खास बात है जिसकी वजह से फ़रदीन किसी से बोल नहीं रहा। रुखसाना ने कहा-“बेटा फ़रदीन, क्या बात है? मुझे तो बताओ…”
तो फ़रदीन ने कहा-“कोई बात नहीं और है मुझे आपसे बात करनी है, बाद में जब सब सो जायें…” इसी तरह टाइम गुजर गया। सब सो गये और फ़रदीन उठकर अपनी अम्मी के रूम में चला गया जहाँ रुखसाना बैठी उसी का इंतजार कर रही थी।
जब फ़रदीन रुखसाना के पास गया तो उसने कहा-“अब बताओ क्या बात करनी थी, जिसकी वजह से तुम इतने परेशान हो?”
फ़रदीन-“आपको तो पता तो है जो आजकल चल रहा है उसकी वजह से परेशान हूँ। हर किसी को दिखाया है उसने भी यही कहा है कि जिस्मानी जादू है और उसकी बुनियाद आप और अब्बू हैं…”
रुखसाना-“हाँ बेटा, मैं भी परेशान हूँ। लेकिन गलत काम नहीं कर सकते, इसी वजह से तुम्हारे अब्बू निदा को सहवान शरीफ लेकर गये हैं…”
फ़रदीन-“मैं जो आपको कह रहा हूँ कि मैं यहाँ से इलाज कर रहा हूँ, वो आप करें…”
रुखसाना-“बेटा, वो सब करना गुनाह है…”
फ़रदीन-“जैसे डॉक्टर के सामने हमें सब कुछ बताना होता है, इलाज के लिए। वैसे भी इसमें क्या बुराई है? इलाज के लिए इंसान कुछ भी कर सकता है…”
रुखसाना-“वो तो ठीक है पर इसमें जो अमल आ रहा है कि घर के मर्द के साथ…”
फ़रदीन-वो तो अच्छी बात है। घर की बात घर में रहे कौन सा किसी को पता चलना है।
रुखसाना-नहीं बेटा, हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे।
फ़रदीन-“ठीक है, आप लोग ऐसे ही रहें, मैं ये घर छोड़कर जा रहा हूँ जब किसी ने मेरी बात को समझना नहीं तो कैसे हो सकता है?”
रुखसाना परेशान हो जाती है कि एक ही उसका बेटा है, ये भी छोड़ गया तो फिर उसका क्या बनेगा? कहा-“अच्छा बैठो तो सही। तुम क्या चाहते हो?”
फ़रदीन-मैं चाहता हूँ कि इलाज हो जैसा कहा जा रहा है।
रुखसाना-कर तो रहे हैं, तुम्हारे अब्बू गये तो हैं।
फ़रदीन-उससे कुछ नहीं होना, जो मैं कह रहा हूँ वो करें।
रुखसाना-अगर हम ऐसा कर भी लें तो इसकी क्या गारंटी है कि सब ठीक हो जाएगा?
फ़रदीन-मेरे पे यकीन है तो फिर आपको ऐसा नहीं कहना चाहिए था। इसका मतलब है कि आपको अपने बेटे पे यकीन ही नहीं।
रुखसाना उसी वक़्त फ़रदीन को बैठे बैठे अपने गले लगा लेती है और साथ में कहती है-“फ़रदीन, मैं तुमसे जितना प्यार करती हूँ, मैं ही जान सकती हूँ काश कि तुम मेरे बेटे ना होते तो मैं तुमसे अपनी मोहब्बत का इजहार कर लेती…”
फ़रदीन ये सुनकर खुश हो जाता है। वाकई इसकी अम्मी बहुत प्यार करती है और अपनी अम्मी को कह देता है-“तो अगर मुझसे प्यार है तो फिर इलाज करें…”
रुखसाना अपने बेटे की आाँखों में देखते हुये कहती है-“ठीक है, मैं तैयार हूँ। बताओ क्या करना है?”
फ़रदीन बहुत हिम्मत करके कहता है-“कितनी बार अब्बू के करीब जाती हैं मुबाशारत के लिए?”
रुखसाना नीचे मुँह करके शर्मा जाती है और कहती है-“बेटा ये जवाब देते हुये मुझे अच्छा नहीं लग रहा…”
फ़रदीन-“अम्मी मैं एक डॉक्टर भी हूँ इसलिए छुपाने का कोई फ़ायदा नहीं…”
रुखसाना-“बेटा, रोजाना सब होता है जो एक शौहर और बीवी के रीलेशन में होता है…”
फ़रदीन-आप अब्बू के साथ खुश हैं उस रीलेशन से?
रुखसाना-“हाँ बेटा, बहुत खुश हूँ और तुम्हारे अब्बू इस उमर में भी किसी नोजवान लड़के से कम नहीं हैं…”
फ़रदीन-“जानता हूँ मैं, उनकी हेल्थ से सब पता चल जाता है…”
रुखसाना-और कुछ पूछना है?
फ़रदीन-तो फिर इसका इलाज कब शुरू करें?
रुखसाना-“बेटा, अगर दो महीने के अंदर मेरी बेटी की शादी हो गई तो मुझे इस इलाज पे यकीन आ जाएगा और मेरी मोहब्बत कम नहीं ज्यादा हो जाएगी तुम्हारे साथ। फिर तुम जो कहोगे मैं तुम्हारी हर बात मानूींगी…”
फ़रदीन-“ठीक है, मैं बाबाजी से कहता हूँ कि वो अमल करें…”
रुखसाना-“ये तुम्हारा और मेरा इम्तिहान है, देखते हैं कौन कामयाब होता है। अगर तुम कामयाब हो गये तो मैं तुम्हें अपने शौहर से ज्यादा प्यार दूंगी, अगर नाकामयाब हो गये तो जितनी मोहब्बत अभी करती हूँ उससे ज्यादा तुमसे नफ़रत करूँगी…”
फ़रदीन-ठीक है, मंजूर है और उठ जाता है और कहता है कि आप सो जायें बहुत टाइम हो गया है मुझे भी सुबह हॉस्पिटल जाना है।
उसके बाद फ़रदीन अपने रूम में जाकर लेट जाता है और सोचने लग जाता है कि क्या जाए जिससे बाजी की शादी हो जाए। फ़रदीन के जहन में खाला शुगुफ़्ता का बेटा नदीम आया जो कि इंजीनियरिंग कर रहा था और आखिरी साल में था। नदीम फ़रदीन से दो साल छोटा था, लेकिन उसकी दोस्ती बहुत थी। फ़रदीन ने सोचा क्यों ना नदीम पे ट्राइ मारी जाए, जिससे बाजी की शादी नदीम से हो जाए। फिर फ़रदीन की आाँख कब बंद हुई पता ही नहीं चला और वो मजे से सो गया।
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