antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
12-07-2018, 01:22 AM,
#94
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
बड़ा ही मस्त और गरम सिन था यारो, स्मृति अपने बेटे कुशल का लंड अपनी चूत से अभी अभी बाहर निकाल कर अपनी बिखरी सांसो को समेटने में लगी थी कि तभी अचानक प्रीती ने कमरे में आकर उसे एक मिनी हार्ट अटैक दे दिया, उसे जबरदस्त पसीना आने लगा, डर के मारे उसकी तो हालत खराब हो रही थी, पर दूसरी तरफ कुशल सिर्फ सिर्फ डरने का नाटक कर रहा था,,,,,

प्रीती – मोम, ये....ये...क्या कर रहे हो आप दोनों...ओह माय गॉड.....” प्रीती ने चिल्लाकर कहा

स्मृति – “प्र....प्रीति...बेटी....मैं...वो....तुम...गलत...समझ रही हो....प्लीज़....मेरी बात सुनो....” प्रीति के चिल्लाने से स्मृति और भी ज्यादा डर गयी थी...

प्रीति – मोम... आप अपने बेटे के साथ ही....छी....मैं आपको क्या समझती थी और आप तो क्या निकली.....

स्मृति – नही बेटी...मैं. तो बस...

प्रीती – बस क्या....यहीं ना कि बस आप तो अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में ले रही हो मजे से....

स्मृति – प्रीती.....

प्रीती – मोम.... मैंने तो सपने में भी नही सोचा था कि आप अपने बेटे के साथ ही.....छी....आपको श्रम नही आई........ 

स्मृति – “क्यों...जब तू इसका लंड लेती है तब तुझे शर्म नही आती...” आखिर स्मृति ने बोल ही दिया...

अब घबराने की बारी प्रीती की थी,

प्रीती – क.क..क.. क्या.....ये...ये...आप क्या बोल रही हो मम्मी

स्मृति – मम्मी की बच्ची...ज्यादा स्मार्ट बनती है क्या मेरे सामने, मुझे सब पता है कि कैसे तू कुशल का लंड अपनी चूत में लेती है...समझी...

प्रीती – तो क्या हुआ....आप भी तो लेती हो...

स्मृति – हाँ तो तू मुझे डराती है कमीनी...

स्मृति की खुन्नस देखकर अब प्रीती की हंसी निकल गयी....उसको हँसता देखकर कुशल भी हंसने लगा...उन दोनों को हँसते देखकर स्मृति को अजीब लग रहा था...आखिर माजरा क्या है...ये उसे समझ नही आ रहा था...तभी प्रीती ने उसकी मुश्किल दूर कर दी...

प्रीती – सोरी मोम आपको डराने के लिए.....वो ये सब मेरा ही आईडिया था....

और फिर प्रीती ने अपनी मोम को सारी बात बतानी शुरू कर दी....और उसने ये भी बता दिया कि कैसे वो आरू और सिमरन के साथ लेस्बियन सेक्स करती है...

स्मृति – तुम लोग तो बहुत एडवांस निकले

प्रीती – ये तो कुछ भी नही मोम, अब मैं आपको एक ऐसी बात बताउंगी जिसे सुनकर आप विशवास नही कर पाओगी...

स्मृति – वो क्या....

प्रीती – मोम, आपको पता है.....आरू दीदी है ना...वो..वो पापा से चुद चुकी है....

स्मृति – क्या.....?????????????

प्रीती – हाँ मोम......

स्मृति – पर कब....कैसे...

प्रीती – दिल्ली में......

स्मृति – मुझे तो लगता था कि सिर्फ मैं और कुशल ही एक दुसरे से सेट है पर यहाँ तो सब लोग ही एक दुसरे से सेट है...हा हा हा

स्मृति को हँसते देखकर कुशल और प्रीती के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी....

प्रीती – मोम आप नाराज़ तो नही ना

स्मृति – नही बेटी...मैं किसी से नाराज़ नही हूँ...अगर मैं कुशल के साथ चुदाई कर सकती हूँ...तो आरू भी अपने पापा के साथ कर सकती है...तू भी कुशल के साथ कर सकती है....मुझे सच में कोई दिक्कत नही है अब....

प्रीती – थैंक्स सो मच मोम.....

कुशल - वाओ...अब तो बस मजे ही मजे है...

स्मृति – ओह हेल्लो मिस्टर...रुको...

कुशल – क्या हुआ मोम...

स्मृति – तुम्हे तो अभी सजा भी मिलनी है..

कुशल - सजा कैसी सजा 

कुशल और प्रीती दोनों ही मोम की बातो से चोंक गये

स्मृति – सजा इस बात कि तूने मुझे सब कुछ नही बताया...और ये सब मुझे प्रीती ने बताया...जबकि तुझे सब कुछ बताना चाहिए था मुझे...

कुशल – पर मोम

स्मृति – पर वर कुछ नही , अब तुझे सजा तो मिलेगी ही...

कुशल – अच्छा ठीक है..आप बताओ क्या सजा है...

स्मृति – सजा ये है कि अब तुम चुपचाप नंगे उस सोफे पर जाकर बैठ जाओ और जब तक मैं ना बोलूँ वहां से उठोगे नही 

कुशल – पर...चलो ठीक है...मैं बैठता हूँ...और ये कहकर कुशल नंगा ही जाकर सोफे पर बैठ गया....

प्रीती – पर मोम हम तो बस मजाक कर रहे थे...

स्मृति – तू मजाक करेगी मेरे साथ...अभी बताती हूँ तुझे....

ये कहकर स्मृति ने प्रीती को बेड पर पटक लिया और खुद उसके उपर चढ़ गयी....


स्मृति : "अब बोल प्रीती की बच्ची ...करेगी मेरे साथ ऐसा मज़ाक....बोल...''

वो झुककर उसके काफ़ी करीब आ चुकी थी...और इसी बीच अपने को छुड़वाने के लिए प्रीती ने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया..

स्मृति को ऐसा लगा जैसे नीचे से कोई उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा है...क्योंकि दोनो की चूत इस वक़्त एक दूसरे बिलकुल ऊपर थी और अपनी चूत पर वो नमकीन सा दबाव महसूस करते ही उसकी चूत को पसीना आ गया...सेल्फ़ लुब्रीकेशन स्टार्ट हो गया अचानक उसमें से..और उसने भी प्रीती की लचीली कमर को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ा और उसे ऊपर से ऐसे धक्के मारने लगी जैसे वो उसकी चुदाई कर रही हो.

प्रीती जो अभी तक हंस रही थी, स्मृति के ऐसे झटकों को समझकर वो भी हँसना भूल गयी और सीरियस सी होकर उसने अपनी बहन से पूछा : "म....मोम ....ये...ये ...क्या कर रहे हो.....ऐसा तो....आप मुझे चोदने की कोशिश कर रही हो क्या...पर इसके लिए तो लंड चाहिए ना...प्लीज़ मोम कुशल को परमिशन दे दो ना..फिर वो हम दोनों की चुतो की घिसाई करेगा मस्ती से.......''

प्रीती की बात सुनकर सोफे पर नंगा बैठा कुशल के चेहरे पर भी एक चमक आ गयी, उसे लगा कि अब जरुर उसकी मोम गरम होकर परमिशन दे देगी और उसकी सजा खत्म हो जाएगी पर ये शायद उसकी भूल थी...

क्यूंकि स्मृति ने प्रीती की बात का कोई जवाब नही दिया बस ना में सर हिला दिया......और अपने हाथ धीरे-2 उसने प्रीती की टी शर्ट में डाल दिए और ऊपर की तरफ खिसकाने शुरू कर दिए....

जैसे-2 स्मृति की उंगलियाँ सरककर उपर की तरफ आ रही थी...वैसे-2 प्रीती के माथे पर पसीना बढ़ने लगा था...वो चाहकर भी उसके हाथों को रोक नहीं रही थी , आज से पहले उसने ऐसा कभी भी महसूस नही किया था...भले ही वो अपनी बहन और उसकी दोस्त के साथ लेस्बियन सेक्स का मजा चख चुकी थी पर अपनी मोम के साथ ऐसा करने में उसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना महसूस हो रहा था, एक अजीब सा सेंसेशन हो रहा था उसे अपनी चूत पर...स्मृति की घिसाई से...और अब उसकी उंगलियों की थिरकन से भी उसे गुदगुदी महसूस होने लगी थी..

उसने ब्रा नही पहनी हुई थी...और जल्द ही स्मृति की दोनो हथेलियां उसके नन्हे उरोजों से आ टकराई और उसने बड़े ही प्यार से उसके नन्हे चूजों को अपने हाथों में भर लिया..

प्रीती की तो आँखे बंद हो गयी उस एहसास से जब स्मृति ने होले से अपने हाथ के दबाव से उसकी ब्रेस्ट को दबाया..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....आआआआहह....मोम......ये क्या कर रहे ........उम्म्म्ममममममममम....''

वो शिकायत थी या प्रश्न ...ये तो नही पता चल सका...पर प्रीती के हाथों ने अगले ही पल उपर की तरफ आते हुए टी शर्ट के उपर से ही स्मृति के हाथों को पकड़ लिया..स्मृति को लगा की वो हटाने के लिए कह रही है...पर वो धीरे से बुदबुदाई..

''मोम.....प्लीज़ .......ज़ोर से दबाओ ना......ऐसे....''

और उसने अपने हाथों से स्मृति के हाथों को जोर से दबा दिया...और स्मृति के हाथों के नीचे उसकी नन्ही गोल गोल टमाटर भी उस दबाव में आकर नीचुड़कर रह गयी.

स्मृति तो भभक उठी उसके बाद....उसने प्रीती की ब्रेस्ट को इतनी बेदर्दी से दबाना शुरू कर दिया की उसपर लाल निशान बनते चले गये...पर वो रुकी नही..

प्रीती के नुकीले निप्पल भी स्मृति के जालिम हाथों को रोकने में असमर्थ थे..भले ही वो काँटों की तरह उभरकर ब्रेस्ट की रक्षा कर रहे थे पर ऐसे काँटों से शायद इस वक़्त स्मृति को कोई असर ही नही पड़ रहा था...वो तो उन काँटों को भी बीच-2 में ऐसे मसल रही थी जैसे उनमे से दूध निकलने वाला हो..

दूध तो नही निकला..पर उसकी हर उमेठन से प्रीती की सिसकारियाँ ज़रूर निकल रही थी.



अब तो साफ़ हो चुका था की आज ये दोनो बहने अपनी सारी सीमाएँ लाँघने की तैयारी कर रही है.. कुशल तो बेचारा चुपचाप सोफे पर बैठा उनको देख रहा था, सजा तो भुगतनी ही थी, इसलिए कुछ नही कर सकता था, सिवाय अपने लंड को मसलने के.... और जल्द ही इस गरम नज़ारे को देखकर कुशल का लंड दोबारा से तनकर बुरी तरह खड़ा हो गया.... 

स्मृति तो अभी तक जैसे किसी नशे मे ये सब कर रही थी...ऐसा नशा जो उसके शरीर को अपने बस में करने में असमर्थ था...वो ये भी भूल चुकी थी की ये उसकी वही छोटी बेटी है जिसने उसके प्यार उसके बेटे कुशल पर डाका डाला ...प्रीती तो अपनी जवानी के उस पड़ाव पर थी जहाँ उसे ऐसी बातों में मज़ा मिलता था जो सैक्स से जुड़ी हो...


जैसे ही स्मृति के हाथों ने उसकी नन्ही ब्रेस्ट को छुआ...वो अपने हाथों के दबाव को उनपर डालकर और ज़ोर से दबाने की गुज़ारिश करने लगी स्मृति से..

उसकी ब्रेस्ट ही उसके शरीर का सबसे सेंसेटिव हिस्सा थी..

इसलिए उसपर हाथ लगते ही वो भी अपनी सुधबुध खो बैठी और फिर शुरू हुआ उस छोटे से कमरे में माँ बेटी के जिस्म के बीच उत्तेजना और सेक्स का वो सिलसिला जो शायद अब थमने वाला नही था.

प्रीती ने एक मादक सी अंगड़ाई लेते हुए अपनी टी शर्ट उतार कर दीवार पर दे मारी..

और उसकी साँवली और नन्ही छातियाँ देखकर स्मृति के मुँह में पानी भर आया.



उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे...और उसके निप्पल के घेरे पर भी महीन से दाने उगे हुए थे..स्मृति तो उसके निप्पलों की कारीगरी देखकर अचंभित रह गई...क्योंकि उसके दानों पर भी इतनी महीन कारीगरी नही की थी ऊपर वाले ने...वो बिल्कुल सादे से थे...पर उसकी ब्रेस्ट प्रीती के मुक़ाबले काफ़ी बड़ी थी..प्रीती की तो अभी -2 आनी शुरू हुई थी..पर एक बार जब ये भर जाएगी तो कयामत ढाएगी ये लड़की..

और ये तभी भरेंगी जब इनके उपर मेहनत की जाएगी...ये सोचते हुए स्मृति का सिर उसकी छातियों पर झुकता चला गया..और अपने होंठ,दाँत और जीभ रूपी ओजरों से उसने प्रीती के बूब्स पर मेहनत करनी शुरू कर दी..
सबसे पहले अपनी गर्म जीभ से उसने प्रीती के निप्पल्स को छुआ.... प्रीती ने एक तड़प भरी किलकारी मारते हुए अपनी मोम के सिर को पकड़कर ज़ोर से दबा लिया अपनी छातियो पर...और चीख पड़ी वो..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआअहह मोम............. ...उफफफफफफफफफफफफ फफफ्फ़.........क्या फीलिंग है ......माय गॉड ..... आआआआआआआअहह........ज़ोर से सक्क करो ना....मोम............प्लीईईईईस......काट लो इन्हे......जोरों से...............दांतो से..................आआआआआआहह उूुुुउउफ़फ्फ़ एसस्स ऐसे ही................. उम्म्म्ममममममममममममममममममममम आआआआआआआहह मोम..........यार .....कहाँ थी आप ......पहले क्यों नही किया ये सब..................उम्म्म्मममममममममममममम.......''

प्रीती तो भाव विभोर सी हुई जा रही थी अपने शरीर को मिल रहे इतने उत्तेजक मज़े को महसूस करते हुए...उसे पता तो था की ऐसा ही कुछ होता होगा..पर अभी जो कुछ भी हो रहा था उसके साथ वो उसे शब्दों मे व्यक्त कर ही नही सकती थी...ऐसा मज़ा ...इतना आनद....उत्तेजना का इतना संचार...ऐसी तड़प...उसने आज तक सोचा भी नही था कि अपनी मोम के साथ सेक्स के खेल में भी इतना मज़ा आता है.


स्मृति के सिर को कभी एक पर तो कभी दूसरी ब्रेस्ट पर वो लट्टू की तरह घुमा रही थी...उसकी लार से उसने अपनी छातियों की पुताई करवा ली...उसके लंबे और नुकीले निप्पल अपने पुर शबाब पर आ चुके थे...वो बेड पर पड़ी हुई किसी मछली की तरह तड़प रही थी.

उसने अपनी नशीली आँखो से स्मृति की तरफ देखा..और फिर अपने हाथ उपर करते हुए उसने स्मृति की ब्रैस्ट को पकड़ लिया...

स्मृति को तो ऐसा लगा जैसे उसके दिल की धड़कन रुक जाएगी..जब प्रीती ने उन्हे मसलना शुरू किया..

''उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उऊहह ...............आआआआआआअहह प्रीती..................उम्म्म्ममममममममम...... .एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......''

और जैसे ही उसके बूब्स प्रीती की नज़रों के सामने आए, अपने आप ही उसका मुँह उनकी तरफ खींचता चला गया..और उसने एक जोरदार झटके के साथ उसकी बड़ी सी ब्रेस्ट को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया..
किसी बच्चे की तरह वो उसके लम्बे निप्पल का दूध पीने लगी..और स्मृति भी अपनी नन्ही बेटी को अपनी छाती से चिपका कर स्मृति ने एक रस भरी सिसकारी मारकर उसे और अंदर घुसा लिया..

''आआआआआआआआआअहह ओह्ह्ह्ह माय बैबी .................. सकक्क मी......सक्क.....इट ......बैबी.....''



बैबी तो पहले से ही उत्तेजना के शिखर पर थी...अपनी मोम की दर्द भरी पुकार सुनकर वो और ज़ोर से उसके दानों को अपने पैने दांतो से कुतरने लगी...किसी चुहिया की तरह...और हर बार काटने पर स्मृति के शरीर से एक अजीब सी तरंग उठ जाती..जिसे प्रीती सॉफ महसूस कर पा रही थी..

ये खेल दोनों के लिए नया नही था....पर सेक्स भी अजीब तरह का खेल है..जितना खेलो उतना ही ज्यादा मजा आता है...

और यही हो रहा था दोनो के साथ...प्रीती के साथ तो कुछ ज़्यादा ही...वो छुटकी कुछ ज़्यादा ही उछल रही थी इस खेल में ...

इसलिए जब अच्छी तरह से उसने स्मृति की ब्रेस्ट का जूस पी लिया तो वो तुरंत खड़ी हुई और उसने अपनी केप्री भी उतार कर फेंक दी...और अब वो स्मृति के सामने बेशर्मों की तरह पूरी तरह से नंगी होकर बैठी थी..

.और अब वो दोनो नंगी बैठी थी एक दूसरे के सामने.

स्मृति की नंगी ब्रैस्ट देखने में काफी यम्मी लग रही थी , वो प्रीती के मुकाबले काफी बड़ी भी थी,इसलिए स्मृति उनको हाथों में लेकर खुद ही दबाने लगी, और अपनी मोटी छातियों में और उभार ले आई 


अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनकर दोनो ने एक दूसरे की ब्रेस्ट को अच्छी तरह से चूस डाला था..पर अब क्या करे ,शायद यही सोचे जा रही थी वो दोनो...

उत्तेजना के नशे में प्रीती को सिर्फ़ वही याद आ रहा था की कैसे वो खुद,जब आरू और सिमरन दीदी उसकी चुत चूस रहे थे तो ज़ोर-2 से आहे भरकर मज़े ले रही थी..

बस,प्रीती ने भी वही ठान लिया..

उसने धीरे से धक्का देकर अपनी मोम को बेड पर लिटा दिया..

पहले तो अपनी उँगलियों को स्मृति की चूत में डालकर प्रीती ने अंदर के टेंप्रेचर और चिकनाई का अंदाजा लिया
और फिर धीरे -२ नीचे झुककर वो अपना चेहरा चूत के करीब ले गयी 

स्मृति का शरीर भी काँप उठा,ये सोचकर की उसके साथ क्या होने वाला है अब...उसके होंठ थरथरा कर रह गये, पर उनमे से ना नही निकल पाया...और उसने अपने आप को अपनी छोटी बेटी के सुपुर्द करते हुए अपनी आँखे बंद कर ली. और फिर प्रीती नीचे झुकी और उसने अपने होंठों से उसकी गुलाब जैसी चूत की फेली हुई पंखुड़ियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
पहला नीवाला मुँह में लेते ही उसका स्वाद पता चल गया प्रीती को...जो उसे काफ़ी मजेदार लगा..

और स्मृति तो बिफर गयी अपनी चूत की चुसाई से...

''ऊऊऊऊऊऊऊहह प्रीती.............मेरी ज़ाआाआन्न........प्रीती बेटी ........सस्स्स्स्स्स्सस्स..... ये क्या कर दिया............आआआआहह .....बहुत मज़ा आ रहा है ............उम्म्म्ममममममममम..... एसस्स्स्स्सस्स...... अहह.....''

और फिर तो वो बावली कुतिया की तरह उसकी चूत के उपर लगे अखरोट के दाने पर और संतरे की फाँक जैसी चूत को खाने में लग गयी...

अपनी लंबी और गर्म जीभ को उसने अंदर भी धकेला..उसकी मलाई को चाटा ...चूसा...और अंत में पी गयी.
ऐसा स्वाद लगा उसे उसकी चूत का की वो उसे तब तक चूसती रही जब तक स्मृति झड़ने के करीब नही पहुँच गयी..

और स्मृति को तो अपनी चूत चुस्वाते हुए कुशल ही याद आ रहा था....पर कुशल तो बेचारा सोफे पर बैठा अपना लोडा मसले जा रहा था......,.,. सजा भी बड़ी ही अजीब मिली थी बेचारे को.....एक बार तो स्मृति ने सोचा कि अब कुशल की सजा खत्म करके उसे भी चुदाई के इस खेल में शामिल कर ही लिया जाए पर बाद में उसने सोचा कि थोडा सा इंतज़ार और करवाते है उसे...आखिर कुछ सजा तो मिलनी ही चाहिए उसे....इसलिए स्मृति ने दोबारा से अपना ध्यान कुशल से हटाकर प्रीती की और लगा दिया....


अब तो प्रीती ने और भी जोर से उसकी चूत को चुसना शुरू कर दिया...प्रीती को भी अपने मुंह में अपनी मोम और कुशल के वीर्य का स्वाद साथ साथ महसूस हो रहा था जिसे वो मस्ती से चुसे जा रही थी...इधर स्मृति ने अब अपनी ऊँगली को प्रीती की चूत में घुसा दिया.....और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगी....

कुछ ही देर की मेहनत से दोनों की चुतो ने जोरदार तरीके से पानी छोड़ दिया....और दोनों बेड पर लेटकर हांफने लगी....
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RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स - by sexstories - 12-07-2018, 01:22 AM

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