antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
12-05-2018, 02:32 AM,
#73
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b]अपनी मम्मी को स्विमिंग क्लास ले जाने का वादा करके कुशल अपने दोस्त करण से मिलने के लिए निकल पड़ा, करण उसका बचपन का दोस्त था, या कहें कि लंगोटिया यार था उसका, करण ने ही कुशल के दिल में सेक्स के प्रति इच्छा जगाई थी, दोनों दोस्त मिलकर अक्सर नंगी तस्वीरे और ब्लू फिल्मे देखा करते थे, करण के पापा तो जब वो 10 साल का था तभी चल बसे थे, अब उसकी मम्मी प्रिया ही उसकी देखभाल की जिम्मेदारी सम्भालती थी, दो माँ बेटे में बड़ा ही प्यार था, 
करण अक्सर स्कूल में नंगी तस्वीरे लाया करता था जिसे कुशल और वो मिलकर छुप छुप कर देखते थे, दोनों में बड़ा ही याराना था, मुठ मारना भी दोनों ने साथ ही सिखा था, और कई बार तो साथ में मुठ भी मारी थी, 
...........................................
कुशल अब करण से मिलने के लिए बाइक से उसके घर की तरफ रवाना हो गया, थोड़ी ही देर बाद कुशल करण के घर पहुंच गया, उसने डोर बेल बजाई तो दरवाज़ा प्रिया मेम ने खोला 

प्रिया मेम ने एक बहुत ही सुंदर और झीनी सी स्टाइलिश मैक्सी पहनी हुई थी, प्रिया मेम सच में बहुत ही मस्त बदन की गदराई सी ओरत थी, बड़े बड़े मम्मे एकदम गोल गोल और पूरी तरह से टाइट थे, नीचे उसका सपाट पेट और गहरी नाभि और पतली कमर बहुत ही ग़ज़ब ढा रही थी, उसके नीचे मस्त भरी हुई जाँघें और उसके बीच में फूली हुई बुर का अहसास कुशल को मस्त किये जा रहा था, दरअसल कुशल तो पिछले कई सालो से प्रिया मेम को चोदने वाली नजरो से देख रहा था, पर चूँकि वो उसके बेस्ट फ्रेंड की मोम थी इसलिए वो कभी हिम्मत ही नही कर पाया, कुशल खासकर प्रिया मेम के चुतडो पर फ़िदा था, हाय कितना गज़ब का और उठा हुआ पिछवाडा था प्रिया मेम का, उसकी सेक्सी गांड के तो टीचर्स के साथ साथ स्टूडेंट्स भी दीवाने थे, पर उसके स्ट्रिक्ट नेचर की वजह से उसके पास फटकने की कोई हिम्मत भी नही करता था,

कुशल अपने ख्यालो में खोया हुआ था तभी प्रिया मेम ने उसे उसके ख्यालो से बाहर खीचा और बोली 

प्रिया मेम – “ अरे कुशल बेटा, कहाँ खोये हुए हो इतनी देर से, अंदर आ जाओ, बाहर अभी भी हल्की हल्की बारिश हो रही है”

कुशल – “ओह सॉरी मेम, वो मैं कुछ सोचने लग गया था मेम”

प्रिया मेम – “सोचना बाद में, पहले अंदर आ जाओ, चलो” ये कहकर प्रिया मेम ने कुशल को अंदर आने के लिए कहा, कुशल भी फटाफट अंदर आ गया 

प्रिया मेम – “अच्छा कुशल बेटा, आज इतने सुबह सुबह कैसे आना हुआ यहाँ”

कुशल –“मेम वो मैं करण से मिलने आया था, कई दिन हो गये न मिले हुए, तो सोचा कि मिल आऊ”

प्रिया मेम –“अरे पर कुशल तो अभी घर पर है ही नही वो तो कल रात अपने किसी फ्रेंड के यहाँ गया था, तो कल से वहीं है, उसे आने में तो अभी 2 घंटे और लगेगे बेटा”

कुशल –“तो फिर मैं चलता हूँ आंटी, फिर कभी आ जाऊंगा”

प्रिया मेम –“अरे ऐसे कैसे चले जाओगे, इतनी दूर से आये हो, कम से कम नाश्ता तो करके जाओ”
कुशल –“नही मेम कोई बात नही मैं करके आया हूँ नाश्ता घर से”

प्रिया मेम –“देखो कुशल मैं कुछ नही सुनने वाली, नाश्ता तो तुम्हे करना ही पड़ेगा, और इसी बहाने मुझे भी थोड़ी कंपनी मिल जाएगी”

कुशल –“चलो ठीक है मेम, आप कहती हो तो रुक जाता हूँ”

प्रिया मेम –“तुम यहीं बैठो, मैं अभी तुम्हारे खाने के लिए कुछ बनाकर लाती हूँ”

ये कहकर प्रिया मुड़कर किचन की तरफ चली गयी, उसके मुड़ते ही कुशल को प्रिया की बड़ी सी गदराई गांड नजर आ गयी, और सुबह से उसका लोडा जो बगावत पर उतर आया था, वो अब दोबारा इस कातिल नज़ारे को देखकर होश में आने लगा, कुशल टकटकी लगाये प्रिया मेम की मोटी गांड को निहारने लगा,

पर तभी अचानक प्रिया मुड़ी और उसने तुरंत कुशल की नजरो को भांप लिया, कुशल तो बिलकुल सकपका गया, पर प्रिया बिलकुल शांत खड़ी रही और बोली

प्रिया मेम –“सैंडविच चलेगी ना कुशल बेटा”

कुशल –“जी...जी....मेम...चलेगी....” कुशल हकलाता हुआ बोला

कुशल को इस तरह हकलाता हुआ देख कर ना जाने क्यूँ प्रिया के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान सी आ गयी, पर उसने इसे ज़ाहिर नही होने दिया 

इधर कुशल मन ही मन सोचने लगा “अबे चूतिये, कहीं तो लंड की बजाय दिमाग से काम लिया कर, साले वो तेरी टीचर होने के साथ साथ तेरे बेस्ट फ्रेंड के माँ भी है, और तेरी भी माँ जैसी ही है,,,,,,,,, पर मैं तो खुद अपनी मोम की ले चूका तो इसकी लेने में क्या हर्ज़ है......अरे नही नही बहनचोद ...अगर उसको थोड़ी सी भनक लग गयी तो यही बुरी तरह गांड कुटाई हो जाएगी........और दोस्ती टूटेगी सो अलग......पर मेरे इस लंड को कैसे समझाऊ, ये तो जब देखो मुंह उठाये खड़ा हो जाता है साला....”

कुशल अपनी दुविधा में फंसा था कि तभी प्रिया मेम हाथो में दो प्लेट्स लिए बाहर आ गयी,

प्रिया मेम –“चलो आओ कुशल बेटा, टेबल पर बैठ जाओ, नाश्ता बिलकुल तैयार है”


अब दोनों लोग आकर टेबल पर अगल बगल बैठ गये और प्रिया कुशल और खुद के लिए नाश्ता सर्व करने लगी, जब वो कुशल को खाना दे रही थी तब वो उसके बिलकुल पास थी और कुशल को उसकी मांसल कलाइयाँ और उसकी बग़लें दिखायी दे रही थी जहाँ से पसीने की मस्त तेज़ गंध आ रही थी, अब वो उत्तेजित होने लगा, तभी वो उसके सामने बैठ गयी और बातें करते हुए खाना खाने लगी, कुशल ने देखा कि उसने बड़े गले की मैक्सी पहनी थी और उसकी बड़ी बड़ी पुष्ट गोलाईयां झाँक रही थीं, उफ़ कितने सुडौल दिख रहे थे उनके गोरे दूध,
प्रिया मेम –“ अरे मैं पानी लाना तो भूल ही गयी” 

और ये कहकर वो उठ कर फ्रिज के सामने झुक कर पानी की बोतल निकालने लगी, झुकने की वजह से उसकी झीनी सी मैक्सी उसकी गांड की गहरी दरार में फंस गयी, अब तो प्रिया मेम की गांड की मस्त छटा देखते ही बन रही थी, कुशल तो एक टक प्रिया मेम की मस्त गांड को घूरे जा रहा था, 

प्रिया मेम को भी अपनी मैक्सी अपनी गांड की खाई में धंसी हुई महसूस हुई तो उसने बड़े ही प्यार से अपने एक हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर धीरे धीरे अपनी फंसी हुई मैक्सी को दरार से निकालना शुरू कर दिया
कुशल तो ये नज़रा देखकर बहुत ही ज्यादा गरम हो गया, उसका लंड अब पुरे उफान पर आ चूका था, और उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका लंड जल्द ही उसकी पेंट को फाडकर बाहर निकल आयेगा,
तभी वो हुआ जिसकी उम्मीद कुशल ने सपने में भी नही की थी,
प्रिया मेम ने बड़े ही प्यार से कुशल की ओर देखा और फिर धीरे धीरे अपने रसीले होठो पर अपनी जीभ को फिराने लगी, और साथ साथ अपनी गांड में से अपनी मैक्सी को जान बुझकर और भी धीरे धीरे निकालने लगी 

अब कुशल कोई इतना भी बेवकूफ नही था कि इतना भी ना समझे, अब तो कुशल ने सोच लिया कि आज तो माल पूरा गरम है, आज उसे अपनी बचपन की इच्छा जरुर पूरी करनी चाहिए, 

ये सोचकर कुशल ने भी धीरे से अपने लंड पर पेंट के उपर से ही हाथ इस तरह से फिराया कि प्रिया मेम को सारा नजारा आसानी से दिख जाये, वो समझ गया था कि चिड़िया प्यासी है, जल्दी ही जाल में फँस जाएगी,

अब प्रिया मेम पानी की बोतल लाकर उसके साथ दोबारा टेबल पर बैठ गयी, इधर कुशल ने अब प्रिया मेम की फ़िट्नेस की तारीफ़ करनी शुरू की, 

वो बोला: आंटी आप तो लगता है कि फ़िट्नेस पर बहुत ध्यान देती हैं, आप तो एकदम फ़िट हैं,

प्रिया मेम अपनी तारीफ़ से ख़ुश होकर बोली: हाँ मैं रोज़ सुबह योगा करती हूँ और व्यायाम भी करती हूँ,

कुशल : तभी तो आप करण की मम्मी नहीं उसकी दीदी लगती हैं, ऐसा बोलते हुए वो उसकी छातियाँ देखते हुए जीभ होंठ पर फेरा और बोला: आप इतनी सुंदर भी तो हैं, कि आप को देखकर कोई भी दीवाना हो जाये, 

प्रिया मेम –“अच्छा तुझे मैं इतनी सुंदर लगती हूँ क्या?”

कुशल मन ही मन ख़ुश होकर बोला: आंटी, आप इतनी सुंदर हो आपको तो स्कूल के सब बच्चे भी पसंद करते है, और आपको मा- मतलब पसंद मतलब लाइक करते हैं,


प्रिया मेम : तू अभी मा- क्या कह रहा था?

कुशल : कुछ नहीं आंटी, वो बस ऐसे ही मुँह से निकल गया था,

प्रिया मेम : तू माल बोलना चाहता था क्या?

कुशल : आंटी, सॉरी , वो मेरा मतलब है कि बस ऐसे ही कुछ लड़के बोलते हैं,

प्रिया मेम उसकी आँखों मेंदेखते हुए बोली: तू क्या बोलता है? मैं माल हूँ?

कुशल : नहीं आंटी मैं ऐसे कैसे बोल सकता हूँ, आपको,

अब प्रिया मेम को भी इन बातों में मज़ा आ रहा था और वो गरम हो रही थी, उसने अपनी छातियों को खुजाते हुए कहा: तो क्या मैं बेकार दिखती हूँ? माल नहीं लगती तेरे को?

कुशल का लंड झटके मारने लगा,उसका लंड पूरा खड़ा होकर एक तरफ़ से पैंट में तंबू सा बना लिया था, वो चाहता था कि आंटी उस तंबू को देख ले , वो खड़ा हुआ और बोला: आंटी आप सच में बहुत मस्त माल हो, और वो उसकी आँखो में झाँक कर बोला: अगर मैं अंकल होता तो आपको कभी अकेला नहीं छोड़ता,

प्रिया मेम का ध्यान अपने लंड पर ले जाने के लिए उसने अपने तंबू को दबाया और प्रिया मेम की आँखें उसके तंबू को देखकर हैरानी से फटी की फटी रह गयीं, इस छोटे से लड़के का इतना बड़ा हथियार ? अब उसके निपल्ज़ कड़े हो गए और उसकी बुर में जैसे चिटियाँ चलने लगी , वह कई सालो से चुदीं नहीं थी और उसने बुर में ऊँगली भी काफ़ी दिनों से नहीं की थी, इस लिए उसकी बुर गीली होने लगी, उसका हाथ अपने आप ही बुर के पास चला गया और वो उसे दबाने लगी,

प्रिया मेम को अच्छी तरह से अपने तंबू का दर्शन कराकर कुशल हाथ धोकर आया और आकर प्रिया मेम के पीछे खड़ा हो गया, अब उसने प्रिया मेम के कंधे सहलाना शुरू किया और बोला: आंटी आपके गर्दन की मालिश कर दूँ? मम्मी कहती हैं कि मैं बहुत अच्छी मालिश करता हूँ,

उसका स्पर्श पाकर प्रिया मेम सिहर उठी और बोली: मुझे भी हाथ धोने दे ना, बाद में मालिश कर लेना, अब कुशल उसके कंधों के ऊपर से झुक कर ऊपर से उसकी छातियों के बीच में देख रहा था, और बेशर्मी से मुस्करा रहा था और बोला: आंटी आपके ये तो बहुत मस्त हैं, मुझे लगता है कि मैं इनको छूकर देखूँ कि ये असली हैं या नक़ली?

प्रिया मेम हँसते हुए बोली: चल हट बदमाश कहीं का, कुछ भी बोल रहा है?

जब कुशल ने देखा कि वो ग़ुस्सा नहीं हुई है तो उसने रिस्क लेकर उसके साइड में आकर अपने तंबू को छूकर कहा: आंटी, आप भी इसको ग़ौर से देख रही थी, बताइए ना ये कैसा लगा आपको?

प्रिया मेम हड़बड़ा गई और बोली: चलो हटो मुझे हाथ धोने दो,

कुशल इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था, उसने और बड़ा रिस्क लिया और प्रिया मेम का उलटा हाथ पकड़कर अपने पैंट के तंबू पर रख दिया और उसके पंजे को अपने पंजे से पकड़कर अपने लंड को दबाने लगा, 

प्रिया मेम की सिसकारि निकल गई, वो बोली: आह ये क्या कर रहे हो, करण आ जाएगा ? छोड़ो मेरा हाथ,

कुशल समझ गया कि वो गरम हो चुकी है वो बोला: आंटी, वो तो 2 घंटे बाद आएगा ना , आप इसको सहलाओ ना प्लीज़,

अब उसने अपना हाथ प्रिया मेम की मैक्सी के ऊपर से उसके चुचि पर रखा और हल्के से दबा दिया, प्रिया मेम की बुर तो जैसे मस्ती से पानी ही छोड़ने लगी, अब वो भी थोड़ा बेशर्मी से उसके लंड को ऊपर से नीचे तक महसूस करने लगी, अब वो समझ गयी कि ये लंड बहुत लंबा और मोटा है, और उसे बहुत मज़ा देगा, उधर अब कुशल ने भी अपना दोनों हाथ उसकी छातियों पर रखा और उनको दबाने लगा और ऊपर से ही निपल्ज़ को मसल कर उसने प्रिया मेम के अंदर के औरत को जगा दिया और उसे चुदायी के लिए तय्यार करने लगा,

तभी प्रिया मेम बोली: कुशल हटो एक मिनट ,

कुशल एक अच्छे बच्चे की तरह हट गया और प्रिया मेम उठकर हाथ धोकर आइ और खाना सम्भालने लगी, 

कुशल ने झूठे बर्तन हटाने में उसकी मदद की और किचन में अचानक उसको बाहों में लेकर उसके होंठों को चूमने लगा, प्रिया मेम ने थोड़े से विरोध के बाद जैसे सम्पर्पण कर दिया, अब कुशल के हाथ उसकी छातियों से होता हुआ उसके चूतरों तक पहुँचा जिनको वो ज़ोर से दबाने लगा,

प्रिया मेम का हाथ उसके लंड पर पहुँच गया और वह भी उसे मसलने लगी, अचानक प्रिया मेम को होश आया और वह बोली: चलो छोड़ो तुम मेरे कमरे में चलो मैं अभी आती हूँ ,

कुशल अच्छे बच्चे की तरह चुप चाप चला गया, इधर प्रिया भी थोड़ी देर बाद अपने कमरे की तरफ चल पड़ी 

प्रिया जैसे ही अपने रूम में आई तो देखा कि कुशल बड़े प्यार से बेड पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था, प्रिया को एक पल के लिए लगा कि उसके पति भी उसका ऐसा ही इंतज़ार करते थे अक्सर, अपने पति की याद आते ही प्रिया मेम की आँखों में हल्का सा पानी आ गया 

मेम को इस तरह से देख कुशल बोला –“ क्या हुआ मेम, आप रो क्यूँ रही है, क्या आप ये सब नही करना चाहती, अगर नही चाहती तो मुझे बता दीजिये मैं चला जाऊंगा यहाँ से” यह कहकर कुशल बेड से खड़ा हुआ और बाहर जाने के लिए बढने लगा,

पर तभी प्रिया मेम ने उसे पकड़ा और तुरंत बेड पर साथ लेकर बैठ गयी और खुद अपने मुंह को कुशल की बाँहों में देकर सुबकने लगी 

कुशल –“क्या हुआ मेम बताइए ना”

प्रिया मेम –“कुछ नही कुशल, बस तेरे अंकल की याद आ गयी वो भी ऐसे ही अक्सर बेड पर बैठकर मेरा इंतज़ार करते थे, उनके जाने के बाद जो जिन्दगी में जैसे चुदाई वीरान ही हो गयी, पर आज तूने मेरी सोयी हुई वासना को दोबारा जगा दिया, मुझे छोड़ कर मत चले जाना तू भी”

कुशल अब प्रिया मेम को अपनी ओर खींचकर बोला: आंटी प्लीज़ चुप हो जाओ, मैं हूँ ना, अब वो अपने हाथ से उसके गाल को सहला कर उसके आँसू पोंछने लगा, कुशल की नाक में उसके सेंट और उसके बदन की मादक गंध भी समा रही थी, ,वो उसको चुप कराते हुए उसके पेट पर से ले जाकर उसकी चिकनी कमर पर एक हाथ रखा और प्रिया मेम को अपनी ओर खिंचा और गाल सहलाकर बोला: आंटी पहले आप चुप हो जाओ, अब प्रिया मेम की एक चूची उसकी बाँह से पूरी सट गयी थी, उसका सिर कुशल के कंधे पर था, प्रिया मेम की आँखें बंद थीं, उसके होंठ खुले थे मानो कह रहे हों मुझे चूस लो, 

कुशल का लौड़ा अब पूरी तरह से सख़्त हो चुका था, वो अब उसके ऊपर झुका और उसकी आँख को चूमा और बोला: आंटी प्लीज़ रोना बंद करो, मैं कुछ ना कुछ करूँगा, फिर वो उसकी दूसरी आँख को भी चूमा , अब वो नीचे आकर उसके गाल चूमा और बोला: मेरे रहते आपको कभी आँसू नहीं बहाना पड़ेगा, फिर वो कसकर प्रिया मेम को अपनी बाँह में भींच लिया और प्रिया मेम भी उसकी छाती में अपना मुँह घुसा दी, अब कुशल उसकी नंगी पीठ को सहला रहा था जहाँ ब्लाउस के नाम पर एक छोटा सा पट्टा भर था, अब वो उसके कंधे को चूमने लगा, प्रिया मेम भी मस्ती में आ गयी थी और उसने कुशल के पैंट में तने हुए तंबू को साफ़ साफ़ देख लिया था और अंदाज़ा कर लिया था कि इसका तगड़ा हथियार है, अपना हाथ प्रिया मेम ने उसकी जाँघ पर रखा जो कि तंबू के काफ़ी पास ही था, 
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