RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b]अगली सुबह इन सब लोगो के जीवन में एक नया मोड़ लेकर आने वाली थी, आराधना और पंकज दिल्ली से वापस देहरादून अपने घर की तरफ रात को ही रवाना हो गये थे, पंकज ने घर पर फ़ोन भी नही किया था कि वो और आराधना वापस घर आने के लिए निकल चुके है, और लगभग सुबह 8 बजे के करीब वो दोनों घर पहुंच जायेंगे, इसलिए स्मृति और कुशल को इस बात की बिलकुल भी भनक नही थी कि अभी अभी शुरू हुआ उनका मिलन सिर्फ एक रात का ही है, क्यूंकि कल से तो पंकज फिर से स्मृति के साथ सोयेगा, इधर प्रीती भी इस खबर से बिलकुल अनजान थी, परन्तु फिलहाल तो सभी लोग अपनी अपनी मस्ती में लगे हुए थे
अब कहानी को वापस कुशल और स्मृति की तरफ मोडते है, सिचुएशन थोड़ी चेंज हो चुकी है पर हम वहीं से शुरू करते है जहाँ छोड़ा था, रात को मालिश के बहाने कुशल ने खतरनाक तरीके से अपनी मम्मी स्मृति की चूत और गांड मारी थी और स्मृति ने भी बड़े प्यार से कुशल के लंड को लिया था, चूँकि स्मृति ने पहली बार अपनी गांड मरवाई थी इसलिए उसने कुशल के साथ सिर्फ एक ही बार चुदाई की, हालाँकि कुशल दोबारा स्मृति को चोदना चाहता था परन्तु स्मृति के दर्द की परवाह उसे भी थी, इसलिए उसने चुपचाप स्मृति को अपनी बाँहों में कडल किया और आराम से अपना खड़ा लंड स्मृति की चुत में फंसाकर सो गया, स्मृति को भी कुशल की इस बात पर बहुत प्यार आया कि कुशल उसकी इतनी परवाह करता है, ये सोचकर उसका प्यार कुशल के प्रति एक प्रेमी के रूप में छलकने लगा, और वो भी आराम से कुशल का लंड अपनी चूत में फंसाकर सो गयी
सुबह के लगभग 7 बजने वाले थे, ठंडी हवा के झोंको से स्मृति की आँखे खुल गयी, उसके पुरे शरीर में एक अजीब सी मीठी मीठी खुमारी चढ़ी हुई थी, रोम रोम पुलकित हो रहा था, आँखों में वासना और संतुष्टि के मिले जुले भाव झलक रहे थे, स्मृति ने पीछे पलट कर कुशल की और देखा तो सोते हुए कुशल के मासूम चेहरे को देखकर उसे कुशल पर प्यार आ गया, उसने कुशल का माथा चूमने के लिए घूमना चाहा पर अचानक उसे महसूस हुआ कि उसकी चुत में कुछ फंसा हुआ है ,
उसने अपनी चूत की तरफ देखा तो उसके होठों पर एक कातिल मुस्कान आ गयी, उसकी चुत में अभी भी कुशल का आधा मुरझाया लंड घुसा हुआ था, स्मृति ने महसूस किया कि मुरझाने के बाद भी कुशल का लंड वाकई काफी बड़ा था,
“ये तो अपने बाप से भी आगे निकल गया” स्मृति ने मन ही मन मुस्कुरा कर सोचा, क्यूंकि कुशल का लंड वास्तव में पंकज के लंड से भी ज्यादा बड़ा और मोटा था,
स्मृति ने बड़े प्यार से कुशल के लंड को अपनी कोमल हथेलियों में जकड़ा और बड़े ही धीरे धीरे उसे अपनी चुत से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी, पर बहुत ही जल्दी उसे ये महसूस हो गया कि ऐसे तो बात बनने की बजाय बिगड़ जाएगी, क्यूंकि अर्द्ध निद्रा में भी जब कुशल को अपने मुरझाये से लंड को स्मृति की कोमल और गर्म हथेलियों का अहसास अपने लंड पर हुआ तो धीरे धीरे कुशल का लंड दोबारा स्मृति की चुत के अंदर ही फूलने लगा,
स्मृति को भी अपनी चूत में कुशल के धीरे धीरे मोटे होते लंड का अहसास होने लगा था, और उसकी चुत उस लंड को अपनी दीवारों के इर्द गिर्द कसना शुरू कर चुकी थी, स्मृति को ये अहसास बहुत ही ज्यादा उत्तेजित करने लगा था, और इसीलिए उसकी चुत में से अब कामरस की कुछ बुँदे पिघल कर कुशल के लंड को भिगोने लगी थी,
कामरस की ये अद्भुत बूंदों ने कुशल के लंड के लिए किसी टॉनिक का काम किया और कुशल का लंड अब बड़ी तेज़ी से होश में आने लगा, जल्द ही कुशल का लंड पूरी तरह तनकर स्मृति की चुत की नसों पर कस चूका था.
स्मृति को भी इस कसावट से बड़ी ही मीठी मीठी उत्तेजना महसूस होने लगी, और उसे पता ही नही चला कि कब उसने अपनी गांड को मटका कर अपनी चूत के अंदर कुशल के लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया, बेचारा कुशल तो अभी भी नींद में था और उसे लग रहा था कि ये कोई सपना चल रहा है,
स्मृति ने कुशल को नींद में चोदना शुरू कर दिया, स्मृति के लिए इस प्रकार का ये पहला सेक्स था और इसीलिए उसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना की अनुभूति हो रही थी, अब स्मृति ने तेज़ी से अपनी चुत को आगे पीछे करके कुशल का लंड घिसना शुरू कर दिया था,
स्मृति के मुंह से अब उत्तेजना पूर्वक आवाज़े निकलनी शुरू हो गयी थी,
“उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह गलपप्प्प्प्प्प गलपप्प्प्प्प्प गलपप्प्प्प्प्प्प आराम्म्म्ममममम सीईई अहह
उःन्ह्ंहंहंहंह्न बेटेयाआया नहियीईईईई अन्न्णणन् उःन्णणणन् ईई श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
उफफफफफफफ्फ़ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फाड़ दो मेरी चुत ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरे लायन आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, हाऽऽऽऽऽऽऽयय्यय मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है” स्मृति की सिस्कारिया अब जोर पकड़ चुकी थी,
स्मृति के मुंह से आ रही आवाजो ने जल्द ही कुशल को उसकी नींद के आगोश से बाहर ला दिया और उसकी आँखे खुल गयी, पर जब उसने देखा कि उसकी मम्मी उसके लंड को बड़ी तेज़ी से अपनी चुत में आगे पीछे ले रही है तो बड़ा ही उत्तेजित हुआ और फिर उसने धीरे से अपनी मम्मी की नंगी कमर पर अपना हाथ रख दिया
स्मृति को जब अपनी कमर पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ तो उसने पीछे मुडकर देखा और जब उसने कुशल की ऑंखें खुली पायीं तो स्मृति ने एक बड़ी ही कातिल मुस्कान कुशल की और बिखेर दी,
स्मृति को यूँ मुस्कुराता देख कर कुशल और भी ज्यादा मदहोश और उत्तेजित हो गया और फिर उसने बड़े ही कस कस कर शॉट लगाने शुरू कर दिए स्मृति की चुत में, कुशल के इन आक्रामक धक्को से स्मृति तो निहाल ही हो गयी, कुशल बड़े ही जबरदस्त तरीके से अब स्मृति को चोदने लगा,
लगभग 20 मिनट की धुआंदार चुदाई के बाद कुशल को लगा कि उसका मुठ निकलने वाला है
“हय्य्य्य.......मम्मीईईइ.......मेरा निकलने वाला है........कहाँ निकलूं??????.......” कुशल लगभग चिल्लाता हुआ बोला
“हय्य्य्य............लायन बेटा. ..........निकाल दे अपने वीर्य को अपनी मम्मी की प्यासी चुत में........मैं तेरे पानी को अपनी चुत में महसूस करना चाहती हूँ....निकाल दे बेटा निकाल दे हाय्य्यय्य्य्य.........” स्मृति भी बोली
“हय्य्य....मैं गया..........मोम..........फचाक .....फ्चाक्क्कक्क्क्क.........करके कुशल ने ढेर सारा वीर्य अपनी मोम की चुत में उडेंल दिया और फिर धीरे धीरे उसका लंड मुरझा कर खुद ब खुद स्मृति की चूत से फिसलता हुआ बाहर आ गया
स्मृति ने अपनी चुत की ओर देखा, वहां अभी भी कुशल के लंड से निकला पानी उसकी चुत से होता हुआ बेडशीट को भिगोने की कोशिस कर रहा था पर इससे पहले की ये अनमोल खज़ाना बेडशीट पर गिरकर खराब होता, स्मृति ने झट से उसे अपनी ऊँगली में लपेटा और चटकारे लेकर उसे चाटने लगी
“थैंक यू मोम ..........आज आपने मुझे बहुत ख़ुशी दी है” कुशल बोला
“तुझे कितनी बार कहा है कि तू जब मेरे साथ अकेला होता है तो तू मेरा बेटा नही बल्कि लायन होता है ......” स्मृति ने कुशल के गाल पर एक हलकी सही चपत लगाते हुए बोला
“ठीक है मेरी रानी, अब से ध्यान रखूंगा, अब चलो हम तैयार हो जाते है, प्रीती का आने का भी वक्त हो चूका है” कुशल ने कहा
कुशल अब पूरी तरह संतुस्ट हो चूका था,
वो अब उठा और सीधा बाथरूम की और जाने लगा, वहां खड़े होकर पेशाब करने की कोशिश करने लगा, पर एक बार वीर्य निकलने के बाद पेशाब आने में थोडा वक्त और मेहनत दोनों ही लगती है, कुशल ने बाथरूम का दरवाज़ा अभी भी खोल रखा था,
कुछ ही पलो में स्मृति भी बिलकुल नंगी अपने कुलहो को मटकते हुए वहां आई और अपने चेहरे और चूत को पानी से धोने लगी. कुछ देर बाद ही कुशल ने भी पेशाब कर लिया और उसके बाद स्मृति भी उसके सामने ही नंगी कमोड पर बैठकर मुतने लगी, उसकी चुत से पेशाब के साथ निकलती सिटी की मधुर आवाज़ से कुशल फिर से उत्तेजित होने लगा, पर उसे पता था कि अब प्रीति किसी भी वक्त आ सकती है इसलिए अब कुछ भी करना खतरे से खाली नही होगा, क्यूंकि प्रीति पहले से उस पर थोडा शक करती थी
थोड़ी देर में ही कुशल और स्मृति ने अपने अपने कपड़े पहन लिए, कुशल हॉल में आकर बैठ गया और स्मृति एक भोली भाली घरेलू ओरत की तरह किचन में जाकर नाश्ता तैयार करने में जुट गयी, क्यूंकि उसे भी इस बात का पता था कि प्रीती के आने का वक्त हो चला है ऐसे में अब कुछ भी करना मुमकिन नही
कुशल ने देखा कि बाहर हल्की हल्की बारिश आ रही थी, उसने सोचा कि शायद बारिश की वजह से प्रीति देर से भी आ सकती है, और वो अपनी मोम के साथ कुछ देर और मजे ले सकता है, यही सोचकर कुशल बस अभी खड़ा होकर किचन की तरफ जाने ही वाला था कि तभी बहार की बेल बज गयी
कुशल और स्मृति दोनों को इस बात का अच्छी तरह पता था कि ये कौन है? कुशल के अरमानो पर पानी फिर चूका था
पर फिर भी कुशल ने बड़े ही रिलैक्स तरीके से जाकर दरवाज़ा खोला, सामने प्रीती ही थी, प्रीती ने कुशल को देखते ही मन में सोचा कि जरुर पूरी रात मोम की चूत मारी है इसने और अब देखो कितना भोला बनकर खड़ा है
प्रीती –“अरे बुद्धू अब हट तो सही, आने दे मुझे, क्या बारिश में पूरी भिगोने का इरादा है पागल” प्रीती लगभग कुशल को धकेलते हुए बोली,
कुशल ने हटकर प्रीती को आने के लिए जगह दी पर तभी अचानक प्रीती का पैर फिसल गया और वो सामने की तरफ गिरने ही वाली थी की कुशल ने बड़ी फुर्ती से उसे पकड़ लिया और गिरने से बचा लिया, प्रीती अब कुशल की बाँहों में थी, उसका टॉप थोडा गिला हो गया था, और वो थोड़ी झुकी हुई थी इस कारण उसके गीले टॉप का गला लटक गया और कुशल को प्रीती की ब्रा दिखाई दे गई, प्रीती ने वाइट कलर की ब्रा पेहेन रखी थी, कुशल बड़ी होशियारी से प्रीटी की ब्रा में से उसके खूबसूरत मोटे बोबे देखने की कोशिश करने लगा
थोड़े गीले बाल, थोडा सा गीला उसका स्लीव लेस टॉप, सामने से थोड़ी सी गीली ब्लैक जींस वाली केप्री, उसके कंधे पे कुछ पानी की बूंदे फिसल कर उसके चिकने गोरे गोरे हाथों पे आ गई थी, उसका गीला टॉप सामने से चिपक गया था जिस वजह से प्रीती के बोबे बाहर निकल रहे थे, उसके टॉप के गीले होने के कारण कुशल को उसकी ब्रा की स्ट्रैप्स का शेप साफ़ साफ दिख रहा था और उसे साफ पता चल रहा था कि उसने अंदर वाइट कलर की ब्रा पेहेन रखी है
प्रीती को इस तरह देखकर कुशल के दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था, और वो बस प्रीती की सुन्दरता में ही मंत्र मुग्ध सा हो गया, और फिर अगले ही पल उसने तुरंत प्रीती के गुलाबी पतले होठों को अपने होठों की कैद में ले लिया और जोर जोर से चुसने लगा [/b][/b]
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