RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैंने सबको एक नज़र देख कर बाजी को देखा.. तो वो परांठे का लुक़मा बना रही थीं। बाजी ने लुक़मा बनाया और अपने मुँह की तरफ हाथ ले जा ही रही थीं कि मैंने आहिस्तगी से अपना हाथ उठाया और बाजी की रान पर रख दिया।
मेरे हाथ रखते ही बाजी को एक झटका सा लगा.. एकदम ही खौफ से उनका चेहरा लाल हो गया, बाजी का लुक़मा मुँह के क़रीब ही रुक गया और मुँह खुला ही रखे बाजी ने नज़र उठा कर अब्बू को देखा.. वो अपनी नजर अख़बार में ही डुबाए हुए थे।
फिर बाजी ने अम्मी लोगों को देखते हुए अपना हाथ नीचे करके मेरे हाथ को पकड़ा और अपनी रान से हटा दिया।
बाजी की हालत मेरे पहले हमले की वजह से ही अभी नहीं संभली थी कि मैंने चंद लम्हों बाद ही फिर अपना हाथ बाजी के रान पर रखा और इस बार रान के अंदरूनी हिस्से को अपने पंजे में जकड़ लिया।
बाजी ने इस बार फ़ौरन कोई हरकत नहीं की और खौफजदा से अंदाज़ में नाश्ता करते-करते फिर मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगीं।
लेकिन मैंने अपनी गिरफ्त को मज़बूत कर लिया।
बाजी ने कुछ देर मेरा हाथ हटाने की कोशिश की और नाकाम हो कर फिर से नाश्ते की तरफ ध्यान लगाने लगीं।
मैंने यह देखा कि अब बाजी ने इन हालात को क़बूल कर लिया है.. तो मैंने भी अपनी गिरफ्त ढीली कर दी और बाजी की रान के अंदरूनी हिस्से को नर्मी से सहलाने लगा।
बाजी की रान को सहलाते-सहलाते ही गैर महसूस तरीक़े से मैंने अपने हाथ को अन्दर की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया। जैसे ही मेरा हाथ बाजी की चूत पर टच हुआ.. तो वो एकदम उछल पड़ीं।
जिससे अम्मी भी बाजी की तरफ मुतवज्जो हो गईं और पूछा- क्या हुआ रूही.. तुम्हारा चेहरा कैसा लाल हो गया है?
अम्मी की बात पर अब्बू समेत सभी ने बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने खाँसते हुए कहा- अकककखहून.. कुछ नहीं अम्मी.. वो.. अखों..न.. आममलेट में हरी मिर्च थी ना.. डायरेक्ट गले में लग गई है.. पानी.. अखखांकखहूंन.. जरा पानी दे दें..
मैंने इस सबके दौरान भी अपना हाथ बाजी की चूत से नहीं हटाया था.. बल्कि इस सिचुयेशन से फ़ायदा उठा कर अपने अंगूठे और इंडेक्स फिंगर की चुटकी में बाजी की सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत के दाने को पकड़ लिया था।
‘इतनी जल्दी क्या होती है.. ज़रा सुकून से नाश्ता कर ले.. तुम्हारी वो मुई यूनिवरसिटी कहीं भागी तो नहीं जा रही ना..’
अम्मी ने गिलास में पानी डालते हुए कहा और पानी का गिलास बाजी की तरफ बढ़ा दिया।
मैंने अम्मी के हाथ से गिलास लिया और बाजी के होंठों से गिलास लगा कर शरारत से कहा- ऐसा लगता है सारी पढ़ाई बस हमारी बहन ने ही करनी है.. बाक़ी सब तो वहाँ झक ही मारते हैं।
मेरी बात पर अब्बू अम्मी भी मुस्कुरा दिए और अब्बू ने फिर से अख़बार अपने चेहरे के सामने कर लिया और उसमें गुम हो गए..
अम्मी भी फिर से हनी और ज़ुबैर से बातें करने लगीं।
मैं बाजी को अपने हाथ से पानी भी पिला रहा था और दूसरे हाथ से बाजी की चूत के दाने को मसलता भी जा रहा था।
मेरी इस हरकत से बाजी की चूत ने भी रिस्पोन्स देना शुरू कर दिया था और बाजी की सलवार वहाँ से गीली होने लगी थी।
मैं समझ गया था कि बाजी खौफजदा होने के बावजूद भी मेरे हाथ के लांस से मज़ा महसूस कर रही हैं।
बाजी ने सब पर नज़र डालने के बाद अपनी खूबसूरत आँखें मेरी तरफ उठाईं और इल्तिजा और गुस्से के मिले-जुले भाव से मुझे देखा.. जैसे कह रही हों कि ‘वसीम ये मत करो प्लीज़।’
लेकिन मैंने बाजी के चेहरे से नज़र हटाते हुए मुस्कुरा कर अपना कप उठाया और चाय की चुस्कियाँ लेते-लेते अपने हाथ को भी हरकत देने लगा।
कुछ देर बाजी की चूत के दाने को अपनी चुटकी में मसलने के बाद मैंने अपनी उंगली बाजी की चूत की लकीर में ऊपर से नीचे फेरना शुरू कर दी।
बाजी ने भी परांठा खत्म कर लिया था और अब चाय पी रही थीं।
मैंने अपनी ऊँगली को ऊपर से नीचे फेरते हुए चूत के निचले हिस्से पर ला कर रोका और अपनी ऊँगली को अन्दर की तरफ दबाने लगा।
बाजी के चेहरे पर तक़लीफ़ के आसार पैदा हुए और उन्होंने एक गुस्से से भरपूर नज़र मुझ पर डाली और अपनी कुर्सी को पीछे धकेलते हुए खड़ी हुईं और गुस्से से मुझे देखते हुए अपने कमरे में चली गईं।
बाजी के साथ ही अब्बू भी खड़े हो गए थे।
हनी और ज़ुबैर भी नाश्ता खत्म कर चुके थे.. वो भी खड़े हो गए कि स्कूल बस तक उन्हें अब्बू ही छोड़ते थे।
मैंने चाय का घूँट भरते हुए हनी को आवाज़ दे कर कहा- हनी देखो ज़रा.. बाजी ने कल मुझसे हाइलाइटर लिए थे.. वो कमरे में ही पड़े होंगे.. मुझे ला दो।
हनी ने सोफे से अपना स्कूल बैग उठाया और बाहर की जानिब जाते हुए कहा- भाई आप खुद जा कर ले लें ना.. अब्बू बाहर निकल गए हैं.. हमें देर हो रही है प्लीज़..
यह कह कर वो बाहर निकल गई.. उसके पीछे ही ज़ुबैर भी चला गया।
उनके जाने के बाद अम्मी भी अपने कमरे की तरफ जाने लगीं और मुझे कहा- वसीम चाय खत्म करके रूही को कह देना.. बर्तन उठा ले.. मैं ज़रा वॉशरूम से हो आऊँ।
मैंने भी अपनी चाय का आखिरी घूँट भरा तो अम्मी अपने कमरे में जा चुकी थीं। मैंने एक नज़र उनके दरवाज़े को देखा और फिर भागता हुआ बाजी के कमरे में दाखिल हो गया।
बाजी का हस्तमैथुन
बाजी बाथरूम में थीं.. मैंने दरवाज़े के पास जा कर आहिस्ता आवाज़ में बाजी को पुकारा- बाजी अन्दर ही हो ना..?? क्या कर रही हो?
बाजी ने अन्दर से ही गुस्से में जवाब दिया- तुम्हें पता है वसीम.. तुम.. खबीस.. तुम कभी-कभी बिल्कुल पागल हो जाते हो।
मैंने बाजी की बात सुन कर शरारत से हँसते हुए कहा- हहेहहे हीए.. छोड़ो ना यार बाजी.. अब ये झूठ मत बोलना कि तुम को मज़ा नहीं आया.. तुम्हारे मज़े का सबूत अभी भी मेरी उंगलियों को चिपचिपा बनाए हुए है.. और मुझे पता है अभी भी मेरी बहना जी.. अपने हाथ से मज़ा ले रही है.. प्लीज़ बाजी मुझे भी देखने दो ना यार..
बाजी ने उसी अंदाज़ में जवाब दिया- हाँ.. हाँ.. हाँ.. मैं कर रही हूँ.. अभी भी अपने हाथ से.. और तुम्हारी ये सज़ा है कि मैं तुम्हें ना देखने दूँ।
मैं 2-3 मिनट वहीं खड़ा रहा.. बाजी को दरवाज़ा खोलने का कहता रहा.. लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.. बस अन्दर से हल्की हल्की सिसकारियों की आवाजें आती रहीं।
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