RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
बाजी की चूत से बहते गाढ़े और चिकने पानी ने मेरे पूरे लण्ड को तर कर दिया था। बाजी के हिलने से उनकी चूत मेरे लण्ड पर ही फिसल-फिसल जाती थी।
जब आगे फिसलने पर उनकी चूत का दाना मेरे लण्ड की नोक से टच होता.. तो उनके बदन में झुरझुरी सी उठती.. और बाजी लरज़ कर मज़ीद वहशी अंदाज़ में अपने दाँत और नाख़ूनों को मेरे जिस्म में गड़ा देतीं।
हम दोनों बहन-भाई इसी तरह जुनूनी अंदाज़ में एक-दूसरे को नोंचते खसोटते दुनिया-ओ-माफिया से बेखबर अपने जिस्मों को सुकून पहुँचाने की कोशिश कर रहे थे।
मैंने बाजी के सीने के खूबसूरत उभारों पर दाँत गड़ाने के बाद उनकी गर्दन के निचले हिस्से को दाँतों में दबाया तो बाजी ने भी उससे अंदाज़ में फ़ौरन अपना चेहरा मेरी दूसरी साइड पर लाकर मेरे कंधों में दाँत गड़ा दिए।
मैं बाजी की कमर को खरोंचता हुआ अपने हाथ नीचे लाया और अपनी बहन के दोनों कूल्हों को अपने दोनों हाथों से पूरी ताक़त से नोंच कर मुख़्तलिफ़ करने में ऐसे ज़ोर लगाने लगा.. जैसे मैं उनके दोनों कूल्हों को बीच से चीर देना चाहता हूँ।
‘अहह वसीम..’
बाजी ने एक चीखनुमा सिसकी भरी और तड़फ कर ऊपर को उठीं.. बाजी ने अपना ऊपरी जिस्म ऊपर उठा लिया.. लेकिन निचला हिस्सा ना उठा सकीं.. क्योंकि मैंने बहुत मज़बूती से उनके कूल्हों को नोंच कर चीरने के अंदाज में पकड़ रखा था.. जिसकी वजह से उनका निचला दर मेरे जिस्म पर दब कर रह गया था।
मेरे यूँ बाजी के कूल्हों को चीरने से उन्हें जो तक़लीफ़ हो रही थी.. वो उनके चेहरे से दिख रही थी।
बाजी ने अपने कूल्हों को छुड़ाने के लिए तड़फते हुए ऊपर उठने की कोशिश करते हुए.. ज़ोर लगा लगाया और मुस्तक़िल कराहते हुए कहा- आईईईई.. वसीम.. बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़..
यह इस पूरे टाइम में पहली बार थी कि बाजी के मुँह से कोई अल्फ़ाज़ निकले हों..
इस बात ने मुझ पर यह भी वज़या कर दिया कि ऐसे कूल्हे चीरे जाने से बाजी को वाकयी ही बहुत शदीद तक़लीफ़ हो रही है।
मैंने अपने हाथों की गिरफ्त मामूली सी लूज की.. तो बाजी का निचला दर ऊपर को उठा और उसके साथ ही उनकी चूत के नीचे दबा मेरा लण्ड भी बाजी की चूत से रगड़ ख़ाता हुआ सीधा हो गया।
मेरे लण्ड की नोक बाजी की चूत के ठीक एंट्रेन्स पर एक पल को रुकी और मैंने अपने हाथों से बाजी के कूल्हों को हल्का सा नीचे की तरफ दबाया और अगले ही लम्हें मेरे लण्ड की नोक बाजी की चूत के अन्दर उतर गई।
जैसे ही मेरे लण्ड की नोक बाजी की चूत के अन्दर घुसी.. तो उससे महसूस करते ही बाजी के मुँह से एक तेज लज़्ज़त भरी ‘आअहह..’ निकली और उन्होंने आँखें बंद करते हुए अपनी गर्दन पीछे को ढलका दी। उसके साथ ही जैसे सुकून सा छा गया.. तूफ़ान जैसे थम सा गया हो.. हर चीज़ कुछ लम्हों के लिए ठहर सी गई।
मैंने आहिस्तगी से अपने हाथ से बाजी के कूल्हों की खूबसूरत गोलाइयों को छोड़ा और हाथ उनके जिस्म से चिपकाए हुए ही धीरे से बाजी की कमर पर ले आया। बाजी ने भी एक बेखुदी के आलम में अपने दोनों हाथ मेरे हाथों पर रख दिए।
अब पोजीशन ये थी कि मैं सीधा चित्त कमर ज़मीन पर टिकाए लेटा हुआ था.. मैंने बाजी की कमर को दोनों तरफ से अपने हाथों से थाम रखा था.. मेरी कमर की दोनों तरफ में बाजी के घुटने ज़मीन पर टिके हुए थे और वो मेरे हाथों पर अपने हाथ रखे.. गर्दन पीछे को ढुलकाए हुए.. लंबी-लंबी साँसें ले रही थीं।
चंद लम्हें ऐसे ही बीत गए.. फिर बाजी ने अपनी गर्दन को साइड से घुमाते हुए सीधा किया और आँखें बंद रखते हुए ही धीमी आवाज़ में बोलीं- वसीम मुझे लिटा दो नीचे..
यह कहते ही बाजी अपनी लेफ्ट और मेरी राईट साइड पर थोड़ी सी झुकीं और अपनी कोहनी ज़मीन पर टिका कर सीधी होने लगीं।
बाजी के साइड को झुकते ही मैं भी उनके साथ ही थोड़ा ऊपर हुआ और बाजी की चूत में अपने लण्ड का मामूली सा दबाव कायम रखते हुए ही उनके साथ ही घूमने लगा।
मैंने लण्ड के दबाव का इतना ख़याल रखा था कि लण्ड मज़ीद अन्दर भी ना जा सके और चूत से निकलने भी ना पाए।
थोड़ा टाइम लगा.. लेकिन आहिस्तगी से ही मैं अपना लण्ड बाजी की चूत के अन्दर रखने में ही कामयाब हो गया और हम दोनों मुकम्मल घूम गए।
मैंने इतना ख्याल रख कि लण्ड ज्यादा अन्दर भी ना जाए और चूत से निकले भी नहीं।
अब बाजी अपनी आँखें बंद किए ज़मीन पर कमर के बल सीधी लेटी थीं, उनके घुटने मुड़े हुए थे.. लेकिन पाँव ज़मीन पर ही रखे हुए थे।
मैं अब बाजी के ऊपर आ चुका था और उनकी टाँगों के बीच में लेटा हुआ सा था। मेरी टाँगें पीछे की जानिब सीधी थीं और मेरा पूरा वज़न मेरे हाथों पर था और हाथ बाजी की बगल के पास ज़मीन पर टिके हुए थे।
लेकिन मैं इस पोजीशन में बहुत अनकंफर्टबल महसूस कर रहा था.. मैं अपने घुटने मोड़ कर आगे लाने की कोशिश करता तो मुझे पता था कि मेरा लण्ड बाजी की चूत से बाहर निकल आएगा और मैं ये नहीं चाहता था, मैंने बाजी को पुकारा- बाजीयईई..
उन्होंने आँखें खोले बगैर ही कहा- हूँम्म..
‘बाजी थोड़ी टाँगें और खोलो और पाँव ज़मीन से उठा लो।’
मैंने ये कहा तो बाजी ने अपने पाँव हवा में उठा लिए और घुटनों को मज़ीद मोड़ते हुए जितनी टाँगें खोल सकती थीं.. खोल दीं।
मैं बारी-बारी से अपने दोनों घुटनों को मोड़ते हुआ आगे लाया और बाजी की रानों के नीचे से गुजार कर आगे कर लिए।
अब मेरे हाथों से वज़न खत्म हो गया था.. मैंने अपने दोनों हाथ उठाए और बाजी के सीने के उभारों पर रख दिए और आहिस्तगी से उन्हें दबाते हुए मसलने लगा।
कुछ देर बाद बाजी ने आँखें खोलीं.. उनकी आँखें लज्जत और शहवात के नशे से बोझिल सी हो रही थीं।
मैंने बाजी की आँखों में देखते-देखते ही अपने लण्ड को थोड़ा आगे की तरफ दबाया.. तो बाजी के मुँह से एक सिसकी निकल गई और उनके चेहरे पर हल्की सी तक़लीफ़ के आसार नज़र आने लगे।
बाजी ने अपने दोनों हाथों की उंगलियों को कार्पेट में गड़ा दिया और पूरी ताक़त से कार्पेट को जकड़ लिया।
मेरी बाजी की तकलीफ़
मैंने आँखों ही आँखों में सवाल किया कि बाजी क्या तुम तैयार हो?
और बाजी की आँखों ने ‘हाँ’ में जवाब दिया।
मैंने आहिस्तगी से अपने लण्ड का दबाव बाजी की चूत पर बढ़ाना शुरू किया.. तो उनके चेहरे पर तक़लीफ़ का तवस्सुर बढ़ने लगा और चेहरे का गुलाबीपन तक़लीफ़ के अहसास से लाली में तब्दील होने लगा।
मैंने दबाव बढ़ाते ही अपने ऊपरी जिस्म को झुकाया और बाजी की आँखों में देखते हुए ही अपने होंठ बाजी के होंठों के क़रीब ले गया।
मेरे लण्ड की नोक पर अब बाजी की चूत के पर्दे की सख्ती.. वज़या महसूस हो रही थी।
बाजी की साँसें भी बहुत तेज हो चुकी थीं और दिल की धड़कन साफ सुनाई दे रही थी।
बाजी के जिस्म में हल्की सी लरज़ कायम थी।
मैंने अपने हाथ बाजी के सीने के उभारों से उठा लिए और उनके चेहरे को मज़बूती से अपने हाथों में थाम कर बाजी के होंठों को अपने होंठों में सख्ती से जकड़ा और उसी वक़्त अपने लण्ड को ज़रा ताक़त से झटका दिया और मेरा लण्ड बाजी की चूत के पर्दे को फाड़ता हुआ अन्दर दाखिल हो गया।
बाजी के जिस्म ने एक शदीद झटका खाया और बेसाख्ता ही उनके हाथ कार्पेट से उठे और मेरी कमर पर आए और बाजी ने अपने नाख़ून मेरी कमर में गड़ा दिए।
बाजी तक़लीफ़ को बर्दाश्त करने और अपनी चीख को रोकने में तो कामयाब हो गई थीं.. लेकिन तकलीफ़ की शिद्दत का अहसास उनके चेहरे से साफ ज़ाहिर था।
उन्होंने अपनी आँखों को सख्ती से भींच रखा था, इसके बावजूद उनके गाल आंसुओं से तर हो गए थे।
मैंने बाजी के होंठों से अपने होंठ उठा लिए और अपने जिस्म को सख्त रखते हुए बाजी के चेहरे पर ही नजरें जमाई रखीं।
मेरा लण्ड तकरीबन 4 इंच से थोड़ा ज्यादा ही बाजी की चूत में उतर चुका था लेकिन अभी क़रीब 2 इंच बाक़ी था।
मैं थोड़ी देर बाजी के चेहरे का जायज़ा लेता रहा और जब उनका चेहरा और आँखों का भींचना थोड़ा रिलैक्स हुआ.. तो मैंने एक झटका और मार कर अपना लण्ड बाजी की चूत में जड़ तक उतार दिया।
मेरे पहले झटके के लिए तो बाजी जहनी तौर पर तैयार थीं.. उन्होंने पर्दे के फटने की शदीद तक़लीफ़ को ज़रा मुश्किल से लेकिन सहन कर ही लिया था.. लेकिन मेरा ये झटका उनके लिए अचानक था..
इस झटके की तक़लीफ़ से बेसाख्ता उन्होंने अपना सिर ऊपर उठाया और मैंने अपना चेहरा उनसे बचाते हुए फ़ौरन ही साइड पर कर लिया।
बाजी के मुँह से घुटी-घुटी आवाज़ निकली ‘आआअ क्ककखह..’
उनका मुँह मेरे कंधे से टकराया और उन्होंने अपने दाँत मेरे कंधे में गड़ा दिए।
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