RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
अम्मी ने मेरी बात सुनी और वापस टीवी की तरफ़ ध्यान देते हुए बाजी को लेक्चर देना शुरू कर दिया।
बाजी ने मेरी तरफ देखा और मुझे थप्पड़ दिखाते हुए बर्तन उठाए और रसोई में जाने लगीं।
मैं बाजी के कूल्हों पर नज़र जमाए कुछ लम्हों पहले की अपनी हरकत पर खुद ही मुस्कुराने लगा।
‘बाजी एक गिलास पानी तो ला दो..’ कुछ देर बाद मैंने ज़रा ऊँची आवाज़ में कहा।
बाजी ने रसोई से ही जवाब दिया- खुद आ कर ले लो.. मेरे हाथों पर साबुन लगा है।
मैं उठा और पानी के लिए रसोई के दरवाज़े पर पहुँचा.. तो बाजी सामने वॉशबेसिन पर खड़ी गंदे बर्तन धो रही थीं, उनके दोनों हाथ साबुन से सने थे।
मैं अन्दर दाखिल हुआ और बाजी को पीछे से जकड़ते हुए हाथ आगे करके बाजी के खूबसूरत उभारों को अपने हाथ में पकड़ा और कहा- क्या हाल है मेरी सोहनी बहना जी?
बाजी मेरी इस हरकत पर मचल उठीं और मेरे सीने पर अपनी कोहनियों से दबाव देते हुए मुझे पीछे हटाने की कोशिश की और दबी आवाज़ में बोलीं- वसीम..!! कमीने ना कर.. अम्मी बाहर ही बैठी हैं.. कुछ तो हया कर.. छोड़ मुझे..
मैंने बाजी की गर्दन पर अपने होंठ रखे और आँखें बंद करके एक तेज सांस लेते हुए बाजी के जिस्म की खुश्बू को अपने अन्दर उतारा और कहा- मेरी बहना जी.. तुम्हारे जिस्म के हर हिस्से की खुश्बू होश से बेगाना कर देती है।
‘वसीम छोड़ो मुझे.. अम्मी अन्दर आ जाएंगी प्लीज़.. कुछ गैरत खाओ..’
बाजी ने डरी हुई आवाज़ में कहा और अपने जिस्म को मेरी गिरफ्त से आज़ाद करने की कोशिश करने लगीं।
मैंने बाजी के एक उभार को अपने सीधे हाथ से ज़रा ज़ोर से दबाया और अपना हाथ नीचे ले जाते हुए कहा- अम्मी बहारी कवाब मुकम्मल तैयार करवा के ही टीवी से हटेंगी.. आप अपना काम करती रहो ना.. मैं अपना काम करता हूँ।
मेरा लण्ड अब खड़ा हो चुका था और मेरा हाथ बाजी की टाँगों के बीच पहुँच गया था।
जैसे ही मेरा हाथ बाजी की टाँगों के बीच टच हुआ तो वो बेसाख्ता ही आगे को झुकीं.. उनके साथ ही मैं भी थोड़ा झुका और मेरा खड़ा लण्ड बाजी के कूल्हों की दरार में फिट हो गया।
‘उफफ्फ़.. वसीम छोड़ो मुझे.. वरना मैं साबुन से भरे हाथ तुम्हारे कपड़ों से लगा दूँगी।’ बाजी ने नकली गुस्से से कहा।
लेकिन अपनी पोजीशन तब्दील नहीं की- लगा दें.. फिर अम्मी को जवाब भी आप खुद ही देना.. पहले तो मैंने बचा लिया था।
मैंने बाजी की टाँगों के बीच रखे अपने हाथ को सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत के दाने पर रगड़ते हुए कहा।
बाजी ने मचलना बंद कर दिया था.. शायद वो चंद लम्हों के लिए ही उस सुरूर को खोना नहीं चाहती थीं.. जो मेरे हाथ से उन्हें मिल रहा था।
उन्होंने अटकती और फंसी-फंसी सी आवाज़ में हल्का सा मज़ा लेते हुए कहा- आअहह.. तो.. कमीनगी तो तुम्हारी ही थी ना.. ना करते उल्टी सीधी हरकत..
मैंने बाजी के कूल्हों में अपने लण्ड को ज़रा और दबाया.. तो उन्होंने मेरे लण्ड के दबाव से बचने के लिए अपने कूल्हों को दायें बायें हरकत दी तो उसका असर उलटा ही हुआ और मेरा लण्ड बाजी के कूल्हों की दरार में मुकम्मल फिट हो गया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता झटकों से अपने लण्ड को उनकी लकीर के बीच रगड़ते हुए अपने हाथ को थोड़ा और नीचे किया और बाजी की चूत की एंट्रेन्स पर अपनी ऊँगली को दबाया..
तो फ़ौरन बाजी मछली की तरह तड़फीं और ज़रा ताक़त से मुझे पीछे धक्का देते हुए मेरी गिरफ्त से निकल गईं।
मैं बाजी के धक्के की वजह से पीछे रखे रेफ्रिजरेटर से टकराया और उसके ऊपर रखे बर्तन आवाज के साथ ज़मीन पर गिरे।
‘अब क्या तोड़ दिया हैईइ..?’ अम्मी ने बाहर से चिल्ला कर पूछा।
फ़ौरन ही बाजी ने भी ऊँची आवाज़ में ही जवाब दिया- कुछ नहीं टूटा अम्मी.. बर्तन धो कर शेल्फ पर रखे थे.. फिसल के गिर पड़े हैं।
बाजी ने अपनी बात खत्म की और दोनों हाथ अपनी कमर पर रख कर गुस्से से मुझे देखने लगीं।
बाजी को ऐसे देख कर मुझे हँसी आ गई..
मुझे हँसता देख कर वो मेरी तरफ बढ़ीं.. मेरे दोनों बाजुओं को पकड़ा और मेरा रुख़ दरवाज़े की तरफ घुमा दिया।
मेरी पीठ पर अपने दोनों हाथ रखे और धक्का देते हुए किचन के दरवाज़े पर ला कर छोड़ा और मुझे गुस्से से ऊँगली दिखाते हुए वापस अन्दर चली गईं।
मैंने अम्मी को देखा तो उनका ध्यान मुकम्मल तौर पर टीवी पर ही था।
मैं कुछ सेकेंड ऐसे ही रुका और फिर आहिस्तगी से दोबारा रसोई में दाखिल हुआ।
बाजी को मेरे फिर अन्दर आने का पता नहीं चला था, मैं दबे कदमों उनके पीछे जा कर खड़ा हुआ ही था कि बाजी ने महसूस किया कि पीछे कोई है।
जैसे ही बाजी ने गर्दन मोड़ कर पीछे देखा.. मैंने बाजी के चेहरे को दोनों हाथों में मज़बूती से थामा और अपने होंठ बाजी के होंठों पर रख दिए।
मैंने खूब ज़ोरदार चुम्मी की और बाजी को छोड़ कर भागता हुआ बाहर निकल आया।
मैंने पीछे मुड़ कर बाजी को नहीं देखा था लेकिन मेरी ख्याली नज़र देख रही थी कि मेरे निकलते ही बाजी कुछ देर तक अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ी रहीं और फिर गर्दन को दायें बायें नहीं के अंदाज़ में हरकत देते हुए मुस्कुरा दीं।
हया की लाली ने उनके गालों को सुर्ख कर दिया था।
मैं बाहर आकर अम्मी के पास ही सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा।
कुछ ही देर में बोर होते हुए मैंने अम्मी के हाथ से रिमोट खींचा और हँसते हुए कहा- अम्मी बहारी कवाब अब प्रोड्यूसर हज़म भी कर चुका होगा और इस आंटी ने अभी कुछ और बनाना शुरू कर देना है। आपका यह ‘मसाला चैनल’ तो 24 घंटे ही चलता है। आप सब आज ही देख लेंगी.. तो कल क्या करेंगी.. छोड़ें अब..
अम्मी ने सुस्ती से एक जम्हाई ली और कहा- तो तुम और तुम्हारे बाबा ही हो ना.. जिनको चटोरी चीजें पसन्द हैं.. तुम्हारे लिए ही देख रही थी।
अम्मी ने कहा और उठ कर अपने कमरे में जाने लगीं।
दिन में सोने की उनकी पक्की आदत थी।
अम्मी के जाने के बाद मैं कुछ देर तक वैसे ही गायब दिमाग से चैनल चेंज करता रहा और मुझे पता ही नहीं चला कि कब बाजी मेरे पीछे आकर खड़ी हो गईं।
बाजी ने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर के बालों को पकड़ा और खींचने लगीं।
‘उफफ्फ़.. बाजीईईई.. दर्द हो रहा है.. छोड़ो ना बालों को..’
मैंने तक़लीफ़जदा आवाज़ में कहा..
तो बाजी ने हल्का सा झटका मारा और बोलीं- जल्दी से मुझसे माफी मांगो वरना मैं बालों को नहीं छोड़ूंगी।
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