RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
बाजी ने मेरा खुला बैग एक झटके से बंद किया- अभी छोड़ो.. दफ़ा करो और बैग नीचे रख दो..
यह बोलते हुए बाजी ने मेरे लण्ड को पकड़ा और किचन के दरवाज़े से बाहर देखते हुए नीचे बैठ गईं.. और आखिरी बार नज़र बाहर डाल कर मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया।
आज इतने दिनों बाद अपने लण्ड पर बाजी के मुँह की गर्मी को महसूस करके मैं भी तड़फ उठा- उफ्फ़ आप्पी.. मेरी सोहनी बहना के मुँह की गर्मी.. लण्ड की क़ातिल..
मैंने एक सिसकारी ली और बाजी के चेहरे को देखने लगा।
बाजी भी मेरा लण्ड चूसते हुए ऊपर नज़र उठा कर मेरी आँखों में ही देख रही थीं।
बाजी लण्ड ऐसे चूसती थीं.. जैसे कोई अनुभवी चुसक्कड़ हो।
शायद यह चीज़ औरतों में कुदरती तौर पर ही होती है कि वो चुदाई के तमाम असरार बिना किसी से सीखे ही समझ जाती हैं और बाजी तो काफ़ी सारी ट्रिपल एक्स मूवीज देख चुकी थीं जो वैसे ही अपने आप में एक बहुत बड़ा ट्रेनिंग स्कूल होती हैं।
मेरा लण्ड अब बाजी के मुँह की गर्मी से फुल खड़ा हो गया था, मैंने मज़े में डूबते हुए बाजी के सिर पर हाथ रख दिए।
जब बाजी मेरे लण्ड को जड़ तक अपने मुँह में उतार लेतीं.. तो मैं बाजी के सिर को दबा कर कुछ देर वहीं रोक लेता और जब बाजी पीछे की तरफ ज़ोर देने लगतीं.. तो मैं अपने हाथों को ढीला कर लेता।
इसी तरह से बाजी ने मेरा लण्ड चूसते हुए अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी टाँगों के बीच रखा ही था कि किसी आहट को सुन कर बाजी फ़ौरन पीछे हट कर खड़ी हो गईं और मैंने भी जल्दी से अपने लण्ड को अपनी पैंट में डाल कर ज़िप बंद कर दी।
बाजी मुझसे दूर हट कर वॉशबेसिन में बिला वजह बर्तन इधर-उधर करने लगीं और मैं सांस रोके वहीं खड़ा किसी के आने का इन्तजार करने लगा।
लेकिन काफ़ी देर तक कोई सामने ना आया तो बाजी ने डरते-डरते दरवाज़े के बाहर नज़र डाली और वहाँ किसी को ना पाकर मेरी तरफ देखा।
मैंने बाजी को हाथ से इशारा करके बगैर आवाज़ के होंठों को जुंबिश दी- बाहर जा कर देखो ना यार..
बाजी सहमे हुए से अंदाज़ में ही बाहर तक गईं और फिर अन्दर आ कर बोलीं- कोई नहीं है बाहर.. और बस अब तुम जाओ.. मैं रात में आऊँगी कमरे में.. सोना नहीं अच्छा..
मैं भी रेफ्रिजरेटर की साइड से निकाल कर बाजी के सामने आया और कहा- सो भी गया तो उठा देना.. लेकिन मेरी अभी की बारी का क्या होगा?
बाजी ने एक नज़र बाहर देखा और कहा- अभी क्या करना है तुमने.. छोड़ो.. रात को ही कर लेना।
मैंने बाजी का चेहरा पकड़ कर उनके होंठ चूमे और कहा- जी नहीं.. रात की रात में देखेंगे.. लेकिन मेरी अभी की बारी दो..
‘अच्छा ना.. बोलो क्या करना है?’
ये कह कर बाजी ने अपने एक हाथ से दुपट्टा अपने सीने से हटाया और दूसरे हाथ से सीने के एक उभार को अपनी क़मीज़ के ऊपर से पकड़ कर कहा- ये चूसना है?
बाजी की कुंवारी चूत की खुशबू
मैंने गर्दन को नहीं के अंदाज़ में हिलाया और दो सेकेंड रुक कर कहा- इस दुनिया की सबसे ज्यादा मदहोश कर देने वाली खुश्बू सूँघनी है.. और दुनिया के लज़ीज़-तरीन मशरूब के जो चंद क़तरे निकले होंगे.. वो पीने हैं।
बाजी ने फिर से अपने निचले होंठ की साइड को दाँत से काट कर नशीली नजरों से मुझे देखा और फिर आँख मार कर घूमीं और हँसते हुए किचन से बाहर भाग गईं।
बाजी के इस तरह बाहर भाग जाने से मेरी गाण्ड ही जल गई और मुझे इतनी शदीद झुंझलाहट हुई कि मेरे मुँह से कोई बात ही नहीं निकल सकी।
मेरे दिमाग़ में बस दो ही लफ्ज़ गूँजने लगे ‘वसीम चूतिया.. वसीम चूतिया..’
मैं आँखें फाड़े खाली दरवाज़े को ही देख रहा था कि बाजी फिर से सामने आईं और अपने दोनों अंगूठों को अपने कान पर रख कर मुझे मुँह चिढ़ा कर मेरी तरफ पीठ की और अपने कूल्हों को मटकाते हुए मुझे देख कर गाना गाने लगीं- जा जा.. हो.. जाअ जा.. मैं तुम से नहीं बो.. लूँन्न्न्.. जाअ.. जाआ..
बाजी का यह मज़ाक़ मुझे इस वक़्त ज़हर सा लग रहा था.. मैंने बाजी की तरफ से नज़र हटा ली और गुस्से से सिर झटक कर रैक पर पड़े पानी के जग की तरफ घूम गया।
मैंने गिलास में पानी उड़ेला और पानी पी ही रहा था कि बाजी अन्दर आईं और मेरी राईट साइड पर दोनों हाथ अपनी कमर पर टिका कर खड़ी हो गईं।
मैंने पानी पी कर गिलास नीचे रखा और बुरा सा मुँह बनाए हुए बाजी की तरफ देखा.. तो वो मेरे चेहरे को ही देख रही थीं।
कुछ देर ऐसे ही मैं और बाजी एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे और फिर मैंने नज़र झुका लीं और बाजी की साइड से हो कर बाहर निकलने लगा।
तो बाजी ने मेरा हाथ कलाई से पकड़ा और झटके से अपनी तरफ घुमाते हुए मेरे होंठों को चूम कर कहा- यार मज़ाक़ कर रही थी ना.. एक तो तुम इतनी जल्दी मुँह बना लेते हो?
मैंने बाजी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उनकी आँखों में ही देखता रहा।
बाजी ने मेरी शर्ट का सबसे ऊपर वाला बटन खुला देखा तो उसको बंद करते हुए बोलीं- यार वसीम.. ऐसा ना किया कर ना.. मेरे भाई.. प्लीज़ अब मान जाओ।
मैंने उखड़े-उखड़े लहजे में ही कहा- यार बाजी आप भी तो अजीब ही हरकत करती हो ना.. इतना ज़बरदस्त मूड बना हुआ था.. सबकी माँ चोद दी आपने।
‘अच्छा बस.. बकवास नहीं कर अब.. गालियाँ दे कर अपना मुँह गंदा मत किया करो।’
‘तो क्या करूँ.. पता है हम दोस्त यार एक मिसाल दिया करते हैं कि खड़े लण्ड पर धोखा.. ये मिसाल इस मौके पर बिल्कुल फिट बैठ रही है.. आपने भी कुछ ऐसा ही किया है.. यानि खड़े लण्ड पर धोखा दिया है।’
बाजी ने हँसते हुए मेरा हाथ थामा और वापस अन्दर रेफ्रिजरेटर की तरफ जाते हुए कहा- यह मिसाल तुम दोस्तों तक ही रखो.. मैं तुम्हारी बहन हूँ.. बहनें या तो लण्ड खड़ा ही नहीं करवाती हैं.. और अगर लण्ड खड़ा करवा दें.. तो कभी धोखा नहीं देती हैं.. और मैं भी अपने सोहने भाई को खड़े लण्ड पर धोखा नहीं दूँगी।
बाजी ने बात खत्म की तो हम रेफ्रिजरेटर के पास पहुँच गए थे। बाजी ने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और घूम कर उसी जगह पर दीवार से टेक लगा कर खड़ी हो गईं.. जहाँ कुछ देर पहले मैं खड़ा था।
मेरा मूड अभी भी खराब ही था, मैं सिर झुका कर बुरा सा मुँह बना कर खड़ा रहा।
बाजी ने कुछ देर ऐसे ही मुझे देखा और फिर मेरे हाथों को छोड़ कर उल्टे हाथ की हथेली में मेरी ठोड़ी को भर कर ऊपर उठा दिया और सीधा हाथ अपने चूड़ीदार पजामे में डाल कर अपनी चूत पर रगड़ने लगीं।
बाजी ने 3-4 बार अपनी चूत पर हाथ रगड़ कर बाहर निकाला.. तो उनकी उंगलियों पर उनकी चूत का पानी लगा था।
बाजी ने अपनी चूत के रस से गीली उंगलियों को मेरे नाक के पास रगड़ा और मेरे होंठों पर अपनी उंगलियाँ फेरते हुए फिल्मी अंदाज़ में बोलीं- मेरे सोहने भाई के लिए.. इस दुनिया की सब्ब से ज्यादा मदहोश कर देने वाली खुश्बू.. सोहने भाई की सग़ी बहन की चूत के रस की खुशबू… और दुनिया के लज़ीज़ तरीन मशररूब.. तुम्हारी बाजी की चूत के जूस के चंद क़तरे हाज़िर हैं।
बाजी के इस अंदाज़ ने मेरे मूड की सारी खराबी को गायब कर दिया और बेसाख्ता ही मुझे हँसी आ गई।
मैंने बाजी को अपनी तरफ खींच कर उनको सीने से लगाया और अपने बाजुओं में भींचते हुए कहा- आई लव यू बाजी.. आई रियली लव यू!
बाजी ने भी मेरी क़मर पर हाथ फेरा और अपना सिर पीछे करते हुए मेरे गाल को चूम कर कहा- आई लव यू टू जानू.. मेरा सोहना भाई!
बाजी की झांटों भरी चूत
हम इसी तरह कुछ देर गले लगे रहे.. फिर बाजी मुझसे अलग हुईं और दीवार से क़मर लगा कर अपनी फ्रॉक का दामन सामने से उठाया और कहा- चलो अब अपना इनाम ले लो।
मैंने हँस कर बाजी को देखा और नीचे बैठ कर उनके पजामे के ऊपर से टाँगों के बीच अपना मुँह दबा लिया।
बाजी की चूत की खुशबू को अपने अंग-अंग में बसने के बाद मैंने मुँह पीछे किया और बाजी के पजामे को उतारने के लिए हाथ फँसाए ही थे कि बाजी ने मेरे हाथों को पकड़ लिया और कहा- आहहनन्न.. तुम हाथ हटा लो.. मैं खुद.. अपने सोहने भाई के लिए.. अपने हाथों से.. अपना पजामा नीचे करूँगी।
‘ओके बाबा.. जो रानी जी की मर्ज़ी..’
मैंने यह कह कर अपने हाथ पीछे कर लिए और अपनी नजरें बाजी की टाँगों के बीच में चिपका कर पजामा नीचे होने का इन्तजार करने लगा।
बाजी ने अपनी फ्रॉक के दामन को दाँतों में दबाया और दोनों अंगूठे साइड्स से पजामे में फँसा कर आहिस्ता-आहिस्ता नीचे करने लगीं।
बाजी ने अपने पजामे को दो इंच नीचे सरकाया और नफ़ से थोड़ा नीचे करके रुक गईं।
मैं उत्तेजना से मुँह खोले अपनी नजरें बाजी की टाँगों के बीच जमाए हुए.. पजामे के उतरने का इन्तजार कर रहा था, मेरी शक्ल से ही बहुत बेताबी ज़ाहिर हो रही थी।
जब काफ़ी देर बाद भी बाजी ने पजामा नीचे ना किया.. तो मैंने नज़र उठा कर बाजी के चेहरे की तरफ देखा तो वो खिलखिला कर हँस पड़ीं, उनकी आँखों में इस वक़्त शदीद शरारत नाच रही थी।
बाजी को हँसता देख कर मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि बाजी हँसी को ज़बरदस्ती रोकते हो बोलीं- अच्छा अच्छा सॉरी.. मूड ऑफ मत कर लेना.. सॉरी सॉरी..
मैंने कुछ नहीं कहा.. बस मुस्कुरा कर वापस अपनी नजरें बाजी की टाँगों के बीच जमा दीं।
बाजी ने अपने पजामे को थोड़ा और नीचे किया.. तो उनकी चूत के ऊपर वाले हिस्से के बाल नज़र आने लगे.. जो काफ़ी बड़े हो रहे थे और गुलाबी जिल्द पर डार्क ब्लैक बाल बहुत भले लग रहे थे।
‘बाजी क्या बात है.. कब से बाल साफ नहीं किए? बहुत बड़े-बड़े हो रहे हैं?’
‘काफ़ी दिन हो गए हैं.. सुबह यूनिवर्सिटी जाना था.. इतना टाइम नहीं था कि साफ करती.. अब आज करूँगी।’
बाजी ने ये कहा और पजामे को घुटनों तक पहुँचा दिया।
मैंने नज़र भर के बाजी की चूत को देखा।
टाँगों के बंद होने की वजह से सिर्फ़ चूत का ऊपरी हिस्सा ही दिख रहा था।
मैंने अपना हाथ बारी-बारी बाजी की खूबसूरत रानों पर फेरा और अपना अंगूठा चूत से थोड़ा ऊपर रख कर चूत को ऊपर की तरफ खींचते हुए बाजी से कहा- बाजी टाँगें खोलो ना थोड़ी सी..
बाजी ने अपनी टाँगों को खोला.. तो चूत बालों में घिरी एक लकीर सी नज़र आ रही थी।
मैंने अंगूठे को थोड़ा नीचे ला कर बाजी की चूत के दाने पर रख दिया और उसे मसलते हुए बाजी की रानों को चाटने लगा।
मैंने बारी-बारी से दोनों रानों को चाटा और फिर अंगूठे के दबाव से चूत को ऊपर की जानिब खींच कर अपनी ज़ुबान बाजी की चूत से लगा दी।
मेरी ज़ुबान बाजी की चूत पर टच हुई तो उन्होंने एक झुरझुरी सी ली और अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर दबाने लगीं।
मैंने चूत को मुकम्मल चाट कर बाजी की चूत के एक लब को अपने होंठों में दबाया और उसका रस निचोड़ने लगा।
इसी तरह मैंने दूसरे लब को चूसा और फिर दोनों लबों को एक साथ मुँह में लेकर पूरी चूत को चूसने की कोशिश की.. तो बाजी ने एक ‘आह..’ भरते हुए कहा- अहह.. वसीम दाना.. दाने को चूसो.. प्लीज़..
मैंने बाजी की बात सुन कर एक बार फिर पूरी चूत पर ज़ुबान फेरी और उनकी चूत के दाने को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे बाजी की चूत के दाने से मीठे रस का चश्मा उबल रहा है.. जो मेरे मुँह में शहद घोलता जा रहा है।
बाजी की चूत के दाने को चूसने की वजह से मेरी नाक.. चूत के बालों में उलझ सी गई और मुझे ऐसा महसूस होने लगा जैसे मेरी नाक अपनी बाजी की चूत की खुश्बू को एक-एक बाल से चुन लेना चाहता हो।
अम्मी आ गई
मैं अपने इन्हीं अहसासात के साथ बाजी की चूत को चाट और चूस रहा था कि एक आवाज़ बॉम्ब की तरह मेरी शामत से टकराई- रूहीयययययई…
अम्मी की आवाज़ सुनते ही मैं तड़फ कर पीछे हटा और अभी उठने भी नहीं पाया था कि किचन के दरवाज़े पर अम्मी खड़ी नज़र आईं।
उन्होंने मुझे ज़मीन पर बैठे देखा तो हैरत से पूछा- यह क्या कर रहे हो वसीम?
मैंने अम्मी को देखे बिना ही रेफ्रिजरेटर के नीचे हाथ डाला और कुछ ढूँढने के अंदाज़ में हाथ फिराता हुआ बोला- कुछ नहीं.. अम्मी वो पानी पी रहा था.. तो हाथ में पकड़ा पेन नीचे गिर गया है.. वो ही देख रहा हूँ।
कह कर मैंने तिरछी नज़र से बाजी को देखा तो वो उसी हालत में क़मीज़ दाँतों में दबाए.. पाजामा घुटनों तक उतारा हुआ और टाँगें थोड़ी सी खोले हुए.. बुत बनी खड़ी थीं।
अम्मी ने माथे पर हाथ मार कर कहा- या रब्बा.. ये लड़के भी ना.. इतनी क्या मुसीबत पड़ी है पेन की.. बाद में निकाल लेना था.. अभी अपने सारे कपड़े गंदे कर लिए हैं।
मैं दिल ही दिल में दुआ कर रहा था कि अम्मी अन्दर ना आ जाएँ। फिर मैंने हाथ रेफ्रिजरेटर के नीचे से निकाला और अपना बैग उठा कर खड़ा हो रहा था.. तो अम्मी बोलीं- रूही को तो नहीं देखा तुमने? पता नहीं कहाँ चली गई है?
‘नहीं अम्मी..! मैंने तो नहीं देखा.. जाना कहाँ हैं.. ऊपर स्टडी रूम में होंगी।’
अम्मी ने सीढ़ियों की तरफ मुँह कर के तेज आवाज़ लगाई- रुहीययई..
फिर अपने कमरे की तरफ घूम कर बोलीं- वसीम जा बेटा ऊपर हो तो उसे मेरे पास भेज देना।
बोल कर अम्मी धीमे क़दमों से मुड़ते हुए अपने कमरे की तरफ चल दीं।
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