RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
स्मृति मन ही मन सोच रही थी कि झूठा कहीं का. 10 मिनिट मे तो कितनी बार उसका रस निकल जाता.
लाइयन – वो मेरे बाल खींचने लगी थी, मे समझ गया था कि आग अब बहुत बढ़ गयी है और ज़्यादा करने से लॉस हो सकता है. मेने अपने होंठ हटाना ही सही समझा, थोड़ी देर बाद वो उठ कर बैठ गयी जब तक मे अपनी जीन्स खोल चुका था. वो आगे बढ़ी और और मेरी फ्रेंची के उपर से ही उसने मेरा लंड पकड़ लिया. उसकी आँखे ही बता रही थी कि उसे कितना सुकून मिला मेरे लंड का अहसास मिलने से.
स्मृति की हालत अब फाइनल स्टेज पर पहुँच गयी थी. एक जगह बीत कर उसका हाथ उपर से ही अपनी चूत पे पहुँच गया था. एग्ज़ाइट्मेंट के सागर मे वो डूबती जा रही थी. लाइयन उस पर अपना पूरा जादू चलाने मे कोई कमी नही छोड़ रहा था.
लाइयन – स्मृति जी यू देअर्?
स्मृति – यू कॅरी ऑन प्लीज़….
लाइयन – वैसे आप क्या कर रही है?
स्मृति – डॉन’ट आस्क, प्लीज़ बताओ फिर क्या हुआ.
लाइयन – प्लीज़ माइंड कीजिए अगर मे लंड चूत जैसे गंदे शब्द यूज़ कर रहा हू.
स्मृति – अब तो तुमने आदत ही डाल दी है. प्लीज़ बताओ मुझे कि फिर क्या हुआ.
लाइयन – स्मृति नीचे बैठी, मेरी फ्रेंची नीचे करी और मेरा लंड बाहर निकाल लिया. मेरे लंड को देख कर उसके फेस पे एक मुस्कुराहट थी. उसने टाइम वेस्ट नही किया और अपनी गुलाबी लिप्स को खोल कर मेरा लंड अपने मूँह मे ले लिया
स्मृति – एक बात बोलू ?
लाइयन – बोलो जी
स्मृति – यू आर सो रोमॅंटिक…..
स्मृति ने ये बात टाइप करके भेजी ही थी कि ट्रिपल ऐक्स_लाइयन ऑफलाइन हो गया. स्मृति की ऐसी हालत हो गयी जैसे उसे कोई सेक्स के दौरान छोड़ कर चला गया हो.
दर असल, स्मृति अपने उपर से अपना कंट्रोल खोती जा रही थी. उसकी चूत को लाइयन बुरी तरीके से गीला कर चुका था. स्मृति की ऐसी हालत सेक्स के दौरान भी नही होती थी. वो एक शरीफ लेडी थी लेकिन उसके अंदर छुपि हुई भावनाओ को लाइयन जगा चुका था. जिसका अहसास स्मृति को नही हो पाया था. वो काफ़ी टाइम तक उसका वेट करती रही लेकिन वो ऑनलाइन नही आया. उसका मन अब सफाई मे नही लग रहा था, वो उठ कर अपने रूम की ओर चल देती है.
दूसरी तरफ आराधना उठ चुकी है. नॉर्मली सनडे को सभी बच्चे देर तक सोते है लेकिन आज एक नयी मॉर्निंग थी आराधना की लाइफ मे और इस एग्ज़ाइट्मेंट मे वो जल्दी उठ गयी थी. वो नहा कर बाथरूम से बाहर आती है. वॉर्डरोब से एक टी-शर्ट निकालती है और उसे देख कर वो वापिस रखने लगती है क्यूंकी उसे याद आ जाता है कि ये वो ही टी-शर्ट है जो उसे बूब्स पे से बेहद टाइट है जबकि वो लूस क्लोदिंग ही प्रिफर करती थी. ये इन्सिडेंट उस दिन का है जब प्रीति उसके रूम मे आई थी. फिर एक मुस्कुराहट के साथ पता नही क्यू वो ये फ़ैसला करती है आज उसी टीशर्ट को पहनेगी वो. उसके फेस पर एक मुस्कान थी जिसमे वो और भी खूबसूरत लग रही थी. बाथरूम के अंदर जाकर वो ब्रा पहनती है और पैंटी भी. पैंटी पहन ने से पहले एक बार फिर से अपनी छोटी सी पुस्सी पे हाथ लगाती और खुद ही चिहुनक जाती है. ब्रा पहन ने के बाद वो टीशर्ट पहनती है लेकिन टीशर्ट पहनते ही उसे अहसास हो जाता है कि ब्रा को उतारना पड़ेगा नही तो टी-शर्ट नही आएगी. वो बिना ब्रा के ही टी-शर्ट पहन लेती है और उसके नीचे एक बर्म्यूडा. जो कि उसके नीस तक था. नॉर्मली वो ऐसे कपड़े अवाय्ड ही करती थी.
अब वो बिना ब्रा के टी–शर्ट पहन कर नीचे आने लगती है आज मोम को सर्प्राइज़ दूँगी जल्दी उठ कर. सीढ़ियों से उतरते टाइम उसके बूब्स ऐसे हिल रहे थे मानो उनके किसी कपड़े मे समेट कर रखना पासिबल ना हो उन बूब्स को. वो नीचे आने पे देखती है कि सफाई तो की गयी है लेकिन मोम दिखाई नही दे रही है. वो किचन मे जाती है लेकिन वहाँ पर भी कोई नही था. वो मोम डॅड के बेड रूम की तरफ बढ़ती है, बेड रूम मे वो घुसने ही वाली थी एक सीन उसके कदम रोक देता है.
उसके चेहरे मे जैसे बॉडी का सारा लाल रंग उतर आया हो. ऐसा क्या देख लिया उसने? नज़ारा की कुच्छ ऐसा था, जिस टाइम वो बेडरूम मे घुसने वाली थी उस टाइम उसने देखा कि बेड पे पंकज बैठा है और उसका विशाल लंड उसकी मा स्मृति के मूँह मे था. पंकज ने सिर्फ़ टी-शर्ट पहनी हुई थी और स्मृति ने ब्रा और पैंटी. दोनो के बाकी कपड़े बेड से नीचे पड़े हुए थे. स्मृति पंकज के लंड पर झुकी हुई थी जबकि पंकज की आँखे सॅटिस्फॅक्षन से बंद थी. शायद ये पहला मौका था जब स्मृति ने उसके लंड को अपने मूँह मे लिया था. दोनो को आराधना ने क्लियर देखा लेकिन उन दोनो मे से किसी की नज़र आराधना पे नही पड़ी और उन्हे आइडिया भी नही था कि सनडे के दिन बच्चे इतनी जल्दी उठ सकते है.
ये पहला ऐसा सीन था जब आराधना ने किसी कपल को ऐसी हालत मे देखा हो वो भी तब जब वो अपनी जवानी की चरम सीमा पे थी. वो चीज़ जिसने उसको अंदर तक हिला दिया था – वो था पंकज का लंड. “क्या लंड ऐसे होते है” आराधना के मन मे शायद यही ख्याल आ रहा था. जिस तरीके से स्मृति का मूँह खुला हुआ था तो क्लियर पता चल रहा था कि उसे अपने मूँह को खोलने बहुत मेहनत करनी पड़ रही है और पंकज के लंड को मूँह मे लेने मे. आराधना साइड मे खड़े होकर तेज तेज साँसे लेने लगती है, उसको ऐसा फील हो रहा था जैसे फीवर हो गया हो. वो रह रह कर यही सोच रही थी कि कहाँ मास्टरबेशन मे दो फिंगर यूज़ नही कर पाई तो स्मृति इसे कैसे अड्जस्ट करती होगी.
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