RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैं और तेजी से ज़ुबान अन्दर-बाहर करने लगा.. कुछ देर तक मैं अपनी ज़ुबान इसी तरह अन्दर-बाहर करता रहा.. फिर ज़ुबान बाहर निकाल कर बाजी की चूत के दाने को चाटा और उससे होंठों में दबा कर अन्दर की तरफ खींचते हुए चूसा.. तो बाजी ने मेरे लण्ड को मुँह से निकाल कर एक ज़ोरदार सिसकारी भरी।
‘अहह हाँ.. वसीम.. यहाँ से चूसो.. यहाँ सबसे ज्यादा मज़ा आता है..!’
वो फिर से मेरे लण्ड को चूसने लगीं।
कुछ देर ऐसे ही बाजी की चूत के दाने को चूसने के बाद मैंने फिर अपनी ज़ुबान निकाली और बाजी के कूल्हों की दरमियानी लकीर पर ज़ुबान फेरते हुए अपनी 2 उंगलियाँ बाजी की चूत में डाल दीं।
बाजी ने एक लम्हें को मेरा लण्ड चूसना रोका.. और फिर दोबारा से चूसने लगीं।
मैंने देखा कि बाजी ने कुछ नहीं कहा.. तो आहिस्ता-आहिस्ता अपनी उंगलियों को हरकत देकर चूत में अन्दर-बाहर करते हुए अपनी ज़ुबान को बाजी की गाण्ड की ब्राउन सुराख पर रख दिया। दो मिनट तक सुराख को चाटता रहा और फिर अपनी ज़ुबान की नोक को सुराख के सेंटर में रख कर थोड़ा सा ज़ोर दिया और मेरी ज़ुबान मामूली सी अन्दर चली ही गई या शायद बाजी की गाण्ड का नरम गोश्त ही अन्दर हुआ था।
बाजी अब मेरे लण्ड पर अपना मुँह बहुत तेज-तेज चला रही थीं और मेरे अन्दर जोश भरता जा रहा था।
मैंने भी बाजी की चूत में अपनी उंगलियाँ बहुत तेज-तेज चलाना शुरू कर दीं।
मैं पहले तो यह ख्याल रख कर उंगलियाँ चलाता रहा था कि एक इंच से ज्यादा अन्दर ना जाने पाए.. लेकिन अब तेजी-तेजी से अन्दर बाहर करने की वजह से मैं अपने हाथ को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था और हर 3-4 झटकों के बाद एक बार उंगलियाँ थोड़ी ज्यादा गहराई में उतर जाती थीं.. जिससे बाजी के जिस्म को एक झटका सा लगता और 2 सेकेंड के लिए उनकी हरकत को ब्रेक लग जाती।
मैंने बाजी की गाण्ड के सुराख को भरपूर अंदाज़ में चाट कर अपनी ज़ुबान हटाई और दूसरे हाथ की एक उंगली को अपने मुँह से गीला करके बाजी की गाण्ड के सुराख में दाखिल कर दी.. जो पहले ही झटके में तकरीबन 1. 5 इंच तक अन्दर चली गई।
बाजी के कूल्हों ने एक झटका लिया.. उन्होंने फ़ौरन मेरे लण्ड से मुँह हटाया और तक़लीफ़ से लरज़ती आवाज़ में कहा- उफफ्फ़.. वसीम कुत्ते.. निकाल उंगली.. साले बहुत दर्द हो रहा है..
मैंने उंगली को बगैर हरकत दिए कहा- कुछ नहीं होता बाजी.. बस थोड़ी देर दर्द होगा.. बर्दाश्त कर लो।
‘नहीं नहीं वसीम.. निकालो प्लीज़.. मेरा कोई सुराख तो छोड़ दो कमीने.. क्यों इसके पीछे पड़ गए हो?’
‘बस बस बाजी एक मिनट में सुराख आदी हो जाएगा तो दर्द नहीं होगा।’
बाजी ने गर्दन घुमा कर मेरे चेहरे को देखा और ज़रा अकड़ कर कहा- कहा ना नहीं.. बस.. वसीम.. बाहर निकालते हो उंगली या नहीं?
मैंने मुस्कुरा कर आँख मारी और उन्हीं के अंदाज़ में जवाब दिया- नहीं निकालता फिर.. क्या कर लोगी तुम?
बाजी कुछ बोले बगैर घूमी और झुक कर मेरे लण्ड की टोपी को दाँतों में दबा कर बोलीं- कमबख्त निकालो..
वे अपने दाँतों को ज़ोर देकर लण्ड को काटने लगी..
मैंने शदीद तक़लीफ़ से चिल्ला कर कहा- उफफ्फ़.. अच्छा अच्छा.. निकालता हूँ।
बाजी ने अपने दाँतों को लूज कर दिया और फिर मैंने भी बाजी की गाण्ड से उंगली निकाल कर कहा- कितनी ज़ालिम हो यार बाजी.. मेरी जान ही निकाल दी.. इतने ज़ोर से काटा है।
बाजी ने खिलखिला कर हँसते हुए कहा- याद रखना बेटा.. कभी उस लड़की से पंगा नहीं लेना.. जिसके मुँह के पास ही तुम्हारा सामान हो।
यह कहते हुए उन्होंने मेरे लण्ड पर एक चुटकी मारते हुए कहा- ये चीज दबी हो।
और वो हँसते हुए दोबारा से मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैंने भी फिर से बाजी की चूत में उंगलियाँ डालीं और उनकी चूत के दाने को चूसते हुए उंगलियाँ अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ ही देर बाद मेरी साँसें तेज हो गईं और मुझे अंदाज़ा हो गया कि मेरा लण्ड अपना लावा बहाने को तैयार है। मेरा जिस्म अकड़ना शुरू हुआ.. तो मैंने बाजी की चूत से मुँह हटा कर कहा- बाजी, मैं छूटने वाला हूँ।
बाजी ने एक लम्हें के लिए मुँह से मेरा लण्ड निकाला और तेज साँसों के साथ कंपकंपाती आवाज़ में बोलीं- मैं मैं भी..
उन्होंने फ़ौरन ही दोबारा मेरा लण्ड मुँह में ले लिया.. मैंने भी फ़ौरन बाजी की चूत के दाने को अपने मुँह में लिया और अगले ही लम्हें बाजी का जिस्म भी अकड़ गया और बाजी के जिस्म को झटके लगने लगे।
मेरी उंगलियाँ बाजी की चूत के अन्दर ही थीं, बाजी की चूत की अंदरूनी दीवारें मेरी उंगलियों को भींचती थीं और फिर चूत लूज़ हो जाती और अगले ही लम्हे फिर भींच लेती।
काफ़ी देर तक बाजी के जिस्म को झटके लगते रहे और उनकी चूत इसी तरह मेरी उंगलियों को भींच-भींच के छोड़ती रही। उसी वक़्त मुझे ज़िंदगी में पहली बार यह पता चला कि लड़की डिस्चार्ज होती है.. तो उसकी चूत इस तरह सिकुड़ती है और लूज होती है।
बाजी के डिस्चार्ज होते ही मैंने अपनी उंगलियाँ चूत से निकालीं और अपना मुँह बाजी की चूत से लगा कर चूत के अन्दर से सारा रस अपने मुँह में खींचने लगा।
उसी वक़्त मेरा जिस्म भी अकड़ा और फिर मेरा लण्ड बाजी के मुँह के अन्दर ही अपना लावा बहाने लगा और मेरी आँखें बंद हो गईं।
हम दोनों ही डिस्चार्ज हो चुके थे बाजी मेरे ऊपर से उठ कर मेरी राईट साइड पर लेटीं और अपनी राईट टांग उठा कर मेरी टाँगों पर रख कर.. मेरे सीने पर हाथ मारा।
उनके मुँह से आवाज आई- ओंन्नाममम ओन्न्णुणन्..
मैंने आँखें खोल कर बाजी को देखा तो उन्होंने अपने होंठों को मज़बूती से बंद कर रखा था और होंठों के साइड से मेरे लण्ड का जूस बह रहा था।
मेरे मुँह में भी बाजी की चूत से निकला हुआ आबे-ज़न्नत मौजूद था।
बाजी ने मेरे गाल पर हाथ रख कर मेरे चेहरे को अपनी तरफ किया और मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिए और हम दोनों ही एक-दूसरे की जवानी के जूस से लिपटे होंठों के साथ किस करने लगे।
काफ़ी देर एक-दूसरे के होंठ चूसने और ज़ुबान लड़ाने के बाद हम अलग हुए.. तो एक-दूसरे के मुँह को देख कर दोनों ही हँस पड़े।
फिर बाजी ने बिस्तर पर ही पड़ी मेरी ही शर्ट को उठाया और अपना मुँह साफ करने के बाद मेरा मुँह साफ करते हुए बोलीं- गंदे.. मुझे भी अपनी तरह गंदा बना ही दिया ना तुमने..
मैंने निढाल सी आवाज़ में शरारत से कहा- बाजी गंदी तो आप थीं ही.. क्योंकि हो तो मेरी ही बहन ना.. बस ये गंदगी कहीं अन्दर छुपी हुई थी.. जो अब बाहर आ रही है।
बाजी मेरी बात सुन कर हँसी और उठ कर अपने कपड़े पहनने लगीं, अपने कपड़े पहन कर बाजी मेरे पास आईं और मुझे ट्राउज़र पहना कर मेरे माथे को चूमा और मुहब्बत से चूर लहजे में बोलीं- मेरी जान हो तुम.. मुझसे नाराज़ मत हुआ करो।
मैंने जवाब में बाजी को मुहब्बतपाश नजरों से देखा और सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गया और बाजी उठ कर बाहर चली गईं।
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