RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
आराधना की आवाज़ सुनकर पंकज अपना हाथ पीछे खींच लेता है और अपना मूँह दूसरी तरफ कर लेता है. सिमरन भी अपनी टी-शर्ट नीचे कर लेती है. आराधना धीरे धीरे नीचे उतर कर आ जाती है, उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था लेकिन वो अपने गुस्से को ज़ाहिर नही कर सकती थी.
आराधना -" तू कब आई". आराधना हंसते हुए बड़े प्यार से सिमरन से पूछती है.
सिमरन -" बस अभी आई थी, सोचा कि अपनी फ्रेंड से मिल आउ".
आराधना -" फ्रेंड से या फ्रेंड के डॅड से?". आराधना बहुत ही लो वाय्स मे उसको ये ताना देती है
सिमरन -" जब जानती है तो पुच्छ क्या रही है". सिमरन भी लो वाय्स मे उसको रिप्लाइ करती है.
" अरे भाई दोनो क्या घुसर पुसर कर रही हो". पंकज पूछता है
" कुच्छ नही पापा, मैं तो बस सिमरन को उपर ले जाने के लिए कह रही थी". आराधना रिप्लाइ करती है
" अंकल आप भी चलिए ना, उपर बैठ कर बात करेंगे". सिमरन पंकज से रिक्वेस्ट करती है.
" चलो मैं थोड़ी देर मे आता हू". पंकज रिप्लाइ करता है
अब आराधना और सिमरन दोनो चुप चाप उपर की ओर चल देती है. आराधना बहुत शांत थी, और धीमे धीमे कदमो मे उपर चलती जा रही थी. वो दोनो आराधना के रूम मे एंटर करते है और रूम के अंदर एंटर होते ही आराधना अपने रूम को बहुत पॉवर के साथ बंद कर देती है. "धदमम्म्म"
आराधना -" अब तो सॉफ सॉफ बोल कि तू क्या चाहती है?". आराधना गुस्से मे सिमरन से पूछती है
सिमरन -" मैं? मैं क्या चाहती हू तू क्यू पुच्छ रही है"
आराधना -" कितनी बड़ी आक्टर है तू. कहीं फ़िल्मो मे काम ढूंड ले ना".
सिमरन -" तू दिला दे." सिमरन बहुत ही प्यार से उसके गाल पकड़ के बोलती है.
आराधना -" साली तुझे बस पॉर्न मूवी मे काम मिल सकता है. अब ये बता कि क्या दिखा रही थी मेरे डॅड को तू?"
सिमरन -" चूत"
आराधना -" क्या कहा तूने?" सिमरन की बात सुन कर आराधना अपने मूँह पे हाथ रख लेती है.
सिमरन -" चूत दिखाने की कोशिश कर रही थी कि तू आ गयी. अब खुश....."
आराधना -" मुझे तुझसे ये आशा नही थी कि तू ऐसी भी है. इतनी गंदी भाषा तो रोड के गँवार यूज़ करते है".
सिमरन -" अबे कमाल तो तूने कर रखा है. इतना शक कहाँ से आ गया तेरे दिल मे, और सबसे पहले अपने आप को पहचान कि तू क्या चाहती है. तू यहाँ छुपा कर रख ले अपने डॅड को".
सिमरन अपना हाथ आराधना के बूब्स पे रखती हुई उसे बोलती है.
सिमरन की ये बात ख़तम ही हुई थी कि गेट खुलता है. सामने पंकज खड़ा था, वो देखता है कि सिमरन का हाथ आराधना के बूब्स पे था और आराधना का फेस बिल्कुल लाल हो रहा था. आक्चुयल मे आराधना का फेस लाल गुस्से की वजह से था लेकिन पंकज कुच्छ और सोचता है.
" ओह्ह्ह सॉरी....." और पंकज बाहर जाने लगता है. तभी सिमरन उसे आवाज़ लगाती है.
सिमरन -" अरे अंकल अभी आए और अभी चल दिए. आइए ना कुच्छ बाते तो हो जाए". सिमरन उसे रूम के अंदर लाते हुए बोलती है. आराधना को अभी भी गुस्सा आ रहा था जिस वजह से उसका फेस और भी लाल हो रहा था लेकिन पंकज को ये लग रहा था कि शायद मेरे बीच मे आने से आराधना को बुरा लग रहा है.
" कहीं इनके बीच लेज़्बीयन रीलेशन तो नही" पंकज अपने मन मे सोचता है.
" नही नही ऐसा नही हो सकता. आराधना लेज़्बीयन नही हो सकती है. वो ये मुझे प्रूव दे चुकी है". वो फिर से अपने मन मे सोचता है. और आकर बेड पर बैठ जाता है. बेड के राइट हॅंड पे आराधना खड़ी थी और पंकज के ठीक सामने सिमरन चेर लेकर बैठ जाती है.
सिमरन -" और सुनाओ कुच्छ अंकल".
पंकज -" आराधना को क्या हुआ है. वो इतनी सीरीयस क्यू लग रही है".
सिमरन -" खुद ही पुछ लीजिए आप अंकल". इससे पहले कि पंकज कुच्छ बोलता आराधना खुद ही बोलने लगती है.
आराधना " कुच्छ नही डॅडी... आइ.... आम ओके.".
पंकज -" तो तेरा चेहरा इतना लाल क्यू हो रहा है?". इससे पहले कि आराधना कुच्छ बोलती-
सिमरन -" अंकल इस एज मे तो हर चीज़ लाल रहती है." ये बात सिमरन बहुत ही रोमॅंटिक अंदाज़ मे बोलती है. उसकी सेक्सी आइज़ पंकज की नज़रो से मिली हुई थी. जिस टाइम सिमरन ये बात बोलती है तो अपनी टाँग उठा कर वो दूसरी टाँग के उपर रखती है. उसकी इस छोटी सी स्कर्ट मे उसकी पैंटी सॉफ नज़र आ जाती है. उसने ब्लू कलर की पैंटी पहनी थी. अब पंकज सॉफ उसकी पैंटी देख सकता था, लेकिन आराधना को कुच्छ अहसास नही था क़ि पंकज को क्या दिख रहा है.
पंकज भी रोमॅंटिक अंदाज़ मे सिमरन से बोलता है.
पंकज -" लाल का तो पता नही लेकिन नीला ज़रूर है आज कल कुच्छ.". ये बात सुनकर सिमरन की हँसी छूट जाती है. सिमरन अपनी हँसो को कंट्रोल करते हुए कहती है
सिमरन -" अरे अरू खड़ी क्यू है, बैठ जा ना".
आराधना " नही नही मैं ठीक हू. तू बैठ आराम से".
सिमरन -" मुझे कहाँ बैठना, मुझे अब चलना चाहिए. मैं तो बस ऐसे ही अपनी फ्रेंड को देखने आ गयी थी".
पंकज -" अभी तो तुमने मुझे बुलाया और अभी तुम चल दी. ये तो कोई बात नही हुई". पंकज ने शिकायत करते हुए कहा
सिमरन -" नही अंकल. मैं फिर आउन्गि, आप बैठो और आराधना से बात करो ना". ये बात बोलते बोलते सिमरन खड़ी हो गयी थी.
पंकज -" अरे आराधना, तू ही बोल अपनी फ्रेंड को रुकने के लिए ना."
आराधना -" वो खुद ही आई और खुद ही जाना चाहती है तो हम क्या कर सकते है. आप ही रोक लीजिए वैसे भी आपके रोकने से तो ये सच मे ही रुक जाएगी". आराधना ने फिर से शब्द के तीरो को चलाया.
पंकज - " सिमरन चलो अब तो रुक ही जाओ. मैं छोड़ आउन्गा तुम्हे घर पे. बोलो क्या पीना पसंद करोगी- चाइ, कॉफी?"
सिमरन -" अंकल ग्रेट ईव्निंग है. मेरा तो घर जाकर मस्त बियर पी कर सोने का प्लान है. आप चाइ कॉफी पीजिए".
पंकज -" चलो तो ठीक है, आज तुम्हारे साथ बियर पी लेते है. तुम बैठो यही मैं लेकर आता हू".
पंकज बाहर जाने लगता है. आराधना गेट के करीब जाकर देखती है कि पंकज कहाँ है. अब वो रूम से दूर जा चुका था. आराधना फिर से सिमरन पे चिल्लाने लगती है -
" यही बाकी रह गया था कि मेरे बाप के साथ बैठ कर पीना. सच बोल रही हू कि गजब लड़की है तू". आराधना बोलती है.
सिमरन -" आराधना ग्रो अप यार. क्या हो जाएगा अगर हम बैठ कर दो बियर पी लेंगे. प्लीज़ यार अपनी मेनटॅलिटी चेंज कर. मैं अभी जा सकती हू लेकिन तेरे डॅडी ही ज़िद कर रहे है. मैं हर बात मज़ाक मे लेती हू लेकिन वाकई मे तू बहुत सीरीयस ले रही है. जो कुच्छ बात थी वो मैं तुझे बता चुकी हूँ अब तू शक करना बंद कर".
आराधना -" मुझे अच्छा नही लगता कि मेरे डॅड के इतने करीब तू जाए. अगर तू मेरी फ्रेंड है तो प्लीज़ ये गेम बंद कर." आराधना की वाय्स बहुत सॉफ्ट हो चुकी थी.
सिमरन -" अरू, यू आर माइ बेस्ट फ्रेंड. तेरे लिए तो मैं कुच्छ भी कर सकती हू. सच बता तुझे तेरे डॅड अच्छे लगते है?
आराधना -" बहुत......". आराधना एग्ज़ाइटेड होकर बोलती है.
सिमरन -" डॅड के जैसे या एक मर्द के जैसे?". सिमरन उसके दिल की सारी बात निकलवाना चाहती थी.
आराधना -" पता नही".
आराधना अपना मूँह फिरा लेती है. उसकी साँसे तेज हो चुकी थी.
सिमरन खड़ी होकर उसके पास जाती है. उसका चेहरा अपने हाथो मे लेती है और अपनी तरफ घुमाती है.
सिमरन -" मैं तेरी फ्रेंड हू अगर मुझसे शेर करेगी तो शायद मे तेरी कुच्छ हेल्प कर पाऊ. सच बता कहीं तेरे दिल मे तेरे डॅड के लिए कुच्छ रोमॅंटिक जज़्बात उमड़ रहे है क्या?"
आराधना चुप रहती है. सिमरन अपने हाथ को उसके कान पर रख कर नीचे उसके बूब्स की तरफ ले जाकर बोलती है -
सिमरन -" कहीं तेरी इच्छा तो नही होने लगी है कि तेरे डॅड तेरी बॉडी के साथ खेले. तेरे इन मस्त बूब्स को दबाए. पूरी रात तेरे बदन को मसले और तेरी चूत....". इससे पहले की सिमरन कुच्छ और बोलती आराधना उसके मूँह पर अपना हाथ रख कर चुप करा देती है.
आराधना -" प्लीज़....... कुच्छ मत बोल."
उसकी नज़रे झुकी हुई थी और वो साँसे तेज तेज ले रही थी.
सिमरन -" तू कहेगी तो आज रात ही तेरा काम करा दूँगी. मर्दो को कैसे कंट्रोल करना होता है सब तरीके मुझे पता है. बता अगर रेडी है तो?"
आराधना -" नही...." उसकी आवाज़ मे दम नही था. ये देख कर सिमरन को हँसी आने लगती है.
सिमरन -" जैसी तेरी मर्ज़ी....." और वो मूड कर अपनी चेर पे दोबारा जाने लगती है. तभी आराधना बोलती है -
आराधना -" सुन......."
सिमरन -" हाँ बोल"
आराधना -" क्या मैं तुझपे पूरा भरोसा कर सकती हू?"
सिमरन -" तेरे सामने कोई और ऑप्षन है तो उस पर कर ले. वैसे मैं तुझे बता दू कि लाइफ मे कुच्छ भी करने के लिए किसी पे भरोसा करना ज़रूरी है. जो तू करती नही है, तुझे तो बस शरीफ बन ने का शौक है."
आराधना -"तो सुन जो तूने कहा मैं वो सब चाहती हू........". आराधना ने अपने दिल के हाल बयान कर दिए. सिमरन जैसे चिल्ला के पड़ी खुशी के मारे और जाकर उसके गले से लग जाती है. " ओये होये रानी...... ऐसा शॉट मारा कि बॉल ही बाउंड्री पर. डाइरेक्ट डॅड से ही ........" सिमरन खुशी मे ही बोलती है.
" अब तू मज़ाक मत उड़ा. मैने तुझे अपने दिल की बात बता दी है. चाहती हू कि तू मेरी हेल्प करे" आराधना बोलती है.
सिमरन -" मेरी जान अभी तू अपनी इस फ्रेंड के गट्स नही जानती है. तेरे डॅड को तेरा आशिक ना बना दिया तो कहना. लेकिन तुझे मेरी हर बात मान नी पड़ेगी. "
आराधना -" मैं कुच्छ भी करूँगी....."
तभी पंकज की एंट्री होती है रूम मे. उसके हाथ मे बियर की कुच्छ बॉटल्स थी. " क्या करने को कह रही है आराधना". पंकज बोलता है.
सिमरन -" कुच्छ नही अंकल बस ऐसे ही जनरल टॉक चल रही थी."
पंकज -" सो हियर आर दा बियर्स.". पंकज उन्हे एक छोटे से टेबल पे रखते हुए बोलता है.
रूम मे बस एक ही चेर थी और एक छोटा सा टेबल. उस चेर पे सिमरन बैठी होती है. टेबल पे बियर रखने के बाद पंकज एक बियर को खोलता है और उसे सिमरन को ऑफर करता है - " बियर टू आ ब्यूटिफुल गर्ल". सिमरन उसे ले लेती है.
" अंकल आप भी लीजिए ना...." सिमरन उसे रिक्वेस्ट करती है.
" मैं तो ज़रूर लूँगा..." पंकज डबल मीनिंग वाली बात कहता है.
"चियर्स.........." और दोनो अपनी बॉटल्स को आपस मे टकराते है.
सिमरन -" अंकल और बताइए"
पंकज -" पुछो ना"
सिमरन -" आपको क्या कुछ अच्छा लगता है?"
पंकज -" बहुत कुच्छ" पंकज की निगाहे सिमरन के बूब्स पर थी.
आराधना ये सब देख कर जले भुने जा रही थी. तभी सिमरन को एक फोन कॉल आता है और वो सीरीयस हो जाती है.
" कब ......... ओके मैं आती हू..." सिमरन कॉल डिसकनेक्ट कर देती है.
" अरू, अंकल मुझे जाना होगा. घर पे कोई प्राब्लम हो गयी है". सिमरन बोलती है
पंकज -" सब ठीक तक तो है ना बेटी"
सिमरन -" सब ठीक है अंकल लेकिन बाद मे बताउन्गि कि क्या हुआ है. ओके अंकल मैं चलती हू". सिमरन अपनी बियर टेबल पे रखती हुई बोलती है.
पंकज -" चलो मैं तुम्हे नीचे तक छोड़ देता हू".
और फिर वो दोनो नीचे चले जाते है. आराधना का मूड बिल्कुल खराब हो जाता है. उसको गुस्सा आ रहा था.
थोड़ी देर वेट करने के बाद वो सिमरन को फोन मिलाती है.
सिमरन -" हेलो"
आराधना -" तो मेरे दिल की बात लेना चाहती थी तू"
सिमरन -" यार समझा कर. एक प्राब्लम हो गयी है मैं बाद मे बता दूँगी"
आराधना -" और उसका क्या?"
सिमरन -" उसका किसका?
आराधना -" जो तूने कहा था कि आज रात करा देगी"
सिमरन -" मैं सच बोल रही हू कि करा दूँगी. भरोसा रख बस मेरे उपर. मैं कल आती हू"
आराधना -" ठीक है." और आराधना गुस्से मे फोन काट देती है.
आराधना खून के कड़वे घूँट पीकर सो जाती है.
वेडनेसडे शाम के 4 बज चुके थे. स्मृति के दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी क्यूंकी जैसे जैसे टाइम बीत रहा था तो उसे अहसास भी होता जा रहा था कि उस लाइयन से मिलने का टाइम करीब आ रहा है. आज दोपहर खाना भी सही से नही खाया उसने, पता नही क्यूँ उसके गले से नीचे ही नही उतर रहा था.
" पता नही कौन है और कैसा है. क्या मैं उससे मिल कर ग़लत तो नही कर रही हू? कहीं वो ऐसी कोई हरकत दोबारा तो नही कर देगा जो उसने स्केरी हाउस मे करी थी?, कहीं ये कोई ब्लॅक मेलर तो नही है?". स्मृति के माइंड मे पता नही कितने सवाल आ रहे थे. उसका मोबाइल उसके हाथ मे ही था की तभी फ़ेसबुक मेसेंजर पे मेसेज रिसीव होता है. वो लाइयन ही था -
लाइयन - स्मृति जी, यू देअर?
स्मृति - हाँ जी कहो......
लाइयन - तो आज का प्लान पक्का है ना?
स्मृति - कौन सा प्लान?
स्मृति ने उसे जान बुझ कर ऐसा दिखाया जैसे वो सब भूल ही गयी हो. वो भाव खा रही थी.
लाइयन - क्या आप भूल गयी कि आज आपको मिलने आना है. वेडनेसडे ईव्निंग, फार्म हाउस, कुच्छ याद आया?
स्मृति - हाँ हाँ, तुमने बोला तो था. लेकिन मुझे याद नही.....
लाइयन - आपको घर से निकलने मे कुच्छ ही घंटे रह गये है और आप कह रही है कि कुच्छ याद नही. ऐसा ना कहो नही तो आपके इस दोस्त का दिल टूट जाएगा.
स्मृति - ओके ओके. इतनी ज़िद कर रहे हो तो आ जाउन्गि. लेकिन मैं तुम्हे पहचानूँगी कैसे?
लाइयन - आप टेन्षन ना ले. आप आ जाइए और मैं पहचान लूँगा.
स्मृति - मुझे कैसे पता चलेगा कि जो मुझे पहचानेगा वो लाइयन ही है मीन्स वो तुम ही हो.
लाइयन - पहचान ने के लिए तो बहुत सारी चीज़े है जिन्हे आप फील कर चुकी है.
स्मृति - तुम फिर से शुरू हो गये. मैं झूठे प्रॉमिस नही करती इसीलिए आ रही हू, अभी तो तुम्हारी कोई भी हरकत ऐसी नही है जिनसे इंप्रेस होकर मैं आउ. और वैसे भी ये तुमसे लास्ट मीटिंग है, उसके बाद ना चाटिंग ना मीटिंग.
लाइयन - आपसे एक मीटिंग हो जाए बस मुझे और कुच्छ नही देखना. मैं आपसे मिल कर समझ लूँगा कि मैने यहीं जन्नत यहीं देख ली मैने.
स्मृति - बाते बनाना कोई तुमसे सीखे. ठीक है मैं आ जाउन्गा लेकिन घर जल्दी आना है मुझे. समझे?
लाइयन - जी मेडम समझ गया. आप टेन्षन ना लो आप जल्दी से जल्दी घर चली जाना. लेकिन पहन कर क्या आ रही हो आप?
स्मृति - क्यू बताऊ?
लाइयन - अब इतना तो बता ही दो.
स्मृति - सर्प्राइज़.
लाइयन - चलो हम आपके सर्प्राइज़ का वेट करेंगे. बाइ
स्मृति - बाइ
दोनो की चाटिंग फिर से ख़तम हो जाती है. अब लगभग 4.45 PM हो चुके थे. अपने मोबाइल को बेड पर फैंक कर वो बाथरूम मे घुस जाती है. वो गाने गुन गुना रही थी जिससे सॉफ दिख रहा था कि वो बहुत हॅपी थी. बाथरूम मे आज अच्छा टाइम स्पेंड किया उसने, पूरी बॉडी वॉश की और हेर वॉश किए. हेर एक अच्छे ड्राइयर से सुखाए और उन्हे स्टाइल देना शुरू कर देती है. उसकी लेग्स ऐसे चमक रही है जैसे कभी उन पर कोई बाल था ही नही.
ऊम्र की झलक ना तो उसकी बॉडी पर थी और ना ही उसके फेस पर. ऐसी शाइनिंग तो जवानी मे भी लड़कियो को नसीब नही होती है. अपनी बॉडी के हर अंग को वो क्लीन कर चुकी थी, शायद ये मीटिंग के लिए नही बल्कि नॉर्मली वो क्लीन कर ही लेती थी.
वॉर्डरोब से नयी ब्रा और पैंटी का सेट निकालती है. ब्रा पॅडेड थी एक्सट्रा क्लीवेज के लिए, अक्सर छोटे बूब्स वाली लड़किया इन्हे पहनती है लेकिन पता नही स्मृति ने इसे पहन ने का फ़ैसला क्यू किया जबकि उसके बूब्स तो वैसे ही अपने मे रेकॉर्ड थे. टवल को उतार कर वो ब्रा को पहनती है, ब्रा उसको ऐसे आई जैसे बनी ही उसके लिए है. एक्सट्रा पॅडेड होने के कारण उसके बूब्स जैसे बिल्कुल उपर की तरफ आ गये थे. किसी भी मर्द के लिए ऐसा सीन देखना जैसे अपनी जवानी को भड़काना है लेकिन अनफॉर्चुनेट्ली वहाँ कोई था नही.
स्मृति अपनी पैंटी भी पहन चुकी थी. अब अपने वॉर्डरोब से वो एक येल्लो शॉर्ट ड्रेस निकालती है. उसे हॅंगर पे रहते हुए ही वो उठा कर देखती है और देख कर स्माइल करती है, वो खुद भी समझ गयी थी कि आज वो कितनी सेक्सी लगने जा रही थी.
उसने घड़ी मे फिर टाइम देखा, 5.30 हो चुके थे. " अब मुझे फाइनली रेडी हो जाना चाहिए". स्मृति अपने मन मे सोचती है और उस ड्रेस को लेकर बाथरूम मे घुस जाती है. बाथरूम मे जितना हॉट मेक अप वो कर सकती थी उसमे उसने पूरी ताक़त लगा दी. उसे खुद भी समझ नही आ रहा था कि आख़िर क्यूँ वो इतनी एग्ज़ाइटेड है.
करेक्ट 7 PM स्मृति अपने रूम से बाहर आती है. "ओह माइ गॉड....." पंकज उसे देख कर आश्चर्य से खड़ा हो जाता है. " क्या बात है, ऐसी कभी जवानी मे तो नही दिखी तू जैसी आज दिख रही है". पंकज उससे मज़ाक मे बोलता है. स्मृति ने येल्लो शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी.
" देखने वाले की नज़र पे डिपेंड करता है कि क्या दिखाई देता है उन्हे और क्या नही". स्मृति भी अपने मूँह स्टाइल मे उपर करते हुए बोलती है.
" कैसी पार्टी होगी जिसमे मेरी बीवी इतनी हॉट बन कर जा रही है". पंकज फिर से बोलता है.
" वो तो मैं बचपन से ही हॉट हू..... अच्छा लाओ गाड़ी की चाबी देना". स्मृति बोलती है.
पंकज उसे गाड़ी की चाबी दे देता है और बोलता है कि आराम से जाना.
स्मृति बाहर आती है. जैसे ही गाड़ी के पास आती है तो उसे कुशल दिखाई देता है, उसने भी जीन्स और टी-शर्ट पहना हुआ था. स्मृति उसे देख कर रुक जाती है.
" कहीं जा रहा है क्या?". स्मृति कुशल से सवाल करती है
" मोम देख कर तो आपको लग रहा है कि आप कहीं जा रही है." कुशल रिप्लाइ करता है
" बाते मत बना और बता कि कहाँ जा रहा है?". स्मृति फिर से उससे बोलती है
" मोम एक फ्रेंड की बर्तडे पार्टी है, वहीं जा रहा हू और रात को आने मे थोड़ा लेट हो जाउन्गा". कुशल बोलता है.
स्मृति ने कार के डोर को अब तक ओपन कर लिया था. वो उसने बैठते हुए बोलती है -
" इटस ओके. लेकिन ड्रिंक करने की कोई ज़रूरत नही है. ओके?"
" मोम आज कल बिना ड्रिंक के भला कोई पार्टी होती है. हाँ लेकिन फिर भी मे ज़्यादा नही पीऊँगा." कुशल रिप्लाइ करता है
स्मृति -" चल ठीक है. अपना ख्याल रखियो. बाइ." और कार का गेट बंद कर लेती है. कार को वो बाहर निकाल कर उस फार्म हाउस के लिए रवाना हो जाती है.
वो उस एरिया से वाकिफ़ तो नही थी लेकिन उसको आइडिया था तो वहाँ तक ड्राइव करके चली जाती है. करीब चालीस मिनिट की ड्राइव के बाद वो उस एरिया मे पहुँच जाती है. उसके बाद वो एक छोटी सी शॉप के सामने अपनी गाड़ी रोकती है, मिरर खोलती है.
" भैया ये ------ फार्म हाउस कहाँ होगा". वो शॉपकीपर से पूछती है
" मेडम यहाँ से सीधा, टी पॉइंट से राइट और रोड बस उस फार्म हाउस पे ही ख़तम होगा". ये बात बोलते हुए उस शॉपकीपर के मूँह पे एक अलग सी ही स्माइल थी. स्मृति अपनी कार आगे बढ़ा देती है. " कितना बद तमीज़ आदमी था". वो अपने मन मे सोचती है. और उसके बताए उसे रास्ते पर चल देती है.
उस रोड पर कोई ज़्यादा पॉप्युलेशन नही थी. थोड़ी ही देर के ड्राइव के बाद वो उस रोड पर पहुँच जाती है. फार्महाउस के आउटर लुक से काफ़ी इंप्रेस होती है.
" चलो स्टॅंडर्ड तो सही है इस लाइयन का". अपने मन मे सोचती है. फार्म हाउस के चारो तरफ धीमी लाइटिंग थी जो कि काफ़ी रोमॅंटिक फीलिंग दे रही थी. फार्म हाउस के राइट साइड मे ही बहुत बड़े स्पेस मे ही पार्किंग स्पेस दिया गया था जिसमे असिस्ट करने के लिए लोग भी थे. स्मृति को एक पार्किंग गाइ असिस्ट करता है और वो अपनी कार पार्क कर देती है. पार्किंग गाइ से ही वो पूछती है कि मेन एंट्रेन्स कहाँ है और वो उसे प्रॉपर गाइड कर देता है.
स्मृति अपने हिप्स को मटकाते हुए आगे बढ़ती बढ़ती है. जैसे जैसे वो मेन एंट्रेन्स के करीब पहुँच रही थी वैसे वैसे म्यूज़िक की आवाज़ उसके कानो तक और क्लियर होती जा रही थी.
स्मृति मेन एंट्रेन्स तक पहुँच जाती है, जहाँ एक हॅंडसम लड़का और एक सेक्सी लड़की रिसेप्षन पे खड़े हुए थे. उंसके साइड मे सेक्यूरिटी गार्ड्स भी खड़े थे. रिसेप्षन के दोनो लोग स्मृति को ग्रीट करते है
रिसेप्षन - "हेलो मॅम".
स्मृति - " हाई".
रिसेप्षन - " सो मेडम प्राइवेट ऑर सोशियल?" वो स्मृति से ये सवाल पूछते है
स्मृति - " आइ डॉन'ट नो इफ़ इट ईज़ सोशियल ऑर प्राइवेट. सम्वन इन्वाइटेड मी हियर आक्च्युयली".
रिसेप्षन - " एनी आइडी रिक्वाइयर्ड मेडम दट यू आर अबव 18 यियर्ज़". स्मृति इस बात को सुनकर काफ़ी हॅपी हुई क्यूंकी उसे ऐसा लगा कि आज भी वो लोगो डाउट है कि वो 18 की है या नही.
स्मृति -" क्या आप लोगो को मुझे देख कर डाउट है कि मैं इस एज से कम हूँ."
रिसेप्षन -" नो मॅम. ये एक फॉरमॅलिटी है ऐज इनसाइड एन्वाइरन्मेंट ईज़ फॉर अडल्ट्स ओन्ली.". ये बात सुनकर स्मृति का माथा ठनकता है लेकिन वो रिसेप्षन पे कुच्छ नही दिखाती.
स्मृति - " लेकिन ये सोशियल ओर प्राइवेट क्या है?"
रिसेप्षन - " मॅम हम लोगो की प्राइवसी का ख्याल रखते है. हमारे दो सेगमेंट है. सोशियल जो कि आपके एंटर होते हो आपको दिख जाएगा -सोशियल मे सभी लोग होते है. ड्रिंक, डॅन्स, चॅट, वॉक ओर वहटेवेर लेकिन आपको सबकी प्राइवसी का ख्याल रखना पड़ेगा. किसी भी मेंबर का नाम ओर पर्सनल आइडेंटिटी पुछ्ना अलोड नही है. दिस पार्टी ईज़ फॉर फन ओन्ली. "
स्मृति - " और प्राइवेट क्या होता है"
रिसेप्षन -" प्राइवेट मीन वन सेपरेट एरिया जहाँ बस आप और आपके पार्ट्नर होंगे".
स्मृति डाउट्स मे थी कि ये चक्कर क्या है और ये कैसी पार्टी है. लेकिन वो रिसेप्षन वालो को डाउट नही कराना चाहती थी. रिसेप्षन वाले स्मृति के हाथ पर एक स्टंप लगाते है और उसे एल फेस मास्क पहन ने को देते है. उस फेस मास्क को देख कर स्मृति के माइंड मे बहुत सारे सवाल आते है -
स्मृति -" ये फेस मास्क क्यू?"
रिसेप्षन -" मेडम ये एक अडल्ट प्लेस है जहाँ लोग एंजाय करने आते है. हमे उनकी और आपकी प्राइवसी का ख्याल रखना है. अंदर जाने वाले सभी मेम्बेरा को ये पहन ना ज़रूरी है".
स्मृति -" अगर कोई ना पहने या अंदर उतार दे तो "
रिसेप्षन -" अगर कोई ना पहने तो वो अंदर नही जा सकता और अगर कोई अंदर उतारेगा तो सेक्यूरिटी उसे सस्पेंड करके बाहर भेज देगी"
स्मृति भी सोचती है कि अच्छा है किसी को पता भी नही चलेगा कि मैं कौन हू और वो उस फेस मास्क को लगा लेती है. आक्चुयल मे वो फेस मास्क नही बस आइ मास्क था.
स्मृति अंदर एंटर हो जाती है. अंदर एंटर होते ही उसे समझ आ जाता है कि ये कोई अडल्ट पार्टी है. ये एक बहुत बड़े स्पेस मे था. राइट साइड मे बार टाइप काउंटर बने हुए थे जिन पर गर्ल्स आंड बाय्स ड्रिंक कर रहे थे. बीच मे चेर आंड टेबल लगे हुए थे जिन पर काफ़ी कपल्स बैठे हुए थे. लेफ्ट साइड और स्ट्रेट म्यूज़िक डीजे लगा हुआ था जिस पर भी कपल्स डॅन्स कर रहे थे.
सभी गर्ल्स ने आइ मास्क और बाय्स ने फुल फेस मास्क पहना हुआ था. माहौल काफ़ी रंगीन था. सभी गर्ल्स ने शॉर्ट ड्रेस ही पहनी हुई थी और बाय्स ने जीन्स आंड टीशर्ट.
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