RE: Desi Sex Kahani पहली नज़र की प्यास
कुणाल अपनी मंगेतर के होते हुए उसे किस्स करना चाहता है इस बात में उसे कुणाल का सच्चा प्यार ही दिखाई दे रहा था..
और वैसे भी, एक बात तो वो जान ही चुकी थी की अब वो कुणाल को अपने पति के रूप में पा नही सकेगी पर उसके साथ ये सब करके वो अपने पहले प्यार का हक ही जता रही थी उसपर
और पहले प्यार की जगह कोई नही ले सकता..
अगली गेम के बाद कामिनी ने अंकल से कहा : "अंकल जी, हम तो यहाँ मज़े से खेल रहे है पर ये दोनो को देखो, कैसे बोर से हो गये है अभी से...''
और फ़ि उसने कुणाल की तरफ देखा और बोली : "अगर आप बोर हो रहे है तो हम चले क्या...''
ये सुनते ही अंकल जी को जैसे जोश सा आ गया...
वो बोले : "अरे , अभी से कैसे चलो, खाना खाकर ही जाओगे आज तुम दोनो...और रही बात कुणाल की तो वो तब तक टीवी देख लेगा...निशु और कुणाल तो बचपन के साथ है, आपस मे टीवी देखते हुए बोर भी नही होंगे दोनो...''
फिर उन्होने खुद ही निशु को कुणाल के साथ अंदर के कमरे में जाने के लिए कहा...
और अपने पापा की बात सुनकर मंद-2 मुस्कुराती हुई निशु ने कुणाल को इशारा करके अंदर चलने का न्योता दिया..
अंदर जाते हुए कुणाल की नज़रें उसके हिलते हुए चूतड़ों पर थी...
उन्हे मसलने में कितना मज़ा आने वाला है ये तो वही जानता था...
और अगर उसे उसकी गांड मारने का मौका मिल गया तो वो अपना जीवन सफल मान लेगा कसम से..
उसकी गांड को देखते हुए वो चलता चला जा रहा था और उसे पता भी नही चला की वो अंदर पहुँच गये है और वो रुककर उसे बैठने को कह रही है..
कुणाल अपनी ही धुन्न में आगे चलता चला गया और सीधा निशु से आ टकराया और उसे लेता हुआ वो पीछे के सोफे पर जा गिरा...
एकदम फिल्मी सीन था वो...
निशु की पतली कमर के नीचे कुणाल का हाथ था और उसके मम्मों पर उसका चेहरा...
और गिरने के बाद दोनो ने कोशिश भी नही की उठने की,
हालाँकि निशु को उठ जाना चाहिए था क्योंकि बाहर उसके पिताजी बैठे थे,
ऐसे आवाज़े सुनकर वो अंदर आ सकते थे,
पर कुणाल का चेहरा इतने करीब देखकर और उसके बदन पर अपना जिस्म रगड़कर उसे कुछ होश ही नही रहा और उसकी आँखो में एक नशा सा उतरता चला गया...
जिसे कुणाल ने सॉफ महसूस किया और उसने पहल करते हुए मौके का फायदा उठाया और अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए...
''उम्म्म्ममममममममममममम....... ओह.... निखी.ल्ल्ल्ल्ल.... आई लव यूँ निखिल्ल....... आई लव योउ.....पुचssssssss''
निशु ने बेतहाशा तरीके से बुदबुदाते हुए उसे अपने उपर बिछा सा लिया और उसे अपने होंठो का मीठा रस पिलाने लगी..
आज करीब 15 साल हो चुके थे उस बात को पर आज भी उसके होंठो की मिठास वैसी ही थी जैसे पहली बार में किस्स करने पर..
कुणाल ने तो उसके होंठो को ऐसे-2 तरीक़ो से चूसा की उसका बुरा हाल हो गया,
इतनी बुरी तरह से भी कोई स्मूच कर सकता है ये निशु ने आज ही जाना..
पर वो भला उसे क्यो रोकती ,
मज़ा तो उसे ही आ रहा था ना ये सब करवाने में ..
करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद दोनो अलग हुए और निशु ने अपना हुलिया ठीक किया...
वो बाहर की तरफ आई और उसने अपने पिताजी और कामिनी को खेलते हुए देखा तब वो निश्चिंत हुई...
ऐसे छुप कर प्यार का खेल खेलने में उसे सच में काफ़ी मज़ा आ रहा था..
वो वापिस आई और कुणाल की गोद में जाकर बैठ गयी और अपनी बाहें उसके गले में डाल कर उससे लिपट गयी.
इसी बीच बाहर तीन पत्ती का खेल खेलती कामिनी ने अपनी गेम स्टार्ट कर दी...
वो अचानक अपनी पीठ पर खुजली करने लगी और हड़बड़ा कर चिल्लाने भी लगी..
''हहाय ..उफफफ्फ़.....ओह अंकल जी....देखना ज़रा...लगता है कोई कीड़ा घुस गया अंदर....''
इतना कहते हुए वो अंकल के करीब जा बैठी...
कामिनी की कुरती का गला आगे से जितना गहरा था, उससे भी ज़्यादा गहराई उसके पीछे की तरफ थी.
उसकी मखमली और गोरी पीठ को देखकर अंकल जी अपनी ही दुनिया में खो गये..
वो छटपटाने का नाटक करती हुई बोली : "करो ना अंकल ...पीछे देखो , है कोई कीड़ा....''
बेचारे अंकल की हवा टाइट हो गयी...
अपनी बेटी की उम्र की लड़की को इतने पास से देखने के बाद उनके बूढ़े लंड में फिर से जान आ रही थी.
वो बोले : "नही...कुछ दिखाई तो नही दे रहा....''
कामिनी : "अंदर देखो ना....''
अंकल जी की रूह काँप गयी ये सुनते ही पर फिर भी हिम्मत करके उन्होने काँपते हुए हाथ उसकी कुरती में डाल दिए...
कामिनी की मखमली पीठ का स्पर्श पाकर उनका लंड तन कर पूरा खड़ा हो गया..
उनका हाथ अंदर जाता चला गया और उसके ब्रा स्ट्रेप से जा टकराया...
कामिनी : "हाँ हाँ ...यहीं पर है कुछ...प्लीज़ ब्रा को खोल दो...शायद उसी की वजह से हो रही है खुजली...''
कामिनी के मुँह ब्रा शब्द सुनकर अंकल जी की साँसे और तेज हो गयी
और जब उसे खोलने के लिए कहा गया तो उनकी मरने जैसी हालत हो गयी....
वो भी उपर मुँह करके शायद भगवान से यही कह रहे थे की ऐसी उम्र में ये कैसे झटके दे रहो हो भगवन..
|