RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b]“ मेरे भैया ने इतना बोलते ही मुझे टॉप दे दिया और फिटिंग रूम का डोर बंद कर दिया……… बहुत ही अजीब मन से वो टॉप मैने पहना………….. बॉडी के किसी भी पार्ट को वो टॉप सही से ढकने मे पासिबल नही था…….. मेरा पेट, शोल्डर्स, ब्रा, बूब्स सब कुच्छ थोड़ा थोड़ा विज़िबल था………….. शॉर्ट स्कर्ट और उपर से इतना शॉर्ट टॉप….. अब तो लगभग मे आधी नंगी थी…… मिरर मे अपने आप को देखा तो पेट क्लियर दिखाई दे रहा था……… पेट की नाभि भी क्लियर दिखाई दे रही थी….. यही नही मेरी रेड ब्रा भी क्लियर दिख रही थी. मुझे यकीन था कि भैया मुझे देखे बिना नही मानेंगे…. तो मैने उस टॉप मे अपनी ब्रा को छुपाने की काफ़ी कोशिश की लेकिन नाकाम रही… इससे पहले की कुच्छ और सोचती कि डोर फिर से नॉक हुआ…… मैं समझ गयी कि टाइम ओवर…….” सिमरन के चेहरे के भाव अभी भी बता रहे थे कि उस दौरान क्या सिचुयेशन रही होगी……
“ क्या बात है दीदी………. आप को तो सूपर सेक्सी स्लट बनाने पे तुले हुए थे भैया……………” खैर फिर क्या हुआ….
“ मैने धीरे से दरवाजा खोला…………. पहले मेरी आइज़, फिर मेरे लिप्स, फिर शोल्डर्स, फिर ब्रा, ब्रा के अंदर बूब्स, बूब्स के नीचे सपाट पेट, पेट की नाभि, नाभि के नीचे स्कर्ट, स्कर्ट के नीचे नंगी थाइस…….. मेरे भाई ने अपनी आँखो से सब एक्सरे कर दिया……. और मैं शरम से गढ़ी जा रही थी………….”
सिमरन आगे बताती है…… “ मेरे भैया आगे बढ़ते है………… मेरे बालो मे लगे क्लट्चर को हटाते है… मैं एक स्टॅच्यू बन कर सब होने दे रही थी… बालो को खोलने के बाद धीरे धीरे शोल्डर्स पर लाते है……… उसके बाद जो उन्होने बोला उसे सुन कर तो मेरे पाँव काँप गये…………”
“ उफफफफफफफ्फ़…… ऐसा क्या बोल दिया आपके जालिम भाई ने……. जल्दी बताओ ना…………….” प्रीति एग्ज़ाइटेड होते हुए बोलती है.
“ उन्होने मेरे टॉप की स्ट्राइप को पकड़ कर सीधा करना शुरू किया…… उनकी फिंगर्स मेरे बूब्स पर भी अंजाने मे टच हो रही थी……… पूरी बॉडी काँप रही थी मेरी…. वो धीरे से मेरे कानो के पास आए बोले –
माइ ब्रदर – फिटिंग अच्छी है टॉप की…….. लेकिन इस टॉप को बिना ब्रा के पहना जाता है…………
“मेरी हालत ऐसी थी कि क्या बताऊ…….. एक जवान लड़के से अपनी ब्रा के बारे मे ऐसी बात सुन कर मैं हैरान भी थी और शरम भी आ रही थी. दिल मे 10 सवाल आ रहे थे कि बिना ब्रा के ये टॉप कैसे पहना जाएगा और पहना भी जाएगा तो बूब्स तो जैसे बाहर ही लटके रहेंगे…………… मैं सोच ही रही थी कि भैया ने अपने बोल्ड अंदाज़ मे फिर से बोलना शुरू किया……….”
माइ ब्रदर – “ सिम्मी……… थोड़ा बहुत चलता है…………….. तू टेन्षन ना ले……. सच मे तू सूपर लग रही है. अब जल्दी से इन्हे चेंज कर ले….ये आउटफिट तो फिक्स है….. अब तेरे लिए जीन्स देख लेते है…………..”
“ बचपन मे डेली लड़ाई झगड़े होते थे..... पता नही मैं कितनी कोशिश करती थी कि डेली मेरे लिए कपड़े लिए जाए…. लेकिन मेरा भाई सबसे पहले मेरा दुश्मन बन कर खड़ा होता था…. और आज मेरा भाई ही था जो मेरे जवानी मे कदम रखते ही पता नही मुझे क्या क्या दिलाने को तैयार हो रहा था…. यही कीमत होती है हर लड़की की जवानी की……. खैर मे फिटिंग रूम मे टॉप और स्कर्ट उतारने लगी और दूसरी तरफ भैया जीन्स लेने के लिए चले गये....”
“ मॉल से खरीददारी करने के बाद हम घर की तरफ निकल लिए . मॉल से निकलते ही बारिस शुरू हो गई . बारिश से बचने की कोशिश करते भी जब हम गाड़ी तक पहुचे तो हम दोनो पूरे भीग चुके थे गीले कपड़ो मे मुझे ठंड लग रही थी , भीगने से मेरे कपड़े बदन से चिपक गए थे. घर आ कर भैया मेरे शरीर के उभारों को आनंद ले कर देखने लगा. मैं शरमा गई. मेरे मुंह से निकल गया..” भैया, मत देखो न ऐसे…मुझे शर्म आती है…” भैया ने शरारत से आँख मार दी… और मैं शरमा कर मेरे रूम में अन्दर भाग गई.
हम दोनों नहा कर फ्रेश हो कर भैया के कमरे में बैठ गए. भैया अलमारी से व्हिस्की की बोतल निकाल लाया.
“यार ठण्ड लग रही है…एक पैग पी लेता हूँ…तुम भी थोडी सी ले लो..”
“नहीं..नहीं…” मैं उसकी हरकते नोट कर रही थी. मुझे लग रहा था आज भैया मूड में हैं. मैंने सोचा आज अच्छा मौका है, पटाने का…
उसने धीरे धीरे पीना चालू कर दिया. कह रहा था – “सिमरन तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है क्या…”
“हाँ…था..अब नहीं है..”
“अच्छा, भैया तुम्हारे साथ कुछ करता था..”
” धत्त…भैया… मुझे शर्म आती है…”
” मत बताओ…लो थोड़ा सा पी लो…अच्छा लगेगा…”
मैंने सोचा अच्छा मौका है… भैया समझेगा मैं नशे में हूँ… और नशे में ऐसा कर रही हूँ…
“अच्छा भैया…थोड़ा ही देना..”
“वाह ये हुई न बात…ये लो ” उसने एक पैग बना कर दिया.
मैंने पीने का नाटक किया. थोडी सी ड्रिंक पास में गिरा दी..और गिलास मुंह से लगा लिया..
कुछ ही देर में भैया को व्हिस्की चढने लगी. बोला- “यार सिमरन तू तो एकदम मस्त है…”
भैया कुछ आगे बोलता उसके पहले ही मैंने उसके होंठों पर उंगली रख दी… मैंने भी नशे में होने का नाटक किया..
“मस्त आप है..भैया…”
“नहीं…मस्त तो तू है… जरा देख अपने को..”
“क्या देखूं…मुझे तो तुम ही दिखाई दे रहे हो…”
अब भैया मस्ती में आ गया था… उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया… मैं जान करके उसकी गोदी में गिर गई. उसने मुझे बाँहों में कस लिया…
मैंने कहा- “भैया…ये नीचे क्या लग रहा है…”.
मैं थोड़ा कसमसाई… पर उसका लंड था की घुसता ही जा रहा था. मैं थोड़ा उठ गई… मैंने जान कर के ऐसे उठी की अपनी चूतड की गोल गोल फ़ांकें उसके सामने हो गई…
उसने मेरे दोनों चूतडों को दबा दिया…
मैं जैसे नशे में बोली- “हाय रे..भैया मर गई…क्या कर रहे हो…”
भैया ने कहा – ” सिमरन… मज़ा आया न..अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ…”
“नहीं..नहीं…तुम कुछ गड़बड़ करोगे…”
ज्यादा नहीं…बस थोड़ा सा…”
“अच्छा.. ठीक है..”
मेरा मन तो खुशी के मरे उछल रहा था…मैं धीरे से जा कर बिस्तर पर लेट गई.
“ क्या बात है दीदी………. आप को तो चोदने पे तुले हुए थे भैया……………” खैर फिर क्या हुआ….
सिमरन आगे बताती है…… “ भैया ने कहा – “अब आँखे बंद कर लो…”.
“हटो भैया…जरूर तुम… देखो छेड़ना मत…”मैंने आँखें बंद कर ली… भैया पलंग पर पास आकर बैठ गए…और उनका हाथ हौले हौले से मेरे बदन को गुदगुदाने लगा. भैया मेरी दोनों टांगों को धीरे धीरे सहलाने लगे…और ऊपर की तरफ़ आने लगे. मेरे नितम्बों पर उनका हाथ घूमने लगा… मुझे सनसनी सी होने लगी… भैया जान करके अपना हाथ मेरी चूत पर भी टकरा देता था… तब जोर का करंट जैसा लग जाता था…
फिर धीरे धीरे उसने मेरी चूत पर कब्जा कर लिया… मैं सी सी कर सिस्कारियां भरने लगी. अब उसका हाथ मेरे बूब्स को सहला रहा था… एक हाथ चूत पर…और एक हाथ बूब्स पर… “सिमरन…कैसा लग रहा है…”
मेरे मुंह से अचानक निकल गया – ” भैया…तुम्हारे हाथो में तो कमाल है… अब कुछ कर दो न… कुछ भी करो..”
भैया ने मेरे बूब्स भींचने चालू कर दिए…दूसरा हाथ मेरी चूत की गहराई नापने लगा…उसकी बेताबी बढाने के लिए मैंने कहा – “भैया… बस अब नहीं… दूर हटो…”
मैं बिस्तर से नीचे उतर गई. भैया भी मेरे पीछे आ गया था…उसने पीछे से हाथ डाल कर मेरे बूब्स पकड़ लिए… “सिमरन… प्लीज़ करने दो… तुम्हे देख कर मेरा मन कब से कर रहा था की बस एक बार तुम्हे दबा दूँ. तुम्हारे ये उभार…गोलाईयां देख कर मुझसे रहा नहीं जाता है अब…”
भैया का लंड मेरे चूतड़ों में घुसा जा रहा था. मुझे उसके लंड का साइज़ तक चूतड़ों में महसूस हो रहा था.
मैंने मुस्करा कर भैया की तरफ़ देखा… और कहा ” पहले अपना ये मेरे हाथ में दो..”
“क्या…हाथ में क्या दूँ ?”
“भैया… अपना मोटा सारा लंड…”
लंड का नाम सुनते ही भैया तो जैसे पागल हो उठा.” मेरा लंड… वऊऊ… अरे पकड़ लो न… पूरा लंड तुम्हारा ही है
“ तो आख़िर गिरा ही दी बिजली……… ग्रेट…………” प्रीति सिमरन की बात सुनते हुए बोलती है.
मेरी तमन्ना पूरी होने लगी थी. मेरा मन आनंद से भर उठा. मुझे लगा अब चुदाई में ज्यादा देर नहीं है… मैंने नशे में होने का नाटक करते हुए कहा – “हाय रे भैया…मत करो न…मुझे गुदगुदी होती है… देखो न तुम्हारा नीचे का डंडा…मेरी गांड में लग रहा है…”उसका लंड नीचे से गांड में घुसने के लिए जोर मार रहा था. उसके मोटे लंड का स्पर्श मुझे पूरा महसूस हो रहा था. मैंने अपने आप को उसके हवाले करते हुए कहा- “दूर हटो न…भैया… तुम्हारा लंड तो गांड में घुसा जा रहा है..”.
लंड और गांड का नाम सुनते ही भैया बेकाबू हो गया और जोश में भर कर बोला – “सिमरन..तुम्हारी गांड ही इतनी प्यारी है..की उसे देखते ही लंड को घुसा देने का मन करता है…”. भैया ने भी खुली भाषा का इस्तेमाल किया… देसी भाषा सुनते ही मैं तरंग में डूब गई.
अब उसने और कास के पकड़ लिया था. मेरे बूब्स मसलने लगा, चुन्चियों को खीचने लगा… और ऊपर से कमर हिला हिला कर लंड को गांड की दरारों में मारने लगा…
“भैया…बस भी करो…कोई आ जाएगा न…”
“सिमरन…कोई नहीं आएगा… “. उसने अपना पजामा उतार दिया और कहा…”देख ये कितना टन्ना रहा है..” फिर उसने अपना कुरता भी उतार दिया और पूरा नंगा हो गया…
मैंने कहा – “भैया…ये क्या करते हो… मुझे शर्म आ रही है…”
उसने मेरी एक नहीं सुनी. और मुझे उठा लिया…और बिस्तर पर प्यार से लेटा दिया. उसका लंड कड़क हो गया था. बहुत ही टन्ना कर फुफकार रहा था…
मेरा पजामा और कुरता खींच कर उतार दिया.मैं तो यही चाह रही थी. कहा – “अरे क्या कर रहे हो… मैं तो नंगी हो जाऊँगी न…”
बोला – “नंगे बदन आपस में रगड़ खायेंगे तो मज़ा भी तो आएगा “उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया. मेरी चूत भी गीली हो गई थी. मैं बहुत खुश थी कि अब मैं चुद जाऊँगी. मैंने अपनी टांगे फैला दी और भैया को अपने ऊपर चढ़ने का न्योता दिया.
भैया मुस्करा कर पास आया और मेरी दोनों टांगो के बीच में आकर बैठ गया. उसने मेरी चूत सहलाई और चेहरा पास लाकर चूत को प्यार किया. मेरे चूत के दाने को जीभ से घुमा कर चाटना शुरू कर दिया. मैं झनझना उठी… मुंह से आह निकल गई. अब भैया मेरी चूत चाटने लगा. उसके हाथों ने मेरे बूब्स को मसलना चालू कर दिया. मुझे नशा सा आने लगा. कहने लगी – ” मज़ा आ रहा है…भैया…आ ह…हाय रे…और चूसो…निकाल दो मेरा पानी…आह्ह्ह्ह…”
“ तो दीदी आपकी चुदाई होने वाली थी……..” प्रीति उसकी स्टोरी मे बहुत इंट्रेस्टेड थी.
“ अरे कहाँ भैया तो पहले गान्ड मारना चाहता था ” सिमरन हँसते हुए कहती है
“ तो क्या दीदी आपकी चुदाई नही गान्ड मरने वाली थी……..” प्रीति जानने के लिए मरी जा रही थी.
सिमरन आगे बताती है---भैया ने मेरी टांगे और ऊपर कर दी अब मेरी गांड उसके सामने थी. टांगे थोडी और फ़ैलाकर उसने अपना मुह मेरी गांड के छेद पर लगा दिया और जीभ निकर कर छेद को चाटने लगा. मुझे गुदगुदी होने लगी. उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद में घुसा दी. मैं आनंद के मारे मैंने आंखे बंद कर ली. मैं समझ गई थी कि भैया मेरी गांड मारने कि तय्यारी कर रहा है. भैया ने कहा – “तुमने तो पहले से ही गांड में चिकनाई लगा रखी है ”
“हाँ भैया…मुझे आज लग रहा था कि तुम आज कुछ न कुछ ऐसा ही करने वाले हो…इसलिए मैंने तो पूरी तय्यारी कर ली थी… आह भैया… मज़ा आ रहा है…और करो…मैंने खुशबू वाली क्रीम लगाई है… आह रे…पूरी जीभ अन्दर डाल दो…”
भैया उठा और तकिया मेरी कमर के नीचे रख दिया. मेरी गांड अब थोडी ऊपर हो गई थी… उसने अपना लंड छेद पर रख दिया…
“सिमरन… मेरी प्यारी सिमरन… गांड मराने को तैयार हो जाओ…”
“हाँ मेरे राजा… घुसा दो अन्दर… मार लो गांड मेरी…”… तो लो मेरी जान… ” उसके लंड की सुपारी गांड में घुस गई… मेरी गांड की चुदाई शुरू हो गई थी… मैं मन ही मन झूम उठी…
“..हाय… घुस गया रे… राजा…लगाओ…जोर लगाओ भैया…”
” येस…येस… ये लो… आह… आया…आह…”
भैया का लंड अन्दर घुसा जा रहा था…मुझे अन्दर जाता हुआ महसूस हो रहा था…फिर उसने बाहर निकाला और जोर लगा कर एक ही झटके में पूरा ही घुसेड दिया…
“हाय भैया… मज़ा आ गया… धक्के लगाओ…हाँ…हाँ… थोड़ा जोर से… और जोर से…”
“मेरी जान… तुम्हारी गांड तो बिल्कुल मक्खन मलाई है… इतनी चिकनी कि बहुत मज़ा आ रहा है… देखो लंड कैसे फटाफट चल रहा है…”
गांड में लगाई हुयी चिकने से दर्द बिल्कुल नहीं हो रहा था. और अब तो मीठा मीठा मज़ा भी आ रहा था. मुझे लग रहा था भैया लम्बी रेस का घोड़ा है… भैया जोर जोर से धक्के मारने लगा…मैं तकिये के कारण ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही थी. पर उसके धक्को का पूरा मज़ा ले रही थी…
अचानक भैया रुक गया और धीरे से अपना पूरा लंड बाहर निकाल लिया. मुझे छेद के अंदर ठंडी सी हवा लगी…जैसे कुछ खाली हो गया हो… उसने नीचे से तकिया हटा दिया.
अब भैया मेरे ऊपर आकर धीरे से लेट गया और अपना बदन का पूरा भर मेरे पर डाल दिया. मेरे होटों को अपने होटों में दबा लिया… और चूसने लगा… उधर नीचे भी लंड अपना रास्ता दूंढ रहा था. मैं भी कसमसा कर लंड को निशाने पर लेने की कोशिश कर रही थी. मेरी चूत पानी से चिकनी हो गई थी. आखिर लंड ने रास्ता दूंढ ही लिया. उसके लंड की मोटी सुपारी मेरी चूत में सरक गई. मेरी आह निकाल गई.. मैंने नीचे से जोर लगाया तो लंड और अन्दर सरक गया. मैं तड़प गई. कहा – ” भैया…आह…धक्का मरो ना… क्या कर रहे हो…हाय रे…चोदना शुरू करो ना..”
भैया ने अपना बॉडी अपनी दोनों कोहनियों पर उठा लिया. मेरा बदन अब फ्री हो गया था. उसने लंड को बाहर खींचा और जोर से अन्दर धक्का दे दिया. उसका पूरा लंड भीतर तक बैठ गया. मेरे मुंह से चीख निकल गई. चूत गीली होने से धक्के मारने पर फच फच की आवाजें गूंजने लगी…
” राजा और जोर से…लगाओ…हाय रे…पूरा घुसा दो…जड़ तक… घुसेड दो… हाँ…हाँ… चोद दो..राजा…जोर से.. चोद दो…”
“हाँ मेरी रानी… तुम्हे देख कर ये लंड कब से तड़प रहा था… चोदूंगा रे… कस के चोदूंगा… ले… ले…और ले… फाड़ ही दूँगा..आज तो…”
“आह रे.. मेरे भैया…सुच में..फाड़ मेरी चूत…लगा..जोर से…दे…दे…जोर दे दे..हाय…सी..सी…सी…चुद गई रे… मेरी माँ…”
“हाँ..हाँ… मेरी जान…आज तो फाड़ डालूँगा…तेरी चूत को…ये ले…पूरा लंड..ले..ले..ये ले..और ले… मेरी जान… क्या चीज़ हो तुम…”
उसके धक्के तेज होने लगे लगे. फच फच की आवाजे भी तेज होने लगी. मैं भी नीचे से चूत उछाल उछाल कर जोर से चुदवा रही थी. मेरी कमर भी तेजी के साथ चल रही थी. मुझे बहुत ही ज्यादा आनंद आ रहा था. मेरी सिसकियाँ भी बढ़ने लगी… मेरे मुंह से अपने आप निकलता जा रहा था – “मेरी चूचियां मसल डालो भैया… हाँ…जरा जोर से मसलो… मज़ा आ रहा है… हाय…मसलो डालो… झटके दे दे..के चोदो राजा..हाँ..हा…ऐसे ही…चोद डालो मेरे राजा…”
मेरी सिस्कारियां बढती जा रही थी. मेरे चूतड अब तो अपने आप ही नीचे से उछल उछल कर उसके लंड को अन्दर बाहर कर रहे थे. भैया के धक्के भी जोरदार पड़ रहे थे… उसके मुंह से सिस्करिआं तेज होने लगी… अचानक ही उसके मुंह से निकला – “सिमरन… सिमरन… मैं तो गया… हाय..मैं गया…मुझे कस के पकड़ ले ना…अरे..रे..रे..गया…हा आया… हा आया. ”
मैं भैया से जोर से चिपक गई मेरा भी निकलने ही वाला था… भैया अपना लंड जोर से चूत में दबाने लगा ने…और मैं… मैंने अपने दोनों टंगे ऊँची करके चूत को लंड पर गडा दिया… और पूरा जोर लंड पर लगा दिया…
ऊऊईई ए…हाय राम…मर गई ए… पानी निकल गया या…अरे…निकला रे…हाय…चोद दे…चोद दे..हाय रे आह…आह…आआह्ह्… गई ..गऽऽई…अआः…चुद गई…चुद गई…आह…आःह्छ ” सिसकारी भर कर मैंने पानी छोड़ दिया… उधर भैया ने अपना लंड निकला और मेरे बूब्स पर अपना लावा उगलने लगा… रुक रुक कर उसका लंड रस उछाल रहा था…
मैंने तुंरत उसका लंड अपने मुंह में ले लिया. और उसका चिकना चिकना रस चाटने लगी. लंड को पूरा साफ़ करके मैं आराम से लेट गई. भैया भी मेरी बगल में लेट गया… भैया हाँफ रहा था. मैं करवट लेकर उस से लिपट गई… हम वैसे ही नंगे पड़े रहें और हम दोनों कब सो गए हमें पता भी नहीं चला…
“वाउ….. युवर ब्रो ईज़ सो रोमॅंटिक…. दीदी आपने तो सिक्शर मार दिया एनीवे फिर क्या हुआ……………” प्रीति भी मुस्कुराते हुए कहती है.
“उस दिन मैं बहुत खुस थी, आख़िर लड़की होने का अहसास मुझे उस दिन ही हुआ था. ये भी अहसास हो गया था कि लड़की का मीनिंग क्या है. लड़की का मीनिंग बस घर की चार दीवारी मे रह कर बस काम करना नही है बल्कि लड़की उनका मन बहलाने के लिए बनी है जो घर के लिए काम करते है – फॉर मेन. उपर वाले का तहे दिल से शुक्रिया अदा करा उस दिन, कि उसने मुझे किसी लायक बनाया. मैं इस लायक थी कि किसी के लंड को खड़ा कर पाऊ, और यही तो लड़की की सबे बड़ी इज़्ज़त है.
भैया मेरे ऊपर ही पसर गए और हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ लिया। कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनों पसीने से लथपथ एक दूसरे से लिपटे हुए किस कर रहे थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और स्नानघर में जाने लगे तो देखा बिस्तर खून से भरा हुआ था। मैं घबरा गई और बोली,“ ये क्या …… अब क्या होगा?”
भैया बोले,“ इसमें डर कुछ नहीं, पहले पहले यही होता है”
मेरी कमर में दर्द होने लगा था। हम दोनों बाथरूम में एक साथ नहाने गए तो एक दूसरे को साबुन लगा कर नहलाया। मेरी चूत अब कुँवारी नहीं रही थी। भैया ने रगड़ कर मेरी चूत को धोया और मैंने उनके लण्ड को, जिससे हम दोनों गर्म हो गए। मैं थोड़ा शरमाई पर काफ़ी झिझक निकल चुकी थी। हम दोनों फ़व्वारे के नीचे खड़े थे। भैया नीचे बैठे तो मैंने कहा,“ये क्या करने जा रहे हो भैया !”
“मैं तो अपने होठों की मुहर लगाने जा रहा हूँ …… और अब तुम भी लगाना”
वो मेरी चूत में उँगली करने लगे थे और जीभ भी फ़िराने लगे। मैं पागल हो उठी। मैं अपने एक स्तन को मसलने लगी और भैया हाथ बढ़ा कर दूसरे को। भैया मेरी हालत समझ गए और फ़र्श पर ही लिटा लिया। मेरी चूत में उनकी जीभ तैर रही थी और मेरे हाथ उनके सर को पकड़ कर मेरी चूत को दबा रहे थे। मैं अपने होठों को काट रही थी और लम्बी लम्बी सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी टांगें उनकी गरदन में लिपट गई थी।
“वाउ दीदी ग्रेट…..बाथरूम मे चुदाई क्या जबरदस्त एनकाउंटर रहा होगा….. आगे बताओ कि क्या हुआ……….” प्रीति और भी मज़े लेते हुए बोलती है.
सिमरन ने प्रीति की चुचि मसल्ते हुए ----क्या तूने कुशल के साथ बाथरूम मे नही किया
दीदी आप कहानी की लय को मत बिगाड़ो मुझे जल्दी से सारी बातें बताओ
छोटी अब तो मानती है कि तू बड़ी हो गई है………..”
“ आपको क्यूँ लग रहा है…………. ऐसा?” मैने बहुत ही शरमाते हुए कहा
“ नही बस ऐसे ही…. अब जब तूने मुझे अपने दोनो छेदों मे अंदर ले लिया है…………”
ओह्ह भैया..... मुझे शरम आती है……..”
फ़िर वो मेरे ऊपर आ गए और मैंने अपनी टांगें उनकी कमर पे लपेट ली। मेरे दोनों हाथ उनकी गरदन में लिपट गए। उन्होंने फ़िर जोर का झटका मारा तो आऽऽऽह्हऽऽआ …॥अ…अह्…… जैसे मेरी जान ही निकल गई। फ़िर भैया मेरे बूब्स को दबाते और झटके मारते जाते। वो वहशी होते चले गए, मेरे बूब्स को निर्दयता से मसल रहे थे और दांतों से काट रहे थे, मेरी गरदन पर भी प्यार से काटा। वो जहाँ जहाँ अपने दाँत गड़ाते वहाँ खून सा जम जाता। मैं भी पागल हो जाती तो बदले में अपने नाखून उनकी पीठ में गड़ा देती और उनकी गरदन पर काट लेती। जंगलीपने से बाथरूम में मेरी प्यार भरी चीखें गूंज रही थी, जिससे भैया का जोश बढ़ता ही जा रहा था। यह सिलसिला आधे घण्टे तक चला और उतनी देर में मैं दो बार झड़ चुकी थी और भैया रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। फ़िर जब हम शांत हुए तो मैं तीसरी बार झड़ी थी। हम फ़्रेश हो कर कमरे में चले गए और थोड़ा आराम करके खाना खाया। फ़िर हम नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर बातें करने लगे।
मैंने कहा,“भैया … ओह सोरी … जान, अब मेरा क्या होगा, मैं क्या करूँ और अब आगे का क्या प्लान है, मेरा मतलब भविष्य का, क्योंकि अब मुझे घबराहट हो रही है, मैं आपके बिना नहीं रह सकती।”
वो बोले “चिंता मत करो मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ,
मैंने कहा “ठीक है , चलिए अब सो जाते हैं क्योंकि कल हमें कॉलेज भी जाना है”
वो बोले “चिंता क्यों करती हो जान, मैं तुम्हें तड़पता नहीं छोड़ सकता। आज ही हम एक हुए और क्या तुम मुझे तड़पता छोड़ दोगी गुड़िया?”
मैंने कहा “नहीं भाई …….. प्लीज़ ऐसा मत बोलो। आज हम नहीं सोयेंगे। आज हम एक दूसरे को पूरा सुख देंगे। आप मेरे साथ जी भर कर और जम कर करो और अपनी बहन को रौंद डालो भैया.”
फिर भइया ने मुझे रात में तीन बार और जम कर चोदा और वो भी आधे आधे घंटे तक। और तब तक मैं बेहोशी की हालत में आ चुकी थी। हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए। सुबह जब मैं उठी तो भइया कॉलेज चले गए थे मैं बहुत थकी हुई थी और मेरा बदन भी काफी दर्द कर रहा था खास कर से मेरी कमर। मैंने फ्रेश हो कर नाश्ता किया औरफिर सो गई। मैं सीधे ३ बजे के करीब उठी तो काफी ठीक महसूस भी कर रही थी और देखा कि भइया मेरे सर को अपनी गोद में लिए हुए थे।[/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b]
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