RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
प्रीति उसे अपनी उंगली दिखाती हुई बोलती है -" बता कि तुम दोनो कहाँ से आ रहे हो. कहाँ गयी थी मोम आधी नंगी होकर, और तू कहाँ गया था. दोनो ने ड्रिंक कहाँ करी. जल्दी बता नही तो पापा से जाकर पुछ्ना पड़ेगा". प्रीति के मूँह से पापा की बात सुन कर कुशल थोड़ा घबरा जाता है और प्यार से प्रीति को समझाता है.
" देख मेरी प्यारी बहना.... मैं तो अपने दोस्त के साथ पी रहा था. आते टाइम रोड पे मोम मिल गयी तो उसके साथ आ गया. तू इतना टेन्षन क्यू ले रही है. तू मस्त रह..." कुशल प्रीति के गालो पर चिकोटी काट ते हुए बोलता है.
प्रीति -" इससे पहले तो तू कभी बाहर पी कर नही आया, और ये तेरे गालो पे ये निशान कैसे है". प्रीति कुशल के गालो पर हाथ लगा कर उससे पूछती है. दर असल आज कुशल बहुत थप्पड़ खा चुका था अपनी मा के हाथ तो ये उसी के निशान थे.
कुशल फिर से एक बार घबरा जाता है कि कहीं प्रीति को शक ना हो जाए. वो फिर से एक नयी स्टोरी बनाता है.
" प्रीति अब तुझसे क्या च्छुपाना. मेरी एक फ्रेंड बनी थी, आज उसने मुझे अपने फ्लॅट पर बुलाया था. हम दोनो ने मिल कर ड्रिंक करी, और साली को जब चोदना चाहा तो उसने मुझे एक थप्पड़ मार दिया..."
प्रीति -" हे हे हे हे हे.... सही हुआ. तो इसीलिए तू इतने भाव खा रहा था मेरे लिए.". ये बोल कर प्रीति अपनी बाँहे कुशल के गले मे डाल देती है.
कुशल उन बाँहो को अपने गले से हटाते हुए बोलता है -
" प्रीति मुझे नींद आ रही है. प्लीज़ तू जा यहाँ से".
प्रीति उसके और करीब आते हुए बोलती है -" आख़िर ऐसी कैसी नींद है तेरी जो तू इतना गुस्सा हो रहा है......." और कस कर अपने बूब्स उसकी पीठ मे गढ़ा देती है.
" स्टॉप इट प्रीति ......." कुशल गुस्से मे उसे अपनी पीठ से हटाता हुआ बोलता है.
प्रीति -" आख़िर बात क्या है..... तू बताता क्यूँ नही"
कुशल -" साली मेरा दिमाग़ खराब मत कर...... बच्ची है तू अभी. एक दिन ज़बरदस्ती चोद दूँगा फिर रोती फ़िरेगी. मैं तुझे पहले भी समझा चुका हू कि मुझसे दूर रहा कर....." कुशल प्रीति को अपनी उंगली दिखाता हुआ बोलता है.
" कुशल.... कुशल" तभी नीचे से तेज तेज आवाज़े आती है जो कि स्मृति की थी. ये आवाज़े सुन कर कुशल जैसे भागा चला जाता है नीचे की तरफ और प्रीति रूम मे अकेले रह जाती है.
प्रीति को अभी भी कुच्छ समझ नही आ रहा था कि आख़िर बात क्या है. खैर वो अपने रूम मे चली जाती है और गेट बंद कर लेती है.
कुशल नीचे पहुँचता है, पंकज हॉल मे बैठा था और स्मृति किचन मे थी. कुशल सीधा किचन मे भागता हुआ जाता है - " जी मोम......."
स्मृति -" खाना खाएगा......?"
कुशल -" मोम मैं तो दिन रात ख़ाता रहू आप खिलाओ तो सही.." कुशल फिर से डबल मीनिंग बाते करता है
स्मृति थाली पटकते हुए उसे देती है और बोलती है कि उपर ले जा और खा ले. मैं सोने जा रही हू.
कुशल अपसेट माइंड से उपर आ जाता है. खाना ख़ाता है और सो जाता है.
नेक्स्ट मॉर्निंग.....
पंकज हॉल मे बैठ कर चाइ पी रहा है. उसे ऐसी आवाज़ सुनाई देती है जैसे कोई उपर से हाइ हील पहन कर उतर कर आ रहा हो -" ख़त खत...." वो उपर निगाहे करता है तो जैसे..... ओह्ह्ह्ह वो आराधना थी जिसने एक डिफरेंट टाइप की ड्रेस पहनी हुई थी. खुले बाल वो भी स्ट्रेट करे हुए, शॉर्ट ड्रेस जिसमे क्लियर दिख रहा था कि आज उसने अंदर ब्रा नही पहनी है. लाइट मेक अप किया हुआ था, पंकज का मूँह खुला का खुला रह जाता है ये सब देख कर लेकिन वो किसी तरह कंट्रोल करता है.
पंकज के लिए वाकई मे ये एक गुड मॉर्निंग थी. आराधना धीरे धीरे नीचे उतर आती है.
आराधना -" गुड मॉर्निंग डॅडी..." एक स्माइल के साथ वो डॅड को ग्रीट करती है
पंकज -" गुड मॉर्निंग बेटा. क्या आज बिल्कुल डिफरेंट लुक, नया अंदाज़. क्या बात है भाई..."
पंकज के मूँह से अपनी तारीफ सुनकर वो शरमा जाती है. और आप जान कर पंकज के टेबल के सामने रखे एक ग्लास को झुक कर उठाती है. उफफफफफ्फ़..... उसके कयामत जैसे बूब्स बाहर निकलने को तैयार हो जाते है. और वैसे भी उसने ब्रा नही पहनी थी. पंकज ये सब देख कर शॉक्ड रह जाता है. उसके अंदर का आदमी बाहर आने को तैयार हो जाता है लेकिन आराधना सीधा खड़ा होती है और कहती है.
" ओके डॅडी... कॉलेज जा रही हूँ...." और ये बोलते बोलते वो गेट तक आ जाती है. पंकज की निगाहे अब तक नही हटी थी. वो पीछे मूड कर देखती है और पंकज की निगाहे फिर से आराधना से मिल जाती है. आराधना को हँसी आ जाती है.
" आरू बेटी........" पंकज पीछे से बोलता है.
" जी डॅडी......" आराधना बिना मुड़े बोलती है.
" आज कॉलेज से कितने बजे तक आएगी...." पंकज आराधना से पूछता है.
आराधना की खुशी का ठिकाना नही था क्यूंकी पहली बार पंकज ने ऐसे पुछा था.
" जी बहुत जल्दी आ जाउन्गि....." और ये कह कर वो एक स्माइल के साथ बाहर चली जाती है.
पंकज की निगाहे गेट पर ही थी. किसी को पता नही कि उसके दिमाग़ मे क्या चल रहा था.
प्रीति रात भर सही सो नही पाई. उसको समझ नही आ रहा था कि आख़िर क्या हो रहा है. वो सुबह उठ कर नहाई और नॉर्मल कपड़े पहन कर बैठी है. उसके बाल गीले थे क्यूंकी अभी थोड़ी देर पहले ही वो नहा कर आई थी.
कुशल ब्रश करते करते अपने रूम से बाहर निकलता है. और साइड मे से प्रीति के रूम मे से झाँकता है. उसे एक दम फ्रेश प्रीति बैठी हुई दिखाई देती है. वो साइड मे से देख रहा था और ये प्रीति भी देख चुकी थी लेकिन प्रीति ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे कि उसको पता नही कि कुशल देख रहा है.
" ओह्ह ये कपड़े अच्छे नही है. मुझे चेंज कर लेने चाहिए.." प्रीति अपने आप से बात करते हुए कुशल को ये बात सुनाती है. कुशल प्रीति के ये बात सुनकर और साइड मे हो जाता है और दरवाजे की दरार मे से देखने लगता है.
प्रीति को पता था कि कुशल देख रहा है. वो उसी जगह पर बैठे हुए घूम जाती है. सब से पहले अपना पयज़ामा नीचे करती है और उसके थोड़ी देर बाद स्लो मोशन मे अपनी पैंटी को भी.
ऊफ्फ क्या सीन था..... कुशल का लंड तो जैसे दीवार तोड़ने के लायक हो गया था. अब प्रीति का पयज़ामा भी नीचे था और पैंटी भी.
प्रीति जिस हालत मे थी वो हालत किसी भी जवान मर्द को भड़का सकती थी. भड़का क्या आग लगा सकती थी सो वैसा ही कुशल के साथ भी हो रहा था लेकिन पता नही क्यू वो अभी भी बाहर दरवाजे के किनारो मे से देख रहा था. प्रीति अब नीचे से बिल्कुल नंगी थी और उसकी गान्ड सॉफ दिखाई दे रही थी कुशल को.
प्रीति को पता था कि कुशल बाहर खड़ा है और आप जान कर वो लड़की होने के सारे फ़ायदे उठा रही थी. प्रीति अब एक हाथ अपनी चूत के नीचे से ले जाते हुए अपनी गान्ड तक ले जाती है. फिर उस हाथ को वापिस लाकर उस की एक उंगली अपने मूँह मे देती है और उसे अच्छे से गीला कर के फिर से पीछे लाती है. उस सीधी गीली उंगली को वो अपनी चूत पर मसलती है. और फ़चककक...... और सीधा अपनी गीली चूत मे घुसती है. कुशल पर तो जैसे अटॅक पर अटॅक हो रहे थे, वो फिर से इधर उधर देखता है कि कहीं और कोई तो नही है फ्लोर पर लेकिन पूरा फ्लोर खाली पड़ा था.
कुशल भाग कर पीछे की साइड जाता है और देखता है कि कहीं आराधना दीदी तो अपने रूम मे नही है. लेकिन वो रूम खाली पड़ा था, कुशल वापिस भाग कर आता है और फिर से दीवार के किनारो मे से झाँक कर देखने लगता है. उसकी कुँवारी चूत को देख कर वो एक बार फिर से पागल हो जाता है. प्रीति कुच्छ कर सके या नही लेकिन उसने कुशल को ऐसा तो कर दिया था कि उसका लंड उसके शॉर्ट से बाहर आने को फड़ फाडा रहा था. कुशल अपनी निगाहे और गढ़ा देता है उस दरवाजे के किनारो मे. वो क्लियर देखता है कि प्रीति अपनी पूरी उंगली चूत मे घुसाती है और बाहर निकालती है.
कुशल का चेहरा लाल हो चुका था. और ब्लड प्रेशर हाइ हो चुका था. उसने शायद लास्ट मोमेंट तक वेट किया लेकिन जब उससे नही रहा गया तो उसने अपना लंड शॉर्ट के बाहर निकाल लिया.
" काश मैने इसकी इन्सल्ट ना की होती तो आज इसे चोद देता...... कसम से इसकी चूत कितनी मस्त है." कुशल अपने आप मे बड़बड़ाता है.
कुशल अपने विशाल लंड को बाहर निकाल कर उसे आगे पीछे करने लगता है. एग्ज़ाइट्मेंट जवानी मे अँधा कर देती है और यही रीज़न था कि खुले आम गॅलरी मे वो अपना लंड निकल कर खड़ा था.
" साली क्या खाती है.... इतनी पटाखा चूत तो किसी की भी नही देखी आज तक मैने..." वो फिर से बड़बड़ाता है.
" कुशल................" बहुत तेज़ी से एक आवाज़ कुशल के कानो से टकराती है. कुशल की तो जैसे जान ही निकल जाती है. वो नज़रे फिरा कर देखता है -" मोम.............."
सीढ़ियो से उपर आकर स्मृति खड़ी थी और जैसे ही वो कुशल को देखती है कि वो खुले आम अपने लंड को ऐसे बाहर निकाल कर खेल रहा है तो वो उसे आवाज़ लगाती है.
कुशल को तो जैसे काटो तो खून नही. स्मृति तेज तेज चल कर कुशल के पास आती है. कुशल अपने लंड को तेज़ी से अपने शॉर्ट के अंदर डाल लेता है लेकिन खड़ी हालत मे इतना बड़ा लंड आख़िर कैसे समाए उसमे. लंड का उपरी हिस्सा अभी भी बाहर ही था और उसे बार बार कुशल अंदर करना चाह रहा था.
स्मृति पास आती है और कस के एक और तमाचा - "चटककक..........."
" बद तमीज़. तेरी हिम्मत इतनी बढ़ गयी कि आज तू खुले आम घर मे ये काम कर रहा है. क्या देख रहा था यहाँ से....." स्मृति फिर प्रीति के गेट के अंदर झान्कति है लेकिन वहाँ कोई नही होता. कुशल भी भगवान का शुक्रिया अदा करता है.
कुशल अपने कान पे हाथ लगाए खड़ा था. शायद थप्पड़ की गूँज अभी तक उसके कान मे थी.
" सच बता क्या कर रहा था यहाँ...." स्मृति उसे फिर से वॉर्निंग देती है
कुशल -" मोम.... मोम....वो........."
स्मृति -" क्या मोम मोम लगा रखा है. जल्दी बोल नही तो अभी तेरे डॅडी को बुलाती हू......"
कुशल -" मोम वो..... वो आपकी याद ज़्यादा आ रही थी तो ......." कुशल को उस टाइम जो ठीक लगा उसने वो बोल दिया.
ये बात सुन कर स्मृति की भी एक बार को हँसी छूट गयी लेकिन उसने कुशल को अहसास नही होने दिया.
" देख कुशल मैं तुझे पहले ही समझा चुकी हू. कल रात मुझे ये लगा कि तू नादान है और तू सुधर जाएगा लेकिन तू तो यहाँ खुले आम अपनी मा को याद कर रहा है. तेरी दो जवान बहने भी है, अगर वो देख लेती तो उन्हे कैसा लगता बता....." स्मृति उसे समझाते हुए बोलती है.
" सॉरी मोम....... अबसे अपने रूम मे ही आपको याद कर लिया करूँगा....." कुशल भी बहुत इनोसेंट बनते हुए बोलता है.
" फिर वोही बात..... देख तेरे जैसे लड़के गर्ल फ्रेंड बनाते है. तेरी उमर है, लेकिन तुझे शोभा नही देता कि तू अपनी मोम के बारे मे सोचे...." स्मृति उसे फिर समझाती है
" मोम... मैं सच बोल रहा हू. मेरी क्लास मे एक लड़की ने ट्राइ किया लेकिन मेरा लंड किसी और के साथ खड़ा नही होता लेकिन जैसे ही आपके बारे मे सोचता हू तो वैसे ही देखो खड़ा हो जाता है..". कुशल एक बार फिर से अपने लंड के दर्शन अपनी मा को करा देता है.
स्मृति -" ओह माइ गॉड. ये लड़का तो पागल हो गया है." और स्मृति नीचे जाने लगती है.
कुशल उपर वाले का शुक्र माना रहा था कि सारी सिचुयेशन कंट्रोल हो गयी. नही तो लेने के देने पड़ जाते. वो फिर से एक बार दरवाजे के अंदर झाँक कर देखता है लेकिन वहाँ कोई नही था. कुशल वापिस अपने रूम मे आता है और नहाने लगता है.
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इधर आराधना कॉलेज पहुँचती है, आज उसे सब डिफरेंट आइज़ से देख रहे थे. उसने कभी अपनो बॉडी को इतना शो ऑफ नही किया था. कॉलेज के एंट्रेन्स गेट से लेकर अंदर की कॅंटीन तक उसे सब लड़को ने ऐसे देखा जैसे इससे पहले कभी हॉट आइटम देखा ही ना हो. लड़कियो की भी हालत खराब थी, क्यूंकी उनके बाय्फरेंड्स की नज़रे आराधना से हट नही रही थी. आराधना के चेहरे पे एक अलग ही स्माइल भी थी, लड़की होने का अहसास उसे होने लगा था औट उसका कॉन्फिडेन्स भी बढ़ रहा था. चाल मे एक बात आती जा रही थी.
कॅंटीन मे जैसे ही एंट्री लेती है, एक पल के लिए तो उसे सिमरन पहचान भी नही पाती. वो एक नज़र हटा कर जब दोबारा देखती है तो उसे समझ आता है कि वाकई मे ये आराधना है. सिमरन अपनी चेर से खड़ी हो जाती है.
" मेरी जान, सारी लड़कियो की दुकान बंद कराएगी तू तो"...... सिमरन जाकर हग करती है आराधना को
आराधना " क्या मतलब है तेरा दुकान से....".
सिमरन -" तू छोड़ लेकिन बाइ गॉड यार क्या लग रही है. कॉलेज के क्लीनर से लेकर प्रोफेसर तक की निगाहे रहेंगी तुझ पर. और क्या ब्रा भी नही पहनी. मेरी जान इन अनटच बूब्स को आज कहीं कोई टच ना कर दे..."
आराधना -" किसी की हिम्मत है जो टच करे.... लेकिन सब छोड़ ये बता कि तू घर से क्यू भाग गयी थी....?"
सिमरन -" अबे यार मत पुच्छ.... मेरे डॅड की गर्ल फ्रेंड घर पर थी और मेरी मा आ गयी. मेरे डॅड घबरा गये थे तो मेरी हेल्प माँग रहे थे. इसीलिए जल्दी जाना पड़ा."
आराधना( शॉक्ड होते हुए)-" तेरे डॅड की गर्ल फ्रेंड? ओर तुझे पता भी है कि उनकी गर्ल फ्रेंड है. वो तो मॅरीड है, फिर उनकी गर्ल फ्रेंड क्यू? क्या कहा तेरी मोम ने..."
सिमरन -" अबे तू जानती नही है, आज कल तो सभी के डॅड की गर्ल फ्रेंड होती है. अपने डॅड की सेट्टिंग तो मैने ही कराई.... सिमी से. बस 19 साल की मस्त लड़की है. बिंदास रहती है एक दम मेरी तरह. वो डॅड के साथ थी तो मोम शॉपिंग करके जल्दी आ गयी, मोम ने तो बस आते ही सवाल शुरू कर दिए और डॅड को बोलना पड़ा कि ये सिमरन की फ्रेंड है."
आराधना -" 19 साल की लड़की? यार उसे क्या तेरे डॅड ही मिले बस बॉय फ्रेंड बनाने के लिए?"
सिमरन - " अब सारे सवाल अभी करेगी. तू बता कि उस रात गाड़ी कुच्छ आगे बढ़ी या नही."
आराधना शरमा जाती है और कुच्छ नही बोलती.
" ओये होये मेरी जान के लाल गाल तो देखो. शरम से एक दम लाल हो चुकी है.... बता ना कि रात को क्या हुआ?" सिमरन उसे ज़ोर देते हुए पूछती है
आराधना-" चल कैसी बाते करती है....."
सिमरन -" मेरी जान एक बात कहु?"
आराधना ( नज़रे झुकाते हुए) -" हाँ बोल?"
सिमरन -" लंड लेने के लिए थोड़ा बेशर्म बन ना पड़ता है. ये जमाना ही ऐसा है, गोल्ड मिल जाता है लेकिन लंड नही मिलता. तो मेरी जान शरमाना छोड़ और अपनी इस फ्रेंड की अगर हेल्प चाहिए तो सॉफ सॉफ बता..."
आराधना ( गुस्से मे)- "कुच्छ भी नही हुआ.... पूरी रात वेट किया लेकिन वो उपर नही आए.... ओके".
सिमरन -" तो गुस्सा क्यू होती है. सब सही हो जाएगा. लेकिन एक बात का ख्याल रख. लड़कियो को ज़ुबान से ज़्यादा बॉडी के मध्यम से बोलना होता है...."
आराधना -" देख मेरा मूड खराब मत कर. अगर हेल्प करनी है तो सॉफ सॉफ बता...."
सिमरन -" अबे तो क्या अपने डॅड से जाकर ये बोल सकती है कि मुझे चोद दो.... "
आराधना -" यार तू जो ना..... जा मुझे तुझसे बात नही करनी." और वो उठ कर चल देती है. तभी सिमरन उसका हाथ पकड़ती है और बोलती है
सिमरन -" मेरी जान, बैठ. सुन अब मेरी बात, लड़की जितनी सादगी मे रहे उतना अच्छा है. तेरे डॅड एक दम मस्त आदमी है लेकिन एक अच्छे इंसान भी. हो सकता है कि वो तुझे चोदना ना चाहते हो. तो तेरा काम है कि उनके अंदर के मर्द को इतना जगाना कि वो मजबूर होकर तुझे खुद ही चोद दे. और जहाँ उन्होने एक बार तुझे चोदा, मुझे पूरा यकीन है कि तेरी मम्मी की चूत मे उन्हे मज़ा नही आएगा फिर. लेकिन तुझे मेहनत पूरी करनी पड़ेगी. लेकिन मुझे तेरी बॉडी पे पूरा भरोसा है कि वो जल्दी ही फिसल जाएँगे...". अपनी तारीफ सुनकर आराधना शरमा जाती है.
सिमरन फिर बोलना शुरू करती है - " तेरे साथ सबसे बड़ी प्राब्लम ये है कि तेरी मोम भी बहुत सेक्सी है. हो सकता है कि वो खूब प्यार देती हो तेरे डॅड को".
आराधना -" यार मेरी मोम एक दम हॉर्नी है. वो पापा का पीछा नही छोड़ती. दिन मे भी उनके पीछे लगी रहती है..." आराधना थोड़ा एग्ज़ाइटेड होकर बोलती है
सिमरन -"ओये होये मेरी जान. मोम को पहले से ही अब्ज़र्व कर रही है. वैसे बता कि तुझे ऐसा क्यू लगा कि वो हॉर्नी है...?
आराधना -" क्या बताऊ लेकिन मैने एक बार देखा कि मॉर्निंग मे ही ....."
सिमरन -" मॉर्निंग मे ही क्या?"
आराधना -" मॉर्निंग मे ही.... मॉर्निंग मे ही प्यार कर रहे थे...."
सिमरन -" साली खुल कर नही बता सकती कि क्या कर रहे थे वो...." सिमरन गुस्से मे बोलती है
आराधना -" गाली? तूने मुझे गाली दी....."
सिमरन -" मेरी बुलबुल ये तो प्यार की गाली है.... अब बता कि कैसा प्यार कर रहे थे वो?"
आराधना -" मोम डॅड का वो पार्ट चूस रही थी.."
सिमरन -" ओये कितनी लकी है मेरी दोस्त. लंड देख भी चुकी है? कैसा है?"
आराधना -" अबे यार पुच्छ मत. ऐसा लगा जैसे नकली है. एक दम मोटा और लंबा. "
सिमरन ( एग्ज़ाइटेड होते हुए)- " तेरी तो लाइफ बन गयी. आज कल तो साले लड़के उच्छलते है बहुत और जब बेड मे पहुँचो तो पता चलता है कि 6 इंच की लुल्ली."
आराधना " क्यूँ तेरे बॉय फ्रेंड का छोटा है क्या?"
सिमरन -" देख मैं फेक लाइफ नही जीती. और झूठ भी नही बोलती. मेरा बॉय फ्रेंड अच्छा प्यार करता है बेड मे लेकिन साले का लंड बस 6 इंच होगा. लड़की को ड्रामा करना लड़ता है कि वो हॅपी है लेकिन यार उससे खुजली नही मिट ती है"
आराधना -" हे हे हे हे हे. यू आर फन्नी गर्ल."
सिमरन -" तुझे एक बात बताऊ?"
आराधना " हाँ बता."
सिमरन -" पता है मैं तेरे घर पर मिली ना उसके साथ. तो वो मेरे उपर था, उसने लंड मेरी चूत मे घुसाया. मैं बहुत एग्ज़ाइटेड थी तो मैने उसे बोला कि बेबी मोर इनसाइड, मोर इनसाइड. वो बेचारा शर्मा कर मुझसे बोला कि सिमरन मैं पूरा अंदर कर चुका हू..."
आराधना -" हा हा हा हा हा हा. व्हाट अ जोक. ग्रेट , एनीवे आज मुझे घर जल्दी जाना है.
सिमरन -" क्यू?"
आराधना -" ये मैं तुझे बाद मे बताउन्गि...."
सिमरन -" ओके जैसी तेरी मर्ज़ी...."
दोपहर हो चुकी थी. पंकज घर मे ही था तो उसे एक फोन कॉल आता है जिसे सुनकर पंकज बहुत एग्ज़ाइटेड हो जाता है. और भागा भागा स्मृति के रूम मे जाता है.
पंकज -" डार्लिंग...... डार्लिंग.....?"
स्मृति -" क्या बात है, क्यू इतना एग्ज़ाइटेड हो रहे हो?" स्मृति बेड पे बैठ कर काम कर रही थी.
पंकज -" डार्लिंग मेरा बिज़्नेस प्रपोज़ल देल्ही मे पास हो गया है." ऑर वो भाग कर स्मृति को हग कर लेता है.
स्मृति -" सच मे..... ये तो बहुत अच्छी खबर है ". स्मृति भी पंकज को हग करते हुए बोलती है.
पंकज -" मुझे आज ईव्निंग ही देल्ही जाना पड़ेगा वो भी 15 दिनो के लिए. प्लीज़ मेरे कपड़े पॅक कर देना"
स्मृति -" मैं भी साथ चलूंगी आपके.."
पंकज -" नही स्वीटी, बच्चो को अकेला नही छोड़ सकते. और वैसे भी मैं 15 दिनो के लिए ही तो जा रहा हू."
स्मृति -" लेकिन मेरा मन नही लगेगा आपके बिना." स्मृति भी उसे टाइट्ली हग करते हुए बोलती है
पंकज -" मेरी जान अगर ये प्रॉजेक्ट सक्सेस्फुल हो गया ना तो अपना अगला घर देल्ही मे ही बनेगा. चल अब टाइम कम है मेरी पॅकिंग शुरू कर दे. आज ईव्निंग मे ही निकलना पड़ेगा". पंकज उससे अलग होते हुए बोलता है
स्मृति वहाँ से उठ कर बॅग वग़ैरा निकालने लगती है. और पंकज बाहर आ जाता है, वो सोचते सोचते सोफे तक आया ही था कि तभी -
" हाई डॅडी......." आराधना भाग कर अपने डॅड को हग कर लेती है. वो कॉलेज से आ गयी थी और पूरी ताक़त से अपने डॅड के सीने से लग जाती है. उसके हार्ड स्टोन टाइप बूब्स अपने डॅड के सीने मे गढ़ रहे थे. उसके डॅड अपने हाथ उसके पीछे ले जाते है और उसकी नंगी पीठ पर पहुँच जाते है. क्यूंकी उसकी ड्रेस बॅक लेस थी. किसी भी जवान मर्द का एरेक्षन पासिबल था, कुच्छ ही सेकेंड्स मे पंकज का लंड बाहर निकल कर आराधना के पेट को टच करने लगा. आराधना को इस बात का अहसास हो चुका था और वो तुरंत अलग हो जाती है. आराधना की एक नज़र नीचे और फिर अपने डॅड के चेहरे पे जाती है. आराधना के चेहरे पे एक हल्की सी स्माइल आ जाती है. और वो बिल्कुल अलग हो जाती है. दोनो मे से अब कोई कुच्छ नही बोल रहा था, पंकज की तो जैसे हार्ट बीट ही रुक गयी थी और उसका मूँह भी खुला हुआ था.
आराधना फिर से स्टाइल मे अपने रूम की तरफ जाने लगती है. सीढ़ियो पे चढ़ने से पहले एक कॉर्नर मे वो अपनी ड्रेस को थोड़ा सा उपर कर लेती है. उफ़फ्फ़ आराधना ने भी जैसे पंकज को बिल्कुल टीज़ करने का फ़ैसला कर लिया था. सीढ़ियो पे चढ़ते टाइम, जैसे आराधना की हाफ गान्ड और पैंटी पंकज को विज़िबल हो गयी थी.
पंकज की निगाहे जैसे पत्थर की बन चुकी थी और वो अपनी नज़रे हिला नही रहा था. आराधना एक बार फिर से पीछे मूँह कर के देखती है और पंकज को अपनी गान्ड की तरफ घुरती हुई पाती है. वो फिर से एक स्माइल देती है और उपर चली जाती है. अपने रूम मे आकर चेंज करने लगती है.
थोड़ी देर बाद वो नीचे खाना खाने के लिए आती है.
आराधना -" डॅड, मोम कहाँ है मुझे खाना खाना है," आराधना अपने डॅड से पूछती है
लेकिन पंकज तो जैसे कहीं और ही खोया था. आराधना उसके चेहरे के पास जाकर चुटकी बजाती है -" डॅड..... डॅड?
पंकज -" यस.... यस बेटा...." वो होश मे आता है
आराधना -" मोम कहाँ है, मुझे भूख लगी है तो खाना चाहिए"
पंकज -" वो पॅकिंग कर रही है...."
आराधना ( बहुत हॅपी होते हुए)- " क्यू मोम कहीं जा रही है?"
पंकज -" नही मैं जा रहा हू...." पंकज उसे रिप्लाइ करता है
आराधना की तो जैसे पाँव तले से ज़मीन खिसक जाती है. उसके चेहरे से तो जैसे हँसी ऐसे गायब हो जाती है जैसे पर झाड़ मे पत्ते. फिर भी वो कंट्रोल करते हुए अपने चेहरे को दूसरी और घुमाती है और बोलती है-
" आप..... आप कहाँ जा रहे......?" आराधना पूछती है
पंकज -" वो.... वो एक बिज़्नेस डील है. देल्ही जाना है....."
आराधना -" कितने दिन के लिए.....?" आराधना की आवाज़ बहुत डाउन हो चुकी थी.
पंकज -" मिनिमम 15 डेज़ के लिए..."
आराधना की तो जैसे आँखो मे से आँसू निकलने को तेय्यार हो जाते है. वो बिना टाइम वेस्ट किए सीधा अपने रूम की तरफ भागती है. अपना रूम भड़ाक से बंद करती है और बेड पे लेट जाती है. गेट इतनी तेज बंद हुआ था कि उसकी आवाज़ नीचे पंकज भी सुन सकता था. यूँ ही टाइम बीत रहा था और उसने खाना भी खाया.
अब ईव्निंग हो चुकी थी. पंकज भी अच्छे तरह से फ्रेश होकर और खाना वाना खाकर जाने के लिए तैयार था. स्मृति का मन भी उदास था.
" मैं बच्चो को बुला कर ले आती हू...." स्मृति पंकज के बॅग को बाहर लाते हुए बोलती है.
पंकज -" ठीक है?"
स्मृति उपर जाती है. सबसे पहले आराधना का रूम पड़ता है. उसका गेट बंद था, स्मृति उसे नॉक करती है -" आरू...... आरू बेटा. " आराधना अंदर ही थी लेकिन कोई रिप्लाइ नही करती, वो तुरंत वॉशरूम मे भागती है क्यूंकी वो अपनी मा को अपने आँसू नही दिखाना चाहती थी. वो वॉशरूम मे से ही अपनी मोम को कहती है -"
" यस मोम..... मैं वॉशरूम मे हू.... बोलो क्या बात है...?"
स्मृति -" बेटे नीचे आ जा. तेरे डॅड देल्ही जा रहे है..."
आराधना -" आप चलिए मैं आ रही हू...."
स्मृति ठीक है बोल कर आगे की तरफ चली जाती है. उसके बाद कुशल का रूम पड़ता है, स्मृति उसके रूम मे जाने ही वाली थी कि पता नही क्या सोच कर रुक जाती है और सीधा चल कर प्रीति के रूम मे चली जाती है. प्रीति बेड पर बैठ कर गेम खेल रही थी.
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