RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
प्रीति -" अभी क्या बाकी है, मुझे लगा कि तेरा एंडिंग पॉइंट हुआ था जो अभी भी मुझे अपने मूँह मे फील हो रहा है". प्रीति ने अपने रूम के अंदर से ही स्लो वाय्स मे कहा
कुशल -" हाँ वो तो हुआ लेकिन अभी...."
प्रीति -" अभी क्या????"
कुशल -" अभी वो तो नही हुआ ना जो होना चाहिए इस सब के बाद यानी......... सेक्स."
प्रीति -" कुशल हम जवान है, मे भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी हू. जोश मे आकर सब हो गया लकिन इससे आयेज कुच्छ नही होगा और प्लीज़ मुझे फोर्स मत कर."
कुशल -" तो इतना कुच्छ भी क्यू किया, क्यू मेरे जज़्बात का मज़ाक उड़ा रही है. अगर कुच्छ करना ही नही था तो ये सब किया ही क्यू". कुशल ने गुस्सा होते हुए कहा
प्रीति -" मेने कहा ना की जवानी के जोश मे ग़लती हो जाती है जो और जो मुझसे भी हो गयी. और वैसे भी जितना हुआ उतना तो चलता है."
कुशल -" वाह वाह, खुद की जो मर्ज़ी वो किया अब जो मेरे मर्ज़ी है उसमे नखरे. बन तो ऐसे रही है जैसे हमेशा अपनी चूत को सील पॅक ही रखेगी".
प्रीति -"तूने फिर से ते गंदी लॅंग्वेज शुरू कर दी ना. तू भी जानता है और मे भी कि कुँवारा कोई नही रहता. दिल हर किसी का करता है, सो मेरा भी करता है. तू अपनी किसी गर्ल फ्रेंड के साथ कर, उपर वाला जब मेरा बॉय फ्रेंड भेजेगा तो मे उसके साथ अपनी बॉडी शेर करूँगी."
कुशल -" मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है"
प्रीति - " तो बन जाएगी, अभी बूढ़ा नही हुआ है तू. मे विटनेस हू कि तू जवान है और तेरी बॉडी का हर पार्ट जवान है. हे हे हे हे" प्रीति हंसते हुए कहती है. प्रीति जैसे जैसे हंस रही थी वैसे वैसे कुशल का गुस्सा बढ़ता जा रहा था.
कुशल - " तो तू ढूंड ले अपना बॉय फ्रेंड. अब अगर तू खुद भी चाहेगी तो भी कुच्छ नही करूँगा. चलाती रह हाथ से काम. मे जा रहा हू"
प्रीति -" शुक्रिया कुशल, अगर कभी मे अपना होश खो भी दू तो अब तू कुच्छ नही करेगा. मुझे खुशी है, और अब प्लीज़ चला जा. मेरा नहाने का मूड है. कपड़े तो पहने है नही तो टाइम भी बच जाएगा." प्रीति उसे और छेड़ते हुए बोलती है.
कुशल उसके डोर से हट जाता है और अपने रूम की ओर जाकर खड़ा हो जाता है. अपने रूम मे एंट्री लेते ही उसकी नज़रे प्रीति की पैंटी पर पड़ती है जिसे प्रीति उसके रूम मे ही भूल गयी थी. उस पैंटी को देख कर कुशल की हालत और खराब हो जाती है और उसका लंड ज़ोर मारने लगता है. उसको अभी भी किस्मत पे यकीन नही हो रहा था कि अभी चन्द मिनिट पहले प्रीति उसकी बाहों मे थी और अब उससे दूर है
" ग़लती मेरी ही है, सारा ड्रामा छोड़ कर पहले चोद ही देना चाहिए था." कुशल अपने आप से कहता है. कुशल सारा सीन सोच सोच कर पागल होने लगता है, उसको अभी भी यकीन नही हो रहा था कि उसने प्रीति के जवान और नंगे बदन का दीदार किया है.
कुशल अपने ख्यालो मे खोया हुआ है और अपने हाथो से ही अपने लंड को खिला रहा है. तभी डोर ओपन होने की आवाज़ आती है, वो तुरंत समझ जाता है कि ये तो प्रीति का डोर है. उसका एग्ज़ाइट्मेंट आसमान पर पहुँच जाता है. वो अपने रूम से बाहर आता है.
प्रीति अपने रूम के गेट पर खड़ी हुई थी. कुशल उसके रूप को देख कर शॉक्ड हो जाता है, प्रीति ने एक बेहद शॉर्ट शिफ्फॉन ड्रेस पहनी है जो उसकी पुसी से बस थोड़ा सा नीचे है. अक्सर वो इस ड्रेस को लेगिंग के साथ पहनती थी लेकिन आज ड्रेस के नीचे कोई बॉटम नही था, सिर्फ़ उसकी पिंक पैंटी की मामूली झलक मिल रही थी. गीले और खुले बाल और जुवैसी लिप्स, एक सेक्सी गॉडेस लग रही थी वो. कुशल को तो जैसे कुच्छ समझ ही नही आ रहा था कि आज किस्मत ये क्या खेल कर रही है. प्रीति अपने रूम के डोर पर खड़े होकर कुशल को देख रही है और कुशल प्रीति को. कुशल प्रीति की नंगी टाँगो को देख कर पागल सा होता जा रहा है.
प्रीति अब अपने कदम टाय्लेट की तरफ बढ़ाती है जो उसी गॅलरी मे है, उसके एक हाथ मे कोई और कपड़ा भी है जो फोल्ड करके उसने पकड़ा हुआ था. उसकी चाल अभी ऐसी थी जैसे कोई सेक्सी मॉडेल रॅंप पर चल रही हो. प्रीति की निगाहे कुशल से मिली हुई है, और कुशल खड़ा हुआ बस उसे देख रहा है. प्रीति टाय्लेट के गेट पर पहुँचती है और टाय्लेट के अंदर जाती है और फिर से घूमती है. कुशल की तरफ 10 सेकेंड के लिए वो देखती ही रहती है. कुशल और उसके बीच की दूरी बस 10 कदम होगी.
प्रीति बिना गेट बंद किए अपने दोनो हाथ अपनी पैंटी पे ले जाती है.... और नीचे झुक कर एक स्लो मोशन स्टाइल मे पैंटी नीचे करने लगती है. नीचे करते हुए प्रीति की निगाहे बस कुशल पर ही है और एक सेक्सी कातिल मुस्कान भी. पैंटी नीचे करने के बाद वो फिर से सीधी खड़ी होती है और वो करती है जिसकी कुशल को उम्मीद भी नही थी. कुशल के सामने ही अपनी ड्रेस को उपर करती है और नीचे बैठ जाती है.
छ्ह्हीयीईयी......... एक जोरदार साउंड के साथ वो खुले दरवाजे मे ही कुशल के सामने पेशाब करने लगती है. कुशल अब पागल हो चुका है, उसने अपने कदम बढ़ाने शुरू किए और जैसे ही प्रीति से दो कदम की दूरी पर वो पहुँचा. "धदाम " और गेट बंद. कुशल को ऐसे लगा जैसे आज पता नही कितनी बार उसकी इज़्ज़त का रेप होगा
कुशल -" ये क्या नया ड्रामा है तेरा, गेट खोल". कुशल ने बाथरूम का गेट नॉक करते हुए कहा
प्रीति -" क्यू मुझे पेशाब करना अलाउ नही है, हे हे हे हे". प्रीति ने मज़ाक करते हुए कहा
कुशल -" क्या अब से पहले भी ऐसे ही अपनी चुल खोल कर पेशाब करती थी तू".
प्रीति -" हा हा हा हा, ऐसे नही करती थी लेकिन अब तू तो देख ही चुका है तो तुझसे क्या शरमाना. लेकिन तू क्यो टेन्षन ले रहा है, तूने तो प्रॉमिस कर ही लिया है कि अगर मे कुच्छ कहूँगी भी तो तू कुच्छ नही करेगा".
कुशल -" मेने कहा गेट खोल, मुझे पता है कि तू भी चाहती है मेरे लंड को लेना. नखरे मत दिखा नही तो ज़बरदस्ती चोद दूँगा तुझे". कुशल का गुस्सा बढ़ता जा रहा था
प्रीति -" ये गंदी लॅंग्वेज और ये धमकियाँ अपनी बीवी को दियो. ये मेरी लाइफ है और मे अपनी मर्ज़ी से जीना चाहती हू". इतने मे ऐसी आहट होती है जैसे को नीचे से उपर आ रहा हो, और कुशल की हालत खराब हो जाती है.
" क्या हुआ गॅलरी मे क्यू घूम रहा है". ये पंकज की आवाज़ थी जो स्टेर्स से उपर आ रहा था
"वो... वो डॅडी.... मुझे टाय्लेट जाना है लेकिन इसमे वो प्रीति घुस गयी है" कुशल ने अपने आप को बचाते हुए कहा.
पंकज-" तो बेटा अगर ज़्यादा परेशानी है तो नीचे के टाय्लेट मे चला जा". कुशल को उसकी बात मान नी पड़ती है क्यूंकी वो नही चाहता था कि उसे शक हो जाए और मरे मन से नीचे जाने लगता है.
" आज साली किस्मत ही खराब है नही तो डॅडी तो उपर आते भी नही है". कुशल अपने मन मे कहता है नीचे जाते हुए.
कुशल नीचे की ओर जाता है और पंकज आराधना के रूम मे एंटर करता है. कुशल जैसे ही नीचे पहुँचता है उसे फर्स्ट फ्लोर टाय्लेट के गेट खुलने की आवाज़ आती है " ऑश शिट" उसके मूँह से खुद ब खुद ये बात निकल जाती है. प्रीति टाय्लेट का गेट खोल कर बाहर देखती है और मैदान सॉफ देख कर अपने रूम मे भाग जाती है.
पंकज आराधना के रूम मे एंटर होता है. आराधना चादर ओढ़े सो रही है. पंकज उसके बेड के कॉर्नर मे जाकर बैठ जाता है और प्यार से उसके सर मे हाथ फिराने लगता है. आराधना की आँखे खुलती है और वो चोंक कर एक दम बैठ जाती है. " डॅडी, आआप". आराधना चोंक कर पूछती है.
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