RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
बाजी ने तीसरी बार पूरा मुँह में लेने की कोशिश नहीं की और मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर उससे ऊपर की तरफ सीधा किया और लंड की जड़ में अपनी ज़ुबान का ऊपरी हिस्सा रख कर पूरे लंड की लंबाई को चाटते हुए नोक तक आईं और एक बार लंड की टोपी पर ज़ुबान फेर कर उससे नीचे की तरफ दबाया और लंड के ऊपरी हिस्से की लंबाई को ऊपर से नीचे जड़ तक चाटा।
फिर इसी तरह बाजी ने मेरे लंड को दोनों साइड्स से ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर तक चाटा और फिर लंड को मुँह में ले लिया। लेकिन इस बार बाजी ने आधा ही लंड मुँह में डाला और उस पर अपने होंठों की गिरफ्त को टाइट करके अन्दर की तरफ चूसने लगीं।
लंड को इस तरह चूसने से बाजी के दोनों गाल पिचक कर अन्दर घुस जाते और उनका चेहरा लाल हो जाता था।
बाजी इतनी ताक़त से चूस रही थीं कि मुझे साफ महसूस हुआ कि मेरे लंड के अन्दर से मेरी मलाई का एक क़तरा रगड़ ख़ाता हुआ बाहर की तरफ जा रहा है।
जब वो क़तरा मेरे लंड की नोक से बाहर आया तो मेरे जिस्म और लंड को एक झटका सा लगा।
मैंने झटका लेकर बाजी की तरफ देखा.. तो वो मेरे चेहरे पर ही नज़र जमाए हुए थीं और मेरी हालत से लुत्फ़ ले रही थीं।
मुझसे नज़र मिलने पर बाजी ने शरारत से आँख मारी और फिर अपने मुँह को मेरे लंड पर आगे-पीछे करने लगीं।
जब बाजी मेरे लंड पर अपना मुँह आगे की तरफ लाती थीं.. तो अन्दर से अपने मुँह के जबड़ों की गिरफ्त को ढीला कर देतीं और जब मेरा लंड अपने मुँह से बाहर लातीं तो सिर को तो पीछे की जानिब हटाती थीं.. जिससे लंड बाहर आना शुरू हो जाता था।
लेकिन बाहर लाते वक़्त बाजी अपने मुँह के अन्दर वाले हिस्से से लौड़े को ऐसे चूसतीं कि मेरा लंड अन्दर की तरफ खिंचता हुआ बाहर आता था।
पता नहीं मैं आपको यह अंदाज़ समझा पाया हूँ या नहीं.. बहरहाल एक बार फिर गौर से पढ़िएगा तो आपको समझ आ जाएगा।
इस अंदाज़ से कभी ज़ुबैर ने भी मेरा लंड ना चूसा था.. बल्कि ज़ुबैर क्या मैंने भी कभी ऐसे नहीं चुसवाया था.. जैसे बाजी चूस रही थीं।
कुछ देर तक इसी तरह बाजी मेरा लंड चूसती रहीं और फिर जब भी बाजी लंड को अपने मुँह के अन्दर धकेलतीं.. तो आख़िर में एक झटका मारती थीं.. जिससे मेरा लंड हर बार थोड़ा-थोड़ा ज्यादा अन्दर जाने लगा था।
कुछ ही देर में बाजी की कोशिश रंग लाई और उन्होंने जड़ तक मेरा लंड अपने मुँह में लेना शुरू कर दिया।
लेकिन सिर्फ़ एक लम्हें को ही बाजी के होंठ मेरे लंड की जड़ तक पहुँच पाते थे और फिर बाजी वापस लंड को बाहर निकालना शुरू कर देती थीं।
बाजी का हाथ मेरे पेट और लंड के दरमियानी हिस्से पर रखा हुआ था.. जहाँ से मेरे लंड के बाल शुरू होते हैं।
बाजी ने इसी तरह मेरा लंड चूसते-चूसते अपना हाथ मेरे लंड के बालों वाली जगह से उठाया और मेरे लंड के नीचे लटकती गोटों को पकड़ लिया और आहिस्ता-आहिस्ता इन बॉल्स को सहलाने लगीं।
बाजी का हाथ मेरी बॉल्स पर टच हुआ तो सुरूर की एक और लहर मेरे बदन से उठी और मुझे ऐसा लगा कि शायद मैं अब अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाउंगा, मैंने दोनों हाथों से बाजी का चेहरा थामा और अपना लंड उनके मुँह से निकाल लिया और आँखें बंद करके लंबी-लंबी साँसें लेने लगा।
मुझे साफ महसूस हुआ कि मेरे लंड का जूस जो कि बाहर आने लगा था.. वो अब वापस मेरी रगों में जा रहा है।
चंद सेकेंड बाद जब मैंने यह महसूस किया कि अब मैंने अपनी हालत पर कंट्रोल कर लिया है..
तो मैंने आँखें खोलीं और बाजी की तरफ देखा।
बाजी का चेहरा मेरे हाथों में और उनका मुँह थोड़ा सा खुला हुआ मेरे लंड से तकरीबन 4 इंच दूर था.. मेरे लंड की नोक से एक पतली सी लकीर बाजी के निचले होंठ तक गई हुई थी। वो पता नहीं मेरे लंड का जूस (मेरा प्री कम) था या बाजी की थूक(सलाइवा) थी.. जो बारीक सी तार की तरह मेरे लंड की नोक से बाजी के होंठों तक गई हुई थी।
बाजी की नजरें मेरे चेहरे पर ही जमी थीं और शायद उन्होंने इस लकीर को देखा ही नहीं था।
मैंने बाजी का चेहरा एक हाथ से मज़बूती से थामा कि वो मुँह हिला ना सकें और दूसरे हाथ की उंगली बाजी की आँख के सामने लहराई।
बाजी ने कुछ ना समझने वाले अंदाज़ में मेरी उंगली को देखा और मैं अपनी उंगली नीचे अपने लंड की तरफ ले जाने लगा।
बाजी की नजरें मेरी उंगली पर ही जमी थीं और उंगली के साथ-साथ गर्दिश कर रही थीं।
मैंने अपनी उंगली अपने लंड की टोपी पर नोक के पास रखी.. तो उसी वक़्त बाजी की नज़र भी मेरी प्री-कम के उस बारीक तार पर पड़ी और मैंने बाजी के चेहरे को मज़बूती से थाम लिया कि कहीं बाजी पीछे हटने की कोशिश ना करें।
लेकिन मैंने महसूस क्या कि बाजी ने ऐसी कोई कोशिश नहीं की तो मैंने भी गिरफ्त ढीली कर दी और उनकी नजरें मेरे लंड की नोक से उसी तार पर होती हुई उनके अपने होंठों तक गईं।
बाजी ने मुस्कुरा कर मेरी आँखों में देखा।
बाजी की आँखों में अजीब सी चमक थी.. अजीब सा खुमार था.. जो इस अहसास के लिए था कि यह उनकी ज़िंदगी का पहला लंड था.. जिसको उन्होंने चूसा और उसके ज़ायक़े को महसूस किया और लंड भी उनके अपने सगे भाई का था।
मैंने अपनी उंगली बाजी के होंठों पर रखी और अपनी प्री-कम की लकीर को उनके होंठों से लेकर के अपनी उंगली पर ले लिया और उस तार को उंगली पर समेटते हुए अपने लंड की नोक तक आया.. और वहाँ से भी उस तार को तोड़ लिया।
मैंने अपनी उंगली बाजी को दिखाई.. बाजी ने मेरी उंगली पर लगा मेरे लंड का जूस देखा और नर्मी से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी आँखों के क़रीब ले गईं और फिर अचानक ही झपट कर मेरी उंगली अपने मुँह में लेकर उससे चूसने लगीं।
मैं बाजी का यह अंदाज़ देख कर दंग रह गया।
बाजी ने मेरी पूरी उंगली चूसी और मेरा हाथ छोड़ कर फिर से मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर.. अपनी ज़ुबान लंड के सुराख में घुसाने लगीं।
एक बार फिर उन्होंने पूरे लंड को चाटने के बाद लंड मुँह में लिया और तेजी से अपने मुँह में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर बाद मेरा जिस्म अकड़ना शुरू हो गया.. मैंने कोशिश की कि मैं अपने आप पर कंट्रोल करूँ.. लेकिन जल्द ही मुझे महसूस हुआ कि मैं अबकी बार अपने आपको नहीं रोक पाऊँगा।
मैंने अपनी तमाम रगों को फैलता- सिकुड़ता महसूस किया.. और मैंने चीखती आवाज़ में बा-मुश्किला कहा- बाजीयईईईई.. मैं छूटने वाला हून्ंननणन्..
बाजी ने मेरी बात सुनते ही लंड को मुँह से निकाला और तेजी से मेरे लंड को अपने हाथ से मसलने लगीं, फिर 3-4 सेकेंड बाद ही मेरे मुँह से एक तेज ‘आअहह’ निकली और मेरे लंड ने फव्वारे की सूरत में अपने जूस की पहली धार छोड़ी.. जो सीधी मेरी बहन के हसीन गुलाबी उभारों पर गिरी।
बाजी ने अपना हाथ मेरे लंड से नहीं हटाया और इस धार को देख कर और तेजी से मेरे लंड को रगड़ने लगीं।
दो-दो सेकेंड के वक्फे से मेरे लंड से एक धार निकलती.. और बाजी के मम्मों या पेट पर चिपक जाती।
तकरीबन एक मिनट तक मेरा लंड और जिस्म झटके ख़ाता रहा और जूस बहता रहा।
बाजी ने मेरे लंड से निकलते इस समुंदर को देखा तो बोलीं- वॉववववव.. आज तो मेरी जान.. मेरा सोहना भाई बहुत ही जोश में है..
यह सच था कि आज से पहले कभी मेरे लंड ने इतना ज्यादा जूस नहीं छोड़ा था और मैं कभी इतना निढाल भी नहीं हुआ था।
बाजी ने मेरा वीर्य चखा
बाजी ने भी अपना हाथ चलाना अब बंद कर दिया था.. लेकिन बदस्तूर मेरे लंड को थाम रखा था।
मैंने निढाल सी कैफियत में अधखुली आँखों से बाजी को देखा.. उनके सीने के उभारों और पेट पर मेरे लंड से निकले जूस ने आड़ी तिरछी लकीरें सी बना डाली थीं।
बाजी ने अपने जिस्म पर नज़र डाली और मेरे लंड को छोड़ कर अपनी उंगली से अपने खूबसूरत निप्पल्स पर लगे मेरे लंड के जूस को साफ किया और काफ़ी सारी मिक़दर अपनी उंगली पर उठा कर उंगली अपने मुँह में डाल ली।
मैं बाजी को देख तो रहा था.. लेकिन इतना निढाल था कि कुछ बोलना तो दूर की बात है.. बाजी की इस हरकत पर हैरत भी ना ज़ाहिर कर सका और खाली-खाली आँखों से बाजी को देखता रहा।
बाजी ने उंगली को अच्छी तरह चूसा और मुझे आँख मार के अपनी आँखों को गोल-गोल घुमाते हो कहा- उम्म्म यूम्ममय्ययई.. यार वसीम यह तो मज़े की चीज़ है।
वे यह बोल कर हँसने लगीं।
मैंने भी मुस्कुरा कर बाजी का साथ दिया।
अचानक ही बाजी की हँसी को ब्रेक लग गया और उन्होंने घबराए हुए अंदाज़ में घड़ी को देखा।
बाजी ने मेरे लण्ड को चूस कर मेरा माल अपनी छाती पर गिराया और फिर मेरे लण्ड के जूस को काफ़ी सारी मिक़दार अपनी उंगली पर उठा कर अपने मुँह चखा और मुझे आँख मार कर आँखें गोल गोल घुमा कर कहा- उम्म्म यूम्मय्ययई.. यार वसीम, यह तो मज़ेदार चीज़ है।
मैं मुस्कुरा दिया। अचानक बाजी ने घड़ी को देखा, फिर बिस्तर से उछल कर खड़ी होती हुए बोलीं- शिट.. अम्मी और हनी आने ही वाली होंगी.. या शायद आ ही गई हों।
बाजी ने मेरी शर्ट उठा कर जल्दी-जल्दी अपना जिस्म साफ किया और क़मीज़ पहन कर सलवार पहनने लगीं..
तो मैंने कहा- बाजी आप तो आज डिस्चार्ज हुई ही नहीं हो?
बाजी ने सलवार पहन ली थी.. उन्होंने कहा- कोई बात नहीं.. फिर सही।
वे ज़ुबैर के पास गईं.. जो कि नीचे कार्पेट पर नंगा ही उल्टा सो रहा था, उसको फिर से उठाते हुए कहा- ज़ुबैर उठो.. कपड़े पहनो और सही तरह बिस्तर पर लेटो.. उठो शाबाश..
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