RE: Desi Sex Kahani पहली नज़र की प्यास
पर कामिनी के शब्दो का नशा ही इतना था की वो बिना कुछ सोचे समझे वो करते चले गये जो वो उनसे कह रही थी...
इतना भी नही सोचा की भला वो उन्हे ऐसा करने के लिए क्यो बोल रही है...
ये काम तो वो अपने मंगेतर से या उनकी बेटी से भी करवा सकती है जो अंदर बैठे है...
पर ठरकी बुड्ढ़ो को ऐसा मौका मिले तो उनका दिमाग़ काम करना बंद कर देता है,
फिर वो अपने लंड की ही सुनते है ना की दिमाग़ की.
उसकी ब्रा खुलते ही उसकी छातिया एक झटके से आगे की तरफ लहराई और थोड़ी और बड़ी हो गयी...
पीछे बैठे अंकल की नज़रें उसकी क्लीवेज पर ही थी जो एकदक से काफ़ी बड़ी दिखाई देने लगी थी अब...
और फिर कामिनी के कहे अनुसार उन्होने उसकी ब्रा स्ट्रेप वाले हिस्से पर अच्छे से रगड़ाई की,
ऐसा करवाते हुए एक पल के लिए तो कामिनी भी बहक सी गयी और सोचने लगी की इस उम्र के आदमी से चुदवाने में कैसा फील होता होगा..
खैर, कुछ देर तक अपनी पीठ की मालिश करवाकर वो वापिस आकर उनके सामने बैठ गयी और खेलने लगी,
जैसे कुछ हुआ ही ना हो...
और इस बार उसके गले में झूल रहे मम्मे थोड़े और बड़े हो चुके थे,
जो अंकल जी को अच्छे से रिझाने का काम कर रहे थे..
कामिनी उन्हे बीजी रखने में सफल हो चुकी थी और अंदर उन दोनो में प्यार की गर्मी थोड़ी और बढ़ चुकी थी...
आज की शाम कुछ होने वाला था उस घर में.
अंदर भी और बाहर भी.
एक बार फिर से जुए का खेल शुरू हुआ...
अंकल जी जीते हुए थे, इसलिए पत्ते भी वही बाँट रहे थे...
पर उनका सारा ध्यान इस बार कामिनी के मम्मों पर ही था, जो ब्रा की क़ैद से निकलने के बाद उनकी आँखो के सामने ऐसे झूल रहे थे जैसे नन्हे खरबूजे पेड़ो पर टाँग दिए हो...
उन्हे चूसने और दबाने मे कितना मज़ा आने वाला था इसका तो अंदाज़ा ही लगा सकते थे अंकल जी पर उनके मन में ये विचार ज़रूर आया की ऐसा अगर एक बार हो जाए तो इस बुडापे में ही सही पर उनकी लाइफ बन जानी है.
वही दूसरी तरफ अपने पत्तो को बिना देखे कामिनी ने 100 की ब्लाइंड चल दी, बावजूद इसके की अंकल जी का ध्यान गेम पर नही था...
पर तिरछी नज़रो से वो उन्हे देख भी रही थी की कैसे वो अपनी बूढ़ी और चमक रही आँखो से उसके योवन को चूस रहे है...
कामिनी ने उनके मुरझाए हुए होंठो को देखा और सोचने लगी की उनकी पकड़ उसके स्तनों पर कैसी लगेगी...
कैसे वो अपने बूड़े होंठो से उसके निप्पल्स को चुभलाएँगे, उन्हे चूसेंगे...उफफफफफ्फ़ ....
भले ही बूड़े थे अंकल जी पर उनमे जो आकर्षण था वो कामिनी को अब लुभा रहा था...
गेम के बहाने वो अपनी उस फेंटेसी को शायद पूरा कर लेना चाहती थी जिसमे वो अपने बाप की उम्र के आदमी से सैक्स करे...
और ये फॅंटेसी उसे अपने पिता की वजह से मिली थी क्योंकि वो काफ़ी हैंडसम थे, बचपन से ही उन्हे देखते हुए वो अक्सर सोचा करती थी की उन जैसा स्मार्ट आदमी किस अंदाज से प्यार करता होगा...
हालाँकि अपने पापा को उसने इस नज़र से आज तक नही देखा था पर उनके जैसा कोई दूसरा मिल जाए तो शायद उसे बुरा ना लगे...
यही सब सोचते-2 उसके मन में यही ख्याल आया की वो ये काम करके ही रहेगी...
आख़िर अपने होने वाले पति की भी इच्छा वो पूरी कर ही रही है...
पर पता नही कुणाल उसकी इजाज़त देगा या नही...
लेकिन वो बाद की बात थी..
अभी के लिए वो कम से कम उपरी मज़े तो ले ही सकती है ना...
जैसा की शायद वो दोनो अंदर ले रहे होंगे..
और अपनी योजना को रूप देने के मकसद से उसने फिर से अपनी पीठ पर खुजली का वही बहाना किया...
अंकल जी तो पहले से ही तैयार बैठे थे इस बार...
वो खुद ही उठकर उसके करीब आए और उसकी कुरती में हाथ डालकर उसे सहलाने लगे...
अंकल जी का खड़ा हुआ लंड उसके कंधे से टकरा रहा था जिसके एहसास से ही पता चल रहा था की उनमे अभी काफ़ी जान है...
ये एक और कारण बन गया उसकी फेंटेसी को निश्चय में बदलने का...
अंकल जी का हाथ उसकी मखमली पीठ पर उपर से नीचे तक सहला रहा था और उनकी नज़रें उपर से उसके मम्मों को भेद भी रही थी...
कामिनी ने कसमसाते हुए कहा : "लगता है कोई कीड़ा ही है....वरना इतनी परेशानी तो आज तक नही हुई...''
अंकल जी बोले : "जो सकता है तुम्हारी ब्रा का स्ट्रैप चुभ रहा हो...''
वो बड़ी ही भोली आवाज़ मे बोली : "हाँ ...हो भी सकता है....ये ब्रा पहली बार ही पहनी है मैने...शायद छोटी आ गयी है...36 के बदले 34 आ गयी है शायद...''
बातों ही बातों में उसने अंकल जी को अपनी छाती का नाप भी दे डाला..
और उसका असर उनपर ऐसा हुआ की उनके हाथ की पकड़ उसकी मांसल पीठ पर और सख्त हो गयी...
शायद उसकी ब्रा का साइज़ उन्हे अंदर तक उत्तेजित कर गया था.
वो बोले : "अगर ऐसा है तो एक बार बाथरूम में जाकर चेक कर लो...ऐसे बेकार में परेशानी होती रहेगी वरना...''
उन्होने अपने बेडरूम में बने बातरूम की तरफ इशारा किया जो ड्रॉयिंग रूम के सामने ही था...
वो भी बिना झिझक के उठी और बोली : "आप सही कह रहे हो ...मैं अंदर जाकर अपनी ब्रा उतार कर ही देखती हूँ ...ये वाली गेम को ऐसे ही रहने देना अंकल...पत्ते मत देख लेना अपने...ओके ...''
अंकल जी ने हंसते हुए उसे पत्ते ना देखने का आश्वासन दिया और वो अपनी गांड मटकाते हुए उनके बेडरूम की तरफ चल दी.
अंकल ने उसकी गांड की मांसलता देखी और अपने लंड को सहलाते हुए कहा : "हाय ....आजकल की लड़कियों की गांड एकदम दिल के आकार की होती है... कच्छी में ऐसी गांड कितनी सैक्सी दिखेगी,
अपने लंड से ऐसे दिल को भेदने में कितना मज़ा आएगा...उफफफ्फ़...''
भले ही बूढ़े हो चले थे वो..
पर जवानी का नशा उनपर से अभी तक उतरा नही था..
उसके अंदर जाते ही उन्होने सोचा की उसे छुपकर देखा जाए..
पर उससे पहले वो निश्चय कर लेना चाहते थे की उनकी बेटी और कुणाल अंदर क्या कर रहे है,
कही वो एकदम से बाहर आ गये तो वो पकड़े जाएँगे...
और ऐसी उम्र में इस तरह की हरकत करते हुए पकड़े जाना वो हरगिज़ नही चाहते थे...
वो अपनी बेटी के बेडरूम की तरफ चल दिए...
अपने पापा के कदमो की आहत सुनते ही वो उछलकर कुणाल की गोद से उतर गयी और सामने वाले सोफे पर बैठ गयी...
टीवी तो पहले से ही चल रहा था इसलिए वो बड़े ही सिरिअस स्टाइल से टीवी देखने का नाटक करने लगी..
अंकल जी ने जब देखा की वो दोनो तो टीवी देखने में इतना बिज़ी है की उनके आने का भी पता नही चला उन्हे तो वो चुपचाप वापिस आ गये...
अब वो निश्चिंत थे की वो दोनो बाहर नही आने वाले..
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