RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
हम सबने एक दूसरे को विश किया और अन्दर आ गए। अब्बू ने पहला रूम लिया और दूसरा फारुख अंकल ने! अब्बू ने मुझे और शबाना से कहा की तीसरा रूम हमें एक साथ शेयर करना पड़ेगा क्योंकि वहां इससे बड़ा कोई केबिन नहीं था।
मैंने मासूमियत से कहा- नो प्रॉब्लम डैड, हम मैंनेज कर लेंगे.
और शबाना की तरफ देख कर आँख मार दी।
हम सबने अपने सूटकेस खोले और कपड़े बदल कर बाहर आ गए। शाम हो चुकी थी; हॉल में ही खाने का इंतजाम किया गया था; हर तरह का खाना था।
हमारा ग्रुप आया… हमने पेट भरकर खाना खाया और मैं शबाना को लेकर टहलने के लिए निकल गया। अम्मी अब्बू और फारुख अंकल की फैमिली वहीं अपने दूसरे दोस्तों से बातें करने में व्यस्त थे।
हमने पूरा इलाका अच्छी तरह से देखा। ठंड बढ़ रही थी इसलिए हम वापिस केबिन की तरफ चल दिए। वहाँ पहुँचकर हमने पाया कि वो सब भी अन्दर आ चुके हैं और ड्राइंग रूम में बैठे बीयर पी रहे हैं।
मैंने पहली बार अम्मी को भी पीते हुए देखा पर उन्होंने ऐसा शो किया कि ये सब नोर्मल है। हम सभी वहीँ थोड़ी देर तक बैठे रहे और बातें करते रहे। अब्बू ने हमें बताया कि रुखसाना भी हमारे रूम में रहेगी। दोनों लड़कियां एक बेड पर और मैं एक्स्ट्रा बेड पर सो जाऊंगा।
हमने कोई जवाब नहीं दिया।
रुखसाना पहले ही जाकर हमारे रूम में सो चुकी थी। फिर तक़रीबन एक घंटे बाद सबको नींद आने लगी और सभी एक दूसरे को गुड़ नाईट करके अपने-2 रूम में चले गए।
रास्ते में मैंने शबाना से रुखसाना के बारे में विचार जानने चाहे तो उसने कहा- पता नहीं… छोटी है… देख लेंगे!
और हंसने लगी।
अपने रूम में जाकर मैंने शबाना से कहा- मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि इन्होंने हमें एक ही रूम में सोने के लिए कहा है इससे बेहतर तो कुछ हो ही नहीं सकता था।
शबाना- हाँ… सच कह रहे हो, हम अब एक दूसरे के साथ पूरी रात ऐश कर सकते हैं।
मैंने रुखसाना की तरफ इशारा करके कहा- पर इसका क्या करें?
शबाना ने कहा- देख लेंगे इसको भी…पर पहले तो तुम मेरी प्यास बुझाओ!
और वो उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टांगें मेरी कमर के चारों तरफ लिपटा ली और मेरे होंठों पर अपने सुलगते हुए होंठ रख दिए।
मैंने अपना सर पीछे की तरफ झुका दिया और उसके गद्देदार योनिड़ों पर अपने हाथ रखकर उसे उठा लिया। शबाना की गरम जीभ मेरे मुंह के अन्दर घुस गयी और मुझे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी।
मैंने उसके नीचे के होंठ अपने दांतों के बीच फ़सा लिए और उन्हें चूसने और काटने लगा… आज हम भाई बहन काफी उत्तेजित थे; मैंने एक नजर रुखसाना की तरफ देखा पर वो बेखबर सो रही थी।
मैंने दरवाजा पहले ही बंद कर दिया था। मैं शबाना को किस करता हुआ बेड की तरफ गया और पीठ के बल लेट गया। रुखसाना एक कोने में उसी बेड पर सो रही थी; हमारे पास काफी जगह थी; मैंने अपने हाथ बढ़ा कर शबाना के मम्मों पर रख दिए… वो कराह उठी- आआआ आअह… .मम्मम… दबाओ भाई… ऊऊऊ…मेरी चूचियाँ!
मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी, उसकी ब्रा में कैद चुचे मेरी आँखों के सामने झूल गए, मैंने उन्हें ब्रा के ऊपर से ही दबाया; काली ब्रा में गोरी चूचियां गजब लग रही थी।
मैंने गौर से देखा तो उसके निप्पल ब्रा में से भी उभर कर दिखाई दे रहे थे।
मैंने अपने दांत वहीं पर गड़ा दिए और उसका मोती जैसा निप्पल मेरे मुंह में आ गया। शबाना ने हाथ पीछे ले जा कर अपनी ब्रा भी खोल दी और वो ढलक कर झूल गयी। मैंने अपना मुंह फिर भी नहीं हटाया और उसकी झूलती हुई ब्रा और निप्पल पर मैं मुंह लगाए बैठा था।
शबाना की आँखें उन्माद के मारे बंद हो चुकी थी; उसने मेरा मुंह अपनी छाती पर दबा डाला… मेरे मुंह में आने की वजह से उसकी ब्रा भी गीली हो चुकी थी। गीलेपन की वजह से शबाना के शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गयी।
उसने मेरे मुंह को जबरदस्ती हटाया और बीच में से ब्रा को हटाकर फिर से अपना चुचा पकड़ कर मेरे मुंह में ठूंस दिया जैसे एक अम्मी अपने बच्चे को दूध पिलाते हुए करती है, वैसे ही उसने अपना निप्पल मेरे मुंह में डाल दिया; मैंने और तेजी से उन्हें चूसना और काटना शुरू कर दिया।
मैंने एक हाथ नीचे किया और पलक झपकते ही उसकी जींस के बटन खोल कर उसे नीचे खिसका दिया। जींस के साथ-2 उसकी पेंटी भी उतर गयी और मेरी बहन की योनि की खुशबू पूरे कमरे में फैल गयी।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी योनि में डाल दी… मेरी बहन की योनि में उंगली ऐसे अन्दर गयी जैसे मक्खन में गर्म छुरी… वो मचल उठी और उसने अपने होंठ फिर से मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगी। एक हाथ से वो मेरी जींस को उतारने की कोशिश करने लगी; मैंने उसका साथ दिया और बेल्ट खोल कर बटन खोले।
शबाना किसी पागल शेरनी की तरह उठी और बेड से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी। उसने अपनी जींस पूरी तरह से उतारी और मेरी जींस को नीचे से पकड़ा और बाहर निकाल फेंका। मेरा लंड स्प्रिंग की तरह बाहर आकर खड़ा हो गया। वो नीचे झुकी और मेरा पूरा लंड निगल गयी और चूसने लगी।
उसकी व्याकुलता लंड को चूसते ही बनती थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे अपनी तरफ घुमा कर 69 की अवस्था में लिटा लिया। उसकी योनि पर मुँह लगते ही मेरा मुंह उसके रस से भर गया क्योंकि उसका एक ओर्गास्म हो चुका था।
मैंने करीब 15 मिनट तक बहन की योनि चाटी, मैं भी झड़ने के करीब था पर मैं पहले बहन की योनि का मजा लेना चाहता था। मैंने उसे फिर से घुमाया और अपनी तरफ कर के उसकी गीली योनि में अपना मोटा लंड डाल दिया… वो चिल्लाई- आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… अय्य्य्यीईईइ…
शबाना की योनि काफी गीली थी पर उसके कसी होने की वजह से अभी भी अन्दर जाने में उसे तकलीफ होती थी… पर मीठी वाली।
मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू किये; उसकी चूचियां मेरे मुंह के आगे उछल रही थी किसी बड़ी गेंद की तरह। मैं हर झटके के साथ उसके निप्प्ल को अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगा। अंत में जैसे ही उसका निप्पल मेरे मुंह में आया… वो झटके दे दे कर झड़ने लगी… और मेरे दाई तरफ लुढ़क गयी।
मैंने अपना लंड निकाला और उसे लेटा कर उसके ऊपर आ गया और फिर अपना लण्ड अन्दर डालकर उसे चोदने लगा।
मैंने नोट किया कि इस तरह से स्टॉप एंड स्टार्ट तकनीक का सहारा लेकर आज मेरा लंड काफी आगे तक निकल गया… मैंने करीब पांच मिनट तक उसे इसी अवस्था में चोदा। वो एक बार और झड़ गयी।
मैं भी झड़ने वाला था, मैंने जैसे ही अपना लंड बाहर निकालना चाहा, उसने मुझे रोक दिया और अपनी टांगें मेरी कमर के चारो तरफ लपेट दी और बोली- आज अन्दर ही कर दो…
मैं हैरान रह गया पर इससे पहले कि मैं कुछ पूछ पाता… मेरे लंड ने पानी उगलना शुरू कर दिया।
उसकी आँखें बंद हो गयी और चेहरे पर एक अजीब तरह का सुकून फ़ैल गया। मैंने भी मौके की नजाकत को समझते हुए पूरे मजे लिए और उसकी योनि के अन्दर अपना वीर्य खाली कर दिया और उसके ऊपर लुढ़क गया।
उसकी टांगें अभी भी मुझे लपेटे हुए थी। मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया, मेरा हाथ बगल में सो रही चचाजाद बहन रुखसाना से जा टकराया। मैंने सर उठा कर देखा तो वो अभी भी सो रही थी और काफी मासूम लग रही थी।
ना जाने मेरे मन में क्या आया, मैंने अपना एक हाथ उसके चुचे पर रख दिया। वैसे तो वो कमसिन थी पर उसके उभार काफी बड़े थे। मुझे ऐसे लगा कोई रुई का गुबार हो। मैंने नोट किया कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। यह महसूस करते ही मेरे लंड ने शबाना की योनि में पड़े-पड़े एक अंगड़ाई ली। मेरे नीचे मेरी नंगी बहन पड़ी थी और मैं पास में सो रही दूसरी बहन के चुचे मसल रहा था।
मेरी बहन के साथ रंगीन रातें कब तक चलेंगी, चचाजाद बहन के हमारे कमरे में होते हुए रोज रातें रंगीन करना मुश्किल काम लग रहा था.
मैं उठा और बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया; शबाना भी मेरे पीछे आ गयी और मेरे सामने नंगी पोट पर बैठ कर मूतने लगी। वो मुझे लंड साफ़ करते हुए देखकर हौले हौले मुस्कुरा रही थी। मैंने तौलिये से लंड साफ़ किया और बाहर आ गया।
मैंने अपनी शोर्ट्स पहनी और टी शर्ट उठाई और पहन कर दीवार पर लगे छोटे से आयने के आगे आकर अपना चेहरा साफ़ करने लगा।
आयना थोड़ा छोटा और गन्दा था। मैं थोड़ा आगे हुआ और अपने हाथ से उसे साफ़ करने लगा। मेरे हाथ के दबाव की वजह से वो हिल गया और उसका कील निकल कर गिर गया। मैंने आयने को हवा में लपक कर गिरने से बचाया।
मैंने देखा आयने वाली जगह पर एक छोटा सा होल है। मैं आगे आया और गौर से देखने पर मालूम चला की दूसरी तरफ भी एक आयना लगा हुआ है पर आयने के उलटी तरफ से देखने की वजह से वो पारदर्शी हो गया था जिस वजह से मैं दूसरे कमरे में देख पा रहा था। वो कमरा फारुख चचा जान का था; वो खड़े हुए अपनी बीयर पी रहे थे।
तब तक शबाना भी बाथरूम से वापिस आ चुकी थी और कपड़े पहन रही थी; मैंने उसे इशारे से अपनी तरफ बुलाया; वो आई और मैंने उसे वो आयने वाली जगह दिखाई तो वो चौंक गयी और जब सारा माजरा समझ आया तो हैरानी से बोली- ये तो चचा जान का कमरा है… क्या वो हमें देख पा रहे होंगे?
मैं- नहीं, ये आयने एक तरफ से देखने वाले और दूसरी तरफ से पारदर्शी है… ये देखो!
और मैंने उसे अपने रूम का आयना दोनों तरफ से दिखाया।
उसके चेहरे के भाव बदलते देर नहीं लगी और उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान तैर गयी और बोली- ह्म्म्म तो अब तुम अपनी बहन के बाद चचा जान के कमरे की भी जासूसी करोगे।
मैंने कहा- चोरी छुपे देखने का अपना ही मजा है।
वो हंस पड़ी और हम दूसरे कमरे में देखने लगे।
अब चचा जान बेड के किनारे पर खड़े हुए अपने कपड़े उतार रहे थे। उन्होंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी और सिर्फ चड्डी में ही बैठ गए। निदा चाची जान बाथरूम से निकली और चचा जान के सामने आकर खड़ी हो गयी; उन्होंने गाउन पहन रखा था।
चचा जान ने अपना मुंह चाची जान के गुदाज पेट पर रगड़ दिया और उसके गाउन की गाँठ खोल दी। चाची जान ने बाकी बचा काम खुद किया और गाउन को कंधे से गिरा दिया। चाची जान ने नीचे सिर्फ पेंटी पहन रखी थी।
मैंने अपनी बहन को दिखाया तो वो हंस पड़ी और हम दूसरे कमरे में देखने लगे।
अब चचा जान बेड के किनारे पर खड़े हुए अपने कपड़े उतार रहे थे। उन्होंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी और सिर्फ चड्डी में ही बैठ गए। निदा चाची जान बाथरूम से निकली और चचा जान के सामने आकर खड़ी हो गयी; उन्होंने गाउन पहन रखा था।
चचा जान ने अपना मुंह चाची जान के गुदाज पेट पर रगड़ दिया और उसके गाउन की गाँठ खोल दी। चाची जान ने बाकी बचा काम खुद किया और गाउन को कंधे से गिरा दिया। चाची जान ने नीचे सिर्फ पेंटी पहन रखी थी।
चाची जान के मोटे मोटे चुचे बिल्कुल नंगे थे और चचा जान के सर से टकरा रहे थे। मैंने इतने बड़े चुचे पहली बार देखे थे… मेरे मुंह से “आउउ” निकल गया। शबाना जो मेरे आगे खड़ी हुई थी उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दी और बोली- वाह… निदा चाची जान की ब्रेस्ट कितनी बड़ी और सुंदर है. तुम्हारी तो पसंदीदा चीज है न इतनी बड़ी चूचियां… है ना?
मैंने सिर्फ हम्म्म्म कहा और दोबारा वहीं देखने लगा। मेरा लंड अब फिर से खड़ा हो रहा था और शबाना, मेरी बहन की की गांड से टकरा रहा था.
चचा जान ने चाची जान की कच्छी भी उतार दी और उसे पूरी नंगी कर दिया…”क्या चीज है यार पूरी नंगी चाची जान! ” मैंने मन ही मन कहा।
चाची जान का पूरा शरीर अब मेरे सामने नंगा था, उसकी बड़ी-बड़ी गांड, हल्के बालों वाली योनि और बड़ी बड़ी चूचियां देख कर मेरा इस कमरे में बुरा हाल था।
चचा जान ने ऊपर मुंह उठा कर चाची जान का एक चुचा अपने मुंह में ले लिया और उसे चबाने लगे। चूस वो रहे थे और पानी मेरे मुंह में आ रहा था। चाची जान थोड़ी देर तक अपने चुचे चचा जान से चुसवाती रही और खड़ी हुई मचलती रही। फिर चाची जान ने चचा जान को धक्का देकर लिटा दिया और चचा जान का अंडरवीयर एक झटके से निकाल फेंका। चचा जान का लंड देख कर अब शबाना का मुंह भी खुल गया… क्योंकि काफी बड़ा था; मेरे लंड से भी बड़ा और मोटा, काले रंग का था, उसकी नसें चमक रही थी।
चाची जान ने चचा जान का लंड अपने मुंह में डाला और उसे चूसने लगी। चचा जान ने अपनी आँखें बंद कर ली और मजे लेने लगे। निदा चाची जान हिल हिल कर चचा जान का लंड चूस रही थी तो उनके मोटे मोटे चुचे झटकों से ऊपर नीचे हो रहे थे। आधी बैठने की वजह से उस की गांड बाहर की तरफ उभर कर काफी दिलकश लग रही थी… मैं तो उसके भरे हुए बदन का दीवाना हो गया था।
अचानक चचा जान के रूम का दरवाजा खुला और मेरी अम्मी कमरे में दाखिल हुई।
मैं उन्हें एक दम देख कर हैरान रह गया।
अम्मी ने भी गाउन पहन रखा था पर उन्हें निदा चाची जान को चचा जान का लंड चूसते देखकर कोई हैरानी नहीं हुई; निदा ने सर उठा कर अम्मी को देखा तो वो भी बिना किसी हैरानी के उन्हें देख कर मुस्कुरा दी और फिर से लंड चूसने में लग गयी।
जितना हैरान मैं था, उतनी ही शबाना भी; वो मुंह फाड़े उधर देख रही थी और फिर हैरानी भरी आँखों से मेरी तरफ देखा और आँखों से पूछा- ये क्या हो रहा है?
मैंने अपने कंधे उचका दिए और सर हिला दिया… मुझे नहीं मालूम कहने के स्टाइल में!
हमने वापिस अन्दर देखा। अम्मी अब बेड पर जा कर उन के पास बैठ गयी थी, वो दोनों अपने काम में लगे हुए थे और हमारी अम्मी, चाची जान को फारुख चचा जान का लंड चूसते हुए देख रही थी. मेरा तो दिमाग चकरा रहा था कि ये सब हो क्या रहा है।
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