Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:53 PM,
#70
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैं टीवी लाउन्ज में जा कर बैठ गया और टीवी देखने लगा। बाजी अपने काम खत्म करके आईं.. और उन्होंने आते हुए अपना एक हाथ अपनी कमर के पीछे छुपाया हुआ था। 
बाजी ने आ कर अम्मी के रूम की तरफ देखा और मेरी गोद में बैठ गईं और मुझसे कहा- अपनी आँखें बंद करो।
मैंने कहा- क्या हुआ?
बाजी गुस्से से कहने लगीं- बंद करो ना वसीम प्लीज़..
मैंने कहा- अच्छा बाबा.. लो कर लीं बंद.. 
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. तो बाजी ने मेरा हाथ पकड़ा और एक छल्ला मेरी रिंग में डाल दिया। अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और किस करने लगीं। 
बाजी जो सालन अन्दर बना कर आईं थीं उसमें से चिकन का पीस खा रही थीं और किसिंग के दौरान बाजी ने वो पीस मेरे मुँह में डाल दिया और कहा- अब अपनी आँखें खोलो..
मैंने आँखें खोल कर देखा तो बाजी की आँखें लाल हो रही थीं।
मैंने बाजी से पूछा- बाजी आँखों को क्या हुआ है? 
बाजी ने मेरी गोद से उठते हुए मेरे लण्ड पर हाथ रख कर कहा- मेरी आँखों के लाल होने में सारा इसका कसूर है.. यही नीचे से उठ कर मुझे तंग कर रहा था।
इतना कह कर वो फिर से मेरी गोद में बैठ गईं।
मुझे याद आया कि बाजी ने मेरी उंगली में कुछ डाला था.. वो मैंने देखा तो वो एक चाँदी का छल्ला था जिस पर ‘S’ लिखा हुआ था.. और बहुत प्यारा बना हुआ था। 
मैंने बाजी से कहा- बाजी आप क्या खुद बनवा के लाई हो ये?
बाजी ने बताया- मैं आज सुबह यूनिवर्सिटी नहीं गई थी.. ये अर्जेंट में बनवा कर लाई हूँ। मुझे ये तुम्हें रात को देना था.. पर अम्मी ने काम खराब कर दिया.. इसलिए अभी दे दिया है.. वरना ज़ुबैर देख कर तंग करेगा। 
मैंने बाजी को ‘थैंक्स’ कहा और बाजी को किस किया।
बाजी ने कहा- प्यार में थैंक्स नहीं और अब मुझे छोड़.. मुझे काम करना है। हम दोनों मज़े से लगे हुए हैं.. यदि अम्मी एकदम से आ गईं.. तो पता नहीं क्या होगा। 
यह कहते हुए बाजी मेरी गोद से उठ गईं और खाना लगाने में लग गईं। 
बाद में सबने खाना खाया और मैंने बाजी को बताया कि मैं बाहर जा रहा हूँ.. रात को आऊँगा।
बाजी ने कहा- टाइम से आ जाना.. अब मुझे टाइम दिया करो.. मुझे तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है.. या फिर मुझे भी साथ ले जाया करो।
तो मैंने बाजी से कहा- ठीक है बाजी.. इसका भी कुछ करते हैं। 
मैं किचन से बाहर निकल कर नीचे चला गया।
आज पता नहीं क्या चक्कर था कि मेरा भी बाहर मन नहीं लग रहा था। मैं थोड़ी देर बाद ही वापिस आ गया और बाजी से कहा- लो बाजी.. मैं आ गया हूँ।
बाजी अकेले ही टीवी देख रही थीं.. तो मुझसे कहा- वहाँ मेरे सामने बैठ जाओ। उन्होंने मुझे अपने सामने बैठा दिया और मुझे देखने लगीं।
बाजी बस देखे जा रही थीं.. बोलीं कुछ नहीं..
तो मैंने कहा- बाजी क्या हुआ.. चुप क्यों हो?
बाजी ने कहा- कुछ नहीं तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी। 
बाजी अभी बोल ही रही थीं कि तभी अचानक अम्मी के कमरे का दरवाजा खुला। बाजी आवाज़ सुन कर चुप हो गईं और टीवी देखने लगीं।
अम्मी कमरे से बाहर आईं और मुझे देख कर कहा- तुम तो बाहर गए थे? 
तो मैंने कहा- अभी-अभी वापिस आया हूँ।
अम्मी ने कहा- मैं ज़रा बाज़ार जा रही हूँ.. थोड़ा काम है, कुछ चीजें लानी हैं। तुम चलोगे मेरे साथ? 
तो मैंने अम्मी की बात सुन कर बाजी पर नज़र डाली.. बाजी ने आहिस्ता से अपने सर को ‘ना’ में हिलाया। 
मैंने कहा- अम्मी मेरा अभी फोन आना है और मुझे अपने दोस्त के साथ काम से जाना है.. आप खुद ही हो आओ।
अम्मी ने कहा- एक तो ये दोस्त लेकर बैठ गए हैं..
वो बड़बड़ाती हुई चल दीं।
मुझे बाजी के साथ अकेला रहना ज्यादा पसंद था।
अम्मी मुझे और बाजी को अकेला छोड़ कर चली गईं।
बाजी सोफे से उठीं और छुप कर अम्मी के पीछे गईं। जब अम्मी ने दरवाज़ा बंद कर दिया तो बाजी वापिस आ गईं और तेज़-तेज़ कदमों से चल कर मेरे पास आने लगीं, आते ही वो मुझे पूरे मुँह पर ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगीं। 
मैंने बाजी को संभाला और कहा- बाजी ज़ुबैर और हनी दोनों घर हैं.. क्या हो गया है.. वो आ जाएंगे तो?
बाजी ने कहा- मुझे नहीं पता.. चुप रहो बस..
मैंने कहा- अच्छा.. एक मिनट रूको.. मैं हनी को देख कर आता हूँ।
मैं वहाँ से उठा और बाजी वाले कमरे में हनी को देखा.. तो वो सो रही थी। मैंने धीरे से कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बाहर से लॉक कर दिया।
बाजी को वापस आकर मैंने कहा- हनी सो रही है और ज़ुबैर की कोई बात नहीं.. उसको तो सब पता है।
बाजी चुदक्कड़ होने लगी
बाजी ने कुछ कहे बिना ही मेरे मुँह पर अपने होंठ रखे और चूसने लगीं।
मैं भी बाजी का साथ देने लगा.. तो बाजी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से मेरे होंठ चूसने लगीं। बाजी इतनी ज़ोर से चूस रही थीं कि मुझे दर्द होने लग गया। 
मैंने बाजी को रोक कर कहा- बाजी यार क्या हो गया है.. आराम से करो ना.. मैं यहाँ ही हूँ आपके पास!
तो बाजी ने कहा- वसीम, अब कैसे बर्दाश्त करूँ मैं.. पहले तुमसे कहती थी कि मुझे अभी नहीं चुदवाना.. मुझे पता था कि ये सब बाद में होगा.. पर तब मुझे तुम्हारे प्यार के लिए चुदवाना पड़ा और अब जब तुमने मेरे अन्दर आग लगा दी है तो कहते हो कि आराम से करो.. पर मैं क्या करूँ? 
मैं भी बाजी को भींचने लगा।
‘ये है ना.. ये इस जगह..’ बाजी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और कहा- यहाँ आराम नहीं मिल रहा मुझे.. मैं क्या करूँ.. मुझे भी कुछ बताओ पिछले दो दिन से मैं यूनिवर्सिटी नहीं जा रही हूँ, मेरा वहाँ दिल नहीं लगता है।
बाजी की आँखों में आंसू आने लग गए- तुम तो आराम से बाहर चले जाते हो.. अपना टाइम गुजार आते हो.. कभी मेरा सोचा है कि बाजी घर में क्या कर रही होगीं। मेरे दिमाग से तुम नहीं जाते हो.. मैं क्या करूँ?’
सोफे पर बैठ कर बाजी रोने लग गईं तो मैंने कहा- बाजी प्लीज़ यार.. रो ना.. प्लीज़.. आपको पता है ना, मुझसे आपके आँसू नहीं देखे जाते.. प्लीज़ रो मत।
बाजी ने गुस्से से कहा- फिर क्या करूँ? मर जाऊँ क्या?
तो मैंने बाजी को पकड़ के ज़ोर से उठाया और झिझोड़ कर कहा- बाजी होश में आओ.. क्या बोले जा रही हो.. क्या हो गया है आपको?
मैंने बाजी को अपने गले से लगा लिया..
तो बाजी ने अपनी बांहें मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट लीं।
मैंने भी बाजी को अपनी बांहों में भर लिया, मैंने कहा- बाजी प्लीज़ चुप हो जाओ ना.. नहीं तो अब मेरे आँसू निकल आएँगे। 
बाजी हिचकियाँ लेते हुए चुप होने लगीं। उनके बाल खुले हुए थे और चेहरे के आगे आ गए थे।
मैंने बाजी को गले से अलग किया और बाजी के बाल पीछे कर के बाजी के आंसू साफ करने लगा।
तो बाजी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को ज़ोर से पीछे कर दिया। 
मैंने कहा- बाजी मेरी बात तो सुनो..
बाजी का चेहरा मैंने पकड़ कर ऊपर किया और आंसू साफ किए.. पर बाजी मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थीं.. तो मैंने बाजी का मुँह ज़ोर से ऊपर किया और कहा- बाजी देखो ना.. 
बाजी ने अपनी आँखें बंद कर लीं.. तो मैंने कहा- अच्छा बाजी वादा.. आज के बाद मैं आपके अलावा कुछ नहीं सोचूंगा.. प्रॉमिस.. आप मेरी फर्स्ट प्रेफ़रेंसे होगी.. प्लीज़ अब तो आँखें खोलो ना बाजी.. 
तो बाजी ने आँखें खोलीं और गुस्से से कहा- क्या है?
मैंने कहा- बाजी वादा.. आप मेरी फर्स्ट प्रेफरेन्स होगी.. जब भी मैं काम से फारिग होऊँगा.. वो टाइम आपके साथ गुज़ारूँगा।
बाजी ने कहा- सोच लो ठीक से..
मैंने कहा- आपके लिए मुझे कोई फ़ैसला करने के लिए सोचने की जरूरत नहीं है। 
बाजी ने कहा- मैं जो भी करूँ.. तुम मुझे मना करते हो.. क्या बदला लेते हो मुझसे?
तो मैंने कहा- बाजी आप से कैसा बदला.. आपका तो एहसान है मुझ पर.. जो मैं कभी नहीं भुला सकूंगा। 
मैंने अपने होंठों से बाजी के आंसू चूस कर साफ किए और बाजी के गालों को चूसने लगा।
बाजी से मैंने कहा- बाजी अब ये भूल जाना कि आप ज़मीन पर खड़ी हो।
मैं बाजी के होंठों को किस करने लगा। 
मैंने बाजी के बाजुओं को अपने गले में डाला और झुक कर बाजी को टाँगों से उठाया और बाजी की टाँगों को अपनी कमर के गिर्द लपेट लिया। 
अब मैं बाजी को किस करने लगा। बाजी ने भी मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया।
बाजी ने अपने आपको मुझे अपने साथ ज़ोर से चिपका लिया और टाँगों को भी ज़ोर लगा के अपनी चूत को मेरे लण्ड पर दबाने लगीं। 
मैंने बाजी से कहा- अब खुश हो ना आप..
बाजी ने कहा- वसीम कुछ ऐसा करो कि मुझे तुमसे अलग ना होना पड़े.. मैं हर वक्त तुम्हारे साथ ही रहूँ.. दिन भी और रात भी.. वसीम एक दफ़ा लड़की जब किसी की हो जाती है.. तो फिर वो किसी और के बारे में नहीं सोचती.. इसलिए मैं भी तुम से जुदा नहीं होना चाहती हूँ।
मैंने बाजी से कहा- बाजी आप परेशान ना हों.. मैं आपको अपने आपसे जुदा नहीं होने दूँगा और मैं आपके दिन रात मेरे साथ रहने का भी कुछ करता हूँ।
बाजी ने कहा- फिर ठीक है। 
मैंने कहा- बाजी और कुछ चाहिए तो बताओ.. पर आप रोया ना करो.. मुझसे आपको ऐसे नहीं देखा जाता।
बाजी ने कहा- अपनी बीवी को खर्चा भी देते हैं.. तुम तो नहीं देते मुझे.. फिर मेरे इतने काम होते हैं.. जो पैसों की वजह से रह जाते हैं। 
तो मैंने कहा- बस इतना सा काम.. अभी आपको खर्चा दूँगा.. पर आपको मेरी कुछ बातें माननी पड़ेंगी।
बाजी ने कहा- तुम बस मुझे बताओ. सब मंजूर हैं। 
छोटी बहन की चुदाई की बात
मैंने कहा- एक तो यह कि मैं आपको जीन्स में देखना चाहता हूँ.. और जब मेरे पास हुआ करोगी बस तब थोड़ी देर पहन लिया करो।
बाजी ने कहा- मान ली.. 
मैंने कहा- मेरे साथ घूमने चला करो।
बाजी ने कहा- मंज़ूर.. 
मैंने कहा- बाजी हनी को भी ग्रुप में अन्दर ले लो और इस डर को खत्म करो। ज़ुबैर भी जो हर वक्त आपके पीछे रहता है.. वो भी थोड़ा कम होगा और मुझे भी एक नई चूत मिल जाएगी। 
मेरी इस बात को सुन कर बाजी चुप हो गईं और थोड़ी देर बाद बोलीं- उसे शामिल तो मैं कर लूँ.. पर तुमको ये एक बात छोड़नी पड़ेगी कि मुझे भी नई चूत मिल जाएगी.. क्योंकि इस लण्ड पर सिर्फ मेरा हक है.. तो किसी और का क्यों हिस्सा बनने दूँ?
तो मैंने कहा- अच्छा मेरी जान.. ये जिद खत्म कर दी.. अब तो मान जाओ ना!
बाजी ने कहा- ठीक है, कर लेंगे उसको भी शामिल। 
अब बाजी ने अपने एक हाथ से मेरी बेल्ट खोल कर पैन्ट नीचे उतार दी और अपनी टाँगें ढीली करके कहा- मेरा पजामा नीचे करो।
मैंने बाजी का पजामा नीचे कर दिया और बाजी ने फिर टाँगें ऊपर की।
अब उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के सुराख पर रखा और लण्ड के ऊपर बैठने लगीं।
मेरा लण्ड बाजी की चूत में जाने लगा.. तो बाजी के मुँह से आवाज निकली- आअहह.. आहह.. ऊऊओह.. वसीम.. ये गीला नहीं है.. रगड़ कर अन्दर जा रहा है।
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