RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
दो रातें और 2 दिन गुज़र चुके थे कि बाजी हमारे रूम में नहीं आई थीं। ज़ुबैर और मैं बहुत शिद्दत से कमरे में बैठे बाजी का इन्तजार कर रहे थे।
हम दोनों ने अपने कपड़े पहले से ही उतार रखे थे। जब बाजी कमरे में दाखिल हुईं.. तो हमारे खड़े लण्ड पर नज़र पड़ते ही उनकी आँखों में भी चमक पैदा हो गई।
आख़िर वो थीं तो हमारी ही बहन और अब उन्हें भी इस खेल की आदत हो गई थी।
बाजी ने दरवाज़ा बंद करके बहुत बेताबी से अपनी क़मीज़ उतार कर फैंकी और ब्रा को खोल कर सोफे की तरफ उछाल दिया।
मैंने बाजी को क़मीज़ उतारते देखा तो बिस्तर से उठ कर भागता हुआ बाजी की तरफ गया और अपने बाज़ू उनकी कमर के गिर्द मज़बूती से कसते हुए बाजी की गर्दन पर होंठ रख दिए।
बाजी भी 2 दिन से जिस्म की आग को दबाए बैठी थीं, जैसे ही उनके सीने के उभार और निप्पल मेरे बालों भरे सीने से दबे.. तो उनकी आँखें खुद ही बंद हो गईं और बाजी के मुँह से एक सिसकारी निकली और उन्होंने बेसाख्ता ही अपने बाज़ू मेरे जिस्म के गिर्द कस कर मुझे भींचना शुरू कर दिया और कभी मेरी कमर को अपने हाथों से सहलाने लगीं।
कुछ देर मैं और बाजी ऐसे ही खड़े अपने-अपने जिस्मों को महसूस करते रहे.. फिर मैंने अपने होंठ बाजी की गर्दन से हटाए और बाजी के होंठों को चाटते और चूमते हुए उन्हें तकरीबन घसीटता हुआ बिस्तर की तरफ चल दिया।
ज़ुबैर मुझे और बाजी को इस हाल में देख कर एकदम बेखुद सा बिस्तर पर ही बैठा था। मैंने उससे 2 दिन पहले बाजी के साथ हो सेक्स के बारे में कुछ नहीं बताया था।
बाजी को लिए हुए ही मैं बिस्तर पर लेट गया.. बाजी के अंदाज़ में आज बहुत गरमजोशी थी.. वो बहुत वाइल्ड अंदाज़ में मेरी कमर को सहला रही थीं और अपने सीने के उभारों को मेरे सीने पर रगड़ रही थीं।
बाजी कभी मेरे होंठों को बहुत बेताबी से चूसने लगतीं.. तो कभी दाँतों में दबा कर खींच लेतीं।
कुछ देर ऐसे ही एक-दूसरे के होंठ और ज़ुबान चूसने और चाटने के बाद मैं थोड़ा नीचे हुआ और बाजी की गर्दन को चाटने और छूने लगा।
बाजी सीधे लेटी हुई थीं और उनके हाथ मेरी कमर पर थे.. मैं बाजी के दिल की तेज-तेज धड़कन को साफ सुन और महसूस कर रहा था।
बाजी की गर्दन से होता हुआ मैं नीचे उनके सीने के उभार तक पहुँचा और बारी-बारी दोनों निप्पलों को चाटने और चूसने लगा। बाजी के उभार को मुँह में लिए लिए ही मैंने अपना हाथ नीचे किया और बाजी की सलवार को नीचे उनके पाँव की तरफ सरकाना शुरू कर दिया।
यह भी अच्छा था कि बाजी की इस सलवार में अजारबंद के बजाए इलास्टिक थी.. जिसकी वजह से सलवार आसानी से नीचे सरक रही थी।
जब बाजी को महसूस हुआ कि मैं उनकी सलवार उतार रहा हूँ.. तो उन्होंने अपने एक हाथ से फ़ौरन मेरे उस हाथ को पकड़ लिया जो उनकी सलवार पर था और आँखें बंद किए हुए ही बोलीं- नहीं वसीम प्लीज़ सलवार मत उतारो.. ऊपर-ऊपर से ही कर लो.. जो भी करना है।
मैंने अपना हाथ बाजी की सलवार से हटा दिया और ज़ुबैर को देखा.. जो बाजी की दायीं तरफ़ ही बैठा था। ज़ुबैर से नज़र मिलने पर उससे इशारा किया कि बाजी के एक उभार को मुँह में ले ले।
ज़ुबैर तो बस तैयार ही बैठा था.. उसने मेरा इशारा समझा और एकदम से बाजी के दायें निप्पल पर टूट पड़ा, उसने निप्पल मुँह में लिया और जंगलियों की तरह चूसना और हाथ से दबाना शुरू कर दिया।
बाजी ने एक लम्हे को आँख खोली.. तो अपने दोनों सगे भाईयों के मुँह में अपना एक-एक उभार देख कर वो मचल सी गईं और अपने दोनों हाथ हम दोनों के सिर पर रख कर दबाने लगीं।
उनकी साँसें बहुत तेज हो गई थीं और वो मदहोश होने लगीं थीं।
मैंने दोबारा अपने हाथ को नीचे करके बाजी की सलवार को थामा और दूसरे हाथ से बाजी की कमर को थोड़ा सा ऊपर उठाते हुए एक झटके से उनकी सलवार को कूल्हों के नीचे से निकाल दिया।
बाजी ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि मैंने अपने होंठ उनके होंठों से चिपका के उनका मुँह बंद कर दिया और दूसरे हाथ से बाजी की सलवार को घुटनों से नीचे तक पहुँचा दिया।
ज़ुबैर कभी बाजी के उभार को चाटने लगता.. तो कभी उनके निप्पल को चूसने लगता।
उसके अंदाज़ में बहुत जंगलीपन था.. और होना भी था क्योंकि ज़िंदगी में पहली बार वो दुनिया की हसीन-तरीन चीज़ को चूस रहा था।
मेरे मुँह हटाते ही ज़ुबैर ने बाजी के दूसरे उभार को भी हाथ में पकड़ लिया था और झंझोड़ने लगा था।
मैंने बाजी के दोनों होंठों को अपने होंठों से खोलते हुए सांस तेजी से अन्दर को खींची.. तो बाजी मेरा इशारा समझ गईं और फ़ौरन अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में दाखिल कर दी।
मैंने बाजी की ज़ुबान को अपने दाँतों में पकड़ा और चूसने लगा.. बाजी को ज़ुबान चुसवाने में बहुत मज़ा आता था और मैंने बाजी के इसी मज़े का फ़ायदा उठाते हुए बाजी की टाँगों के बीच अपना हाथ रख दिया।
मेरा हाथ जैसे ही बाजी की चूत के दाने को टच हुआ तो वो मचल गईं.. लेकिन उनकी ज़ुबान को मैंने अपने दाँतों में दबा रखा था.. इसलिए ना ही कुछ बोल सकीं और ना ही ज्यादा हिल सकीं।
मैंने कुछ देर तेजी से अपनी ऊँगलियों को बाजी की चूत के दाने पर मसला.. तो उनकी हालत माही-बेआब बिन पानी की मछली.. की तरह हो गई और बाजी ने तेजी से अपने पाँव की मदद से अपनी सलवार को पाँव तक पहुँचाया और घुटनों को मोड़ते हुए अपनी टाँगों को थोड़ा खोल लिया।
बाजी की चूत बहुत गीली हो गई थी और मेरी उंगलियाँ खुद ब खुद उनकी चूत के दाने से स्लिप होकर नीचे चूत के दरवाजे पर टच होने लगती थीं।
मैंने बाजी की टाँगों को खुलता महसूस कर लिया था और उनकी चूत से बहते पानी ने भी मुझे यह समझा दिया था कि अब बाजी का दिमाग उनकी चूत के कंट्रोल में आ गया है.. इसलिए मैंने उनकी ज़ुबान को अपने दाँतों से निकाल दिया।
बाजी ने अपनी ज़ुबान को आज़ाद महसूस करके आँखें खोल दीं।
उनकी आँखें भी बहुत लाल हो रही थीं और नशे की सी हालत में थीं।
मैंने बाजी को अपनी तरफ देखता पाकर बाजी की चूत पर रखा अपना हाथ हटाया और बाजी को दिखाते हुए अपनी एक-एक उंगली को चूसने लगा।
बाजी ने मेरी इस हरकत पर आँखें फाड़ कर मुझे देखा.. तो मैंने मुस्कुराते हुए मज़े से डूबी आवाज़ में कहा- यम्मम्मी.. मेरी सोहनी बहन की चूत से निकले लव-जूस का ज़ायक़ा.. दुनिया के बेहतरीन मशरूब से ज्यादा लज़ीज़ है।
मेरी बात सुन कर बाजी का चेहरा शदीद शर्म से लाल हो गया और उन्होंने मुस्कुरा कर अपनी आँखें बंद करते हुए चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।
मैं भी मुस्कुरा दिया और नीचे सरकते हुए अपनी ज़ुबान बाजी की नफ़ में दाखिल कर दी।
ज़ुबैर ने भी उसी वक़्त बाजी के निप्पल को दाँतों में दबा कर ज़ोर से काटा और ऊपर को खींचने लगा।
ज़ुबैर के काटने की वजह से और मेरी ज़ुबान को अपनी नफ़ के अन्दर महसूस करते हुए बाजी ने एक ज़ोरदार ‘आआआअहह..’ भरी।
उस ‘आहह..’ में ‘मज़े की शिद्दत’ और ‘तक़लीफ़ का अहसास’ दोनों ही बहुत नुमाया हो रहे थे।
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