RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
अगले दिन शाम को शबाना ने बताया की फातिमा की चार सहेलियाँ तैयार हो गई हैं अपनी योनि चटवाने के लिए… और वो इसके लिए दो-दो हजार रूपए देने को भी तैयार हैं.
हमने अगले दिन चार बजे का समय तय किया.
उस रात अगले दिन के बारे में सोच सोच कर मुझे नींद नहीं आई.
अगले दिन मैं उनका इन्तजार करने लगा. जब मैंने उनके आने की आवाजें सुनी तो छेद से देखा. शबाना और फातिमा के साथ उनकी चार और सहेलियाँ आई हुई थी.
उनमें से एक लड़की को तो मैं भी जानता था. वो शबाना के बर्थडे पर पहले भी घर आई हुई थी. वो देखने में बिल्कुल सीधी-साधी लगती थी पर उसके नैन नक्श बहुत तीखे थे.
दूसरी लड़की काफी मोटी थी, उसकी कमर फैली हुई और छाती भरी हुई थी.
तीसरी उससे बिल्कुल विपरीत दुबली पतली और चुचे ना के बराबर पर उसके कूल्हे काफी भरे हुए और गुदाज दिख रहे थे.
पर चौथी लड़की को तो मैं देखता ही रह गया. वो बिल्कुल कैटरीना कैफ जैसी दिख रही थी. बिल्कुल वही हेयर स्टाइल… वैसा ही हंसमुख और लम्बा चेहरा… भरे हुए दूध के ग्लास और पतली कमर के नीचे मोटे-मोटे गद्देदार योनिड़… कुल मिलकर वो सेक्स बम्ब लग रही थी.
सभी लड़कियाँ अन्दर आते ही धीरे-2 अपने कपड़े निकाल कर नंगी हो गई और बेड पर लाइन से अपनी योनि को उभार कर लेट गई. शबाना ने उनसे कुछ कहा और बाहर निकल गई.
फिर शबाना मेरे रूम में आई और बोली- चल मेरे शेर..तेरे जलवे दिखाने का टाइम आ गया है.
मैं नंगा खड़ा था, शबाना आगे आई और मेरा लंड पकड़कर मुझे अपने रूम में ले गई और अपनी नंगी सहेलियों के सामने ले जा कर खड़ा कर दिया.
मैंने इतना सुन्दर दृश्य कभी नहीं देखा था. फातिमा साइड में नंगी खड़ी थी. बाकी चारों लड़कियाँ पूरी तरह से नंगी होकर बेड पर लेटी हुई थी. उन सभी की नजरें मेरे लंड को घूर रही थी. मैंने पहली लड़की को देखा, वो मोटी वाली थी. उसके पास जाकर मैं झुका और उसकी टांगों पर हाथ रखकर उन्हें ऊपर उठाया और उसे पीछे की तरफ धक्का दिया.. वो लेट गई और अपनी टांगें ऊपर हवा में उठा दी.
मैंने अपनी जीभ निकाली और सीधे उसकी योनि पर लगा दी. उसके मुंह से एक सिसकारी निकल गई, उसकी योनि काफी गर्म थी… बिल्कुल कसी हुई और छोटे-छोटे बाल भी थे. मैंने उसकी योनि चूसना और चाटना शुरू कर दिया. वो बिस्तर पर मचलने लगी और अपने योनिड़ उठा-उठा कर मेरे मुंह में अपनी योनि मारने लगी.
जल्दी ही वो झड़ने लगी और मेरे मुंह में उसका गर्मागर्म रस आ गया और मैंने सारा पी डाला. उसका रस अच्छा नहीं था पर बुरा भी नहीं था.
अब दूसरी लड़की की बारी थी. वो कटरीना कैफ जैसी थी. मैंने उसकी योनि को ध्यान से देखा… बिल्कुल चिकनी, बिना बाल की, लगता था आज ही उसने सफाई की हो.
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. उसके चुचे एकदम कड़क और उठे हुए थे. मैंने एक हाथ उसके कड़क चुचे पर रखा. दूसरा उसकी गांड पर रखकर उसे थोड़ा उठाया और उसकी आँखों में देखते हुए अपने होंठ उसकी योनि के होंठों से जोड़ दिए और उन्हें फ्रेंच किस करने लगा.
वो सिहर उठी और मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए अपने चुचे को दबाने लगी- आआहहह… ऊऊऊ उफ़…
मैंने चाटना जारी रखा.
मैंने नजर घुमाई तो पाया की बाकी सभी लड़कियाँ, फातिमा और शबाना भी… अपना मुंह फाड़े मुझे योनि चाटते हुए देख रही थी और उनका एक हाथ अपनी अपनी योनि पर था. मैंने अपना ध्यान वापिस कटरीना पर लगाया और उसकी योनि को जोर से चूसने और चाटने लगा. वो चीखने लगी और एक लम्बी सिसकारी के साथ मेरे मुंह पर झड़ने लगी.
फिर मैं उठा और अपनी अगली शिकार के सामने बैठ गया.
वो दुबली पतली लड़की थी. जैसा मैंने कहा था उसके सीने पर कोई भी उभार नहीं था. पर उसके निप्पल्स इतने बड़े थे कि मेरे हाथ खुद बा खुद उनके ऊपर जा टिके और मैंने उन्हें मसल दिया.
वो चिहुंक उठी और मेरा मुंह पकड़ कर अपनी योनि पर दबा दिया. मैं तो उसकी योनि का चेहरा भी नहीं देख पाया था. पर उसकी उत्तेजना के आगे मैं कुछ न कर पाया और मैं उसे चाटने में लग गया.
उसका स्वाद बड़ा मीठा था. मुझे काफी मजा आ रहा था. कुछ देर की चुसाई के बाद वो भी जल्दी ही झड़ गई और मुझे अपना अमृत पिला कर हांफने लगी.
अंत में बची लड़की की निगाहें जब मुझसे मिली तो वो हौले से मुस्कुरा दी और पीछे सर करके लेट गई. मैंने देखा कि उसकी योनि पर घने बाल थे.
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी काली-काली झाटें साइड करी और उसकी पिंक योनि को बाहर निकाला. मैंने इतने बाल योनि पर आज तक नहीं देखे थे.
खैर… मुझे क्या करना था… सबकी अपनी-अपनी पसंद होती है.
मैंने अपनी जीभ निकाली और उसे भी चूस चूस कर झड़वा दिया.
मैं उठ खड़ा हुआ, मेरा पूरा मुंह गीला था और उस पर सभी लड़कियों का मिला जुला रस लगा हुआ था. वो चारों अपनी योनि फैलाये अपने ओर्गास्म का आनन्द लेती हुई आँखें बंद किये हुए गहरी सांसें लेती हुई पड़ी हुई थी.
शबाना ने मेरे खड़े हुए लंड को अपने हाथों में लेकर कहा- और अगर तुम चाहो तो इसका भी आनन्द ले सकती हो.
फिर शबाना ने फातिमा की तरफ देखते हुए कहा- फातिमा, जरा दिखाओ तो इनको कि ये कितना मजा देता है.
फातिमा अपनी मोटी गांड मटकाती हुई नंगी मेरे सामने आकर बैठ गई और मेरी आँखों में देखते हुए मेरे लंड को पकड़कर अपने मुंह में लेकर आइस क्रीम की तरह चूसने लगी.
मेरी आँखें बंद होने लगी, मैं खड़ा हुआ फातिमा से अपना लंड चुसवाने में लगा रहा. वो बड़े प्यार से मेरे लंड को अन्दर ले रही थी, जीभ से सहला रही थी और अपने होठों से चूस रही थी.
बाकी सभी लड़कियाँ उठी और गौर से हमें देखने लगी.
मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया. फातिमा ने मेरे लंड को पूरा बाहर निकाला और अपना मुंह खोलकर लंड को जोर से हिलाने लगी.
मेरे लंड ने पिचकारी मारनी शुरू कर दी और अपने सामने बैठी फातिमा के मुंह पर, आँखों पर, माथे पर, नाक पर निशाने लगा-लगा कर उसका सांवला चेहरा अपने सफ़ेद वीर्य से भिगो दिया.
वो अपने मुंह में आये रस को पी गई और फिर अपने चेहरे पर लगे हुए वीर्य को भी अपने हाथों से इकट्ठा करके चाट गई.
शबाना ने सभी लड़कियों से कहा- अगर तुम में से कोई भी मेरे भाई का लंड चूसना चाहती है तो मुझे बता देना… पर अभी तुम सब कपड़े पहनो और जाओ यहाँ से, मेरे अम्मी अब्बू आने ही वाले हैं.
मैं जल्दी से अपने रूम में आ गया और बेड पर नंगा लेट गया. बिल्कुल संतुष्ट!
आज मैंने चार लड़कियों की योनि चाटी थी और फातिमा ने मेरा लंड भी चूसा था और साथ ही साथ आठ हजार रूपए भी कमाए थे।
अगले दिन जैसा मैंने सोचा था, उन सभी लड़कियों ने आकर मेरा लंड एक-एक करके चूसा और मेरा वीर्य भी पिया. फिर मैंने उनकी योनि भी चाटी और हर रोज़ की तरह रात को शबाना की योनि भी मारी.
अगले एक महीने तक हमने तरह तरह से… कभी मेरे दोस्तों ने शबाना की योनि चाटकर और कभी मैंने शबाना की सहेलियों की योनि चाटकर और अपना लंड चुसवा कर लगभग एक लाख रूपए जमा कर लिए.
अब छुट्टियों पर जाने का टाइम आ गया था. हमारे पास काफी पैसे जमा हो चुके थे इसलिए अब हम एन्जॉय करना चाहते थे.
और जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब हमारा पूरा परिवार सब एक साथ अपनी कार में बैठे और जंगल कैंप की तरफ निकल पड़े.
हम सब कार में कैम्प की तरफ जा रहे थे, सब बड़े उत्साहित थे। वहां तक का सफ़र छह घंटे का था। काफी भीड़ थी वहां.. पहाड़ी इलाका था। सभी कारें लाइन में अन्दर जा रही थी।
अब्बू ने गेट से अपने केबिन की चाबी ली और हम आगे चल पड़े। अब्बू ने बताया कि उनके छोटे भाई फारुख यानी हमारे चचा जान की फैमिली भी उनके साथ उसी केबिन में रहेगी।
चचा जान हमेशा उनके साथ दो बेडरूम वाले केबिन में ही रहते थे। इस बार हमारी वजह से अब्बू ने तीन बेडरूम वाला केबिन लिया था। हम अन्दर पहुंचे तो मैं वहां का मैंनेजमेंट देख कर हैरान रह गया।
एक छोटी पहाड़ी पर बने इस जंगल कैम्प में तक़रीबन 90-100 केबिन बने हुए थे, काफी साफ़ सफाई थी; हर केबिन एक दूसरे से काफी दूर था। इनमें एक से तीन बेडरूम वाले कमरे थे। बीच में एक काफी बड़ा हॉल था जिसमे शायद मनोरंजन के प्रोग्राम होते थे।
पहाड़ी इलाके की वजह से काफी ठंड थी।
हम अपने केबिन पहुंचे, वहां पहले से ही फारुख चचा जान का परिवार बैठा था। चचा जान की उम्र क़रीब 40 साल थी। कान के ऊपर के बाल हल्के सफ़ेद थे… गठीला शरीर और घनी मूंछें। उनकी पत्नी यानि हमारी चाची जान निदा की उम्र 36-37 के आसपास थी। वो काफी भरे हुए शरीर की औरत थी, काफी लम्बी, चचा जान की तरह इसलिए मोटी नहीं लग रही थी। साथ ही हमारी कजिन सिस्टर रुखसाना भी थी। वो शरीर से तो काफी जवान दिख रही थी पर जब बातें करी तो पाया कि उसमें अभी तक काफी बचपना है!
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