RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
शबाना ने धक्का दे कर हम दोनों को बेड पर ले जा कर गिरा दिया। मैंने अब गौर से रुखसाना का नंगा जिस्म बेड पर पड़े हुए देखा, उसका मासूम सा चेहरा, दो माध्यम आकार के चुचे, पतली कमर और कसे हुए योनिड़, मोटी टांगें और कसी हुई पिंडलियाँ देख कर मैं पागल सा हो गया और उसे ऊपर से नीचे तक चूमने लगा।
मैं चूमता हुआ उसकी योनि तक पहुंचा और गीली योनि को अपने मुंह से चाटने लगा। उसका स्वाद तो मैं पहले ही चख चुका था, अब पूरी कड़ाही में अपना मुंह डाले मैं उसका मीठा रस पी रहा था।
शबाना ने दूसरी तरफ से रुखसाना को किस करना शुरू किया और उसके होंठों पर अपने होंठ रगड़ने लगी।
रुखसाना बुदबुदाये जा रही थी- मुझे कुछ हो रहा है… कुछ करो।
शबाना ने मुझे इशारा किया और मैं समझ गया कि वो घड़ी आ चुकी है। मैंने उठ कर अपना लंड उसके रस से चिकना कर उसकी छोटी सी योनि के मुहाने पर रखा, शबाना ने मेरा लंड पकड़ा और उसे रुखसाना की योनि के ऊपर नीचे रगड़ने लगी और फिर एक जगह फिक्स कर दिया और बोली- भाई… थोड़ा धीरे धीरे अंदर करना… कुंवारी है अभी…
मैंने कुछ नहीं कहा और अपने लंड का जोर लगा कर अपना सुपारा अपनी चचाजाद बहन की नन्हीं सी योनि में धकेल दिया।
रुखसाना की तो दर्द के कारण बुरी हालत हो गयी- नाआआ आआ आआअ… निकाआआ आआआआ अल्लओ मुझे नहीईइ करना… आआआअ… मर गई मैं!
मैं थोड़ा रुका, शबाना ने रुखसाना को फिर से किस किया और उस के चुचे चूसे।
वो थोड़ा नोर्मल हुई तो मैंने अगला झटका दिया; उसका पूरा शरीर अकड़ गया मेरे इस हमले से; मेरा आधा लंड उस की योनि में घुस गया और उस की झिल्ली से जा टकराया।
वो चीख पड़ती अगर शबाना ने उसके होंठों पर अपने मुंह की टेप न लगाई होती। मैंने लंड पीछे खींचा और दुबारा और तेजी से अन्दर डाल दिया; मेरा लंड उसकी झिल्ली को चीरता हुआ अन्दर जा घुसा।
मैंने अपने लंड पर उसके गर्म खून का रिसाव महसूस किया; मेरी बहन की छोटी सी योनि फट चुकी थी; मैंने सोचा भी नहीं था कि कोई योनि इतनी कसी भी हो सकती है।
मेरी चचाजाद बहन मेरे नीचे नंगी पड़ी छटपटा रही थी, मेरी सगी बहन ने उसके दोनों हाथों को पकड़ा हुआ था और उसे किस करे जा रही थी।
मैंने लंड बाहर खींचा और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में उसके कूल्हे भी मेरे लंड के साथ साथ हिलने लगे, अब उसे भी मजा आ रहा था।
रुखसाना बोली- साआले… जान ही निकाआल दी तूने तो… अब देख क्या रहा है… जोर से चोद मुझे भेन चोद… सालाआआ कुत्ताआआआ… चोद मुझे ईईईए… आआआह्ह्ह्ह… बहन चोद!
रुखसाना की गरम योनि मेरे लंड को जकड़े हुए थी; मेरे लिए ये सब बर्दाश्त करना अब कठिन हो गया और मैंने अपना वीर्य अपनी छोटी सी कुंवारी बहन की योनि में उड़ेल दिया. वो भी झटके ले कर झड़ने लगी और मैं हांफता हुआ अलग हो गया।
रुखसाना की योनि में से मेरा रस और खून बाहर आने लगा। रुखसाना थोड़ी डर गयी पर शबाना ने उसे समझाया कि ये सब तो एक दिन होना ही था और उसे बाथरूम मे ले गयी साफ़ करने के लिए और बेड से चादर भी उठा ली धोने के लिए।
मैं भी उठा और छेद से देखा कि अन्दर का माहौल भी लगभग बदल चुका है, मेरे अब्बू निदा चाची जान की योनि में लंड पेल रहे थे और मेरी अम्मी फारुख चाचू के ऊपर उन के लंड को अन्दर लिए उछल रही थी।
मेरी अम्मी ने नीचे झुक कर चाचू को चूमा और झड़ने लगी; चाचू ने भी अपने हाथ मेरी अम्मी की मोटी गांड पर टिका दिए और अपना रस अन्दर छोड़ दिया।
अब्बू ने भी जब झड़ना शुरू किया तो अपना लंड बाहर निकाला और चाची जान के मुंह पर धारें मारने लगे, वो नीचे पेशाब वाले गीले फर्श पर लेटी थी, चाची जान की हालत एक सस्ती रंडी जैसी लग रही थी; शरीर पेशाब से गीला और चेहरा मेरे अब्बू के रस से।
थोड़ी देर लेटने के बाद मेरी अम्मी अपनी जगह से उठी और निदा चाची जान के पास आकर उनके चेहरे पर गिरा मेरे अब्बू का रस चाटने लगी; बड़ा ही कामुक दृश्य था।
निदा का चेहरा चाटने के साथ साथ मेरी अम्मी उन्हें चूम भी रही थी।
चाची जान ने भी मेरी अम्मी को भी किस करना शुरू कर दिया और उनके उभारों को चूसते हुए नीचे की तरफ जाने लगी और उन की योनि पर पहुँच कर अपनी जीभ अन्दर डाल दी और वहां पड़े अपने पति के रस को खोद खोद कर बाहर निकालने लगी।
अम्मी ने भी अपना मुंह चाची जान की योनि पर टिका कर उसे साफ़ करना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में दोनों ने एक दूसरे को अपनी अपनी जीभ से चमका दिया।
फिर मेरे अम्मी अब्बू अपने रूम में चले गए और चाचू चाची जान नंगे ही अपने बिस्तर में घुस गए।
शबाना और रुखसाना भी वापिस आ चुकी थी, रुखसाना थोड़ी लड़खड़ा कर चल रही थी, उस की मासूम योनि सूज गयी थी मेरे लंड के प्रहार से। शबाना ने उसे पेनकिलर दी और रुखसाना उसे खा कर सो गयी।
मैं भी घुस गया उन दोनों के बीच एक ही पलंग में और रजाई ओढ़ ली.
मजे की बात ये थी कि हम तीनों भाई बहन नंगे थे।
सुबह मेरी आँख जल्दी खुल गयी और मैंने पाया की रुखसाना वहीं आयने वाली जगह से अन्दर देख रही है। मैंने शबाना की तरफ देखा पर वो सो रही थी। रुखसाना नंगी खड़ी दूसरे रूम में देख रही थी।
मैं उठ कर पास गया और उसके गोल गोल योनिड़ों पर अपना लंड टिका कर उसके पीछे खड़ा हो गया। उसने मुस्कुरा कर पीछे देखा और मुझे जगह देते हुए साइड हो गयी। मैंने अन्दर देखा कि चाचू और चाची जान 69 की अवस्था में एक दूसरे के गुप्तांगों को चूस रहे थे… क्या गजब का सीन था।
मैंने मन ही मन सोचा ‘सुबह सुबह इन को चैन नहीं है.’ और रुखसाना की तरफ देखा… उस की साँसें तेजी से चल रही थी; अपने अम्मी अब्बू को ऐसी कामुक अवस्था में सुबह देखकर वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी; उसकी योनि में से रस बहकर जांघों से होता हुआ नीचे बह रहा था।
मैंने मन ही मन सोचा कितना रस टपकाती है साली… उसके होंठ कुछ कहने को अधीर हो रहे थे। उसकी आँखों में कामुकता थी, एक निमंत्रण था… पर मैंने सोचा चलो इसको थोड़ा और तड़पाया जाए और मैंने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और वापिस अन्दर देखने लगा।
अन्दर उन्होंने अपना आसन तोड़ा और चाची जान उठ कर चाचू के सामने आ गयी और उनका लंड मुंह में डाल कर चूसने लगी। फारुख चाचू की आँखें बंद होती चली गयी। निदा चाची जान किसी प्रोफेशनल पोर्न आर्टिस्ट की तरह चाचू का लंड चूस रही थी।
मेरा तो दिल आ गया था अपनी रांड चाची जान पर… जी कर रहा था कि अभी अन्दर जाऊं और अपना लौड़ा उसके मुंह में ठूस दूं… साली कुतिया।
यहाँ रुखसाना काफी गरम हो चुकी थी, वो अपना शरीर मेरे शरीर से रगड़ रही थी, अपने चुचे मेरे हाथों से रगड़ कर मुझे उत्तेजित कर रही थी। मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की और अन्दर ही देखता रहा पर मेरा लंड मेरी बात कहाँ मानता है, वो तो खड़ा हो गया पूरी तरह।
जब रुखसाना ने देखा कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ तो वो मेरे सामने आई और मेरे लबों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूसने लगी और अपना पूरा शरीर मुझ से रगड़ने लगी। अब मेरी सहन शक्ति ने जवाब दे दिया और मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया और मैं उसे जोरों से चूसने और चाटने लगा। मैंने अपने हाथ उसके गोल और मोटे योनिड़ों पर टिकाया और उसकी गांड में उंगली डाल दी।
वो चिहुंक उठी और उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टाँगें मेरे चारों तरफ लपेट ली।
मेरी उंगली मेरी बहन की गांड में अन्दर तक घुस गयी। वो उसे जोर जोर से हिलाने लगी; मेरे मन में उसकी गांड मारने का विचार आया पर फिर मैंने सोचा अभी कल ही तो इसने योनि मरवाई है… इतनी जल्दी गांड भी मार ली तो बेचारी का चलना भी दूभर हो जाएगा इसलिए मैंने अपनी उंगली निकाल कर उसकी रस उगलती योनि में डाल दी।
रुखसाना तो मस्ती में आकर मुझे काटने ही लगी और इशारा करके मुझे बेड तक ले जाने को कहा। मैं उल्टा चलता हुआ बेड तक आया और उसे अपने ऊपर लिटाता हुआ नीचे लेट गया। उस से सहन नहीं हो रहा था, उसने मेरे लंड को निशाना बनाया और एक ही बार में मेरे लंड को अपनी कमसिन योनि में उतारती चली गयी।
उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज के साथ मेरा लंड उसकी पिंकी के अन्दर घुसता चला गया…”म्म्म्म म्म्म्मम्म…” आनंद के मारे उसकी आँखें बंद होती चली गयी। पास सो रही शबाना को अंदाजा भी नहीं था कि हम भाई बहन सुबह सुबह फिर से योनि लंड खेल रहे हैं।
रुखसाना मेरा लंड अपने तरीके से अपनी योनि के अन्दर ले रही थी, वो ऊपर तक उठ कर आती और मेरे लंड के सुपारे को अपनी योनि के होंठों से रगड़ती और फिर उसे अन्दर डालती। इस तरह से वो हर बार पूरी तरह से मेरे लंड को अन्दर बाहर कर रही थी।
|