RE: Hindi Porn Story मीनू (एक लघु-कथा)
“ऊह्ह” मीनू ने गहरी साँस ली, और बस!
आदर्श ने पुनः धक्का लगाया। इस बार उसने मीनू की पीड़ा की परवाह नहीं की। और तुरंत ही उसका लिंग मीनू की योनि के भीतर कई इंच अन्दर तक चला गया। दोनों ही इस बात पर आश्चर्यचकित हो गए। साथ ही साथ मीनू को तीव्र पीड़ा का अनुभव भी हुआ। उसका मुख पीदवश खुला हुआ था, लेकिन कोई आवाज़ नहीं आ रही थी। मानो साँसों ने आना जाना ही बंद कर दिया हो। आदर्श ने देखा तो फ़ौरन उसने अपने लिंग को पीछे खींचा। लगभग तुरंत ही मीनू की साँस वापस आ गईं।
उसकी आँखें आंसुओं से भर गईं। वो रोना चाहती थी, लेकिन रोई नहीं। यह सही समय नहीं था। क्या किससे सुने थे – सब बकवास! अभी तक उसको पीड़ा के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला। कोई आनंद नहीं! आदर्श ने अपने चुम्बनों से मीनू के नमकीन आँसुओं को पी लिया। उसके शिश्न का सिरा अभी भी मीनू के अन्दर ही था। जब मीनू पुनः तैयार हो गई, तो आदर्श ने फिर से धक्का लगाया, और लगभग उतना ही अन्दर गया जितना पहले गया था। उसने फिर जल्दी जल्दी चार पांच धक्के लगाए। मीनू को दर्द हुआ, लेकिन फिर भी वो हिम्मत जुटा कर मुस्कुराई। मीनू आदर्श को चाहती थी, और उसका दिल नहीं दुखाना चाहती थी। वैसे भी उसने आदर्श को इतने लम्बे समय तक वैवाहिक सुख से वंचित कर के रखा हुआ था, इस बात की वो क्षति पूर्ती भी करना चाहती थी। उसको मालूम था, कि अभी जो कुछ हो रहा है, उसको रोकना असंभव है।
कुछ ही धक्कों में आदर्श का लिंग आसानी से अन्दर बाहर आने जाने लगा। अब वो मीनू के और भीतर तक जा रहा था, और उसकी योनि का और अधिक प्रसार कर रहा था। मीनू भी आदर्श के प्रहारों का प्रतिरोध नहीं कर रही थी, बल्कि उनको स्वीकार रही थी। आदर्श रह रह कर मीनू को चूमता, आलिंगन में भरता, और धक्के लगाता जाता।
मीनू की पूरी योनि आदर्श के लिंग से भर गई थी। उसने अपने पैर आदर्श की कमर के गिर्द लपेट रखी थी, जिससे आदर्श उसका योनि-भेदन समुचित तरीके से कर पा रहा था। एक बार उसके लिंग के मीनू की योनि के अधोभाग को छू लिया। कैसा अनपेक्षित संवेदन था! आदर्श उसके अन्दर उतना जा चुका था, जितना संभव था! यह बात आदर्श को भी मालूम हुई। उसने रुक कर मीनू को गले से लगा लिया। आदर्श के दिल की हर धड़कन से उसका शिश्न योनि के तल को जैसे बुहार रहा था। एक आश्चर्यजनक.. एक अतुल्य अनुभव!
मीनू भी आदर्श के दिल की धड़कन इस मैथुनिक संयोग से महसूस कर रही थी। दोनों ने बिना कुछ भी कहे सुने, एक दूसरे की आँखों में देर तक देखा। उस क्षण सम्भोग के स्वर्गिक आनंद की एक कोमल सी लौ, मीनू के भीतर संदीप्त हुई।
उसने फिर से धक्के लगाने आरम्भ कर दिए – इस बार कुछ तीव्र गति से। जल्दी ही मीनू के उत्तेजना अपने चरम शिखर पर पहुँच गई... और उस शाम तीसरी बार रति-निष्पत्ति का अनुभव करने लगी। लेकिन यह आनंद पहले दोनों आनंद के जोड़ से भी दो गुणा था! आदर्श ने जब उसकी योनि को रह रह कर अपने लिंग की लम्बाई पर संकुचित होता महसूस किया, वो वह खुद भी कामोन्माद के चरम पर पहुँच गया। महीने भर का संचित उसका वीर्य, मीनू की कोख में प्रस्फोट के रूप में खाली होने लगा।
मीनू महसूस कर रही थी, कि आदर्श भी वही आनंद महसूस कर रहा था जो की वो खुद भी कर रही है। उसके शिश्न के साथ साथ ही उसने अपनी योनि भी संकुचित करी। उसने आदर्श के आठ प्रस्फोट अपने भीतर महसूस किए। तब कहीं जा कर आदर्श ने राहत और आनंद भरी साँस बाहर छोड़ी।
जब उन दोनों की आँखें मिली, तो मीनू आदर्श के चेहरे पर देख सकती थी कि वो बताना चाहता था कि उसको कितना अच्छा लगा! लेकिन उसने खुद को ज़ब्त कर लिया.. बातें कर के ऐसे रोमानी माहौल का कबाड़ा क्यों किया जाय! बजे कुछ कहने के, आदर्श मुस्कुराया, और उसने मीनू का मुख चूम लिया।
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