Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:39 PM,
#46
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
अगली सुबह भी रूटीन की ही सुबह थी। मैंने सब के साथ ही नाश्ता किया.. लेकिन बाजी नाश्ते के टेबल पर मौजूद नहीं थीं.. शायद उन्हें आज यूनिवर्सिटी नहीं जाना था.. इसलिए उठी भी नहीं थीं।
नाश्ता करके हनी और ज़ुबैर अब्बू के साथ ही निकले थे और उनके कुछ ही देर बाद मैं भी अपने कॉलेज चला गया।

दोपहर में जब मैं कॉलेज से घर वापस आया और अपने कमरे में दाखिल हुआ.. तो मुझे हैरत से एक झटका लगा। 
ज़ुबैर और बाजी कंप्यूटर टेबल के सामने बैठे थे और कंप्यूटर पर एक ट्रिपल-एक्स मूवी चल रही थी। ज़ुबैर ने टी-शर्ट और ट्राउज़र पहना हुआ था और उसका लण्ड ट्राउज़र से बाहर था।
रूही बाजी.. ज़ुबैर का लण्ड अपनी मुठी में पकड़े हाथ ऊपर-नीचे कर रही थीं।

बाजी ने भी कॉटन की एक क़मीज़-सलवार का सूट पहन रखा था.. उनका दुपट्टा नीचे ज़मीन पर पड़ा था.. लेकिन काला स्कार्फ उनके सिर पर ही उनके मख़सूस अंदाज़ में बंधा हुआ था और उन दोनों की नजरें स्क्रीन पर जमी थीं।
दरवाज़े की आहट सुन कर ज़ुबैर और बाजी दोनों ने उसी वक़्त मेरी तरफ़ देखा.. तो मैंने पूछा- खैर तो है ना..? आज दिन दिहाड़े वारदात हो रही है?
बाजी ने ज़ुबैर के लण्ड को ज़ोर से दबा कर और अपने दाँतों को भींच कर कहा- अम्मी और हनी सलमा खाला के घर गई हैं.. शाम में ही वापस आएँगी.. और हमारे छोटे भाई साहब को जिन्न चढ़ गया है.. इनका जिन्न उतार रही हूँ.. 
मैंने बाजी की बात सुनी और हँस कर बाथरूम की तरफ जाते हुए कहा- यार मैं ज़रा नहा लूँ.. गर्मी इतनी ज्यादा है कि पूरा जिस्म पसीने से चिप-चिप कर रहा है।
मैं नहाने के बाद तौलिए से अपना जिस्म साफ करते हुए बाथरूम से बाहर निकला।
मैंने पहली नज़र कंप्यूटर टेबल पर ही डाली.. लेकिन बाजी और ज़ुबैर को वहाँ ना पा कर मैंने दूसरी तरफ देखा तो.. बाजी आईने के सामने कल रात वाले सेम अंदाज़ में खड़ी थीं.. और ज़ुबैर उनकी रानों के बीच में अपना लण्ड फंसाए आगे-पीछे हो रहा था।
बाजी ने भी उसी वक़्त मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दीं।
मैंने भी बाजी की मुस्कुराहट का जबाव मुस्कुरा कर ही दिया।
बाजी संग जोरदार चुम्बन
मैंने उनके सामने आकर अपने होंठ बाजी के खूबसूरत और नर्म-ओ-नाज़ुक होंठों से चिपका दिए। एक सादे चुम्बन के बाद मैंने अपना ऊपर वाला होंठ बाजी के ऊपर वाले होंठ से ऊपर रखा.. और अपना नीचे वाला होंठ बाजी के नीचे वाले होंठ से नीचे रख कर बाजी के दोनों होंठों को अपने होंठों में पकड़ लिया और चूसने लगा। 
बाजी के होंठ चूसने में इतना मज़ा आता था कि मैं घन्टों तक सिर्फ़ उनके होंठ ही चूसता रहूं.. तो भी मेरे लिए यही बहुत था। 
भरपूर अंदाज़ में बाजी के होंठ चूसने के बाद मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों से हटाए और चेहरा उनके चेहरे के सामने रखे मुहब्बत भरी नजरों से बाजी की आँखों में देखा।
मैं और बाजी एक-दूसरे की आँखों में डूबने के क़रीब ही थे कि अचानक बाजी का सिर मेरे नाक से टकराया.. जैसे कि उन्होंने टक्कर मारी हो।
उसी वक़्त ज़ुबैर की मज़े से भरी ‘आआहह..’ मुझे सुनाई दी और मैं तक़लीफ़ से अपनी नाक को अपने हाथ में पकड़े ‘उफ्फ़ ऑश..’ करते हुए पीछे हट गया। 
बाजी भी फ़ौरन मेरी तरफ बढ़ीं और कहा- ज्यादा तो नहीं लगी?
मैंने नहीं के अंदाज़ में अपना सिर हिलाया और बाजी को देखते हुए झुंझलाहट में कहा- हुआ क्या था आपको?
उन्होंने हँसते हुए ज़ुबैर की तरफ इशारा कर दिया.. मैंने ज़ुबैर को देखा तो वो हाँफता हुआ ज़मीन पर बैठा था और उसने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा हुआ था।
उसका हाथ उसके अपने ही लण्ड के जूस से भरा था। 
तब मुझे समझ में आई कि असल में हुआ ये था.. कि मैं और बाजी तो अपने में मगन थे.. और ज़ुबैर बाजी की रानों में अपना लण्ड डाल कर झटके लगा रहा था और अचानक ही वो अपना कंट्रोल खो बैठा और उसने एक जोरदार झटका मारा।
उस झटके की ही वजह से बाजी का सिर मेरी नाक से टकराया था और बाजी भी फ़ौरन आगे बढ़ी थीं.. जिससे ज़ुबैर का लण्ड उनकी रानों से बाहर आ गया था.. 
लेकिन ज़ुबैर बिल्कुल आखिरी स्टेज पर था और बाजी के आगे होते ही ज़ुबैर के लण्ड ने अपना पानी छोड़ दिया और उसने अपने ही हाथ से आखिरी 2-3 झटके दिए.. जिससे ज़ुबैर का हाथ और उसकी टाँगें भी उसके पानी से तर हो गईं।
बाजी ने मेरी बगलों में हाथ डाल कर सहारा देकर मुझे उठाया और कहा- चलो बेड पर बैठो। 
मैं बेड की तरफ चल दिया.. बाजी ने अपना दुपट्टा उठाया और उसके कोने की छोटी सी गठरी बना कर मेरे पास आ गईं। 
मैं बेड पर बैठा.. तो बाजी अपने दुपट्टे की गठरी पर फूँकें मार-मार कर मेरी नाक को सेंकने लगीं। मैं बाजी के खूबसूरत जिस्म को देखने लगा.. बाजी की हरकत के साथ ही उनके बड़े-बड़े मम्मे भी हरकत कर रहे थे। 
बाजी के निप्पल अभी भी मुकम्मल खड़े थे.. उनका पेट.. उनकी रानें.. हर चीज़ इतनी मुतनसीब थीं कि देख कर दिल ही नहीं भरता था।
बाजी कुछ देर मेरे नाक को सहलाती रहीं.. नाक की तक़लीफ़ की वजह से ही मेरा लण्ड भी बैठ गया था।
बाजी ने दुपट्टा साइड पर फेंका और मेरे साथ बैठ कर मेरे बैठे हुए लण्ड को अपने हाथ में लिया और कुछ देर तक उससे गौर से देखने के बाद बिल्कुल बच्चों के अंदाज़ में खुश होते हुए कहा- ये अभी कितना छोटा सा मासूम सा लग रहा है ना.. नरम-नरम सा.. और बाद में कितना बड़ा और सख़्त हो जाता है। 
वे मेरे नर्म लण्ड को दबाने लगीं। 
मैंने कहा- बाजी आपने थोड़ी देर ऐसे ही पकड़े रखा.. तो यह नर्म नहीं रहेगा.. अपने जलाल में आ ही जाएगा।
यह कह कर मैंने बाजी के कंधों को थामा और बाजी को अपने साथ ही नीचे लिटाता हुआ पीछे की तरफ लेट गया। 
बाजी के लेटने से मेरी नज़र ज़ुबैर पर पड़ी.. वो अब भी बेसुध सा ज़मीन पर लेटा हुआ था और उसकी आँखें भी बंद थीं.. शायद सो ही गया था। 
मैंने लेटे-लेटे ही करवट बदली और थोड़ा सा बाजी के ऊपर होकर उनके एक गुलाबी खड़े निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे उभार को अपने हाथ से मसलने लगा। 
बाजी के हाथ में मेरा लण्ड.. अब फिर से फूलने लगा था.. कुछ देर में ऐसे ही बारी-बारी से बाजी के सीने के उभारों को चूसता रहा और मेरा लण्ड अपने जोबन पर आ गया।
मैं उठा और टेबल से तेल की बोतल उठा लाया.. मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल लगाया और फिर अपने हाथ में तेल लेकर बाजी के खूबसूरत मम्मों के बीच भी लगा दिया।
बाजी ने हैरानी की कैफियत में मुझे देखा और पूछा- वसीम.. ये क्या कर रहे हो तुम?
मैं बाजी के ऊपर ऐसे बैठ गया कि मेरे घुटने उनकी बगलों के बीच आ गए.. लेकिन मैंने अपना वज़न अपने घुटनों पर ही रखा और अपने खड़े लण्ड को अपनी बहन के सीने के उभारों के बीच रख कर उनसे कहा- बाजी अब अपने हाथों से अपने दोनों उभारों को दबाओ।
बाजी अब समझ गईं कि मैं क्या करना चाह रहा हूँ।
हमने साथ में और अकेले-अकेले में ही बहुत ट्रिपल-एक्स मूवीज देखी थीं.. और ये सब चीजें मेरे लिए और बाजी के लिए नई नहीं थीं। 
बाजी ने खुश होते हो कहा- गुड शहज़ादे.. अच्छी पोजीशन है ये..
उन्होंने अपने दोनों उभारों को दबा कर मेरे लण्ड को उनके बीच भींच लिया। 
मैंने दिखावे का गुस्सा दिखाते हुए कहा- आप सही जगह तो डालने देती नहीं हो.. अब ऐसी ही जगहें ढूँढ़नी पड़ेंगी ना बाजी..!
जवाब में बाजी सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गईं लेकिन बोलीं कुछ नहीं।
मैंने अपने लण्ड को आहिस्ता-आहिस्ता बाजी के सीने के उभारों के बीच आगे-पीछे करना शुरू कर दिया..
बाजी के मम्मे बहुत सख़्त थे और मेरा पूरा लण्ड चारों तरफ से रगड़ खा रहा था और हर बार रगड़ लगने से जिस्म में मज़े की नई लहर पैदा होती थी।
मैं जब अपने लण्ड को आगे की तरफ बढ़ाता था.. तो मेरे बॉल्स का ऊपरी हिस्सा भी बाजी के मम्मों और पेट के दरमियानी हिस्से पर रगड़ ख़ाता हुआ आगे जा रहा था और जब मैं लण्ड को वापस लाता.. तो मेरे बॉल्स के निचले हिस्से पर रगड़ लगती.. जिससे मुझे दुहरा मज़ा आ रहा था। 
बाजी ने अपने दोनों मम्मों को साइड्स से पकड़ कर दबा रखा था.. मैंने अपने दोनों हाथों को बाजी के मम्मों पर रखा और उनके निप्पल को अपनी चुटकियों में पकड़ कर मसलने लगा और लण्ड को आगे-पीछे करना जारी रखा। 
बाजी ने मज़े की वजह से अपनी आँखें बंद कर ली थीं और बाजी तेज-तेज साँसों के साथ सिसकारियाँ भर रही थीं।
बाजी को मज़े लेता देख कर मैं भी जोश में आ गया और तेजी से अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगा। कमरे में बाजी की सिसकारियाँ और मेरे लण्ड की रगड़ लगने से ‘पुचह.. पुचह..’ की आवाजें साफ सुनाई दे रही थीं।
हमें यह भी इत्मीनान था कि घर में हमारे अलावा और कोई नहीं है.. इसलिए ना ही बाजी अपनी आवाजों को कंट्रोल कर रही थीं और मैं भी इस मामले में बेख़ौफ़ था।
बाजी ने आनन्द के कारण अपनी आँखें बंद कर ली और साथ ही वे तेज साँसों के साथ सिसकारियाँ भर रही थीं। 
मैंने बाजी की निप्पलों को ऊपर की तरफ खींच कर ज़रा ज़ोर का झटका लगाया.. तो मेरे लण्ड की नोक बाजी के निचले होंठ से टच हो गई।
बाजी ने फ़ौरन अपनी आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा.. लेकिन बोलीं कुछ नहीं। बाजी की आँखें नशीली हो रही थीं.. और उनकी आँखों में नमी भर गई थी.. जो शायद उत्तेजना की वजह से थी।
मैं बाजी की आँखों में देखते हुए ही ज़ोर-ज़ोर के झटके मारने लगा।
बाजी बिना कुछ बोले आँखें झपकाए बगैर मेरी आँखों में ही देख रही थीं।
और अब तकरीबन हर झटके पर ही मेरे लण्ड की नोक बाजी के निचले होंठ से टच होने लगी।
मैं दिल ही दिल में खुश हो रहा था कि बाजी इस बात से मना नहीं कर रही हैं और ये सोच मेरे अन्दर मज़ीद जोश भर रही थी। 
कुछ देर बाद ही मुझे हैरत का शदीद झटका लगा।
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RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी - by sexstories - 11-18-2018, 12:39 PM

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