Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:52 PM,
#58
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
एक क़दम पीछे होकर मैंने बाजी को देखा.. उनका चेहरा खौफ से पीला पड़ा हुआ था। वो इतनी खौफजदा हो गई थीं कि उन्हें यह ख्याल भी नहीं रहा कि अपने दाँतों से फ्रॉक का दामन ही निकाल देतीं ताकि चूत ऐसी नंगी खुली न पड़ी रहती।
मैंने उनके साथ कोई शरारत करने का सोचा लेकिन फिर उनकी हालत के पेशेनज़र अपने ख़याल को खुद ही रद कर दिया और आगे बढ़ कर बाजी का पजामा ऊपर करने के बाद उनके दाँतों से फ्रॉक का दामन भी खींच लिया।
लेकिन उनकी हालत में कोई फ़र्क़ नहीं आया था।
बाजी को कंधों से पकड़ कर आगे करके मैंने अपने सीने से लगाया और उन्हें बाँहों में भर लिया, फिर एक हाथ से उनकी क़मर और दूसरे हाथ से उनके गाल को सहलाते हुए कहा- बाजी.. बाजी.. अम्मी चली गई हैं.. कुछ भी नहीं हुआ.. सब ठीक है.. मेरी जान से प्यारी मेरी बहना कुछ भी नहीं हुआ..
मैं इसी तरह बाजी की क़मर और गाल को सहलाते हुए उन्हें तसल्लियाँ देता रहा और कुछ देर बाद बाजी पर छाया खौफ टूटा और वो सहमी हुई सी आवाज़ में बोलीं- वसीम, अगर अम्मी देख लेतीं तो?
‘बाजी इतना मत सोचो यार.. देख लेतीं तो ना.. देखा तो नहीं है? जो इतनी परेशान हो रही हो.. बस अपना मूड ठीक करो.. याद करो कैसे कह रही थीं वसीम दाने को चूसो ना.. बोलो तो दोबारा चूसूँ ‘दाने’ को?’
मेरी बात सुन कर बाजी ने मेरी क़मर पर मुक्का मारा और मुस्कुरा दीं, फिर मेरे सीने पर गाल रगड़ कर अपने चेहरे को मज़ीद दबाते हुए संजीदगी से बोलीं- वसीम कितना सुकून मिलता है तुम्हारे सीने से लग कर.. मैं कभी तुमसे अलग नहीं होना चाहती वसीम.. हम हमेशा साथ रहेंगे।
मैंने बाजी को फिर से संजीदा होते देखा तो उनसे अलग होकर शरारत से कहा- अच्छा मलिका ए जज़्बात साहिबा.. सीरीयस होने की नहीं हो रही.. आपको भी अम्मी ने बुलाया है। मैं भी ऊपर जाता हूँ.. कुछ देर सोऊँगा।
फिर बाजी के सीने के उभार को दबा कर शरारत से कहा- रात में जागना भी तो है ना.. अपनी बहना जी के साथ।
बाजी मेरी बात पर हल्का सा मुस्कुरा दीं।
मैं घूमा और जाने लगा तो बाजी ने आवाज़ दी- वसीम!
मैंने रुक कर पूछा- हूउऊउन्न्न? 
बाजी आगे बढ़ीं और आहिस्तगी से मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और चूम कर कहा- बस अब जाओ.. रात में आऊँगी।
मैंने बाजी को मुहब्बत भरी नज़र से देखा और किचन से निकल गया। 
छोटे भाई की चुदास
मैं कमरे में आया.. तो ज़ुबैर कंप्यूटर के सामने बैठा था और ट्राउज़र से अपना लण्ड बाहर निकाले.. पॉर्न मूवी देखते हुए आहिस्ता आहिस्ता अपने लण्ड को सहला रहा था।
दरवाज़े की आहट पर उसने घूम कर एक नज़र मुझे देखा तो मैंने कहा- बस एग्जाम खत्म हुए हैं.. तो फिर शुरू हो गया ना इन्हीं चूत चकारियों में?
‘भाई इतने दिन हो गए हैं.. मैं इन सब चीज़ों से दूर ही था.. बाजी भी नहीं आती हैं.. अब कम से कम मूवी तो देखने दें ना..’ 
यह कह कर ज़ुबैर ने फिर से अपना रुख़ स्क्रीन की तरफ कर लिया।
‘ओके देख लो मूवी.. लेकिन कंट्रोल करके रखना.. बाजी अभी आएँगी।’ 
मेरी बात सुन कर वो खुशी से उछल पड़ा और मुझे देख कर बोला- सच भाईईइ.. अभी आएँगी बाजी?
मैंने मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा और ‘हाँ’ में गर्दन हिला दी और ज़ुबैर वैसे ही बैठे मूवी भूल कर गुमसुम सा हो गया.. या शायद यूँ कहना चाहिए कि बाजी के ख्यालों में गुम हो गया। 
मैंने कैमरा कवर से निकाला और रिकॉर्डिंग मोड को सिलेक्ट करते हुए कैमरा ड्रेसिंग टेबल पर रख कर उसका ज़ूम बिस्तर पर सैट कर दिया।
अब सिर्फ़ रिकॉर्डिंग का बटन दबाने की देर थी कि हमारी मूवी बनना स्टार्ट हो जाती। 
कैमरा सैट करके मैंने अल्मारी से अपना स्लीपिंग ट्राउज़र निकाला और चेंज करने लगा।
और बाजी आ गई
मैं अपने ट्राउज़र को पहन कर घूमा ही था कि कमरे का दरवाज़ा खुला और बाजी अन्दर दाखिल हुईं। 
बाजी ने आज काली शनील का क़मीज़ सलवार पहन रखा था और सिर पर वाइट स्कार्फ बाँधा हुआ था। 
कमरे में दाखिल होकर बाजी ने दरवाज़ा बंद किया और घूमी ही थीं कि ज़ुबैर अपनी कुर्सी से उछाल कर भागते हुए गया और बाजी के जिस्म से लिपट कर बोला- बाजी.. मेरी प्यारी बाजी.. आज मेरा बहुत दिल चाह रहा था कि आप हमारे पास आएँ.. और आप आ गईं।
और यह कह कर क़मीज़ के ऊपर से ही बाजी के दोनों उभारों के बीच में अपना चेहरा दबाने लगा। 
मैंने एक नज़र उन दोनों को देखा और कैमरे से उनको ज़ूम में लेकर रिकॉर्डिंग ऑन करके वहाँ साथ पड़ी कुर्सी पर ही बैठ गया।
बाजी ने अपने एक हाथ से ज़ुबैर की क़मर सहलाते हुए दूसरा हाथ ज़ुबैर के सिर की पुश्त पर रखा और अपने सीने में दबाते हुए कहा- उम्म्म्म.. फ़िक्र नहीं करो मेरे छोटू.. आज दिल भर के एंजाय कर लेना.. मैं यहाँ ही हूँ तुम्हारे पास..
फिर ज़ुबैर को अपने आपसे अलग करते हुए कहा- चलो उतारो अपने कपड़े।
‘बाजी आप ही उतार दें न.. भाई को तो पहनाती भी आप अपने हाथों से हैं.. लेकिन मुझे..’
इतना बोल कर ही वो चुप हुआ और उसकी शक्ल ऐसी हो गई कि जैसे अभी रो देगा। 
ज़ुबैर का बुझा सा चेहरा देख कर बाजी ने उसकी ठोड़ी को अपनी हथेली में लिया और गाल को चूम कर कहा- ऐसी कोई बात नहीं मेरी जान.. तुम दोनों ही मेरे भाई हो और भाई होने के नाते जितना फिर मुझे वसीम से है.. उतने ही लाड़ले तुम भी हो।
यह कह कर बाजी ने अपने दोनों हाथों से ज़ुबैर की शर्ट को पेट से पकड़ कर उठाते हुए कहा- चलो हाथ ऊपर उठाओ।
ज़ुबैर की शर्ट उतार कर बाजी पंजों के बल नीचे बैठीं और ज़ुबैर के ट्राउज़र को साइड्स से पकड़ते हुए नीचे करने लगीं। ज़ुबैर का ट्राउज़र थोड़ा नीचे हुआ तो उसका खड़ा लण्ड एक झटका लेकर उछलते हुए बाहर निकला। 
बाजी ने ज़ुबैर के लण्ड को देखा और अपने हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए बोलीं- वॉववओ.. मेरा छोटू तो आज बहुत ही कड़क हो रहा है।
ज़ुबैर का लण्ड बाजी के हाथ में आया तो वो तड़फ उठा और एक सिसकी लेकर बोला- आहह.. बाजी मुँह में लो ना प्लीज़।
लण्ड छोड़ कर बाजी ने ट्राउज़र को पकड़ा और नीचे करके ज़ुबैर के पाँव से निकाल दिया और फिर से ज़ुबैर का लण्ड हाथ में पकड़ कर खड़े होते हो बोलीं- अन्दर तो चलो ना.. यहाँ दरवाज़े पर ही सब कुछ करूँ क्या?
और ऐसे ही ज़ुबैर के लण्ड को पकड़ कर उससे खींचते हुए बिस्तर की तरफ चलने लगीं। 
बाजी हँसते हुए आगे-आगे चल रही थीं उनकी नज़र ज़ुबैर के लण्ड पर थी और ज़ुबैर एक तरह से घिसटता हुआ बाजी के पीछे-पीछे चला जा रहा था।
ऐसे ही बाजी बिस्तर के पास आईं और ज़ुबैर के लण्ड को छोड़ कर दो क़दम पीछे हो कर अपनी क़मीज़ उतारने लगीं।
मेरे और उनके बीच तकरीबन 7-8 फीट का फासला था, मेरी तरफ बाजी की क़मर थी और ज़ुबैर उनके सामने उनसे दो क़दम आगे खड़ा था।
बहन का नंगा बदन
बाजी ने दाएं हाथ से क़मीज़ का सामने वाला दामन पकड़ा और बाएँ हाथ से क़मीज़ का पिछला हिस्सा पकड़ कर हाथों को मोड़ते हुए क़मीज़ उतारने लगीं।
क़मीज़ ऊपर उठी तो मुझे उनकी ब्लैक शनील की सलवार में क़ैद खूबसूरत कूल्हे नज़र आए और अगले ही लम्हें बाजी की क़मीज़ थोड़ा और ऊपर उठी और उनकी इंतिहाई चिकनी, साफ शफ़फ़ गुलाबी जिल्द नज़र आई.. जो क़मीज़ के ब्लैक होने की वजह से बहुत ही ज्यादा खिल रही थी।
बाजी ने अपनी क़मर को थोड़ा सा खम दे कर क़मीज़ को मज़ीद ऊपर उठाया और अपने सिर से बाहर निकालते हो सोफे पर फेंक दिया।
जैसे ही बाजी की क़मीज़ उनके सिर से निकली.. तो उनके बालों की मोटी सी चोटी किसी साँप की तरह बल खाते हुए नीचे आई और इधर-उधर झूलने के बाद उनके कूल्हों के बीच रुक गई। 
बाजी ने गहरे गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी.. जिसकी पट्टी टाइट होने की वजह से उनकी क़मर में धँसी हुई सी नज़र आ रही थी।
ब्रा का रंग उनकी हल्की गुलाबी जिल्द से ऐसे मैच हो रहा था कि जैसे ये रंग बना ही बाजी के जिस्म के लिए हो। 
अपने दोनों कंधों से बाजी ने बारी-बारी ब्रा के स्ट्रॅप्स को खींचा और अपने बाज़ू से निकाल कर बगल में ले आईं और ब्रा को घुमा कर कप्स को पीछे लाते हुए थोड़ा नीचे अपने पेट पर किया और सामने से ब्रा क्लिप खोल कर ब्रा को भी सोफे की तरफ उछाल दिया।
अपने दोनों अंगूठे बाजी ने अपनी सलवार में फँसाए और थोड़ा सा झुकते हुए सलवार नीचे की और बारी-बारी दोनों टाँगें सलवार में से निकाल कर अपने हाथ कमर पर रखे और सीधी खड़ी हो कर ज़ुबैर को देखने लगीं। 
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