antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
12-01-2018, 01:03 AM,
#3
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
स्मृति –“ देखा, हमेशा बे सबरे हुए रहते हो. पता है बच्चो पे कैसा असर पड़ेगा इन सब चीज़ो से”.

पंकज – “ डार्लिंग ग़लती हमारी नही है, हम तो वोही कर रहे है जो हमे करना चाहिए लेकिन ग़लती है बच्चो की अंडरस्टॅंडिंग मे जो बिना नॉक करे हज़्बेंड वाइफ के रूम मे चले आते है. क्या तुम इतना भी नही सिखा सकती हो बच्चो को, क्या करती हो घर मे फिर”. पंकज ने मज़ाक करने के तरीके से स्मृति से कहा.

स्मृति – “ क्या बोलू बच्चो से कि रूम नॉक करके आया करो क्यूंकी उनके मम्मी डॅडी मे भी वो करने मे बिज़ी होंगे”.

पंकज – “ वो क्या करने मे मेरी जान, बताओ तो सही.” पंकज थोड़े फन्नी मूड मे लग रहा था

स्मृति –“ वाह वाह, इतने भोले हो आप तो कि आप को इतना भी नही पता कि मे क्या करने की बात कर रही हू. ऐसे ही तीन बच्चे पैदा कर दिए आपने ख्यालो से ही”. स्मृति ने फिर गुस्से मे कहा, तभी पंकज उसके शोल्डर्स को पकड़ता है और उसके होठों पे अपने होठ रख देता है. स्मृति इस आक्षन के लिए तैयार नही थी और पंकज से अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन पंकज मान ने के मूड मे नही था और उसके होंठो को चूस्ते हुए अपना राइट हॅंड उसके राइट बूब्स पे ले जाकर प्रेस करने लगता है. स्मृति पूरी ताक़त लगा देती है उसे हटाने के लिए और एक झटके के साथ दोनो अलग हो जाते है. अलग होते ही एक नॉटी स्टाइल मे पंकज अपने लिप्स हाथ फ़िरता है.

पंकज – “ मुझे बस इतना पता है कि मूँह कैसे मीठा करना है और जो मेने कर लिया, कितनी सेक्सी है मेरी जान मे बता नही सकता. अब बस मेरे पास आ जा और मेरी प्यास बुझा दे मेरी रानी”. पंकज ने रोमॅंटिक अंदाज़ मे अपने सीने पे हाथ फिराते हुए कहा. तभी स्मृति उसे अपना अंगूठा दिखाते हुए रूम के डोर की ओर भागती है. वो रूम से निकल कर लेफ्ट की ओर भाग जाती है, लेकिन राइट साइड मे अभी भी कुशल खड़ा था जो कि सब देख और सुन रहा था. वो मूक रह गया था अपनी मम्मी पापा की इस हरकत से. अपनी मम्मी के बारे मे ये सेक्सी जैसे शब्द उसने पहली बार सुने थे, उसका फेस बिल्कुल रेड हो चुका था. ये उसकी लाइफ का पहला एनकाउंटर था जिसने उसे सेक्स, किस, बूब्स जैसी चीज़ो की तरफ अट्रॅक्ट कर दिया था. उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे. उसे कुच्छ समझ नही आ रहा था और स्लो मोशन मे उसने उपर वाले फ्लोर पे जाना शुरू कर दिया, उपर पहुँचते ही उसने रेफ्रिजरेटर खोला और वॉटर बॉटल निकाल कर पानी पीना शुरू कर दिया. तभी प्रीति उसके रूम मे आती है.

प्रीति – “ क्या जन्मो का प्यासा है क्या, घर का सारा पानी ख़तम कर दिया तूने”. प्रीति ने उसे फिर छेड़ने के अंदाज़ मे कहा. पहली बार ऐसा हुआ कि उसने प्रीति की किसी बात का जवाब नही दिया और पीछे मूड कर अपने बेड पे जाकर लेट गया.

प्रीति -“ हे भगवान, आपने मेरे भाई का दिमाग़ सही कर दिया, बहुत बहुत शुक्रिया. वो मुझे कोई जवाब नही दे रहा है, ये कैसे हो गया”. उसने फिर से कुशल को छेड़ना शुरू कर दिया और आसमान की तरफ हाथ जोड़ कर भगवान का शुक्रिया नाटकिया अंदाज़ मे करने लगी और इसी अंदाज़ मे रूम से बाहर जाने लगी लेकिन उसे कुच्छ शक हुआ और फिर से पूछने मूडी. वो दोबारा वापिस आई और कुशल के माथे पे हाथ लगाया कि कहीं इसे फीवर तो नही हो गया और उसे सब सही लगा.

प्रीति –“ तुझे ये साँप क्यू सूंघ गया है, क्या हुआ है तुझे”.

कुशल – “ तू जा ना यहाँ से परेशान मत कर”. कुशल ने उसका हाथ अपने माथे से हटाते हुए बोला.

प्रीति – “ जैसी तेरी मर्ज़ी, मुझे लगा कि तेरी तबीयत खराब है तो मे पुछ लू”. प्रीति ने सीरीयस होते हुए कहा.

कुशल – “तुझे बताऊ तो बताएगी नही किसी से?”. कुशल ने क्वेस्चन मार्क स्टाइल मे पुछा.

प्रीति – “ ऐसी क्या बात करना चाहता है तू मुझसे, कहीं प्रपोज़ तो नही करना चाहता मुझे. लड़के ऐसे ही बोलते है. वैसे भूल जा मे तुझे घास नही डालने वाली और किसी और को देख”. प्रीति ने फिर से अपना लेफ्ट हॅंड हवा मे लहराते हुए कहा.

कुशल –“ प्रपोज़ और तुझे, हे भगवान क्या मेरे इतने खराब दिन आ गये है कि मे अनिमल्स को प्रपोज़ करू. मेरे लिए तो भगवान ने कहीं कोई एंजल चुन रखी होगी”. कुशल ने थोड़ा रिलॅक्स होते हुए कहा. तभी प्रीति इस बात को सुनकर बनावटी गुस्से मे कुशल के उपर आकर बैठ जाती है और शरारती अंदाज़ मे कुशल का गला दबाने लगी है. कुशल एक मजबूत बॉडी वाला लड़का था, वो प्रीति के दोनो हाथो को पकड़ कर लेफ्ट और राइट दोनो डाइरेक्षन मे फेला देता है जिससे प्रीति सीधी उसके सीने पे आकर गिरती है. दोनो मे से कोई भी इस सिचुयेशन के लिए तैय्यार नही था, प्रीति के बूब्स बुरी तरह से कुशल के मजबूत सीने मे गढ़ जाते है. कुशल की निगाहे ठीक इस टाइम प्रीति के बूब्स और उसकी पिंक ब्रा पे थी. और दोनो की नज़रे मिल जाती है, प्रीति की साँसे तेज होती जा रही थी. 

. वो नॉर्मल होते हुए कुशल के उपर से उठ जाती है और ऐसे दिखाती है जैसे कुच्छ हुआ ही नही. उसके उपर से उठते ही दूसरी साइड होकर वो टी-शर्ट को सही करती है और टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल कर ब्रा को सही करती है. इस टाइम उसकी बॅक कुशल की तरफ थी तो उसे पता नही चल पा रहा था कि प्रीति क्या कर रही है.

कुशल –“ क्या चाकू निकल रही है क्या मुझे मारने के लिए”.

प्रीति – “ तुझे चाकू से मार कर चाकू की इन्सल्ट थोड़े ही करनी है”. प्रीति फिर से कुशल की ओर घूमते हुए बोलती है.

प्रीति – “ अब बता ऐसी क्या बात है जो मे किसी और को ना बताऊ”. प्रीति ने फिर से नॉर्मल होते हुए बोला.

कुशल –“ कुच्छ नही है ऐसी बात बस आज मेने डॅड और मोम को थोड़े रोमॅंटिक स्टाइल मे देख लिया”. कुशल ने ऐसे बोला जैसे कुच्छ हुआ ही नही.

प्रीति –“ ओह माइ गॉड, डॅड आंड मोम इन रोमॅंटिक सिचुयेशन. बता ना क्या हुआ?”. प्रीति ने सर्प्राइज़ होते हुए पुछा.

कुशल – “कुच्छ नही यार मे ग़लती से रूम मे एंटर हो गया और मोम का हाथ डॅड के वहाँ था”.

प्रीति –“ वहाँ कहाँ, शोल्डर पे?”

कुशल –“ अरे गधि शोल्डर पे नही वहाँ पे”.

प्रीति – “ वहाँ कहाँ, क्या बकवास कर रहा है. बताता क्यू नही कि कहाँ”.

कुशल –“ अरे समझती क्यू नही है वहीं पे, वहीं पे”. कुशल उसे इशारे मे समझाना चाहता है.

प्रीति –“ वहाँ कहाँ पेट पे”.

कुशल इस बार पागलो की हरकत पे उतर जाता है और प्रीति का हाथ पकड़ कर अपने विशालकाय कॉक पे रख देता है.

कुशल –“ यहाँ पे, अब खुश”. ये एक ऐसी सिचुयेशन थी जिन्हे वो लोग आसानी से समझ सकते है जो वर्जिन है या जिनके सामने और साथ कभी ऐसा इन्सिडेंट नही हुआ है. प्रीति अब पूरी तरह से मेच्यूर भी नही हुई थी तो वो कुशल की इस हरकत से शॉक्ड रह गयी. उसका कोमल हाथ मिनिमम 10 सेकेंड्स तक कुशल के कॉक पर रहा. कुशल अब कोई बच्चा नही था और ना ही उसका वो पार्ट छोटा रहा था, बॉडी के साथ साथ उसका कॉक भी काफ़ी हेल्ती ओर स्ट्रॉंग था. प्रीति का हाथ उस कॉक पर शॉर्ट के उपर से ही टच हुआ था लेकिन फिर भी प्रीति आइडिया लगा सकती थी क्या स्ट्रेंत है कुशल के कॉक की.

प्रीति – “ ये क्या बदतमीज़ी है कुशल, अगर मे थोड़ी सी ओपन हू तो इसका ये मतलब तो नही कि तू मेरे साथ ऐसी हरकत करेगा. या फिर मे भी आराधना दीदी की तरह ट्रडीशनल बॅंकर पेश आने लागू तेरे साथ”. प्रीति ने अपना हाथ उसके कॉक से हटाते हुए कहा.

कुशल –“ यार आइ आम सॉरी लेकिन इतनी देर मे तो आराधना दीदी भी समझ जाती. पता नही तू बड़े कमाल की ढक्कन है समझती ही नही."
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