RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
दरअसल इस सीन से पहले जब स्मृति अपने पति के रूम में गई थी तो तब तक उसकी हालत लॉयन खराब कर चुका था, सेक्स किए हुए उसे भी बहुत दिन हो चुके थे और लॉयन जैसे किसी अनजान ने उसके जज्बातों को भड़का दिया था,
स्मृति जब अपने रूम में पहुंची थी तो उसने पंकज को जगा हुआ पाया, तभी उसने डिसाइड कर लिया कि आज वह पंकज के साथ सेक्स करके ही रहेगी नहीं तो बहुत मुश्किल हो जाएगी, पंकज की हालत सिमरन पहले ही खराब कर चुकी थी और तभी से उसे भी कुछ नसीब नहीं हुआ था, इधर स्मृति कमरे में पहुंचकर बेड़ पर जा चढ़ी और पंकज के ठीक सामने आकर खड़ी हो गई, पंकज की दोनों सीधी टांगे स्मृति के टांगों के बीच में थी और फिर उसे स्मृति ने एक स्माइल दी जिसने पंकज को समझा दिया की स्मृति को आज प्यार की जरूरत है ,पंकज स्मृति का हाथ पकड़ कर खींचता है और अपने सीने से लगा लेता है ,आज स्मृति पंकज कि वह ख्वाहिश भी पूरी कर देना चाहती थी जो उसने कभी नहीं की थी यानि उसके लंड को चूसने की इच्छा ,थोड़ी देर के लिए उनके हाथों का मंथन चला और उसके ठीक बाद स्मृति ने पंकज का लंड निकाला और उसे अपने मुंह में ले लिया ,पंकज को ऐसे लगा जैसे ऊपर वाले ने उसकी कैसे सुन ली ,
इसी दौरान आराधना तैयार होकर नीचे आ गई और उसने पंकज और स्मृति को इस हालत में देख लिया था ,आराधना उन दोनों के बेडरूम के गेट पर साइड में खड़ी थी ,उसने अपनी पीठ दीवार से लगा दी थी और आंखें बंद थी ,उसको जैसे पंकज का लंड देखकर चक्कर सा आ गया हो , जिसे स्मृति खूब मन से चूस रही थी, आराधना की यह अवधारणा बन चुकी थी कि शायद मम्मी इसे रोज ऐसे ही चुस्ती होगी, लेकिन उसे भी पता नहीं था कि आज स्मृति भी किस आग से गुजर रही है जो लॉयन भड़का चुका था, बड़ी हिम्मत करके आराधना ने फिर से अंदर झांकने की कोशिश की ,अंदर का नजारा और भी हॉट था, पंकज अपनी टी-शर्ट उतार रहा था और उसका आधा लंड अभी भी स्मृति के मुंह में था ,आधा लंड मुह में होने के बावजूद भी काफी लंड बाहर ही था ,पंकज ने जैसे ही अपनी टी शर्ट उतारी उसकी बालों से भरी मजबूत छाती नंगी हो गई, एकदम माचो मैन लग रहा था,
स्मृति अपना मुंह ऊपर नीचे करके उसके लंड को पूरा अंदर लेने की कोशिश कर रही थी ,लेकिन वह जा नहीं रहा था ,उसके लंड की नसों को देखकर आराधना को ऐसा लग रहा था जैसे वह अभी फटने वाला है, लेकिन उसे नहीं पता था कि लंड की यह खासियत होती है
आराधना फिर से अपने आप को पीछे कर लेती है ,उसके पांव कांप रहे थे, दिल की धड़कन बहुत बढ़ गई थी, सर चकरा रहा था ,कल रात ही उसने पहली बार हस्तमैथुन किया और आज सुबह ही उसे एक मजबूत लंड दिखाई दे गया ,उसे भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी जिंदगी में किस्मत ये कैसा खेल रहे खेल खेल रही है,
तभी उसे अंदर से पंकज की आवाज सुनाई देती है वह कान लगाकर गौर से सुनने की कोशिश करती
पंकज - “पूरा अंदर लेना डार्लिंग” पंकज स्मृति से कह रहा था
स्मृति - “यह कोई बच्चों का लोलीपोप नहीं है ,मुझे ही पता है कि मैं इसे कैसे अंदर ले रही हूं, इससे ज्यादा मुझसे नहीं होगा “स्मृति ने अपने मुंह से पंकज के लंड को हटाकर यह बात कही
पंकज - “ मेरी जान मर्दों के लंड तो ऐसे ही होते हैं, कहो तो बाहर से कोई छोटा खिलौना ले कर आता हूं” पंकज स्मृति को चिढ़ाते हुए कहते हैं
स्मृति - “मुझसे यह गंदी लैंग्वेज में बात मत किया करो” और फिर से स्मृति ने अपना मुंह उसके लंड पर दोबारा लगा दिया
बाहर खड़ी आराधना ने जब अपने पिता के मुह से लंड शब्द को सुना तो वह भी शॉक रह गई, और वह रोमांचित भी थी, शायद उसे यह सब अच्छा भी लगा और शायद उसने यह भी सोचा होगा कि पति पत्नी कितने पर्सनल होते हैं ,बाहर तो किसी के रूप का कोई पता नहीं चलता और असलियत में वह कैसी भाषा में बात करते हैं, पता नहीं आज वहां खड़ा रहना आराधना के लिए बहुत मुश्किल हो रहा था, उसके बर्दाश्त से सब चीजें बाहर होते जा रहे थे, उसका कुंवारा और जवान मन पागल होता जा रहा था, उसके चेहरे पर कुछ गंभीर भाव भी थे ,लेकिन यह क्यों थे पता नहीं ,उसे अब रुकना बेहद मुश्किल सा हो रहा था, लेकिन वह अपने कदम भी नहीं हिला पा रही थी ,बड़ी हिम्मत करके वह थोड़ा आगे को बढ़ी , वह दबे पांव निकलने की सोच रही थी कि तभी उसके पांव उसे धोखा दे गए और एक मामूली सी आवाज ने पंकज का चेहरे को बाहर की तरफ घुमा दिया ,जब नियति कोई चीज होती है तो उसे कोई भी नहीं टाल सकता ,जैसे ही थोड़ी आवाज हुई आराधना ने अपने कदम रोक लिए
और रूम की तरफ देखा और उनकी तरफ देखते ही पंकज और आराधना की नजर मिल गई, आराधना इस टाइम साइड पोज़ में पंकज के सामने थी जिससे उसके बूब्स की शेप पंकज को क्लियर दिखाई दे रही थी, आराधना को Idea था कि अब शायद वो घबरा जाएंगे और मां को वहां से हटाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ ,पंकज की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं था ,उसने अभी दोनों हाथों से स्मृति के चेहरा पकड़ा हुआ था जो उसके लंड को चूसने में मस्त थी ,करीबन 10 सेकंड तक दोनों की नजरें मिली रही और पता नहीं कितने टाइम में दोनों की नज़रों ने एक दूसरे से क्या कहा ,आराधना की सांसे ऐसी ऊपर नीचे हो रही थी कि मानो पता नहीं क्या हो गया हो, कुंवारी लड़की का लंड देखना ठीक ऐसा ही जैसे किसी ने अपने बेडरुम में कोई सांप या बिच्छू देख लिया हो ,आराधना और पंकज की नजरें अभी भी मिली हुई थी, कमाल की बात यह थी कि कोई सिचुएशनल ड्रामा नहीं हो रहा था, जैसे कोई शर्मा कर नजरे चुराई या फिर पंकज उठकर गेट बंद करें,
आराधना फाइनली अपनी नजर निचे करती है और ऊपर की ओर जाने लगती है, उसके चेहरे पर ना जाने क्यों गुस्से के भाव थे, वह धीरे धीरे ऊपर आ जाती है और डायरेक्ट बाथरुम में घुस जाती है, बाथरूम में जाते ही वह अपनी टी-शर्ट उतार कर फेंक देती है और बाथ टब के कोर्नर में बैठ जाती है, उसने अब ऊपर कुछ नहीं पहना हुआ था ,रह रह कर उसको वह सब याद आ रहा था जो उसने नीचे देखा था, बोटम में वह कंफर्टेबल फील नहीं कर रही थी तो उसे भी उतारने का फैसला किया उसने,
उसको ऐसा फील हो रहा था जैसे सिर दर्द हो रहा हो, बॉडी में मीठा मीठा दर्द हो रहा था ,वह ख्यालों में खोई हुई थी, उसको अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसने मॉम डैड को ऐसे ओपन में यह सब करते हुए देख लिया था ,जबकि तीन जवान बच्चे घर में ही है, और क्या वह यह सब रात से ही कर रहे हैं, क्या सेक्स ऐसी चीज है कि रात में भी पेट नहीं भरता उनका ,यह सब सवाल उसके दिमाग में घूम रहे थे,
जरुर ज्यादा आग मां को ही लगी हुई है ,तभी तो कितने प्यार से हो पापा का लंड ........वह सोचते हुए रुक जाती है,
“हां शायद मैं सही हूं डेड तो नॉर्मल थे लेकिन माँ ज्यादा उतावली हो रही थी, रात में उनका पेट नहीं भरा इतने बड़े साइज को भी वह बार-बार लेने की हिम्मत रखती है “ स्मृति की एक इमेज उसके मन में बनती जा रही थी पता नहीं क्या सोचते सोचते उसका एक हाथ अपने पहुंच गया और जैसे ही उसी को टच किया उसे समझ आ गया कि उसका बेहद ज्यादा असर हुआ है
“क्या मेरी उम्र सही है यह सब सोचने की” आराधना के दिमाग में यह सवाल आ रहे थे, कहीं इससे मेरे फ्यूचर पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा ,पता नहीं वह क्या क्या सोचने में बिजी थी
सोचते सोचते फिर से उसकी एक उंगली अंदर जा चुकी थी ,वह ऊँगली को अंदर से और अंदर तक पहुंचाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसके दिमाग में बस वही सीन घूम रहा था जो वह नीचे देख कर आई थी, जो उसे और ज्यादा एक्साइट कर रहा था, बाथ टब पर बैठना से उसे कम्फ़र्टेबल नहीं लग रहा था तो बाथरूम के फ्लोर पर ही बैठ गई, उंगली अंदर और बाहर हो रही थी लेकिन उसे थोड़ा और आरामदायक करने के लिए उसने अपनी टांगे और ज्यादा फैला दी जिससे उसके उंगली और भी स्मूथ होकर अंदर जाने लगी थी ,वह बिना ब्रा और पैंटी की थी यानि बिल्कुल नंगी, ये आराधना स्टाइल नहीं था लेकिन नीचे के सीन ने उसकी आग को और बढ़ा दिया था
दूसरी तरफ स्मृति पंकज का लंड चूसने में लगी हुई थी ,लेकिन पंकज का ध्यान कहीं और ही था, वैसे भी पति को पत्नी का क्रेज एक लिमिटेड टाइम तक ही रहता है, स्मृति को ये आशा थी कि आज वह पंकज के लंड को चुसेगी तो पंकज भी उसे ओरल सेक्स का सुख देगा ,लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, स्मृति जैसे ही उसके लंड से हटी पंकज बोला कि डार्लिंग अब नहीं रात को प्लान बनाएंगे
स्मृति को तो जैसे सारे अरमान मर गए, उसे लगा कि दुनिया के सारे गम उसी पर टूट पड़े हो, एक झटके में वो बेड से उतरी और कपड़े उठाकर बाथरुम में घुस गयी ,कहा जाता है कि आग और औरत की आग को बुझाया न जाए तो पूरा घर हिला देती है
आराधना धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा चुकी थी ,उसका एक हाथ चुत पर था तो दूसरा अपने बूब्स पर पहुंच गया था ,वह बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गई थी और यही था जो वह कर सकती थी
आह्ह्ह ओह्ह्ह्हह के बेहद गर्म साउंड उसके गुलाबी होठों से बाहर आ रहे थे, और कुछ ही मिनटों में वो ठंडी पड़ गई, उसे अब की बार कुछ ज्यादा ही मजा आया ,उसके दिमाग में फिर से बहुत सारे सवाल आ रहे थे कि हर बार उसका मज़ा बढ़ रहा है लेकिन कहीं तो इसका एंड होगा आखिर यह कैसी प्यास है जो जितना बड़ा उतना ही बढ़ती है
कल रात से वह दो बार हस्तमैथुन कर चुकी थी और अब आराम करना चाहती थी इसलिए बेड पर आ कर लेट गई
संडे शाम को पूरी फैमिली शॉपिंग जाने के लिए रेडी थी ,लेकिन सबके माइंडसेट कहीं ना कहीं डाइवर्ट है, खैर नॉर्मल तो सभी देख रहे थे ,पंकज ने अपनी गाड़ी घर के गेट पर लगा दी ,स्मृति सबसे आगे पंकज के साथ बैठ गई ,और पीछे वाली 3 सीटों पर आराधना उसके बाद कुशल और सबसे अंत में प्रीति बैठी हुई थी, आराधना और स्मृति ने सूट पहना हुआ था जबकि प्रीति ने जींस और टी-शर्ट
गाड़ी घर से बाहर निकल गई, सब शांत हैं पंकज नॉर्मल म्यूजिक ऑन कर देता है ,पंकज अपने ड्राइविंग मिरर में पीछे देखता है और उसे आराधना के नेचुरल गुलाबी होंठ दिखाई दे जाते हैं, वह अपनी गर्दन को थोड़ा सा और नीचे करता है तो मिरर में ही उसकी नजरें आराधना से मिल जाती हैं, पंकज उसे एक नॉर्मल सी स्माइल देता है लेकिन वो ऐसे मुंह फेर लेती है जैसे उससे गुस्सा है ,पंकज को यह बड़ा अजीब लगा,
स्मृति पता नहीं किसके ख्यालों में गुम है और कुछ नहीं बोल रही है, कुशल का असली गुस्सा प्रीति पर था जो कि उसे कल से ही आ रहा था लेकिन वह कुछ बोल नहीं रहा था ,पूरी गाड़ी में एक सन्नाटा जिसे प्रीति तोड़ती है
प्रीति –“क्या भाई बड़ा अपसेट सा लग रहा है सब ठीक तो है ना , तू तो तो शॉपिंग के लिए बड़ा एक्साइटेड था” प्रीति ने कुशल को चिढ़ाते हुए कहा
कुशल - " नहीं यार बस ऐसे ही सोच रहा हू की आज क्या क्या ख़रीदूँ"। कुशल ने बात को टालते हुए कहा
प्रीति -" ठण्डा पानि, हे हे हे हे"। प्रीती ने कुशल के कान के क़रीब आकर स्लो वौइस् में कहा
कुशाल -" तेरी चूत में डालने के लिए?" कुशल ने भी उसी स्टाइल में आराम से प्रीति के कानो में कह दिया जिसे और आस पास वाले नहीं सुन सकते थे क्यूंकि म्यूजिक चल रहा था। प्रीती इस बात को सुनकर समझ सकती थी की कुशल में कितना गुस्सा है अभी भी।
" पापा आज गर्मी भी बहुत है प्लीज आइस क्रीम पार्लर पे तो जरूर लेकर चलना"। कुशल में पंकज से कहा
" हाँ हाँ क्यूँ नहीं, क्यूँ आराधना तुम्हारा क्या सोचना है" पंकज ने मिरर में देखते हुए ही आराधना से पुछा,आराधना ने भी जवाब दिया कि क्यों नही
पंकज - " क्यों स्मृति, तुम्हारा क्या ख्याल है आइस क्रीम के बारे में?" पंकज स्मृति से पूछ्ता है।
स्मृति - "मेरा मूड नहीं है", स्मृति ने जवाब दिया
" हाँ तेरा क्यों मूड होग, जब घर बेठे बेठे ही vip आइस क्रीम चूसने को मिल रही है", आराधना अपने मन में ही सोचती है, पता नहीं क्यूँ वो स्मृति के बारे में ऐसा सोच रही थी
खैर थोड़ी देर की ड्राइव के बाद वो मॉल पहुँच जाते है, सबसे आगे स्मृति और पंकज है, उनके पीछे आराधना और सबसे पीछे प्रीती और कुशल,
पंकज स्मृति का हाथ पकड़ लेता है और ये सब आराधना देख रही थी, उसके चेहरे पे स्माइल जरा भी नहीं थी
पीछे कुशल और प्रीती दोनों शांत थे, लकिन प्रीती उस चुप्पी को तोड़ती है -
प्रीति - " ओए होए कुशल आज तो हीरो बन जाएग, नए कपडे लेकर। "
कुशल -" मुझे हीरो बनने के लिए नए कपड़ो की जरुरत नहीं है" कुशल ने ऐटिटूड में आकर कहा
प्रीति - " कितनी ग़लतफ़हमी है तुझे, हा हा हा हा ह, आइना देखा कर डैली"
ये बात बोल कर प्रीती तेज तेज आगे आराधना के पास जाने लगती है, कुशल की निगाहें बस उसके मटकते हिप्स पर थी, जीन्स बेहद लो वेस्ट और टाइट थी और उसने एक शार्ट टीशर्ट पहनी हुई थी जिससे उसकी जीन्स और टीशर्ट के बीच में खाली स्पेस था, कुशल ने गौर से देखा तो खाली स्पेस में उसकी रेड पैंटी दिखाई दे रही थी जिसकी एक मामूली सी स्ट्राइप स्टाइल में जीन्स से बहार थी।
" लड़की को इतना सेक्सी भी नहीं होना चहिये" कुशल अपने मन में सोच रहा था, प्रीती की गाँड की तरफ देखते हुए, तभी प्रीती ने पीछे मुड कर देखा और कुशल को अपने हिप्स को घुरता पाया
" तेरे नसीब में नहीं है"। प्रीती ने पीछे मुड कर कुशल से कहा और है आराधना दीदी के पास भाग कर पहुँच गयी
अब कुशल पीछे अकेला रह गया था, उसकी निगाहें बस प्रीती के हिप्स पर ही जमी हुई थी और जमे भी क्यों न, जो स्लोप उसकी कमर में कुशल देख रहा था ऐसा स्लोप तो आज कल कम ही देखने को मिलता है
प्रीति को भी पूरा अहसास था कि कुशल की निगाहें कहाँ है तो वो और भी मटक मटक के चल रही थी
आगे प्रीती और आराधना चलते चलते बाते करते है -
प्रीति -" दीदी क्या बात है, कहाँ खोयी रहती हो आज कल, कोई इश्क विश्क का तो चक्कर नहीं है"प्रीती ने मजाकिया अंदाज़ में आराधना से कहा
आराधना -" मैं ऐसे चक्करो में नहीं पडती" आराधना ने रिप्लाई किया
प्रीति -" हाँ में तो भूल गयी थी कि हमारी दीदी हिटलर है, हे हे हे हे"
आराधना -" अगर मुझे ये चक्कर अच्छे नहीं लगते तो मैं हिटलर हो गयी?"
प्रीति -" दीदी अगर आप जैसी ही थिंकिंग सभी लड़कियों की हो गयी तो इन सब लड़को का क्या होगा, इनका तो जीवन ही बेकार हो जाएगा, लेकिन चलो छोडो, ये बताओ की आज क्या खरीद रही हो? आज तो कुछ ऐसा ले लो जिससे बिजली गिर जाए चारो तरफ"। प्रीती ने फिर शरारती अन्दाज़ में कहा
आराधना - " मुझे ऐसे कपडे पसन्द नहीं है जिनसे बिजलियाँ गिरे और मुझे हमेशा पुरे कपडे पहनने ही पसंद है, तेरी तरह नहीं जो है पैंटी दीखाती घूम रही है",आराधना ने प्रीती की पैंटी की विज़िबल स्ट्राइप की तरफ इशारा करते हुए कहा
प्रीति - " ओह्ह हो, कहीं ऐसा तो नहीं है की आप जेलस फील कर रहीं है, और वैसे भी दीदी क्या करु , कैसे छुपाऊँ इस बॉडी को, ये साली छिपति ही नही" प्रीती ने बड़े ही रोमांटिक अंदाज़ में कहा और फिर वो हंसने लगी
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आराधना - " जेलस? मैं क्यों जेलस होने लगी तेरे से, सेक्सी अगर चाहूं तो मैं भी दीख सकती हू लेकिन मैं ऐसा चाहती नहीं, "
प्रीति - " वो तो ठीक है लेकिन दीदी आज कल ब्रांड्स पुरे कपडे बनाने में भी डरते है, बिकते ही नहीं, जो बिज़नेस टिका हुआ है वो आप जैसी क्लास कस्टमर्स के दम पर ही टीका हुआ है,", प्रीती ने फिर से एक तीर छोड़ दिया,
इतने मैं आगे जाकर पंकज और स्मृति रूक गए और बच्चो का इंतज़ार करने लगे, धीरे धीरे आराधना, प्रीती और कुशल तीनो वहां पहुँच गए,
" आज हम बाते बनाने नहीं शॉपिंग करने आये है" पंकज ने मजाक में सब बच्चो से कहा, और फिर तीनो एक बहुत बड़े ब्रांडेड शो रूम में घुस जाते है, पंकज और स्मृति अभी भी साथ साथ थे और आराधना उनके पीछे चल रही थी,
प्रीति लेडीज वेस्टर्न डिपार्टमैंट में घुस गयी थी क्यूंकि वो वेस्टर्न क्लोथ्स की शौकीन थी, कुशल भी प्रीती के पीछे चलने लगता है,
प्रीति -" तू कहाँ मेरे पीछे पीछे आ रहा है?",
कुशाल -" सोचा तेरी हेल्प कर दूँ शॉपिंग मे",
प्रीति - " मैं कोई दूध पीती बच्ची नहीं हू और न ही पहली बार शॉपिंग कर रही हूँ, तू जा अपने डिपार्टमैंट में", और प्रीती कुशल के चेस्ट पर हाथ लगा कर पीछे धक्का देने लगती है,
कशाल -" मेरा डिपार्टमैंट? क्या तू नहीं है मेरा डिपार्टमैंट", ये बात सुनकर प्रीती शर्मा जाती है,
प्रीति -" कुशल हर टाइम मज़ाक़ नहीं, प्लीज तू जा अपने कपडे ख़रीद, नहीं तो अगर मदद करनी ही है तो जा आराधना दीदी की कर दे"
कशाल -" आराधना दीदी को एक बुरका गिफ्ट कर देता हूँ, उनकी शॉपिंग खत्म हो जाएगी, हा हा हा हा", और कुशल मेन डिपार्टमैंट की तरफ जाने लगता है,
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आराधना अभी भी पंकज और स्मृति के पीछे थी, लेकिन पंकज और स्मृति को अब अहसास नहीं था और वो इस ख्याल में थे कि तीनो बच्चे जा चुके है, चलते चलते पंकज अपना एक हाथ स्मृति की कमर पे रख देता है लकिन स्मृति एक झटके में हटा देती है, आराधना ये सब देख रही थी, फिर पंकज और स्मृति दबी आवाज में बात करने लगते है, लेकिन आराधना के कान वहीपर थे -
पंकज -" क्या बात है ,मेरी जान क्यों गुस्सा है?", पंकज ने चलते चलते कहा
स्मृति - " मैं क्यों होने लगी गुस्सा",
" नख़रे तो देख, पूरी रात ऐसी तैसी करने के बाद भी नखरो की कमी नहीं है", आराधना अपने मन में ही बड़बड़ा रही थी,
पंकज - " डार्लिंग, क्या अभी तक मॉर्निंग वाली बात पे गुस्सा हो? चलो आज रात फिर मूड बना लेंगे, टेंशन क्यों लेती हो", पंकज ने स्मृति को रिलैक्स करते हुए कहा
स्मृति - " पता नहीं क्यों मेरे लाइफ में प्यार की कमी है", स्मृति ने सीरियस होते हुए कहा
आराधना का मुँह खुला का खुला रह गया ये बात सुनकर, " इतना बड़ा डण्डा लेने के बाद भी प्यार की कमी है लाइफ में, हे भगवान आखिर मेरी माँ की डिमांड क्या है, पता नहीं डैडी इतने नखरे क्यों झेल रहे है", आराधना अपने मन में सोचती है,
थोड़ा सा आगे चलने के बाद एक मॉडल गर्ल स्टेचू आती है जिसपे एक नाईट गाउन लगा हुआ था जो बेहद सेक्सी था, पिंक कलर में शिफॉन मटेरियल और वो भी बिलकुल ट्रांसपरेंट, नाईट गाउन का टॉप पोरशन ब्रा स्टाइल में ही था और नीचे एक एडिशनल पैंटी दी हुई थी, नाईट गाउन की जो लेंथ थी वो सिर्फ पैंटी तक ही थी, उस नाईट गाउन को देख कर पंकज रूक जाता है
पंकज -" स्मृति क्यों न आज तुम इसे लो" पंकज स्मृति को वो नाईट गाउन दीखाता है,
स्मृति - " अगर आपको पहनना है तो ले लो", स्मृति ने ऐटिटूड दिखते हुए कहा
पंकज - " डार्लिंग, मेरा दिल है कि मैं तुम्हे इस ड्रेस में देखु तो बुराई क्या है",
समृति - " क्या मेरे दिल की सारी बाते सुनी जाती है जो मैं सुनु",
पंकज -" गुस्सा क्यों होती हो, जो लेना है ले लो", आराधना ये सब बाते सुन रही थी,
इस तरफ प्रीति, एक बेहद सेक्सी और शार्ट ड्रेस को देख रही थी, ड्रेस का कलर रेड था, ड्रेस की लेंथ प्रीती की जांघ तक होगी, वो उस ड्रेस को लेकर एक सेल्स गर्ल के पास जाती है,
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प्रीती -" एक्सक्यूस मी, क्या आप मुझे बता सकती है कि इस ड्रेस के साथ बॉटम कौन सा चलेगा", प्रीती ने सेल्स गर्ल से पुछा
सेल्स गर्ल - " नहीं इस ड्रेस के लिए आपको किसी बॉटम की जरुरत नहीं है, ये ड्रेस आपकी थाइज तक रहेगा,"
प्रीति -" कहीं ये ज्यादा छोटी तो नहीं है?"
सेल्स गर्ल -" आपके जैसी सेक्सी गर्ल के लिए ही तो ये बनी है, एक बार ट्राय तो करिये और अपने बॉय फ्रेंड को दिखाइये, कसम से कहती हूँ इलेक्ट्रिक शॉक लग जाएगा", सेल्स गर्ल ने एक आँख दबाते हुए कहा
प्रीति - " बॉय फ्रेंड? कौन बॉय फ्रेंड?",
सेल्स गर्ल -" वो ही जिसे आप इतने प्यार से इस डिपार्टमेंट से बाहर भेज रहीं थी, वाकई में शायद दीवाना है आपका", प्रीती समझ गयी थी कि वो कुशल की बात कर रही है और उसकी आँखे एक आईडिया के साथ चमक जाती है,
प्रीति -" क्या मैं एक बार ट्राय करके ये ड्रेस अपने बॉय फ्रेंड को दिखा सकती हूं?" प्रीती ने बहुत ही भोला बनते हुए कहा
सेल्स गर्ल-" ये भी कोई कहने की बात है, कहो तो आपके केबिन में ही भेज दूँ, वैसे भी अभी क्राउड इतना नहीं है?" सेल्स गर्ल में फिर से नॉटी स्टाइल में बोली
प्रीति - " प्लीज आप मेरा ये काम कर दीजिये, में ट्राइ कर रही हू और आप उसे अंदर मेरे केबिन में भेज दीजियेगा",
सेल्स गर्ल -" ऑफ कोर्स ,नो इस्सु, हमेशा लवर्स की हेल्प करती हू मैं, आप जाइये और ट्राय करिए",
प्रीति तुरंत उस ड्रेस को लेकर ट्रायल रूम में जाती है, एक झटके में टी-शर्ट उतार देती है, ट्रायल रूम मिर्रर्स में अपने बम टाइप बूब्स को ब्रा में देखति है, उसे खुद भी समझ आा रहा था कि वो कितनी सेक्सी है, दोनों हाथ पीछे ले जाकर ब्रा भी उतार देती है और दोनों बूब्स आाजद, उसके बाद वो है जीन्स को उतारती है, जीन्स उतरने में ही उसकी क्या किसी भी सेक्सी लड़की की सबसे ज्यादा मेहनत लगती है, जैसे तैसे वो भी उतर गयी और उसके बाद पैंटी भी, उसने बिना टाइम वेस्ट किये उस ड्रेस को अपने ऊपर ड़ाला और पीछे से ज़िप बंद करनी चाहि लेकिन फिर पता नहीं क्या सोच कर छोड़ दीं, अपने बाल उसने खोल लिए और फ्रंट से ड्रेस का व्यू थोड़ा सा खोल दिया जिससे बूब्स और थोड़े विज़िबल हो जाए, अभी वो और सेटिंग कर ही रही थी कि तभी ट्रायल रूम का गेट नॉक हुआ,
प्रीति -" हु इस दिस?"
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