RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b]वो झुककर उसके काफ़ी करीब आ चुकी थी...और इसी बीच अपने को छुड़वाने के लिए प्रीती ने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया..
आराधना को ऐसा लगा जैसे नीचे से कोई उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा है...क्योंकि दोनो की चूत इस वक़्त एक दूसरे बिलकुल ऊपर थी .
और अपनी चूत पर वो नमकीन सा दबाव महसूस करते ही उसकी चूत को पसीना आ गया...सेल्फ़ लुब्रीकेशन स्टार्ट हो गया अचानक उसमें से..और उसने भी प्रीती की लचीली कमर को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ा और उसे ऊपर से ऐसे धक्के मारने लगी जैसे वो उसकी चुदाई कर रही हो.
प्रीती जो अभी तक हंस रही थी, आराधना के ऐसे झटकों को समझकर वो भी हँसना भूल गयी और सीरियस सी होकर उसने अपनी बहन से पूछा : "दी....दीदी ....ये...ये ...क्या कर रहे हो.....ऐसा तो....ऐसा तो लड़का और लड़की करते है...''
पर आराधना ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया...और अपने हाथ धीरे-2 उसने प्रीती की टी शर्ट में डाल दिए और ऊपर की तरफ खिसकाने शुरू कर दिए....
जैसे-2 आराधना की उंगलियाँ सरककर उपर की तरफ आ रही थी...वैसे-2 प्रीती के माथे पर पसीना बढ़ने लगा था...वो चाहकर भी उसके हाथों को रोक नहीं रही थी , आज से पहले उसने ऐसा कभी भी महसूस नही किया था...एक अजीब सा सेंसेशन हो रहा था उसे अपनी चूत पर...आराधना की घिसाई से...और अब उसकी उंगलियों की थिरकन से भी उसे गुदगुदी महसूस होने लगी थी..
उसने ब्रा नही पहनी हुई थी...और जल्द ही आराधना की दोनो हथेलियां उसके नन्हे उरोजों से आ टकराई और उसने बड़े ही प्यार से उसके नन्हे चूजों को अपने हाथों में भर लिया..
प्रीती की तो आँखे बंद हो गयी उस एहसास से जब आराधना ने होले से अपने हाथ के दबाव से उसकी ब्रेस्ट को दबाया..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....आआआआहह....दीदी......ये क्या कर रहे ........उम्म्म्ममममममममम....''
वो शिकायत थी या प्रश्न ...ये तो नही पता चल सका...पर प्रीती के हाथों ने अगले ही पल उपर की तरफ आते हुए टी शर्ट के उपर से ही आराधना के हाथों को पकड़ लिया..आराधना को लगा की वो हटाने के लिए कह रही है...पर वो धीरे से बुदबुदाई..
''दीदी.....प्लीज़ .......ज़ोर से दबाओ ना......ऐसे....''
और उसने अपने हाथों से आराधना के हाथों को जोर से दबा दिया...और आराधना के हाथों के नीचे उसकी नन्ही गोल गोल टमाटर भी उस दबाव में आकर नीचुड़कर रह गयी.
आराधना तो भभक उठी उसके बाद....उसने प्रीती की ब्रेस्ट को इतनी बेदर्दी से दबाना शुरू कर दिया की उसपर लाल निशान बनते चले गये...पर वो रुकी नही..
प्रीती के नुकीले निप्पल भी आराधना के जालिम हाथों को रोकने में असमर्थ थे..भले ही वो काँटों की तरह उभरकर ब्रेस्ट की रक्षा कर रहे थे पर ऐसे काँटों से शायद इस वक़्त आराधना को कोई असर ही नही पड़ रहा था...वो तो उन काँटों को भी बीच-2 में ऐसे मसल रही थी जैसे उनमे से दूध निकलने वाला हो..
दूध तो नही निकला..पर उसकी हर उमेठन से प्रीती की सिसकारियाँ ज़रूर निकल रही थी.
अब तो साफ़ हो चुका था की आज ये दोनो बहने अपनी सारी सीमाएँ लाँघने की तैयारी कर रही है..
आराधना तो अभी तक जैसे किसी नशे मे ये सब कर रही थी...ऐसा नशा जो उसके शरीर को अपने बस में करने में असमर्थ था...वो ये भी भूल चुकी थी की ये उसकी छोटी बहन है ...प्रीती तो अपनी जवानी के उस पड़ाव पर थी जहाँ उसे ऐसी बातों में मज़ा मिलता था जो सैक्स से जुड़ी हो...जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद प्रीती में काफ़ी खुलापन आ चुका था. और अब उसे रोकने वाला कोई नही था.
जैसे ही आराधना के हाथों ने उसकी नन्ही ब्रेस्ट को छुआ...वो अपने हाथों के दबाव को उनपर डालकर और ज़ोर से दबाने की गुज़ारिश करने लगी आराधना से..
उसकी ब्रेस्ट ही उसके शरीर का सबसे सेंसेटिव हिस्सा थी..
इसलिए उसपर हाथ लगते ही वो भी अपनी सुधबुध खो बैठी और फिर शुरू हुआ उस छोटे से कमरे में दो बहनो के जिस्म के बीच उत्तेजना और सेक्स का वो सिलसिला जो शायद अब थमने वाला नही था.
प्रीती ने एक मादक सी अंगड़ाई लेते हुए अपनी टी शर्ट उतार कर दीवार पर दे मारी..
और उसकी साँवली और नन्ही छातियाँ देखकर आराधना के मुँह में पानी भर आया.
उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे...और उसके निप्पल के घेरे पर भी महीन से दाने उगे हुए थे..आराधना तो उसके निप्पलों की कारीगरी देखकर अचंभित रह गई...क्योंकि उसके दानों पर भी इतनी महीन कारीगरी नही की थी ऊपर वाले ने...वो बिल्कुल सादे से थे...पर उसकी ब्रेस्ट प्रीती के मुक़ाबले काफ़ी बड़ी थी..प्रीती की तो अभी -2 आनी शुरू हुई थी..पर एक बार जब ये भर जाएगी तो कयामत ढाएगी ये लड़की..
और ये तभी भरेंगी जब इनके उपर मेहनत की जाएगी...ये सोचते हुए आराधना का सिर उसकी छातियों पर झुकता चला गया..और अपने होंठ,दाँत और जीभ रूपी ओजरों से उसने प्रीती के बूब्स पर मेहनत करनी शुरू कर दी..
सबसे पहले अपनी गर्म जीभ से उसने प्रीती के निप्पल्स को छुआ....जो प्रीती के शरीर पर पहला स्पर्श था किसी लड़की का...ज़्यादातर लड़कियों के शरीर पर पहला स्पर्श किसी लड़के का होता है..पर लड़की के स्पर्श में भी कोई बुराई नही थी इस वक़्त...प्रीती ने एक तड़प भरी किलकारी मारते हुए अपनी दीदी के सिर को पकड़कर ज़ोर से दबा लिया अपनी छातियो पर...और चीख पड़ी वो..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआअहह दीदी............. ...उफफफफफफफफफफफफ फफफ्फ़.........क्या फीलिंग है ......माय गॉड ..... आआआआआआआअहह........ज़ोर से सक्क करो ना....दीदी............प्लीईईईईस......काट लो इन्हे......जोरों से...............दांतो से..................आआआआआआहह उूुुुउउफ़फ्फ़ एसस्स ऐसे ही................. उम्म्म्ममममममममममममममममममममम आआआआआआआहह दीदी..........यार .....कहाँ थी आप ......पहले क्यों नही किया ये सब..................उम्म्म्मममममममममममममम.......''
प्रीती तो भाव विभोर सी हुई जा रही थी अपने शरीर को मिल रहे इतने उत्तेजक मज़े को महसूस करते हुए...उसे पता था कि ऐसा ही कुछ होगा क्यूंकि वो तो पहले भी सिमरन के साथ ये मजा ले चुकी थी ..पर अभी जो कुछ भी हो रहा था उसके साथ वो उसे शब्दों मे व्यक्त कर ही नही सकती थी...ऐसा मज़ा ...इतना आनद....उत्तेजना का इतना संचार...ऐसी तड़प...उसने आज तक सोचा भी नही था कि अपनी ही दीदी के साथ सेक्स के खेल में इतना ज्यादा मज़ा आता है.
आराधना के सिर को कभी एक पर तो कभी दूसरी ब्रेस्ट पर वो लट्टू की तरह घुमा रही थी...उसकी लार से उसने अपनी छातियों की पुताई करवा ली...उसके लंबे और नुकीले निप्पल अपने पुर शबाब पर आ चुके थे...
वो बेड पर पड़ी हुई किसी मछली की तरह तड़प रही थी.
उसने अपनी नशीली आँखो से आराधना की तरफ देखा..और फिर अपने हाथ उपर करते हुए उसने आराधना की ब्रैस्ट को पकड़ लिया...
आराधना को तो ऐसा लगा जैसे उसके दिल की धड़कन रुक जाएगी..जब प्रीती ने उन्हे टी शर्ट के उपर से ही मसलना शुरू किया..
''उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उऊहह ...............आआआआआआअहह प्रीती ..................उम्म्म्ममममममममम...... .एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......''
और फिर धीरे-2 प्रीती ने उसकी टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया...और अंत में आते-2 उसे उतार कर अपनी ही टी शर्ट के उपर फेंक दिया..आराधना ने तो ब्रा पहनी हुई थी...जिसे उसने खुद ही अपने हाथ पीछे करते हुए खोल दिया..
और जैसे ही उसके बूब्स प्रीती की नज़रों के सामने आए, अपने आप ही उसका मुँह उनकी तरफ खींचता चला गया..और उसने एक जोरदार झटके के साथ उसकी बड़ी सी ब्रेस्ट को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया..
किसी बच्चे की तरह वो उसके लम्बे निप्पल का दूध पीने लगी..
और अपनी नन्ही बहन को अपनी छाती से चिपका कर आराधना ने एक रस भरी सिसकारी मारकर उसे और अंदर घुसा लिया..
''आआआआआआआआआअहह ओह्ह्ह्ह माय बैबी .................. सकक्क मी......सक्क.....इट ......बैबी.....''
बैबी तो पहले से ही उत्तेजना के शिखर पर थी...अपनी बहन की दर्द भरी पुकार सुनकर वो और ज़ोर से उसके दानों को अपने पैने दांतो से कुतरने लगी...किसी चुहिया की तरह...और हर बार काटने पर आराधना के शरीर से एक अजीब सी तरंग उठ जाती..जिसे प्रीती सॉफ महसूस कर पा रही थी..
जब अच्छी तरह से उसने आराधना की ब्रेस्ट का जूस पी लिया तो वो तुरंत खड़ी हुई और उसने अपनी केप्री भी उतार कर फेंक दी...और अब वो आराधना के सामने बेशर्मों की तरह पूरी तरह से नंगी होकर बैठी थी..
प्रीती की देखा देखी आराधना ने भी अपना पायज़ामा उतार दिया...और अब वो दोनो नंगी बैठी थी एक दूसरे के सामने..
आराधना की नंगी ब्रैस्ट देखने में काफी यम्मी लग रही थी , वो प्रीती के मुकाबले काफी बड़ी भी थी,इसलिए आराधना उनको हाथों में लेकर खुद ही दबाने लगी, और अपनी मोटी छातियों में और उभार ले आई
अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनकर दोनो ने एक दूसरे की ब्रेस्ट को अच्छी तरह से चूस डाला था..पर अब क्या करे ,शायद यही सोचे जा रही थी वो दोनो...
उत्तेजना के नशे में प्रीती को सिर्फ़ वही याद आ रहा था की कैसे वो खुद,जब सिमरन दीदी उसकी चुत चूस रही थी तो ज़ोर-2 से आहे भरकर मज़े ले रही थी..
बस,प्रीती ने भी वही ठान लिया..
उसने धीरे से धक्का देकर आराधना को बेड पर लिटा दिया..
पहले तो अपनी उँगलियों को आराधना की चूत में डालकर प्रीती ने अंदर के टेंप्रेचर और चिकनाई का अंदाजा लिया
और फिर धीरे -२ नीचे झुककर वो अपना चेहरा चूत के करीब ले गयी
आराधना का शरीर भी काँप उठा,ये सोचकर की उसके साथ क्या होने वाला है अब...उसके होंठ थरथरा कर रह गये, पर उनमे से ना नही निकल पाया...और उसने अपने आप को अपनी छोटी बहन के सुपुर्द करते हुए अपनी आँखे बंद कर ली.
और फिर प्रीती नीचे झुकी और उसने अपने होंठों से उसकी गुलाब जैसी चूत की फेली हुई पंखुड़ियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
पहला नीवाला मुँह में लेते ही उसका स्वाद पता चल गया प्रीती को...जो उसे काफ़ी मजेदार लगा..
और आराधना तो बिफर गयी अपनी चूत की चुसाई से...
''ऊऊऊऊऊऊऊहह प्रीती .............मेरी ज़ाआाआन्न................सस्स्स्स्स्स्सस्स..... ये क्या कर दिया............आआआआहह .....बहुत मज़ा आ रहा है ............उम्म्म्ममममममममम..... एसस्स्स्स्सस्स...... अहह.....''
और फिर तो वो बावली कुतिया की तरह उसकी चूत के उपर लगे अखरोट के दाने पर और संतरे की फाँक जैसी चूत को खाने में लग गयी...
अपनी लंबी और गर्म जीभ को उसने अंदर भी धकेला..उसकी मलाई को चाटा ...चूसा...और अंत में पी गयी.
आधे घंटे तक दोनों बहनों ने एक दुसरे एक हर एक अंग को जी भर के चूमा चूसा और आखिर में थक कर बेड पर लेट गयी [/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b]
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