RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
निदा ये सब सुन रही थी। फिर एकदम रुखसाना की आवाजें ज्यादा आनी शुरू हो गईं और कुछ देर में आवाजें बंद हो गईं। इसका मतलब यही था कि मौलवी डिस्चार्ज हो गया होगा।
निदा जब रूम में गई तो मिशा ने कहा-“इतनी देर लगा दी पानी पीने के लिए?”
तो निदा ने कहा-“पानी पीने के बाद पता नहीं दिल घबरा रहा था। इसलिए बाहर बैठ गई थी…”
फिर तीनों बहनें अपने-अपने बिस्तर पर सो गई। सुबह-सुबह मौलवी साहब उस आदमी की तरफ निकल गये जो अड्रेस दिया गया था। मौलवी साहब जब उस जगह पर पहुँचे तो वहाँ उसने रेफरेंस दिया तो एक आदमी ने कहा-“बाबाजी अभी आते हैं आप बैठें…”
कुछ देर के बाद बाबा आ गया उसने मौलवी के आने की वजह पूछी तो मौलवी ने कहा-“मेरे साथ ये मसला है…”
तो बाबा ने कुछ पढ़ा और हिसाब के बाद बताया कि तुम्हारे घर पर काला जादू है, पता नहीं तुम लोग कैसे अपनी जिंदगी गुज़ार रहे हो।
मौलवी को इन बातों पर यकीन नहीं था लेकिन जब बाबा ने कुछ ऐसी बातें बताई जिनको सुनकर मौलवी भी हैरान हो गया और उसको यकीन आ गया कि वाकई हमारे घर पे जादू है।
बाबा ने उससे कहा कि या तो तुम अपनी बेटी को यहाँ ले आओ या मैं आ जाऊं गा तुम्हारे घर।
मौलवी ने कुछ सोचकर कहा-“बाबाजी आप आ जाना क्योंकी मेरी बेटियाँ सब शरीफ हैं और नकाब करती हैं, यहाँ आने के लिये सफ़र करना पड़ेगा। अगर आप नाराज न हों तो आप हमारे घर आ जाना…”
तो बाबा ने दो दिन के बाद आने का वादा कर लिया और जो-जो समझाया वो मौलवी को कहा कि जाओ घर जाकर ऐसा करो, बाकी मैं आउन्गा, तो सब ठीक हो जाएगा।
वहाँ से उठकर मौलवी घर के लिए निकल पड़ा, मौलवी दोपहर के 3:00 बजे घर आ गया। उसने आने के बाद अपनी बीवी को सब बातें बता दिया और ये भी कहा कि बाबा ने कहा कि तमाम बेटियाँ शलवार में नाड़ा पहना करें।
सब सुनकर रुखसाना ने कहा-“निदा, मिशा और इशरत तो नाड़ा पहनती हैं पर बाकी तीन इलास्टिक पहनती हैं…”
उसके बाद मौलवी साहब ने कहा-“बाकी तीन को भी कहो कि वो नाड़ा डालना शुरू कर दें नहीं तो इलाज होना ना-मुमकिन है…”
रात को खाने के बाद मौलवी ने अपने बेटे को सब बातें बता दिया कि बाबाजी हमारे घर आएँगे उन्होंने कहा है कि हम पर काला जादू है। इसलिए तुम भी परसों घर पे रहना। मैं चाहता हूँ कि तुम भी उनसे मिल लो…”
फिर फ़रदीन ने कहा-“जी, मैं जरूर मिल लूँगा। बस जो भी हो जल्दी से सब ठीक हो जाए हमें और कुछ नहीं चाहिए…”
इसी तरह दो दिन गुजर गये और बाबाजी ने मौलवी साहब को कहा-“मैं आ गया…”
मौलवी ने बाबाजी को पिक किया और घर में ले आया। घर में आने के बाद सबसे पहले बाबाजी को खाना खिलाया, उसके बाद बाबा ने अपना ईलम शुरू कर दिया। उसने बारी-बारी सब बेटियों को बुलाया, उनका हिसाब लगाया। हिसाब लगाने के बाद बाबाजी ने कहा-“निदा का सबसे पहले अमल करना है इसलिए निदा को अंदर बुलाकर बाबाजी ने बातें बता दिया कि उसपर जिस्मानी जादू है। सिर्फ़ उसपर ही नहीं बल्की बाकी सब पर है। इसलिए निदा को कोई ऐसा आदमी ढूँढना होगा जो कि उसके साथ, उसके जिस्म के साथ एक दिन छू सके और उसको महसूस कर सके…”
ये सब सुनकर निदा परेशान हो जाती है और कह देती है-“बाबाजी, ऐसा मैं कुछ नहीं कर सकती, सारी जिंदगी अपनी इज़्ज़त की हिफ़ाज़त की और अब एक अमल खतम करने के लिए मैं अपनी इज़्ज़त को खतम कर दूं ये नहीं हो सकता…”
बाबा-“बेटी फिलहाल जो कहा है वो करो और आज मैं आपके घर पर ही हूँ, मजीद देखता हूँ कि मुझे क्या करना है?”
निदा-“ठीक है बाबाजी, अब मैं जाऊं बाहर?”
बाबा-“हाँ जाओ और अपने बाप को भेज दो…”
मौलवी अंदर आ जाता है। बाबा मौलवी को सब बातें बता देता है कि इस तरह किया गया है और ऐसे करना पड़ेगा। और बाबा ने ये भी कह दिया कि मौलवी से बुरा कोई ऐसा आदमी नहीं हो सकता जो कि इस अमल का हिस्सा ना बने।
मौलवी ये सुनकर एकदम गुस्से में आ जाता है और कहता है-“मैं ऐसा नहीं कर सकता…”
जिस पर बाबा ने कह दिया-“ऐसा नहीं होगा तो सब तबाह हो जाएगा…”
फिर मौलवी ने जब ये सुना कि निदा की फुद्दी मारनी पड़ेगी, फिर ही सब खतम हो जाएगा। ये सुनकर मौलवी पहले गुस्से में था, बाद उसकी शलवार में उसका लण्ड खड़ा हो गया। पर वो ऐसा सोच भी नहीं सकता था। आज अपनी बेटी की चुदाई करने के लिए उसका लण्ड खड़ा भी हो गया है, ऐसा क्यों हुआ? उसके बाद मौलवी परेशानी की हालत में बाहर बैठ जाता है और वो सारी बातें रुखसाना को बता देता है। ये बात घर में सबको पता थी पर फ़रदीन को नहीं बताई, क्योंकी मौलवी चाहता था कि एक बार वो डॉक्टर बन जाए और उसके दिमाग़ में कोई ऐसी बात ना बैठ जाए जिससे वो अपनी पढ़ाई रोक दे।
सारी रात बाबाजी ने अमल किया।
सुबह फ़रदीन ने वापिस जाना था। मौलवी ने उसको रुखसत किया।
और बाबाजी ने भी कहा-“इस अमल का असल टाइम ये है कि निदा और बाकी बेटियों के बहुत रिश्ता आएँगे लेकिन कोई ओके नहीं होगा यहाँ तक कि ये भी बता दिया कि इस नामों के रिश्ते आएँगे। अगर ना हुआ तो बता देना, जहाँ अमल रोका होगा वहीं से शुरू कर दूँगा…”
मौलवी ने बाबाजी को रुखसत किया और वो बाबा अपने घर वापिस चला गया। वक़्त गुजरता गया।
वक़्त का पता ना चल सका। मौलवी साहब की बेटियों के रिश्ते आते रहे पर हर बार की तरह रिश्ते से इनकार होता रहा। लेकिन एक रिश्ता ऐसा आया जिसकी उमर 50 साल की थी, उसने भी गरीबी की वजह से इनकार कर दिया। अब धीरे-धीरे मौलवी साहब को सब कन्फर्म होता गया। वाकई जो नाम बाबाजी ने बताए थे वहीं रिश्ते आए हैं और हर बार की तरह हर रिश्ता इनकार होता रहा है। इन सब बातों को देखते हुये इन्होंने डिसाइड किया कि बाबाजी से फिर बात करें, क्योंकी अब निदा और मिशा की उम्र भी बढ़ती जा रही है।
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