RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]अब कहानी को वापस घर की तरफ ले चलते है, इस बिच वहां काफी कुछ बदल चूका था, पर हम वहीं से शुरू करते है जहाँ छोड़ा था, यानि कि जब शाम को स्मृति ने सबको उनके कमरों में जाकर चाय दी,
स्मृति ने सबसे पहले पंकज को चाय दी, और उसे बता दिया कि वो अभी कुशल के साथ स्विमिंग क्लास जा रही है, पंकज ने भी कोई ऐतराज़ नही किया, पंकज को चाय देने के बाद स्मृति उपर गई, उपर बाई तरफ कुशल का रूम था, और दाहिनी तरफ दो रूम प्रीती और आराधना के थे, स्मृति सबसे पहले कुशल के कमरे में गई, और उसे जगाकर चाय पीने को कहा और ये भी बता दिया कि अभी बस 10 मिनट में ही उन दोनों को स्विमिंग क्लास के लिए निकलना है,
कुशल को जगाने के बाद स्मृति प्रीती के कमरे में गई, पर प्रीती तो शायद घोड़े बेचकर सो रही थी, उसने नींद में ही मोम को मना कर दिया कि उसे चाय नही पीनी और अभी कुछ देर और सोना है, स्मृति ने भी उसे डिस्टर्ब करना सही नही समझा और आराधना के कमरे का दरवाज़ा खटखटाने लगी,
थोड़ी ही देर में आराधना ने दरवाज़ा खोल दिया, स्मृति ने उसे चाय दे दी और सीधा निचे की तरफ चल दी, आराधना ने भी दोबारा अपने रूम को बंद किया और बिस्तर में आकर चाय की चुस्कियां लेने लगी,
अभी बस उसने जस्ट चाय खत्म की ही थी कि उसे निचे हॉल में कुछ हलचल की आवाज़ सुनाई दी, वो खड़ी होकर बाहर आई तो उसने देखा कि निचे हॉल में मोम और कुशल रेडी होकर कहीं जाने के लिए तैयार खड़े थे
स्मृति को समझ नही आया कि इस वक्त वो लोग कहाँ जा रहे है, इसलिए उसने खुद ही उनसे पूछ लिया
आराधना –“मोम, आप लोग कहीं बाहर जा रहे है क्या?”
‘स्मृति –“हाँ आरू, वो कुशल मुझे स्विमिंग क्लास में छोड़ने जा रहा है”
आराधना –“ओके मोम” ये कहकर आरू वापस अपने कमरे में आ गयी और स्मृति कुशल बाहर चले गये
आराधना को ऐसे लग रहा था जैसे स्विमिंग क्लास के नाम से मोम कुछ ज्यादा ही एक्साइट नज़र आ रही थी, तभी उसे प्रीती की बात याद आ गयी कि कुशल और मोम आपस में चुदाई करते है, ये बात दिमाग में आते ही उसका माथा ठनका
“जरुर मोम, स्विमिंग क्लास के बहाने कुशल के साथ मस्ती करके आएगी, सच में कितनी बड़ी रंडी है मोम, अपने बेटे का लंड भी अपनी चुत में ले लिया, पर इसमें उनकी भी क्या गलती, प्रीती बोल रही थी कि कुशल का लंड बहुत ही ज्यादा लम्बा और मोटा है, तभी शायद मोम की चूत पिघल गयी उसे देखकर, पर क्या सच में कुशल का लंड इतना मस्त है” कुशल के लंड के बारे में सोचते सोचते ही आरू की चूत से पानी की दो बुँदे छलक सी पड़ी, अपनी चुत में गीलेपन को महसूस करते ही आराधना के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गयी
“कमबख्त ये फुद्दी भी ना, जब देखो टेसुए बहाती रहती है, आज प्रीती और पापा से इस निगोड़ी की मालिश करा चुकी हूँ पर ये है कि मानती ही नही” आराधना अपनी चुत पर हाथ रखते हुए सोचने लगी
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इधर स्मृति कुशल के जाने के बाद पंकज अपने रूम से बाहर आ गया, आज पुरे दिन रेस्ट करने की वजह से उसकी पूरी थकान उतर चुकी थी, हालांकि उसकी नींद तो तब ही उड़ चुकी थी जब आज दोपहर को आरू ने उसे अपनी मस्त चुत का पानी चखाया था, वो उस हसीं पल को याद करते हुए बाहर हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया, और अख़बार के पन्ने पलटने लगा
वो अभी बस अख़बार पढ़ ही रहा था, कि तभी किसी ने डोर बेल बजा थी
“इस वक्त कौन आया होगा” सोचते सोचते पंकज ने दरवाज़ा खोला, और दरवाज़ा खोलते ही उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गयी क्यूंकि उसके सामने उसकी बेटी की फ्रेंड सिमरन खड़ी थी,
सिमरन को देखते ही पंकज के लंड में एक सुरसुरी सी दौड़ गयी, पंकज तो बस उसे खड़ा खड़ा घुर ही रहा था, उसको इस तरह घूरते देखकर सिमरन के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी
सिमरन –“घुरना खतम हो गया हो तो क्या मैं अंदर आ सकती हूँ” सिमरन ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा
पंकज -“हाँ हाँ बेटी आओ” पंकज थोडा सकपका गया
सिमरन –“आज तो बड़े दिनों बाद दिखाई दिए आप, कहाँ गुल खिला रहे थे” सिमरन तो पहले से ही जानती थी कि पंकज तो दिल्ली में अपनी बेटी के साथ मस्तियाँ करके आया है,
पंकज –“अरे बेटी, मैं क्या गुल खिलाऊंगा, मैं तो दिल्ली में था बिज़नस के सिलसिले में, पर अब वापस यहाँ आकर थोड़े गुल खिलाने की इच्छा हो रही है”
सिमरन –“अच्छा जी, हम भी तो जाने कौन है वो खुसनसीब”
पंकज –“है एक लडकी, मेरी बेटी की फ्रेंड है, पता है कुछ दिन पहले ही उसने मेरा बहुत ही मस्ती से चूसा है कसम से”
सिमरन –“क्या चूसा है”
पंकज –“मेरा लंड, और क्या, अब तो बस एक बार वो अपनी फुद्दी चूसा दे, फिर तो मोज़े ही मोज़े हैं”
सिमरन –“ह्म्म्म.... तो आपको अब उसकी बुर देखनी है, पर मिस्टर, इतना आसान नही है उसकी चूत देखना”
पंकज –“हय्य... इतना तो जुल्म ना करो ......एक बार अपनी फुद्दी का वो अनमोल खूबसूरत सुराख़ दिखा दो बस...... कसम से मजा आ जायेगा”
सिमरन –“क्यूँ आंटी नही दिखाती क्या अपना सुराख़”
पंकज –“दिखाती है, पर एक चीज़ को इतनी बार देखने पर इंटरेस्ट खत्म हो जाता है, अब कुछ नया देखने का मन करता है”
सिमरन –“तो आपको मेरी जरूरत क्या, आपके तो घर में ही एक बड़ा ही मस्त सुराख़ है, देख लीजिये”
पंकज –“अरे नही, अभी तो तो आरू बच्ची है, उसमे वो मजा कहा” पंकज ने ऐसे दिखाने की कोशिश की जैसे मानो वो तो आरू को कभी उस नज़र से देखता ही नही है
सिमरन –“अरे कहाँ बच्ची,अब तो वो पूरी माल बन चुकी है, एक बार ध्यान से देखिये तो सही” सिमरन पंकज को उकसाने की कोशिश कर रही थी ताकि वो उसे कुछ तो बताये अपने और आराधना के बारे में, पर पंकज अभी अपने और आरू के बारे में किसी को भी बताना नही चाहता था
पंकज –“अरे छोडो ना यार उसको, तुम अपना बताओ, प्लीज़ जल्दी से एक बार मेरे पप्पू को चूस दो ना, देखो ना तुम्हे देखकर कैसे तन गया है बेचारा” पंकज ने अपने लोअर के उपर से अपने तने हुए लंड की ओर इशारा करके कहा
सिमरन –“ अरे आपका हथियार तो सच में अभी से खड़ा होकर सलामी दे रहा है मुझे, पर इसे समझादो अभी सही टाइम नही है”
पंकज –“तो सही टाइम कब आएगा, अब और इंतज़ार नही होता सच में”
सिमरन –“चिंता मत करिये, जल्द ही वो टाइम आएगा, और तब जी भर कर अपने पप्पू की मालिश करवा लेना मुझसे”
पंकज उसकी बात सुनकर बड़ा खुश हुआ,
पंकज –“अच्छा ठीक है, अब तुम आरू से जाकर मिल लो, पर अपना वादा याद रखना”
सिमरन –“जरुर अंकल” ये कहते हुए सिमरन उपर की ओर जाने लगी और उपर जाते हुए उसने पंकज की और एक किस हवा में दे दिया
पंकज सिमरन की अदाएं देखकर समझ गया कि पक्का ये लडकी जल्दी ही उसकी टांगो के निचे होंगी [/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b]
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