RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
आराधना के पास से गुज़रता हुआ पंकज सीधा रूम मे जाता है. आराधना गेट पे ही खड़ी ही थी, उसके नेचर मे सिमरन और प्रीति ने एक आग डाल दी थी तभी तो उसमे इतनी हिम्मत आ चुकी थी कि आज वो अपने डॅडी के सामने मिडनाइट मे सेक्सी, ट्रॅन्स्परेंट, और सेमी न्यूड नाइट सूट मे थी.
पंकज बिना आराधना की ओर देखते हुए अंदर जाने लगता है. आराधना की निगाहे सिर्फ़ पंकज पे ही टिकी हुई थी, दूसरी तरफ आराधना की बॉडी से भीनी भीनी खुसबु भी पंकज को अच्छी तरीके से पागल कर रही थी.
अब पंकज रूम मे आ चुका है. पता नही क्यू वो आराधना से नज़रे नही मिला पा रहा था और रूम मे चारो तरफ देख रहा था. दोनो चुप थे और रूम मे सन्नाटा था. धीरे धीरे चल कर आराधना भी रूम मे अंदर आ जाती है.
" आज बताती हू कि लड़की क्या चीज़ होती है". आराधना ने सिमरन की बात को याद करते हुए मन मे सोचा. पंकज बेड पे बैठ जाता है और अपनी बियर की एक सिप लेता है, उसकी निगाहे बस आराधना पे है अब. आराधना वॉर्डरोब से एक नेल पैंट की शीशी निकालती है, एक चेअर् लेकर पंकज से बस 2 हाथ की दूरी पर बैठ जाती है. पंकज के हाथो मे जैसे कंपन हो रही थी लेकिन वो कुच्छ बोल नही रहा था. कुर्सी पे बैठते ही आराधना वो करती है जिसका आइडिया पंकज को भी नही था, कुर्सी पे बैठते ही आराधना नेल पैंट अपने पाँव की फिंगर्स पे लगाने के लिए झुक जाती है. ओह माइ गॉड..... खुद आराधना भी नही जानती थी कि ये सीन किसी भी इंसान की भावनाओ को किस हद तक भड़का सकता है. उसके सेक्सी बूब्स नाइट सूट से ऐसे बाहर आ जाने तैयार हो गये थे, वैसे भी नाइटी उसने खुद ही उसने बेहद टाइट ली थी. वो इस तरीके से झुकी तो पंकज क्या किसी भी इंसान का ध्यान पहले बॉडी और बाद मे रिश्तो पे जाएगा. पंकज खो चुका था.
आराधना -" मोम सो गयी क्या"? आराधना ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा लेकिन पंकज का माइंड वहाँ नही कहीं और ही घूम रहा था. दूसरी तरफ से रिप्लाइ ना मिलने पे आराधना ने नज़रे उठा कर देखा तो पंकज एक टक उसके बूब्स को ही देखे जा रहा था. ये देख कर आराधना की थोड़ी सी हँसी छूट गयी और वो सीधा होते हुए पंकज की आँखो के सामने चुटकी बजाती है और दोबारा पूछती है
" मोम सो गयी क्या?" आराधना ने दोबारा पुछा
पंकज -" क्या..... क... ओह्ह्ह्ह मोम..... वो तो सो गयी" पंकज हड़बड़ा गया था
आराधना -" तो आपको नींद नही आ रही क्या". आराधना दोबारा उसी सिचुयेशन मे आ जाती है जिसमे पहले थी और दोबारा नेल पैंट लगाना शुरू कर देती है.
पंकज -" नही वो बेटी नींद नही आ रही थी तो सोचा कि उपर घूम आउ?"
आराधना -" आपने अच्छा किया, वैसे मे भी बोर हो रही थी". आराधना ने फिर ने थोड़ी सी नज़रे उपर करी तो देखा कि पंकज की निगाहे अभी भी उसके बूब्स पे ही थी
पंकज -" कभी तुम भी नीचे घूमने आ जाया करो. क्या हमेशा उपर रहती हो या घर से बाहर कॉलेज चली जाती हो". पंकज ने शिकायत करते हुए कहा
आराधना -" रहने दो डॅड, मैं आपकी पर्सनल लाइफ मे प्राब्लम नही देना चाहती. क्या पता आप हसबैंड वाइफ......"
पंकज -" ओह्ह कम ऑन आराधना. अब तुम एक अडल्ट हो, उस दिन का अहसास मुझे भी है लेकिन मे आशा करता हू कि तुम समझ सकती हो."
आराधना -" किस दिन की बाते कर रहे है है आप?" आराधना ने अंजान बनते हुए कहा
पंकज -" तुम्हे सब पता है कि मैं किस दिन की बात कर रहा हू".
आराधना -" नही डॅडी मुझे नही पता".
पंकज -" वो ही दिन जब तुम्हारी मोम और मैं..... तुम्हे अब पता तो है". पंकज बीच मे ही बात को छोड़ते हुए बोला.
आराधना -" ओह्ह वो दिन....... सब सही है डॅडी लेकिन एक बात बोलू?"
पंकज -" हाँ बेटे बोलो ना. वैसे तुम एक समझदार और बड़ी लड़की हो, जो भी कहोगी सही ही कहोगी".
आराधना -" डॅड, क्या आप लोग गेट बंद नही कर सकते थे. अगर थोड़ा बहुत होता तो चलता लेकिन आप लोग तो....." आराधना ने बीच मे ही बात छोड़ते हुए कहा
पंकज -" थोड़ा बहुत से क्या मतलब है तुम्हारा?"
आराधना -" डॅडी अब कैसे बताऊ. आप समझदार है"
पंकज -" नही मुझे बताओ ना. हो सकता है कि तुम कुच्छ ही चीज़ सिखा दो".
आराधना -" तो मैं आपकी बताती हू डॅडी. अगर आप लोग किस कर रहे होते तो बात भी थी कि गेट खुला रह गया लेकिन मोम तो आपके वहाँ........" आराधना बीच मे चुप हो गयी
पंकज -" वहाँ क्या". पंकज ने स्लो वाय्स मे कहा
आराधना -" आपको पता है कि मैं क्या कहना चाहती हू". आराधना की आवाज़ मे कंपन्न थी
पंकज -" मुझे नही पता कि तुमने क्या देखा. मेरा ध्यान तो कहीं और था. तो मुझे बताओ ना कि क्या हो गया था" पंकज ने अंजान बनते हुए कहा
आराधना -" गेट खोल कर आपको मोम को अलाव नही करना चाहिए था कि वो वहाँ किस करे.". आराधना की हालत बेहद खराब होती जा रही थी, आवाज़ काँपने लगी थी, टिट्स खड़े होने लगे थे आख़िर उसने ऐसी बाते कभी किसी से नही की थी.
पंकज -" बेटा सब अचानक हो गया. नही तो गेट तो डेली बंद रहता है".
आराधना -" तो डेली मोम से मेहनत कराते हो." आराधना ने थोड़ा हंसते हुए कहा
पंकज -" वो... नही. गेट डेली बंद होता है लेकिन हम डेली ऐसा नही करते." आराधना के उस एरॉटिक रूप और बियर का नशा धीरे धीरे पंकज पे चढ़ने लगा था और उसका लंड आकार लेने लगा था.
आराधना -" क्यूँ डेली मोम सुंदर नही लगती क्या आपको?". आराधना ने बहुत नशीले अंदाज मे पंकज की तरफ देखते हुए कहा
पंकज -" तुम्हारी मोम बिल्कुल ऐसी थी जैसी तुम आज हो अपनी जवानी मे". ये बात बोलते हुए पंकज की निगाहे बस आराधना के गोरे गोरे बूब्स पे हो थी
आराधना -" हप!! यू आर सो नॉटी.". आराधना ने भी शरमाते हुए कहा
पंकज को भी समझ नही आ रहा था कि ऐसा क्यूँ हो रहा है लेकिन उसका लंड अब बुरी तरीके से अकड़ चुका था. उसकी पॅंट मे तंबू बन चुका था लेकिन अभी तक आराधना की निगाहे वहाँ नही पड़ी थी क्यूंकी वो नीचे झुक कर नेल पैंट लगाने मे लगी हुई थी. पंकज को समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे और वो बड़ी ही अनकंफर्टबल सिचुयेशन मे था लेकिन ज़्यादा हिल भी नही सकता था नही तो आराधना को शक होने का चान्स था.
आराधना आज सारे गजब ढाने मे लगी हुई थी. नेल पैंट लगाने के बाद वो चेर से खड़ी होती है और वॉर्डरोब की तरफ जाती है नेल पैंट को रखने के लिए. पहले आराधना ने आइ लेवेल से उठाया था नेल पैंट को लेकिन इस बार उसने फ़ैसला किया कि वॉर्डरोब मे नीचे रखेगी. इसके लिए वो नीचे झुकती है. उफफफ्फ़...., और कितना ज़ुल्म होना था पंकज पे. अब उसकी छोटी सी पैंटी मे गान्ड विज़िबल थी पंकज की तरफ, वो एक टक देखा ही जा रहा था और करता भी ऐसी सिचुयेशन मे. पैंटी भी ज़्यादा हार्ड मेटीरियल की नही थी तो अंदर का हिस्सा भी थोड़ा थोड़ा विज़िबल हो रहा था. पंकज अपने जज़्बातो को कंट्रोल मे किए हुए था लेकिन अब उसका लंड ऐसी हालत मे आ चुका था जहाँ उसका पानी बिना कुच्छ किए निकल सकता था. लेकिन पंकज को अपनी इज़्ज़त प्यारी थी, जैसे आराधना का चेहरा दूसरी तरफ था पंकज ने अपने लंड को अड्जस्ट करने का फ़ैसला किया जिससे कि अगर वो रूम से बाहर जाए तो कुच्छ भी आराधना को दिखाई ना दे. लेकिन जैसे ही उसने अपनी पॅंट के उपर से अपने लंड पे हाथ लगाया उसके मूँह से एक आआहह निकल गयी.
आराधना -" डॅडी क्या हुआ?". आराधना सीधा खड़े होते हुए अपने डॅड से बोलती है. पंकज अपना हाथ एक झटके मे हटा लेता है. लेकिन अब आराधना की निगाहे सीधी उसके लंड पे जाती है. वो ऐसे खड़ा हुआ था कि अंदर कुच्छ छुपा रखा हो, बेहद सख़्त और बेहद ही स्ट्रॉंग. आराधना तो क्या कोई बच्चा भी देख कर आइडिया लगा लेता कि पंकज की क्या हालत है. आराधना एक जवान लड़की थी, मिड नाइट मे उसके कमरे मे एक मर्द और उसका लंड अगर इस सिचुयेशन मे होगा तो कोई भी जवान लड़की पागल हो सकती है. जैसे ही आराधना की निगाहे उस लंड की उठी हुई जगह पर पड़ी उसकी तो जैसे साँसे ही रुक गयी. उसका सीना उपर नीचे होने लगा, पाँव जैसे काँपने लगे. दोनो मे से किसी को कुच्छ समझ नही आ रहा था कि क्या बोले - आराधना की निगाहे उसके लंड वाली जगह पर और पंकज की निगाहे आराधना के चेहरे पर टिकी हुई थी.
इस चुप्पी तो को पंकज तोड़ता है.
" वो अरू, तुम्हारा वॉशरूम यूज़ करना है. ज़रा हाथ गंदे है वो धो लेता हू" पंकज ने आराधना से कहा
ऑफ... कॉर्स डॅड" आराधना उसे बाथरूम डोर की तरफ इशारा करते हुए कहती है. अब पंकज खड़ा होता है तो सारी पोल खुल जाती है. पता नही कैसे अभी तक ज़िप बंद थी लेकिन करीबन 6 इंच बाहर निकला हुआ था पॅंट का हिस्सा बाहर की तरफ. इस बार आराधना के हाथ अपनी मूँह पे पहुँच जाते है आश्चर्य मे.
पंकज -" क्या हुआ अरू?". पंकज आराधना से पुछ्ता है
आराधना अपना मूँह दूसरी तरफ फिरा लेती है और कहती है -
आराधना -" वो.... डॅडी..... डॅडी... वो... वो...."
पंकज -" बोलो ना बेटा क्या बात है"
आराधना -" वो... डॅडी आपके इसको..... क्या.... क्या हुआ है......".
पंकज-" अरू मजबूर हू, मर्द हू ना. आशा करूँगा कि तुम माइंड नही करोगी". पंकज जैसे थोड़ा शर्मिंदा हो रहा था
आराधना -" इट ईज़ ओके डॅड. मे कोई ईडियट नही हू और समझ सकती हू. लेकिन ये ... ये ...."
पंकज -" बोल ना अरू"
आराधना -" वो वो डॅड... ये तो कुच्छ ज़्यादा ही बड़ा है...... नही?" आराधना एक झटके मे बोल गयी.
पंकज -"शादी के बाद तुम्हारी मोम बहुत परेशान रही लेकिन धीरे धीरे उसके सारे रास्तों को मेने इस ट्रक की आदत डाल दी".
आराधना की हँसी छूट गयी ये बात सुनकर. " आप को बियर चढ़ गयी है, आप प्लीज़ बाथरूम मे जाइए". आराधना पंकज को धक्का देते हुए बाथरूम मे भेजती है लेकिन पंकज एक झटके से छूट जाता है और आराधना के दोनो बूब्स पंकज की पीठ से टकरा जाते है और फिर से एक चुप्पी छा जाती है.
पंकज बिना कुच्छ बोले बाथरूम मे चला जाता है. बाथरूम मे घुसते ही वो अपनी पॅंट खोलता है और अपने लंड को बाहर निकालता है. "ओह". पंकज को जैसे अब आराम मिला है काफ़ी देर के बाद. पंकज पेशाब करने लगता है. इधर आराधना को अपना लीप ग्लॉस लगाना था जो वो शॉपिंग करके लाई थी लेकिन वो भी बाथरूम मे ही था.
लेकिन पंकज तो जैसे बाथरूम से निकलने का नाम ही नही ले रहा था. पेशाब करने के बाद वो अपने हाथो को भी धोने लगा.
" डॅडी क्या टाइम लगेगा" आराधना बहुत ही स्लो वाय्स मे बाथरूम के बाहर से पूछती है
पंकज -" हाँ थोड़ा और लगेगा, क्यू?"
आराधना -" मेने एक लिप ग्लॉस खरीदा था वो अंदर ही रख दिया है मेने"
पंकज -" तो बाथरूम का डोर खुला है, तुम आ सकती हो"
आराधना -" शुवर?? आप क्या कर रहे है?"
पंकज -" जो तुम सोच रही हो वो मे कर चुका हू, तुम अंदर आ जाओ".
आराधना गेट खोल कर बाथरूम के अंदर चली जाती है. बाथरूम मे लो लाइट थी लेकिन आराधना का गोरा बदन सॉफ चमक रहा था. पंकज बाथ टब पे बैठ कर अपने हाथ पावं धो रहा था.
आराधना बहुत स्लो स्पीड मे अपना लिप ग्लॉस उठाती है और मिरर मे देख कर उसे लगाने लगती है. पंकज उसे मिरर मे देख रहा था.
पंकज -" ऐसा क्या खास है इस लिप ग्लॉस मे?"
आराधना -" ये फ्लवॉरड है - स्ट्रॉबेरी". आराधना ने लो वाय्स मे फिर से कहा
पंकज - " ऐसे भी लिप ग्लॉस आते है क्या. मे नही मानता?". पंकज ऐसे ही मज़े ले रहा था लेकिन उसके लंड ने फिर से हलचल शुरू कर दी थी क्यूंकी लो लाइट मे आराधना का दूधिया बदन सॉफ चमक रहा था
आराधना -" नही डॅड , सच मे. ये स्ट्रॉबेरी फ्लेवर है और एक्सपेन्सिव भी है". आराधना उसे अपने लिप्स पे लगाने मे लगी हुई थी
पंकज -" तुम्हारी तो हर चीज़ ही एक्सपेन्सिव है. फ्लवॉरड लिप ग्लॉस? चलो आज ये भी सुन लिया"
आराधना -" आप तो यकीन नही करोगे". आराधना अब लिप ग्लॉस लगा कर घूम चुकी थी. उसके होंठो मे एक अलग शाइनिंग थी. खुले बाल, चमकता बदन और उसके बाद उसने लिप्स भी और जुवैसी कर लिए.
पंकज -" नही मुझे तो यकीन नही है".
आराधना -" तो यहाँ मेरे पास आइए". बहुत ही सेक्सी वाय्स मे आराधना ने पंकज से कहा. पंकज अपनी जगह से खड़ा हुआ और आराधना की तरफ चल दिया. उसका लंड अभी भी तंबू बने ही खड़ा हुआ था और आराधना सॉफ देख रही थी. वो आराधना के बहुत करीब जाकर खड़ा हो जाता है.
पंकज -" यस" पंकज आराधना जी आँखो मे झाँकते हुए बोलता है. वो आराधना के इतने करीब था कि उसका खड़ा लंड आराधना की थाइस को टच करने लगा था.
आराधना पंकज के एक हाथ हो पकड़ कर अपने लिप्स तक लाती है और उसकी एक उंगली पकड़ कर अपने लिप्स लगाती है. दोनो की आँखे एक दूसरे को ही देख रही है. पंकज अपनी एक फिंगर को अच्छी तरीके से आराधना के लिप्स पे घुमाता है. आराधना की आँखे बंद हो गयी थी इस मर्दाने टच से.
पंकज अब उंगली को हटा कर अपने मूँह मे ले जाता है. और ऐसे रिक्ट करता है जैसे कुच्छ सोच रहा है फिर आराधना से बोलता है
पंकज -" स्ट्रॉबेरी जैसा तो कुच्छ लगा नही".
आराधना अपना चेहरा पंकज के बहुत करीब ले जाती है. दोनो के लिप्स के बीच की दूरी बस अब सेनटी मीटर्स मे रह गयी थी.
" आप खुद ही चेक कर लीजिए कि स्ट्रॉबेरी है या नही" बहुत ही सॉफ्ट वाय्स मे आराधना पंकज से बोलती है. ये बोलते बोलते आराधना ने अपनी आँखे बंद कर ली थी,
पंकज ने अपने लिप्स अब आराधना के लिप्स पर रख दिए. उफफफफफफ्फ़.......
अर्र्र्रररीईईईईई ये क्या कर दिया भाई मुझे तो लगता है मामला कुछ और जाने वाला है दोस्तो आपको नही लगता क्या...........
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