RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
लाइयन - मैं कहीं से पिक नही करूँगा. आपको डाइरेक्ट आना होगा वहाँ पे. और प्लीज़ एक रिक्वेस्ट और है.
स्मृति - बोलो
लाइयन - कोई भी शॉर्ट ड्रेस पहन कर आइए गा. जो आपकी थाइस से नीचे ना हो.
स्मृति - इतनी कंडीशन तो कभी मैने अपने बाप की भी नही सुनी. मैं नही आने वाली करले जो करना है.
लाइयन - मुझे पता था कि आप ऐसे ही गुस्सा हो जाएँगी. लेकिन सुन तो लीजिए कि मैने उस ड्रेस के लिए क्यूँ बोला?
स्मृति - भोंक जल्दी
लाइयन - ये उस पार्टी का ड्रेसा कोड है. मेरा बस चले तो मैं बुर्क़ा पहन के आपको वहाँ बुलाऊ लेकिन क्या करे जब ऐसे नही हो सकता है.
स्मृति - मेरे पास कोई ऐसी ड्रेस नही है.
लाइयन - मैने कहा ना कि आपके बारे मे मुझे सब डीटेल्स है. मुझे पता है कि एक शॉर्ट ड्रेस और एक लोंग ड्रेस भी खरीदी है आपने. अरे आपने तो वो ड्रेस भी खरीद ली जो मैने आपको पहले बताई थी. कमाल है आप भी वैसे मुझसे लड़ती भी है और मेरी बातो को इतना ध्यान रखती है.
स्मृति अपने मन मे सोचा रही थी कि ये हरामी इतनी बाते कैसे जानता है.
स्मृति - अपनी बकवास बंद करो. मुझे अब नहाने जाना है. लेट हो रही हू.
लाइयन - ठीक है तो वेडनेसडे ईव्निंग मिलते है.
स्मृति - अब कितनी बार कहु की आ जाउन्गि.
लाइयन - अभी तक तो एक बार भी नही कहा.
स्मृति - चलो अब कह दिया कि आ जाउन्गि. बस!!!
लाइयन - एक बात कहु?
स्मृति - जल्दी बक मुझे नहाने जाना है.
लाइयन - ठीक है तो जाओ.
स्मृति - जल्दी बक कि क्या बात है..
लाइयन - बताऊ?
स्मृति - जल्दी बता...
लाइयन - इतनी प्यारी चूत तुम्हे उपर वाले ने दे कैसे दी. उपर वाला भी पक्ष पात करता है.
स्मृति - बस हो गयी ख़तम बकवास. अब मैं नहाने जाउ?
लाइयन - जी हाँ जाइए प्लीज़. बाइ
स्मृति - बाइ
लाइयन - टेक केअर
स्मृति साइंड ऑफ......
स्मृति का सर अभी तक चकरा रहा था कि आख़िर ये कैसे हो गया. एक लड़के ने उससे चॅट करनी शुरू और नौबत यहाँ तक आ गयी.
खैर अब वो इस मॅटर को वेडनेसडे को ख़तम करना चाहती थी तो रिलॅक्स होकर नहाने चली गयी.
आराधना कॉलेज पहुँच गयी थी. आज उसे पिक करने सिमरन नही आई थी. घर पर कुच्छ ना खाने की वजह से आराधना सीधा कॅंटीन मे जाती है. कॅंटीन मे घुसते ही उसकी निगाहे सबसे पहले सिमरन से मिलती है लेकिन सिमरन अपने चेहरा फिरा लेती है.
आराधना जूस ऑर्डर करती है और सिमरन से थोड़ी दूरी पर बैठ जाती है. थोड़ी देर बस सिमरन उठ कर चल देती है. लेकिन आराधना उसे आवाज़ लगाती है -
आराधना -" कहाँ चली?"
सिमरन -" तुझसे मतलब"
आराधना -" ओये होये आज तो मेडम का पारा कुच्छ ज़्यादा ही हाइ है".
सिमरन -" तो तेरी क्या पूजा करू"
आराधना -" कर ले पूजा, हो सकता है माता खुश हो जाए" आराधना अपना एक हाथ ऐसे उठाते हुए बोलती है जैसे कोई आशीर्वाद दे रही हो.
सिमरन -" किया ना कल माता ने खुश, इतनी बाते सुना कर".
आराधना सिमरन का हाथ पकड़ कर प्यार से उसे बिठाती है.
आराधना -" आ गया था गुस्सा लेकिन तू मेरी पक्की दोस्त है तो मैं माफ़ कर देती हू". इतनी बात सुन कर सिमरन को फिर गुस्सा आ जाता है.
सिमरन - " बड़ी आई माफ़ करने वाली. ऐसी क्या ग़लती कर दी मैने जो तूने मुझे माफ़ कर दिया."
आराधना -" क्या दोबारा वो तीन कॉंडम लाकर दिखाऊ"
सिमरन - " ओह्ह्ह तो अभी तक उसी बात के पीछे पड़ी है. हाँ मैने सेक्स किया, तीन बार किया और करती रहूंगी. कर ले जो करना है. अगर नही रखनी तुझे दोस्ती तो कोई बात नही. "
आराधना-" ऐसा नही है मुझे दोस्ती नही रखनी. लेकिन तू सोच क्या शादी से पहले ये सब करना सही है"
सिमरन -" महारानी साहिबा, आप अपनी पुसी को बचा कर रखो. मुझे मत सिखा ये सब, मैं तो अपने बॉय फ्रेंड के साथ खूब एंजाय कर रही हू और करती रहूंगी".
आराधना - " बॉय फ्रेंड क्या, एंजाय तो तू और मर्दो के साथ भी कर रही है"
सिमरन उसकी इस बात से शॉक्ड रह जाती है.
सिमरन -" किस मर्द के साथ?"
आराधना -" क्या तूने मेरे डॅड को ब्लो जॉब नही दी".
ये बात सुनते ही सिमरन के चेहरे का रंग जैसे फीका पड़ गया.
सिमरन -" तुझसे ये बात किसने बोली"?
आराधना -" मैने खुद देखा था तुझे".
सिमरन -" अपने बॉय फ्रेंड के साथ मैने सेक्स किया तो तूने इतना बड़ा ड्रामा कर दिया और तूने मुझे तेरे डॅड को ब्लो जॉब दी और तू देख कर चुप रह गयी. इतनी भोली तो तू नही लगती. सच सच बता कि कैसे ये कहानियाँ बना रही है तू"
आराधना सिमरन का हाथ पकड़ कर अपने सर पर रखती है.
आराधना -" खा मेरी कसम कि तूने मेरे डॅड को ब्लो जॉब नही दी?"
सिमरन अपने हाथ हो हटा कर उससे थोड़ा पीछे होकर बोलती है.
सिमरन -" ज़्यादा तेज मत बन. हाँ मैने ब्लो जॉब दी, और ब्लो जॉब ही नही, तेरे डॅड का सारा रस चूसा मैने लेकिन मैं ये जान ना चाहती हू कि तू कैसे जानती है?" सिमरन का गुस्सा उसके चेहरे पे दिख रहा था
आराधना -" मैने खुद देखा था......" अब आराधना खूब घबरा रही थी और उसकी आवाज़ हकलाने लगी थी.
सिमरन -" मैने तो सच बता दिया तुझे लेकिन तू सच नही बोल रही. अब अगर सुन ना चाहती है तो सुन.... एक लड़की होने के नाते अगर मैने तेरी डॅडी की हेल्प कर दी तो क्या बुरा करा."
आराधना -" हेल्प? ऐसे करती है तू हेल्प सबके डॅडी की"
सिमरन -" तुझे चाहे समझ आए ना आए लेकिन मुझे तो दिखता है ना. देखा नही था तूने उस दिन कि तुझे कैसी नज़रो से देख रहे थे जब तूने वो साड़ी पहनी थी. आदमी की सबसे बड़ी कमज़ोरी लड़की ही होती है, तेरे डॅड किसी के लिए तरस रहे थे तो मैने अपना थोड़ा प्यार उन्हे दे दिया तो क्या बुरा किया. और मुझे डर नही किसी का कि मैने कुच्छ ग़लत किया."
आराधना -" अगर यही प्राब्लम तेरे डॅडी के साथ होती तो क्या तू उन्हे भी ब्लो जॉब दे देती?"
सिमरन -" ब्लो जॉब? अबे अपना सब कुच्छ दे देती. तू अपने ये ड्रामे अपने पास रख, मेरा लाइफ स्टाइल अलग है. एक बाहर का लड़का आता है, हमे फाँसता है और हमारा काम कर के भाग जाता है तो इससे तो अच्छा है कि प्यार की दो बूंदे हम अपने डॅड को दे दे लेकिन तू ये सब क्यू पुच्छ रही है. मुझे तो लग रहा है कि तेरा दिल ही तेरे डॅड पे आ गया है?"
आराधना -" तुझे ऐसी बाते करते हुए शरम आनी चाहिए?"
सिमरन -" हम सब लड़कियो मे यही परेशानी है. शरम शरम और शरम. जहाँ कहीं पे किसी को अच्छी बात समझता है तो तुझे शरम आनी चाहिए. वैसे ये सब बाते छोड़ और प्लीज़ बता ना कि तुझे कैसे पता चला कि तेरे डॅड और मेरे बारे मे"
आराधना -" बस मुझे पता है." और आराधना वहाँ से उठ कर चल देती है.
सिमरन -" कहीं ऐसा तो नही कि तूने अपने डॅड के साथ कुच्छ ट्राइ किया और उन्होने तुझसे कह दिया कि उन्हे सिमरन पसंद है". सिमरन उसके पीछे से बोलती है उसको उकसाने के लिए. ये बात सुनकर आराधना रुक जाती है और पीछे मूड कर बोलती है -
आराधना -" तुझे बहुत प्राउड है अपने उपर? "
सिमरन -" क्यू ना हो. उपर वाले ने बनाया बहुत नाप तोल के है". सिमरन ने अपनी टी-शर्ट के कॉलर पकड़ कर खड़े करते हुए कहा
आराधना -" आज के बाद अगर मेरे डॅड की तरफ देखा भी तो सही नही होगा." आराधना उसे उंगली दिखाती है.
सिमरन -" अच्छा तो तूने फ़ैसला कर लिया है कि तू ही देखेगी अपने डॅडी की तरफ". सिमरन उसकी तरफ आँख मारते हुए बोलती है.
आराधना -" अगर ज़रूरत पड़ी तो मैं वो सब कर सकती हू जो तूने किया मेरे डॅड के साथ. लेकिन अब तेरी परच्छाई भी नही पड़ने दूँगी उन पर".
सिमरन -" अगर तेरे मे गट्स होते तो वो भला मेरे पास आते ही क्यू. भूखे को खाना नही दोगि तो ऐसा ही होगा". सिमरन उसे चॅलेंज करते हुए बोलती है
आराधना -" अब उन्हे इतना खाना मिलेगा कि अगर तू अगर अपने सेकेंड हॅंड खाने के साथ पैसे भी देगी ना तो वो तेरे पास नही आएँगे".
सिमरन -" रात रात मे क्या जादू हो गया मेरी सहेली पे. बड़ा प्यार उमड़ रहा है अपने डॅडी के लिए. सच बता अगर कुच्छ बात है तो शायद मे तेरी हेल्प कर पाऊ".
आराधना -" मुझे तेरी किसी हेल्प की ज़रूरत नही"
सिमरन - " जैसी तेरी मर्ज़ी लेकिन मुझसे क्यू गुस्सा हो रही है".
आराधना - " नही गुस्सा नही हू". और फिर दोनो नॉर्मल हो जाते हैं. लेकिन सिमरन के माइंड मे चल रहा था कि कुच्छ तो बात है तभी इसे वो ब्लो जॉब वाली बात पता चल गयी.
प्रीति अपने रूम मे उठ चुकी है और नींद की ही हालत मे अपने रूम से बाहर निकल कर टाय्लेट की तरफ चल देती है. जैसे ही टाय्लेट के गेट को खोलने वाली थी तो खुद ही उसका गेट खुल जाता है और उसमे से कुशल बाहर निकल कर आता है. प्रीति की नींद थोड़ी खुल जाती है क्यूंकी उसे उम्मीद थी कि कुशल थोड़ी बदतमीज़ी कर सकता है.
लेकिन उसका सोचना ग़लत साबित हुआ. क्यूंकी कुशल निकलते ही सीधा अपने रूम मे जाता है. यहाँ तक कि वो प्रीति की तरफ देखता भी नही.
प्रीति को होश आता है तो उसे लगता है कि इसे क्या हुआ. इतना शरीफ कैसे हो गया ये. वो सोचने पे मजबूर हो जाती है और कुशल को अपने रूम मे जाते हुए देखती रहती है लेकिन वो पीछे मुड़कर नही देखता है
प्रीति सोचते सोचते ही टाय्लेट मे घुस जाती है. उसको ये भी लग रहा था कि उसे कोई ग़लत फ़हमी हुई है. खैर वो अपने आप को फ्रेश करती है और बाहर आ जाती है. अपनी रूम की तरफ धीरे धीरे जाते हुए वो कुशल के रूम मे झाँक कर देखती है. कुशल बेड पर अपना मोबाइल हाथ मे लेकर बैठा हुआ था और वो किसी गहरी सोच मे था. प्रीति उसकी तरफ रुक कर देखती है लेकिन वो बाहर नही देखता.
प्रीति वहाँ से आगे बढ़ने की सोचती है लेकिन तभी उसके माइंड मे एक प्लान आता है. " उन्न्ह उन्न्नह, वो ऐसे खाँसती है जैसे गले मे कुच्छ अटक गया हो. कुशल उसकी तरफ देखता है और प्रीति हंस कर पलके झपका झपका कर देखने लगती है.
कुशल -" लगता है तुझे तो टीबी हो गया, तेरा टाइम पूरा हुआ". ये बात सुन कर प्रीति को तो जैसे झटका ही लग गया और वो पाँव पटक कर अपने रूम मे भाग जाती है. और बेड पर उल्टा लेट जाती है. उसको यकीन नही हो रहा था कि ये क्या हो गया है कुशल को.
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स्मृति नहा चुकी थी और मॉर्निंग मेक ओवर कर रही थी. उसके माइंड मे यही चल रहा था कि लाइयन कितना हरामी निकला, मुझे अपना फ्रेंड बनाया, मेरा पीछा किया, मैने क्या क्या खरीदा ये अब देखा उसने आंड लास्ट मे स्केरी हाउस मे मुझे अपना विक्टिम बनाया. कमाल की प्लॅनिंग करता है ये हरामी. लेकिन अब वो सॅटिस्फाइ थी कि वेडनेसडे को उससे मिल कर ये सारा गेम ही ख़तम कर देगी और उसके बाद अपनी फ़ेसबुक प्रोफाइल को भी चेंज कर देगी.
" लेकिन पंकज से क्या बोल कर जाउन्गि?". उसके माइंड मे यही सवाल चल रहा था. उसने प्लान बनाया क़ी आज बच्चे भी सोए हुए है और आराधना भी बाहर गयी हुई है, क्यू ना पंकज को पटाउँ वेडनेसडे नाइट पर्मिशन के लिए. यही सोचकर वो अपने आप को तैयार करने लगती है. उसने आज लाइट पिंक कलर का सूट पहना और लाइट लीप स्टिक आंड आइ शॅडो लगाने के बाद वो चाइ बनाने के लिए किचन मे चली जाती है. स्मृति की बॉडी की सबसे खास बात उसकी हाइट आंड उसकी स्लिम बॉडी थी. पंकज बाहर हॉल मे अभी तक न्यूज़ पेपर ही पढ़ रहा था.
थोड़ी देर बाद स्मृति ट्रे मे चाइ लेकर आ जाती है. वो स्लो वाय्स मे गाना गुन गुना रही थी. काफ़ी हॅपी नज़र आ रही थी वो. वो पंकज को मुस्कुराते हुए चाइ देती है. पंकज बिना न्यूसपेपर से आँखे हटाए उससे चाइ ले लेता है. स्मृति बाते करना शुरू करती है -
स्मृति -" क्या बात है आज कल बहुत हॅंडसम होते जा रहे हो". स्मृति उसे खुश करना चाहती थी.
पंकज -" क्या बात है, तुम भी बिजली गिरा रही हो चारो तरफ. दिन पे दिन औरत कम और लड़की ज़्यादा लगती हो". पंकज की निगाहे स्मृति के बूब्स पर थी.
स्मृति -" और बताओ, सब सही चल रहा है बिज़्नेस वग़ैरा".
पंकज -" उपर वाले की दुआ से सब सही है"
स्मृति -" अच्छा क्या वेडनेसडे को आप फ्री है?"
पंकज -" क्यूँ?"
स्मृति -" नही वो मेरी एक फ्रेंड ने एक पार्टी रखी है. अगर आप फ्री हो तो मेरे साथ चलो". स्मृति ने अंधेरे मे तीर छोड़ा.
पंकज -" अरे नही यार. तुम किसी और के साथ चली जाओ. ये लॅडीस पार्टी हमारे समझ से बाहर है. " स्मृति की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी
स्मृति -" लेकिन मैं किसे लेकर जा सकती हू?" स्मृति ने नकली गुस्सा करते हुए कहा
पंकज -" कुशल को ले जाओ. " पंकज ने न्यूसपेपर पढ़ते हुए कहा
स्मृति -" मैं एक अडल्ट पार्टी की बात कर रही हू. वहाँ बच्चो का क्या काम. वहाँ ड्रिंक, डॅन्स और पता नही क्या क्या होगा. बच्चो पर इसका क्या फ़र्क पड़ेगा". स्मृति का टारगेट अकेले जाना था इसीलिए वो इतनी बाते बना रही थी.
पंकज - " अगर अडल्ट पार्टी है तो क्या कुशल बच्चा है? कम ऑन डियर, अब सब बच्चे बड़े हो गये है. अगर तुम उससे कंफर्टबल नही हो तो आराधना को ले जाओ".
स्मृति -" आराधना ओल्ड आइडियास वाली है, उसे वो पार्टी पसंद नही आएगी".
पंकज -" हा हा हा हा हा".
स्मृति -" हंस क्यू रहे हो".
पंकज -" नही तुम कह रही हो कि आराधना ओल्ड आइडियास वाली लड़की है. वो तुमसे भी अड्वान्स है बस थोड़ा गाइड करो उसे".
स्मृति -" आप ही गाइड करो. मैं तो अकेले ही चली जाउन्गि और जल्दी आ जाउन्गि
पंकज -" इससे बेहतर तो कुच्छ हो ही नही सकता. "
स्मृति -" आप तो चाहते ही मुझे अकेले भेजना हो". स्मृति ने झुटे नखरे दिखाते हुए कहा लेकिन उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही था.
पंकज -" इस बार चली जाओ, अगली बार से मैं साथ ही चलूँगा... ओके".
स्मृति झूठा गुस्सा दिखाते हुए चाइ पीने लगती है लेकिन उसके मन मे लड्डू फुट रहे थे. चाइ ख़तम करने के बाद स्मृति वापिस किचन मे चली जाती है और प्लॅनिंग करने लगती है कि कैसे जाना है और कैसे आना है. लेकिन उसके चेहरे पर टेन्षन नही दिख रही थी.
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उधर उपर प्रीति को टेन्षन खाए जा रही थी कि आख़िर कुशल को क्या हुआ है. " कहीं वो मुझसे सच मे तो गुस्सा नही हो गया?" उसके दिल मे बहुत सारे सवाल चल रहे थे और टेन्षन मे वो बहुत पागल सी हुए जा रही थी.
उसने फिर से प्लान बनाया कि क्यू ना उसके रूम मे जाया जाए और पता किया जाए कि आख़िर क्या चल रहा है उसके दिमाग़ मे. वो नहाने चली जाती है, और बाथरूम मे अपनी बॉडी को अच्छे बॉडी वॉश टॉनिक से धोती है. बालो को भी शॅमपू करती है. जो उसकी सबसे बेस्ट ब्रा थी, नहाने के बाद वो उसे पहनती है.
उसका एक मन कहता है कि चल देखा जाएगा जो होगा लेकिन आज ब्रा पहन कर ही उसके रूम मे चलती हू वैसे भी आराधना दीदी भी अपने रूम मे नही है. लेकिन फिर से वो डर जाती है कि कहीं दाव उल्टा ना पड़ जाए और वो कहीं उसे दबोच ना ले.
फाइनली उसने पिंक टाइप स्ट्रिंग वेस्ट पहनी जिसमे उसके शोल्डर्स विज़िबल थे. बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी वो. उसने अपने बालो को हेर ड्राइयर से सूखाया और उन्हे खुला ही रहने दिया. लिप्स पे लिप बॉम लगाया लेकिन लिपस्टिक नही और वैसे भी उसके लिप्स ऑलरेडी पिंक ही थे.
अब वो अपने रूम से निकल कर कुशल के रूम की तरफ चल देती है. उसका दिल धक धक कर रहा था, पाँव काँप रहे थे. वो जाते जाते रुक जाती है और फिर से सोचने पे मजबूर हो जाती है -" सोच ले बेटा, वैसे भी बहुत परेशान कर चुकी है तू. कुशल अभी एक भूखे शेर की तरह है, अगर अकेले मे मिल गयी तो बच नही पाएगी.". उसका माइंड उसे रुकने के लिए बोलता है लेकिन अगले ही पल उसका स्ट्रॉंग माइंड जागता है " ऐसे कैसे कुच्छ भी कर देगा वो. आइ आम ऑल्सो ए फ्री गर्ल, मेरी बिना मर्ज़ी के वो कुच्छ नही कर सकता " और वो कॉन्फिडेन्स के साथ उसके रूम की तरफ चल देती है.
उसके गेट पे पहुँच कर वो रुक जाती है. उसका गेट खुला हुआ था. प्रीति थोड़ा सा आगे बढ़ती है और देखती है कि कुशल अभी भी बेड पे बैठा हुआ है और मोबाइल मे देख कर कुच्छ सोच रहा है. एक सेक्सी स्टाइल मे प्रीति उसके गेट से चिपक कर बोलती है.
प्रीति उसी पोज़िशन मे कुशल से बोलती है -
प्रीति -" कुशल...... कुशल..... ?" प्रीति बहुत ही लो वाय्स मे उसे आवाज़ लगाती है. कुशल का ध्यान एक दम से झटका ख़ाता है और वो प्रीति की तरफ देखता है
कुशल -" हाँ क्या बात है?"
प्रीति -" इतना गुस्से मे क्यू है?"
कुशल -" तुझसे मतलब, तू बता कि तुझे क्या चाहिए?"
प्रीति -" ओह्ह्ह इतना आटिट्यूड..."
कुशल -" सीधी बात करो तो आटिट्यूड. नखरे तो ऐसे दिखाती है कि जैसे मेरी बीवी हो".
प्रीति -" ( बहुत ही लो वाय्स मे) - आधी बीवी तो बना ही लिया है".
कुशल -" क्या कहा तूने?"
प्रीति -" कुच्छ नही.... मैं तो बस इतना कह रही थी कि नखरे तो तू दिखा रहा है".
कुशल -" मेरे पास बहुत कुच्छ है तुझे दिखाने के लिए लेकिन अब मन नही है".
प्रीति -" क्यूँ ऐसा क्या हो गया ".
कुशल -" तू सही कहती थी. तेरे पीछे टाइम खराब करने से कुच्छ फ़ायदा नही. "
प्रीति -" पीछे टाइम खराब करने से कुच्छ फ़ायदा वाकई मे नही है, अगर करना है तो आगे टाइम खराब कर ना". प्रीति फिर से लो वाय्स मे बोलती है.
कुशल -" क्या कहा तूने?"
प्रीति -" मैने कहा कि ऐसा क्या हो गया कि तू ये कह रहा है कि टाइम खराब करने से कुच्छ फ़ायदा नही है."
कुशल -" ज़्यादा भोली मत बन. तुझे नही पता कि मेरा टाइम कैसे खराब हो रहा है"
प्रीति -" कैसे हो रहा है.........." प्रीति बहुत ही कामुक आवाज़ मे बोलती है
कुशल -" चाहू तो अभी तेरी चूत को अपने लंड से खोल दू. और इतना खोल दू कि उसके बाद तेरी चूत मे अगर कोई लंड भी जाएगा तो तुझे पता भी नही चलेगा. लेकिन अब मूड नही है. "
प्रीति -" कितनी गंदी गंदी बाते करता है तू. "
कुशल -" तो किसने बोला कि मुझसे बात कर. तू अपनी चूत को बचा के रख, और मुझसे दूर रहा कर नही तो सच मे तुझे एक दिन दोनो साइड से चोद दूँगा. अब अगर मे चुप हू तो खुद आकर मुझे छेड़ रही है."
प्रीति -" अगर तुझसे बात करने आ गयी तो क्या मैं तुझे छेड़ रही हू?"
कुशल -" अँधा नही हू मैं. तुझे खुद शरम नही आती मेरे जज़्बातो से खेलते हुए."
प्रीति -" आज तो कुच्छ ज़्यादा ही गुस्सा आ रहा है तुझे. देख तू कभी मेरी मजबूरी भी समझ..." इससे पहले की प्रीति अपनी बात पूरी कर पाती की कुशल चिल्ला कर पड़ता है.
कुशल -" मजबूरी, मजबूरी, और मजबूरी. भाड़ मे जाए तू और तेरी मजबूरी. चूत की कमी नही है इंडिया मे, तू कोई स्पेशल नही है. सच बोल रहा हू कि तरसेगी लंड को तू. घर बैठे बिठाए तुझे वो प्यार देने को तैयार था जिसके लिए अब तू बाहर धक्के खाएगी लेकिन तुझे समझ नही आया."
प्रीति उसके करीब जाती है उसे शांत करने के लिए.
प्रीति - " चल तू गुस्सा मत हो. ग़लती तुझसे हुई और ग़लती मुझसे भी हुई, हमे कुच्छ ऐसा करना ही नही चाहिए था.".
कुशल -" फिर से एक नया ड्रामा. कहाँ सीख के आती है तू ये सब, मुझे कुच्छ नही सुन ना ये सब."
प्रीति -" देख मैं भी एक इंसान हू लेकिन हू तो लड़की ही."
कुशल -" अगर तू लड़की है तो तूने ये जब क्यू नही सोचा जब मेरा लंड चूस रही थी और अपनी चूत मुझे दिखा रही थी. जब चूत मरवाने की बारी आई तो लड़की होना याद आ गया तुझे. " कुशल का चेहरा लाल होता जा रहा था
प्रीति -" ओके......... ओके!! मैं सोच के बताउन्गि इस बारे मे."
कुशल -" हा हा हा हा. किसी ग़लत फ़हमी मे मत रह. मुझे तेरी चूत की कोई ज़रूरत नही है. तू वर्जिन रह".
कुशल गुस्से मे रूम से बाहर भाग जाता है. और प्रीति उसकी इस आक्टिविटी से शॉक्ड रह जाती है. वो सोचने पर मजबूर हो जाती है कि अब तक मेरा इतना बड़ा दीवाना आज मुझसे बात करने को ही तेय्यार नही है.
उसके चेहरे पर टेन्षन के सॉफ भाव दिखाई दे रहे थे. उसको ऐसा लग रहा था जैसे उसके हाथ से कुच्छ खो गया हो. समझ नही आ रहा था उसे कि वो क्या करे और क्या ना करे.
आराधना पता नही क्यू आज कॉलेज मे अपना मन नही लगा पा रही थी. और जैसे ही लास्ट सेशन की बेल बजती है वो तुरंत तेज़ी से अपने मस्त हिप्स मटकाते हुए कॉलेज के गेट की तरफ भागने लगती है. उसको सिमरन गेट पर अपनी कार मे मिल जाती है.
सिमरन -" आजा स्वीटी... मैं ड्रॉप कर दूँगी.". आराधना अपने अधूरे मन के साथ उसकी कार मे बैठ जाती है. आज सिमरन कार कुच्छ स्लो चलाती है.
आराधना -" क्यू इसे साइकल की तरह चला रही है. इससे अच्छा तो मैं पेदल ही चली जाती." आराधना गुस्सा दिखाते हुए बोलती है.
सिमरन -" कार स्लो नही लेकिन हाँ तुझे घर पहुँचने की कुच्छ ज़्यादा ही जल्दी है. क्यू आज कोई तुझसे मिलने आ रहा है क्या "
आराधना -" नही.... नही ऐसा कुछ... नही है". आराधना सिमरन की बात सुनकर घबरा जाती है. सिमरन स्लो स्पीड पे जाते जाते आराधना को घर छोड़ देती है.
आराधना घर मे आने के टाइम बहुत हॅपी थी. " हाई डॅडी". वो बहुत एनर्जी के साथ अपने डॅडी को ग्रीट करती है और उन्हे पहुँच कर हग कर लेती है. पूरी जान से अपने बूब्स उनके सीने मे दबा देती है.
पंकज -" कैसा रहा कॉलेज का दिन?"
आराधना -" पता नही क्यू मन नही लगा". आराधना हंसते हुए अपने डॅड को बताती है
पंकज -" पढ़ाई मे मन लगाना ज़रूरी है". पंकज सीरीयस होते हुए बोलता है. आराधना को उसकी इस बात से बहुत झटका लगता है.
इतने मे स्मृति भी वहाँ आकर पूछती है आराधना से -" बेटे थक गयी होगी तो खाना खा ले".
"मुझे भूख नही है". और आराधना गुस्से मे उपर अपने रूम मे भाग जाती है. वो अपने डॅड के रिएक्ट से हॅपी नही थी. खैर इतने टाइम वो अपने कपड़े चेंज करती है और फ्रेश होती है.
कुशल घर के बाहर जा चुका था और स्मृति अपने रूम मे थी. अब ग्राउंड फ्लोर पे बाहर बस पंकज ही बैठा हुआ था. आराधना को कॉलेज से आए हुए भी एक घंटे से ज़्यादा हो चुका था.
तभी मेन गेट से एक और एंट्री हुई. वाइट टॉप और वाइट मिनी स्कर्ट मे, बेल्ली पिन भी लगाई हुई थी. खुले हुए बाल और एक स्टाइलिश चाल मे एक लड़की एंट्री लेती है. हॉल फिर से मादक खुसबु से भर गया. शी वाज़ नन अदर दॅन सिमरन. डॅम हॉट... क्या लुक्स थे आज उसके.
पंकज को अपनी सीट से उठने पे मजबूर होना पड़ा. उसका मूँह खुला हुआ था.
सिमरन -" हाई अंकल!!!!ल"
पंकज -" आओ बेटा, आख़िर आ ही गयी याद तुम्हे". सिमरन के चेहरे पे एक सेक्सी स्माइल थी.
वो अंदर आते ही सोफे पे बैठ जाती है.
पंकज -" और सुनाओ".
सिमरन -" कुच्छ नही अंकल, बस ऐसे ही घर पे कोई नही था तो सोचा कि आराधना से मिलने आ जाउ".
पंकज -" कभी हम से भी मिलने आ जाया करो ". पंकज फिर से उसकी तरफ भूखी नज़रो से देखता है.
लेकिन सिमरन बस स्माइल करके चुप हो जाती है. तभी पंकज की निगाहे सिमरन की नेक पर बने ड्रॅगन टॅटू पर जाती है.
पंकज -" क्या तुम्हे ये टॅटूस पसंद है?"
सिमरन -" यस अंकल, आइ लाइक टॅटूस. इससे मेरी लुक्स और भी स्टाइलिश और सेक्सी हो जाती है".
पंकज मन मे सोचता है कि और कितना सेक्सी बनेगी. तभी बीच मे ही सिमरन खड़े होते हुए फिर बोलती है.
सिमरन -" मेरे बॉडी के अलग अलग पार्ट मे टॅटूस बने हुए है, क्या आप देखना चाहेंगे".
पंकज -" क्यूँ नही ......" पंकज तो जैसे सम्मोहित होता जा रहा था.
और डिफरेंट सी अदा मे सिमरन खड़ी होती है और अपना साँस अंदर लेते हुए और मिनी स्कर्ट को थोड़ा नीचे करती है. टी - शर्ट को थोड़ा सा उपर करती है. उफफफ्फ़ क्या सीन था.
पंकज का हाथ ऑटोमॅटिकली सिमरन के सपाट पेट की तरफ बढ़ने लगता है.
" सिमरन........" उपर से नीचे आती हुई आराधना पूरी जान से चिल्लाति है. पंकज अपना हाथ पीछे खींच लेता है.
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