RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
कुशल को सिचुयेशन समझ नही आई कि आख़िर ये क्या हुआ. सब ठीक चल रहा था और वो श्योर था कि उसके डिसचार्ज होने से पहले उसकी मोम भी फुल मस्ती मे थी.
वो बाहर वहीं बैठ जाता है जहाँ अक्सर उसके पापा बैठते थे. सबसे कमाल बात ये थी कि जब उसे रूम से भगाया गया तो वो बिल्कुल नंगा था और उसके कपड़े अंदर रह गये थे. उसको उपर जाने मे भी थोड़ा डर लग रहा था कि अगर कोई बहन जाग रही होगी तो क्या सोचेगी. बिल्कुल कन्फ्यूज़ हो चुका था वो, ऐसे मे उसने डिसाइड किया कि क्यूँ ना एक बार फिर से वो मोम से जाकर कहे कि कम से कम कपड़े तो दे दो.
वो आगे बढ़ता है. और गेट नॉक करता है- ठक.... ठक....
" कौन है.......?" स्मृति को शायद ये लगा था कि कुशल तो उपर जा चुका है. इसीलये वो रूम के अंदर से ही पूछती है.
" मोम मैं हू. दर असल मुझे मेरे कपड़े चाहिए." कुशल बहुत ही पोलाइट वाय्स मे बोलता है.
" अब तुझे कुच्छ नही मिलेगा. जहाँ जाना है जा लेकिन ये गेट अब सुबह ही खुलेगा..." स्मृति उसे समझाती है.
" मोम.... आप ऐसा रिक्ट क्यू कर रही है. सब कुच्छ होने के बाद आप हमेशा ऐसे पेश आती है जैसे मैने ही कोई ग़लती कर दी हो." कुशल फिर से अपना बिहेवियर चेंज करता है
स्मृति -" क्या आज जो तूने किया, मैं उसके लिए अग्री थी? तूने तो आज वो भी कर दिया जो तेरे डॅड ने भी नही किया..... यू आर आ बस्टर्ड रियली.... चला जा कोई कपड़े नही है"
कुशल - " मोम नाइट मे भी आपकी गान्ड के ख्याल आते थे. आज जवानी के जोश मे आकर ये कर दिया, कोशिश करूँगा कि फिर से ऐसी ग़लती ना हो. मुझे नादान समझ कर माफ़ कर दो. आप तो समझ ही सकती है कि जवानी का जोश क्या होता है. मेरी तो कोई गर्ल फ्रेंड भी नही जिसके साथ मैं अपनी फिज़िकल नीड्स पूरी कर लेता." कुशल भी पूरी तरीके से मक्खन लगाने पे लगा हुआ था.
स्मृति -" जवानी के जोश मे? तेरी ज़रूरत उस रात फार्म हाउस मे पूरी की थी ना, फिर कैसे जोश जाग गया तेरा दोबारा कुशल. कैसे तूने अपनी मोम को बॅक साइड से फक किया और वो थी तब जब तेरा साइज़ नॉर्मल से थोड़ा सा ज़्यादा है. नादान कैसे समझ लू तुझे जबकि तूने इतनी तेज तेज धक्के लगाए कि अभी तक चक्कर आ रहे है...." स्मृति भी अपने दिल का पूरा गुस्सा निकाल रही थी.
कुशल -" मोम, उस रात फार्म हाउस मे हाँ मेरी ज़रूरत पूरी हुई लेकिन मुझे आप हमेशा बॅक साइड से ज़्यादा पसंद रही हो. लेकिन फिर भी कह रहा हू कि ग़लती हो गयी, आगे से ऐसा नही करूँगा. अब तो गेट खोलो मेरी प्यारी मोम...." कुशल पूरी ताक़त लगा रहा था गेट खुलवाने के लिए.
स्मृति -" कुशल मैं चाहती तो तुझे कभी अपने पास भी ना आने देती उस फार्म हाउस वाले इन्सिडेंट के बाद. लेकिन मुझे ये अहसास नही था कि तेरी नज़रे मेरी...... खैर छोड़, मैं कपड़े बाहर फेंक रही हू लेले"
कुशल -" मोम बस मैं तो इतना ही कहूँगा कि किसी पागल दीवाने ने एक पागल हरकत कर दी, यही सोच कर माफ़ कर देना. और हाँ प्रॉमिस... अब से बॅक साइड के बारे मे कभी सोचूँगा नही अगर आप मुझे फ्रंट साइड से पूरा प्यार देने को तैयार है."
स्मृति -" सोचूँगी..." और ये बोलते ही गेट एक झटके से खुलता है.
इससे पहले कि कुशल कुच्छ समझ पाता. स्मृति उसके कपड़े बाहर फेंक देती है और एक झटके से गेट बंद कर लेती है.
कुशल को कुच्छ समझ नही आता. लेकिन जितना वो कर सकता था उतना कर चुका था, उसका और टाइम वेस्ट करने का इरादा नही था और वैसे भी इतनी मेहनत करने के बाद वो थक चुका था.
हॉल मे वो आकर अपने कपड़े पहनता है. वो सोच सोच कर पागल हो रहा था कि कितनी मस्त गान्ड थी स्मृति की. और हॅपी भी था कि आज उसके लंड ने एक और अचीव्मेंट हासिल कर ली. अपने कपड़े पहन ने के बाद वो हॉल मे रखे सोफे पे आराम से बैठता है, पता नही क्यूँ आज उसका मन ग्राउंड फ्लोर से जाने का नहीं कर रहा था. सोफे पे बैठने के बाद कॉर्नर मे उसे अपने डॅड का सिगरेट बॉक्स दिखाई देता है. आज वो मस्त मूड मे था तो बॉक्स उठाता है और उसमे से एक सिगरेट निकाल कर अपने मूँह मे लगाता है और फिल्मी स्टाइल मे जलाता है. अब से पहले उसने कभी स्मोकिंग नही करी थी लेकिन आज उसके लिए कुच्छ खास ही दिन था तो आज अपनी लाइफ की सारी बाउंडेशन को तोड़ना चाहता था. उसकी नज़रो के सामने स्मृति का नंगा बदन अभी भी घूम रहा था, उसके ख्यालो मे आने लगा था कि कैसे उसने स्मृति के बदन के सामने मजबूर होकर लाइयन बन ने का फ़ैसला किया था. वो सब कुच्छ सोचने लगा था कि किन किन सिचुयेशन ने स्मृति को उसकी फन्तसि की हेरोयिन बना दिया था. थोड़े ही टाइम मे उसने हॉल को अपनी सिगरेट के स्मोक से भर दिया था, उसकी नज़रे बस आसमान जी तरफ ही थी. उसके माइंड मे सबसे पहली पिक्चर आई कि स्मृति की किस सेक्सी अदा ने उसको घायल करा, उसकी आँखे बंद हो रही थी और वो अपनी सोच मे आगे बढ़ रहा था की तभी -
" कुशल......," कुशल के कानो से एक आवाज़ टकराती है. वो घबरा कर आँखे खोलता है और घबरा कर इधर उधर देखता है. वो घबरा कर अपनी सिगरेट बुझाता है, इससे पहले कि वो सिगरेट बुझ पाती उसके सामने दो टांगे आ जाती है. वो अपनी नज़रे उठाता है -
" तू यहाँ क्या कर रहा है और तूने स्मोकिंग भी शुरू कर दी???" जैसे ही कुशल की नज़रे उपर होती है, सामने आराधना खड़ी थी.
आक्च्युयली आराधना देखने आई थी कि क्या अभी भी सेक्षुयल गेम चल रहा है या बंद हो गया. लेकिन उसको हॉल मे बैठा हुआ कुशल मिल गया, आराधना को ये भी डर था कि कहीं कुशल कुच्छ ना देख ले.
" दीदी..... वो..... वो.... स्मोकिंग....." कुशल घबरा रहा था
" क्या वो वो कर रहा है.. पूरा हॉल तूने स्मोकिंग से भर दिया. कब से बैठा है तू यहाँ?" आराधना चेक करना चाहती थी कि कुशल वहाँ कब आया और उसने कुच्छ देखा तो नही.
कुशल -" दीदी मैं तो अभी आया था. नींद नही आ रही थी तो सोचा नीचे घूम आउ?" कुशल थोड़ा रिलॅक्स भी हुआ कि आराधना दीदी है
आराधना-" अभी आया के बच्चे. चल उपर भाग, मिडनाइट मे यहाँ बैठ कर स्मोकिंग कर रहा है. पापा से शिकायत कर दूँगी....". आराधना बस यही चाहती थी कि वो जल्दी से जल्दी उपर जाए क्यूंकी उसे डर था कि कहीं कुच्छ अभी भी ना हो रहा हो और कुशल को कुच्छ आवाज़ आ जाए.
कुशल खड़ा होता है और चुप चाप उपर जाने लगता है. जाते जाते कुशल पीछे मूड कर फिर से देखता है लेकिन आराधना उसकी तरफ अभी भी देख रही थी तो वो डर कर फिर से आगे मूँह कर लेता है.
" पीछे मत देख और सीधा चल......" आराधना चिल्ला कर उसे डाँट लगाती है
" दीदी आख़िर लड़कियो को पीछे...... देखने से परेशानी क्या होती है." कुशल सीढ़ियाँ चढ़ते हुए बोलता है. उसने पीछे शब्द पे कुच्छ ज़्यादा ही गौर दिया था लेकिन वो डबल मीनिंग बात कर रहा था.
आराधना को जैसे ही उसकी बात का मतलब समझ आता है, वो बहुत तेज कदमो से कुशल की तरफ बढ़ती है. उसके भारी भारी बूब्स के हिलने से तो जैसे घर मे भूकंप आ जाता है.
" क्या कहा अभी तूने...." आराधना फिर से चिल्ला कर कुशल से पूछती है
कुशल -" मैने कहा कि मैं उपर जा रहा हू. आपको क्या सुना.......?" कुशल बाते बनाने मे तो माहिर हो ही चुका था.
" मैं सब समझती हू..... सीधा उपर जा और सो जा." आराधना ज़्यादा बहस नही करना चाहती थी क्यूंकी वो सबसे पहले कुशल को उपर भेजना चाहती थी.
" जा रहा हू... क्यूंकी मिडनाइट है. है ना दीदी?". कुशल दो कदम आगे बढ़ने के बाद फिर से बोलता है
" हाँ हाँ मिडनाइट है.... अब बाते ना बना और भाग उपर......" आराधना आँखे दिखाती है कुशल को
धीरे धीरे कुशल लगभग सारी सीढ़ियाँ पार कर चुका था. आराधना उपर देखती है और अब उसे कुशल दिखाई नही दे रहा था.
वो तेज कदमो के साथ आगे की तरफ बढ़ती है और तुरंत ही उसे स्मृति के रूम को देखती है, वो बंद था. वो टेन्षन मे भी थी क्यूंकी उसको ये लग रहा था कि उसकी मा ने गेट बंद कर लिया और उसका आशिक अभी अंदर ही है लेकिन थोड़ी रिलॅक्स भी थी कि अब अगर कुशल या प्रीति मे से कोई नीचे आएगा तो कोई ख़तरा नही है.
वो तो वैसे ही कल देल्ही जाने के प्लान से एग्ज़ाइटेड थी, तो उसने उपर जाकर पॅकिंग करने का प्लान बनाया और जल्दी जल्दी आगे बढ़ कर उपर जाने लगती है.
वो सीढ़ियो पे तेज कदम बढ़ा रही थी, आज उसका एनर्जी लेवेल काफ़ी अच्छा था क्यूंकी वो इंटर्नली हॅपी थी. वो निगाहे नीचे किए तेज तेज कदमो के साथ आगे बढ़ती जा रही थी.
" आऐईयईई......" वो जैसे ही लास्ट सीढ़ी पर पहुँचती है तो कुशल को देख कर डर जाती है. आराधना को ये आइडिया था कि अब तक वो अपने रूम मे जा चुका होगा
उसका सीना उपर नीचे हो रहा था, पहले तो सीढ़ियाँ चढ़ने की वजह से और दूसरा अचानक कुशल को देखने की वजह से. लेकिन कुशल को देख कर वो फिर से रिलॅक्स होती है और अपनी ब्रेस्ट पर हाथ रख कर-
" ओह्ह्ह्ह ..... तू है.... आराधना बोलती है
कुशल -" आपने कौन सोचा दीदी?" कुशल फर्स्ट फ्लोर की सीढ़ियो के साइड मे खड़ा था
आराधना -" पागल मे तुझे देख कर डर गयी...." आराधना आगे अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए कहती है
कुशल -" मुझसे डर गयी? दीदी मुझसे डरने की क्या ज़रूरत है...." कुशल मुस्कुराते हुए कहता है
आराधना -" अब बाते ना बना. रात हो चुकी है, सो जा जाकर..." आराधना अपने रूम के गेट पर पहुँच चुकी थी
कुशल -" दीदी अगर रात इतनी ही हो गयी है आप नीचे क्या करने गयी थी...?" कुशल के इस सवाल से आराधना अपने रूम मे अंदर जाते जाते रुक जाती है. वो साइड पोज़ मे थी कुशल के सामने, उसके बूब्स अभी भी उपर नीचे हो रहे थे, वो इसी पोज़ मे रहते हुए कुशल की तरफ देखती है और कहती है
आराधना -" बहुत बाते बनाने लगा है तू. मैं तो नीचे ऐसे ही घूमने गयी थी. " आराधना को ऐसे लगा जैसे की कुशल ने उसकी कोई चोरी पकड़ ली हो लेकिन फिफिर भी वो नॉर्मल बिहेव कर रही थी
कुशल -" दीदी मैने एक सिगेरेट पी ली तो आपने कितनी डाँट लगा दी मुझे. लेकिन आप खुद भी तो घूम रही है...."
आराधना -" कुशल... मेरे भाई अभी तेरी उम्र नही है ये सब करने की....." आराधना कुशल को समझाने की कोशिश करती है
कुशल -" अडल्ट हो चुका हू मैं. सब करने के लायक हो चुका हू....."
" बड़ा बोलने लगा है... सब करने के लायक हो गया है तू... हमारे लिए तो बच्चा ही रहेगा." आराधना उसे समझाते हुए बोलती है
कुशल -" दीदी ये बात तो सच है कि हर बच्चा कभी ना कभी बड़ा होता है. मुझे लगता है कि मैं भी बड़ा हो चुका हू. स्मोकिंग तो आज कल बच्चे भी करते है. डॅड स्मोकिंग करते है तो मोम उन्हे कभी नही रोकती...."
आराधना -" तेरी मोम डॅड की क्या लगती है?"
कुशल -" वाइफ..."
आराधना -" लेकिन मैं तेरी वाइफ नही हू. मेरा फ़र्ज़ है कि तुझे अच्छी बाते सिखाऊ...." आराधना अपने रूम के करीब खड़े होकर उसे समझा रही थी.
कुशल -" आप मुझे अच्छी बाते सिखाती हो तो क्या मोम गंदी बाते सिखाती है डॅड को....." कुशल इनोसेंट सा बनते हुए बोलता है.
आराधना ( साइड मे मूँह करके)- " बहुत गंदी गंदी...." और ये बोल कर वो हँसने लगती है
कुशल -" क्या कहा आपने..." आराधना ने इतनी धीमी आवाज़ मे बोला था कि कुशल को कुच्छ सॉफ सुनाई नही दिया था
आराधना -" मैने कहा जाकर सो जा.... और आज के बाद स्मोकिंग करी तो डॅड और मोम दोनो को बता दूँगी..." आराधना उसे बनावटी गुस्स दिखाती है और बोलकर अपने रूम मे जाने लगती है.
कुशल -" दीदी मैने तो सुना है कि गर्ल्स को स्मोकिंग करते हुए मेन बहुत सेक्सी लगते है......" कुशल ने एक झटके मे ये बात बोल दी.
आराधना रूम मे अंदर लगभग घुस चुकी थी लेकिन कुशल की बात सुनकर वो रुक जाती है. उसे ख्याल आता है वो दिन जब उसने नाइटी पहनी थी और उसके डॅड उसके रूम मे आए थे. वो सीन याद करके तो जैसे वो पागल हो गयी लेकिन उसने कुशल को कुच्छ भी शो नही होने दिया.
आराधना -" हे राम.... देखो तो सही कि लड़का कितनी बाते बनाने लगा है. भाग जा यहाँ से नही तो पिटाई कर दूँगी. " और हंस कर आराधना अपने रूम का गेट बंद कर लेती है.
कुशल अब अकेला गॅलरी मे खड़ा था, आज वो काफ़ी हॅपी भी था. वो घूम कर अपने रूम की तरफ जाने लगता है तो उसे प्रीति अपने रूम के गेट पर खड़ी हुई दिखाई देती है.
वो चुप था और कुच्छ नही बोलता. लेकिन प्रीति की आँखो मे से तो अंगारे बरस रहे थे, शायद वो अपने गेट पर काफ़ी टाइम से खड़ी थी.
कुशल बिना बोले अंदर जाने लगता है तभी प्रीति अपने रूम के गेट पर खड़े खड़े उससे बोलती है-
" दाल गली या नही...."
कुशल रूम के अंदर जाते जाते रुक जाता है-
कुशल -" क्या कहा तूने?"
प्रीति -" मैने कहा कि तेरी दाल गली या नही......" प्रीति गुस्से मे कुशल की तरफ देखते हुए बोलती है
कुशल -" कौन सी दाल? क्या बकवास कर रही है?
प्रीति -" वही दाल जो तू आराधना दीदी के साथ गलाना चाह रहा है लेकिन गल नही रही......" प्रीति की ये बात सुनकर तो जैसे कुशल के होश ही उड़ जाते है
कुशल गुस्से मे अपने रूम से हट कर प्रीति की तरफ तेज तेज कदमो से चलता है. और उसके ठीक पास जाकर बोलता है
" दोबारा बोल......." कुशल उसे उंगली दिखाते हुए बोलता है
" हाँ हाँ चिल्ला मत. मैं वही बोल रही हू जो तू सुन रहा है. तभी तो आराधना दीदी की पीछे पड़ा हुआ...."
कुशल का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है लेकिन रात मे वो कोई ड्रामा नही करना चाहता था इसलिए ज़्यादा ड्रामा नही करना चाहता था-
" अगर मैने तेरी चूत नही मारी तो अब मैं आराधना दीदी के पीछे भाग रहा हू?..... यही कहना चाहती है ना तू...." कुशल दबी आवाज़ मे बोलता है ताकि कोई सुन ना ले
प्रीति - " ओये मिस्टर. अपनी हद मे रह.... हर टाइम मे बस एक ही बात नही सुनूँगी. समझा....." प्रीति भी गुस्से मे रिप्लाइ करती है
कुशल गुस्से मे प्रीति के रूम मे अंदर जाता है और उसका हाथ पकड़ कर खींचता है.
" अब बोल क्या बोलना है... मैं ये नही चाह रहा हू कि रात मे कोई परेशान हो और तू है कि ड्रामे पे ड्रामे किए जा रही है...." कुशल की वाय्स मे अब थोड़ा दम आता है
प्रीति -" एक ही बात..... तुझे कितनी बार बोल चुकी हू कि क्यूँ लाइन मार रहा था आराधना दीदी पे......"
कुशल -" आराधना दीदी... आराधना दीदी.... आराधना दीदी..... पागल कर दिया है एक ही बकवास करके तूने. हाँ ले चोदुन्गा आराधना दीदी को, वो भी कस कस कर. घान्ड भी मारूँगा उनकी और अपना लंड भी चुसाउन्गा... तू क्या कर लेगी...." कुशल गुस्से मे सब कुच्छ बोल देता है
प्रीति -" मैं तो पहले ही समझ गयी थी..... कि तेरे दिल मे कोई बात है और वो सामने आ गयी आज."
कुशल -" अपना ये ड्रामा बंद कर.... और सोने जा रहा हू मैं. दिमाग़ खराब मत कर....."
प्रीति -" नही तो क्या कर लेगा......". गुस्से मे दोनो इतने करीब थे कि दोनो के सीने आपस मे टच हो रहे थे.
कुशल -" साली तुझे भी चोद दूँगा........" कुशल तो जैसे आंग्री यंग मॅन बन चुका था
प्रीति -" तुझे जैसे कुत्ते बस भोंकना जानते है......." अब प्रीति के चेहरे पे एक मुस्कान थी, वो भी बहुत शरारती
कुशल -" कुत्ता बोलती है मुझे...." कुशल प्रीति को
कंधे से पकड़ लेता है
प्रीति -" तेरे कान तो है ही खराब, ले फिर से सुन ले... तुझ जैसे कुत्ते बस भोंकना जानते है काटना नही." प्रीति का इशारा था कि बस तू बोल सकता है लेकिन चोद नही सकता
कुशल -" जब काटुन्गा ना...... तो देखियो तू..." और ये बोल कर वो उसके कंधो को एक झटके मे छोड़ देता है और रूम से बाहर जाने लगता है
प्रीति पीछे से फिर बोलती है, पता नही जैसे आज प्रीति क्या फ़ैसला करके बैठी थी.
" अगर काटने का इतना ही शोक है तो रात मे काट ना. या फिर..... या फिर..... तू काटने के लायक ही नही रहा..." प्रीति ने अपना आख़िरी हथियार भी यूज़ कर लिया. उसको ऐसी आशा थी कि शायद ऐसे चॅलेंज तो कुशल शायद कुच्छ डिसिशन ले.
कुशल रुकता है.... मूड कर पीछे देखता है.... वो गुस्से मे था और प्रीति की भी साँसे तेज चल रही थी. प्रीति कुशल को प्यासी निगाहो से देखे जा रही थी.
लेकिन कुच्छ सेकेंड्स के बाद कुशल तेज़ी से मुड़ता है और सीधा गेट से बाहर चला जाता है. प्रीति उसे देखती रह जाती है और टेन्षन मे आ जाती है.
वो अपने ड्रेसिंग टेबल के सामने आकर खड़ी हो जाती है और अपने आप को गौर से देखती है. अपने चेहरे, अपने लिप्स, चीक्स, बूब्स सब को वो गौर से देखती है. कभी साइड पोज़ मे कभी फ्रंट पोज़ मे, तो कभी अपने पेट को अंदर कर के.
" कहीं ऐसा तो नही कि अब मैं ही इंट्रेस्टिंग नही दिखती हू. कहीं ऐसा तो नही कि अब किसी लड़के को मुझमे सेक्सी जैसी कोई चीज़ नही दिखाई देती..... आख़िर मुझे क्या हो गया है......." प्रीति अपने आप से ही बात कर रही थी. उसकी टेन्षन बढ़ती जा रही थी.
उसको लग रहा था कि ऐसे टाइम पे कोई तो होना चाहिए जो उसकी हेल्प कर पाए और गाइड कर पाए. नही तो वो लड़की होने का सारा बेनेफिट धीरे धीरे खोती जा रही थी ऐसा उसे लग रहा था.
बहुत टेन्षन के साथ वो अपने बेड मे लेट जाती है और काफ़ी देर के बाद नींद के आगोश मे आ जाती है.
नेक्स्ट मॉर्निंग -
स्मृति उठ चुकी थी और घर की सफाई वग़ैरा मे लगी हुई थी. उसको देख कर ऐसा लग नही रहा था कि वो किसी टेन्षन मे हो. नॉर्मली डेज़ की तरह वो सॉंग गुनगुनाए जा रही थी, कुच्छ भी चेंज नही था डे मे सिवाय पंकज के क्यूंकी वो वहाँ नही था. उसने मॅक्सी ड्रेस पहनी हुई थी, जो उसकी बॉडी पे काफ़ी लूज थी.
ग्राउंड फ्लोर पे सफाई करते मे उसको अहसास होता है कि कोई उपर से नीचे आ रहा है लेकिन सफाई के दौरान वो उपर होकर नही देखती है. उसको लगा कि शायद आराधना होगी, क्यूंकी उसकी कॉलेज होने का टाइम हो रहा था.
" मोम छाई मिलेगी...." स्मृति के कानो मे आवाज़ टकराती है और वो नज़रे उठा कर देखती है. ये कुशल की आवाज़ थी.
इस आवाज़ को सुनते ही, स्मृति सीधा खड़ा होती है और अपनी मॅक्सी ड्रेस के गले पे हाथ रखते हुए बोलती है-
" तुझे दिखता नही है कि मैं काम कर रही हू....."
कुशल -" मोम, तो आप चाइ नही दोगि तो कौन देगा मुझे...."
स्मृति -" कोई भी नही देगा तुझे. अब नखरे कम कर और बैठ जा, जैसे ही काम ख़तम होगा तो मैं बना दूँगी... आज इतनी जल्दी उठ कैसे गया तू....?"
कुशल -" मोम उठना क्या, मैं तो रात को सही से सो ही नही पाया. वो मेरी..... मेरी..... भूख ख़तम नही हुई और खाना कम मिला था." कुशल एक शैतानी मुस्कान के साथ मुस्कुराता हुआ बोलता है.
स्मृति अपने माथे पे हाथ मारती है और फिर से काम पे लग जाती है. कुशल की निगाहे तो जैसे स्मृति पे ही चिपक गयी थी. वो इधर उधर कहीं नही देख रहा था.
स्मृति काफ़ी अनकंफर्टबल थी क्यूंकी वो कुशल की निगाहो को अपने बूब्स और अपनी आस पर फील कर सकती थी. लेकिन मजबूर थी कि कुच्छ नही कह सकती थी.
तभी सीढ़ियो पे से फिर से फुट स्टेप्स की आवाज़े आती है. ये साउंड काफ़ी करिप्सी था, स्मृति उपर देखती है. कुशल देख तो नही सकता था कि आख़िर कौन आ रहा है लेकिन फिर भी अपनी नज़रे सीधी कर लेता है क्यूंकी उसकी नज़रे अब तक बस स्मृति पे ही थी.
" मोम, मैं कॉलेज जा रही हू...." ये आवाज़ आराधना की थी. आज उसने सूट पहना था जो बॉडी पे टाइट तो था लेकिन फिर भी कोई एक्सपोज़ नही था. लाइट मेक अप किया हुआ था, काफ़ी खूबसूरत लग रही थी वो. लेकिन आज के कपड़े बहुत ही ट्रडीशनल और रेस्पेक्टफुल थे.
" कुच्छ खाएगी नही.....?" स्मृति पूछती है
" मेरा मन नही करता कुच्छ खाने का...." आराधना बिना स्मृति के मूँह की तरफ देखते हुए ये बात बोलती है. वो सीधा चलते जा रही थी, दर असल उसका आटिट्यूड और हर्ष हो गया था नाइट इन्सिडेंट के बाद कि कैसे उसकी मा बड़ा लंड अपनी गान्ड मे ले रही थी.
स्मृति उसकी तरफ देखती ही रह जाती है. उसके मन मे सिर्फ़ यही आ रहा था कि जैसे जैसे आराधना बड़ी हो रही तो बदतमीज़ भी होती जा रही है. लेकिन वो इसे आगे के नॉर्मल रिक्षन्स समझते हुए इग्नोर कर रही थी.
आराधना तेज स्पीड के साथ आगे बढ़ रही थी. तभी उसे अहसास होता है कि सोफे पे कोई बैठा है. वो अपने कदमो को रोकती है, और वहीं खड़े खड़े पीछे मूड कर देखती है. वो जिस तरीके से अपने बालो को पीछे झटकते हुए देखती है वो अदा काफ़ी नशीली थी. अब उसका चेहरा पीछे था और बॉडी सामने की तरफ, पूरी बात ये थी कि उसकी मस्त गांद कुशल के ठीक सामने थी.
वो देखती है कि वहाँ कुशल बैठा है. वो अपने हाइ हील सॅंडल्ज़ मे पीछे मुड़ती है और खत खत अपने सॅंडल्ज़ की आवाज़ के साथ कुशल की तरफ बढ़ती है.
" तू यहाँ क्या कर रहा है? आज बड़ी जल्दी उठ गया तू....?" आराधना अपनी सेक्सी आइज़ को कुशल से मिला कर बोलती है.
कुशल इधर उधर देखता है और बड़े आराम से बोलता है -" देखने आया था कि मेरी दीदी कॉलेज जाते हुए कैसी दिखती है......." आराधना उसकी बात सुन कर जैसे शॉक्ड हो जाती है औट चुप वहीं खड़ी रहती है.
कुशल आराधना के सारे रिक्षन्स को देख रहा था कि तभी- " हा हा हा हा हा हा...... क्या हुआ दीदी. मज़ाक कर रहा था, मैं तो नीचे चाइ पीने आया था." कुशल बात को चेंज करते हुए बोलता है.
" चाइ पीने या सिगरेट? रात की तरह......" आराधना भी उसका मज़ाक उड़ाते हुए बोली
" दीदी लड़के तो करते है ही. अगर लड़के स्मोकिंग नही करेंगे तो क्या लड़किया करेंगी...." कुशल फिर से अपनी बात को प्रूव करना चाहता था. वो इतनी लो वाय्स मे बात मार रहे थे कि स्मृति भी आवाज़ नही सुन सकती थी. वैसे भी स्मृति तो सफाई मे दोबारा बिज़ी हो चुकी थी.
आराधना फिर से कॉलेज जाने के लिए मुड़ती है और जाते जाते कहती है -" चल एंजाय कर..... वैसे ये लड़को का ही राइट नही है, लड़किया भी कर सकती है ये सब...." अब तक आराधना मूड चुकी थी जाने के लिए.
" दीदी लड़किया स्मोकिंग नही सकिंग करती हुई अच्छी लगती है......" कुशल ने फिर से लो वाय्स मे एक और झटका दे दिया.
आराधना के पाँव फिर से रुक जाते है. उसको अपने कानो पे यकीन नही होता कि उसने अभी क्या सुना है. वो फिर से मुड़ती है और फिर से धीरे धीरे उसके पास आती है.
" क्या कहाँ तूने अभी.....?" आराधना के चेहरे पे बिल्कुल भी हँसी नही थी
" मैने..... मैं तो कह रहा था कि आज आप बहुत अच्छी लग रही हो......." कुशल बात पलट देता है.
तभी बाहर से हॉर्न की आवाज़ आने लगती है. आक्च्युयली सिमरन आ चुकी थी आराधना को पिक करने
" नही तूने कुच्छ और कहा...." आराधना उसको फिंगर दिखाते हुए बोलती है.
इससे पहले की कुशल कुच्छ बोलता फिर से हॉर्न की आवाज़ आती है. जिससे आराधना कुशल की तरफ देखते देखते ही मूड जाती है. वो अभी तक कन्फ्यूज़ थी कि जो उसने सुना वो सही था या उसका डाउट.
उसको एक डाउट और भी था कि आज कल उसके माइंड मे सिर्फ़ सेक्स घूम रहा है टू दट मे बी दा रीज़न कि उसको ये बात सुनाई दी. वो कुशल की तरफ देखते देखते घर से बाहर चली जाती है.
कुशल अब आज़ाद था क्यूंकी आराधना जा चुकी थी और प्रीति को तो जागने मे अभी टाइम था. वो फिर से खड़ा होता है और धीरे धीरे स्मृति के पास पहुँच जाता है.
स्मृति सफाई करते करते अपने बेड रूम के करीब पहुँच चुकी थी.
" मोम छाई मिलेगी या नही आपने बताया नही...." कुशल फिर से बहुत मासूमियत से पुछ्ता है.
स्मृति अब अपनी सफाई को बीच मे छोड़ कर सीधी खड़ी होती है, वो सफाई करते करते पसीने मे भीग चुकी थी.
" कुशल कसम से तू मुझे बहुत परेशान कर चुका है. अब मैं तुझे सहने के और मूड मे नही हू, तू क्या चाहता है कि मैं तेरी डॅड को फोन करू...." स्मृति बहुत सीरीयस लग रही थी
" मोम, प्लीज़ आप मुझे ग़लत मत समझिए. मैं तो आपको हेल्प करने आया था, खैर छोड़ो ये बताओ कि आज का क्या प्लान है...." कुशल भी एक डिफरेंट अंदाज़ मे पुछ्ता है
" प्लान से क्या मतलब है तेरा..." स्मृति और भी ज़्यादा सीरीयस होते हुए बोलती है
" मतलब आज कहीं आना जाना है या घर मे ही रहना है...." कुशल पुछ्ता है
" तुझ से मतलब... अगर मुझे कहीं जाना है या नही जाना है..." स्मृति फिर से आगे बढ़ कर काम मे लग जाती है
" मोम, क्या आप हमेशा गुस्सा रहती हो. मैं कल रात भी आपसे कह चुका हू कि ग़लती हो गयी लेकिन आप हो कि मान ने को तैयार नही हो." कुशल फिर से अपना माइंड गेम खेल रहा था.
" ठीक है, ठीक है. अभी बना दूँगी चाइ तेरे लिए अब ज़्यादा मक्खन मत लगा. और मुझे जल्दी से तैयार होने दे...."
कुशल -" क्यू मोम कहाँ जाना है?"
स्मृति -" मैने फिटनेस क्लब जाय्न कर लिया है और आज मेरा पहला दिन है....."
कुशल -" लेकिन मोम आपसे तो फिट मुझे कोई और दिखता नही है फिर आपने क्यूँ जाय्न किया..." कुशल स्मृति के बूब्स की तरफ देखते हुए बोलता है
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