RE: Desi Sex Kahani पहली नज़र की प्यास
लेकिन इससे पहले की वो कुछ और मज़े ले पाते, कामिनी ने अंकल जी का थूक से लिसड़ा लंड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया...
एक पल के लिए तो अंकल जी भी हैरान रह गये..
पर कामिनी ने मुस्कुराते हुए उनसे कहा : "सॉरी, पर ये तो आप बिना गेम जीते ही मुझसे करवा रहे हो...हारे तो आप थे ना अंकल जी, आपने मुझे ये दिखाया और मुझे अच्छा लगा तो मैने ये तोड़ा सा कर लिया, अगली गेम में आप फिर से जीते तो पूरा कर दूँगी...प्रॉमिस...''
अंकल जी का तो चेहरा लाल हो गया ये सुनते ही...
मन तो किया की उसके मुँह में ज़बरदस्ती लंड घुसेड कर उसके मुँह में सारा माल निकाल दे,
पर ऐसा करना उन्हे शोभा नही देता था..
वो बोले : "कामिनी बेटी....क्यो तड़पा रही हो...जब मुँह में ले ही लिया था तो एक ही बार में कर दो ना, कितना मज़ा आ रहा था...''
कामिनी ने आँखे नचाते हुए कहा : "पर अंकल जी...वो गेम ..''
अंकल जी गुर्राए : "भेंन चुदवाने गयी गेम ...यहाँ मेरा लंड अकड़ कर मरे जा रहा है और अभी भी तुम्हे गेम की पड़ी है....''
उनकी बात सुनकर कामिनी की हँसी निकल गयी....
उन्हे सताने में कितना मज़ा आ रहा था और गाली देते हुए वो कितने क्यूट से लग रहे थे..
कामिनी : "ओके ...मैं कर तो दूँगी...पर आपको भी ...इसके बाद...मेरी...मेरी पुस्सी ''
उसके बोलने से पहले ही अंकल जी बोल पड़े : "हाँ हाँ , मैं भी चूसूंगा...तुम्हारी चूत को , आई मीन पुसी को अच्छे से चाटूँगा...आई प्रॉमिस...पर पहले ..ये मेरे....मेरे लंड को....अहह''
और इस बार बेचारे अंकल जी अपनी बात पूरी नही कर पाए क्योंकि कामिनी ने उनके लंड को बड़े ही सैक्सी तरीके से एक बार फिर से मुँह में भर लिया था और उसे चूसने लगी...
और इस बार पूरा अंदर लेकर और पहले से ज़्यादा बुरी तरह से..
अंकल जी अपने पंजो पर खड़े होकर हीसहिसा उठे : "आह.....ओह्ह्ह भेंन की लोड़ी .... उम्म्म्मममममममममममम..... अहह.... क्या मजेदार चीज़ है ये...सच में .... पहली बार करवाया है ऐसा....मज़ा आ गया....''
उनकी बात सुनकर कामिनी का दिल और भी ज़्यादा पसीज गया,
पहली बार है यानी इनको तो पूरा मज़ा देना बनता है...
बस...
फिर क्या था, उसने अपने मुँह की पूरी ताक़त लगा दी उनके लंड को चूसने में ...
और जब इतनी शिद्दत से उसने लंड को चूसा तो अंकल जी को ऐसा लगा की वो उनका लंड नही बल्कि उनकी जान चूस रही है लंड के थ्रू ,
ऐसा ही कुछ देर तक और चलता रहा तो वो जल्द ही उन्हे उनकी बीबी के पास भेज देगी उपर...
पर साथ ही साथ उन्हे इतना मज़ा भी आ रहा था की वो चाह कर भी उसे रोक नही पा रहे थे...
आज तो उन्होने सोच ही लिया था की जान जाती है तो जाए पर इस लंड चुसाई का मज़ा आख़िर तक लेकर ही रहेंगे...
और फिर वो पल भी आ गया जिसमे उन्हे सच में अपनी जान निकलने का एहसास हुआ,
पर वो उनका वहम था,
निकला तो बस लंड से ढेर सारा गाड़ा रस,
जो ना जाने कितने दिनों से संभाल कर रखा हुआ था अपने इस ख़ास मेहमान के लिए उन्होने...
कामिनी का पूरा मुँह एक ही बार में उनके लंड से निकली खीर से भर सा गया...
और वो माल था भी खीर जैसा ही मीठा..
इसलिए उसने देर नही लगाई उसे अंदर निगलने में.
एक ही पल में उसने पूरे लंड का पानी अपने पेट में गटक लिया और डकार भी नहीं मारी..
मुस्कुराते हुए उसने जब अंकल जी को देखा तो उनके चेहरे का पसीना बता रहा था की इस उम्र में उन्होने ये मेहनत जो की है, उससे कितना थक से गये है वो..
पर ये थकने का और बैठने का टाइम नही था, क्योंकि कामिनी की भी चूत धधक रही थी इस वक़्त....
उसे अब किसी भी कीमत में अपनी चूत को भी झड़वाना था...
इसलिए वो तुरंत उठी, और बेड पर जाकर लेट गयी,
नीचे से वो पहले से ही नंगी थी, इसलिए अपनी टांगे फेलाते ही उसकी वो खूबसूरत चूत एक बार फिर से सामने आ गयी, जिसपर इस वक़्त जवानी का शहद चमक रहा था...
और जिसे अंकल जी को चाटकार सॉफ करना था.
अंकल ने उसकी चूत को देखा और फिर थोड़ा उपर देखकर बोले : "अगर ये उपर वाले कपड़े भी निकाल देती तो सच में सारा मज़ा मिल जाता इसी जन्म में ...''
कामिनी का दिल तो वैसे ही काफ़ी बड़ा था,
उसने तुरंत उनकी बात मान ली,
आखिरकार ऐसे बूढ़े और हुस्न के दीवाने उसे रोज थोड़े ही मिलने वाले थे...
वो उठी और उसने एक ही झटके में अपनी कमीज़ उतार दी और ब्रा भी...
अब वो हुस्न की देवी अंकल जी के सामने उपर से नीचे तक पूरी नंगी होकर खड़ी थी...
एक जवान और हुस्न से लदी लड़की को अपने कमरे में नंगी देखकर अंकल जी बेकाबू हो गये और वो उसपर टूट पड़े...
चूत पर नही बल्कि सीधा उसके रसीले होंठो पर..
उसके चेहरे को पकड़ कर वो उसपर चढ़ गये और उसके होंठो को अपने मुँह में लेकर जोरो से चूसने लगे...
अंकल जी के पोपले मुँह में अपने कसावट भरे होंठो का स्पर्श कामिनी को भी अच्छा लग रहा था इसलिए उसने उन्हे पूरी छूट दे दी ताकि वो उसके होंठो का वो मीठा शहद जी भरकर पी ले..
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