Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:36 PM,
#27
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैं और ज़ुबैर तो यह देखते ही पागल से हो गए और ज़ोर-ज़ोर से अपनी गाण्ड को आपस में टकराने लगे। मैंने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा और उससे दबोचने लगा और हाथ तेजी से आगे-पीछे करने लगा। 
हमारा पागलपन बाजी के मज़े को भी बहुत बढ़ा गया था।
उन्होंने अपनी सीधे हाथ की मिडल ऊँगली का एक इंची हिस्सा बहुत तेजी से अपनी चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और बायें हाथ से कभी अपनी निप्पल्स को चुटकी में मसलने लगतीं.. तो कभी अपनी चूत के दाने को चुटकी पर पकड़ के मसलने और खींचने लगतीं।
वो बिना झिझके और पलकें झपकाए.. हमारी तरफ ही देख रही थीं। 
चंद मिनट बाद ही ज़ुबैर के लण्ड ने पानी छोड़ दिया और उसने एक झटके से आगे होते हुए डिल्डो को अपनी गाण्ड से बाहर निकाल दिया। अब आधा डिल्डो मेरी गाण्ड के अन्दर था और आधा बाहर लटक रहा था जैसे कि वो मेरी दुम हो।
बाजी ने ज़ुबैर के लण्ड से जूस निकलते देखा और मेरी गाण्ड में आधे घुसे और आधे लटके डिल्डो को देखा तो लज्जत की एक और सिहरअंगेज़ लहर की वजह से उनके मुँह से एक तेज ‘अहह..’ निकली, इसी के साथ उनका हाथ भी चूत पर तेज-तेज चलने लगा। 
बाजी ने अपनी गर्दन को सोफे की पुश्त से टिका कर अपनी आँखें बंद कर लीं।
उनके दोनों पाँव ज़मीन पर टिके थे और वो अपनी ऊँगली को अपनी चूत में अन्दर-बाहर करने के रिदम के साथ ही अपनी गाण्ड को आगे करते हुए सोफे से थोड़ा सा उठ जाती थीं।
मैंने बाजी की आँखें बंद होती देखीं.. तो डिल्डो को अपनी गाण्ड से बाहर निकाले बगैर ही बिस्तर से उठ कर बाजी की टाँगों के बीच आ बैठा। 
मेरी देखा-देखी ज़ुबैर भी क़रीब आ गया। 
बाजी की गुलाबी चूत में उनकी खूबसूरत गुलाबी ऊँगली बहुत तेजी से अन्दर-बाहर हो रही थी।
जब बाजी अपनी ऊँगली अन्दर दबाती थीं.. तो चूत के लब भी बंद हो जाते और उनकी ऊँगली को अपने अन्दर दबोच लेते।
जब ऊँगली बाहर आती तो लब खुल जाते और लबों के अन्दर से ऊँगली के दोनों साइड्स पर चूत के पर्दे नज़र आने लगते। 
बाजी जब अपनी उंगली को चूत में दबाती थीं.. तो चूतड़ों को सोफे से हल्का सा उठा लेतीं और उसी रिदम में आगे झटका देतीं।
बाजी का पूरा हाथ उनकी चूत से निकलते जूस से गीला हो गया था जिससे चूत के आस-पास का हिस्सा और उनका हाथ दोनों ही चमक रहे थे।
बाजी की चूत से बहुत माशूरकन महक निकल रही थी।
वो ऐसी महक थी.. जो लफ्जों में बयान नहीं की जा सकती.. बस महसूस की जा सकती है।
जिन्होंने उस खुश्बू को अपनी बहन की चूत से निकलते हुए महसूस किया है या आपमें से जो लोग अपनी बहनों की ब्रा या पैन्टी को सूँघते रहे हैं.. वो जान सकते हैं कि चूत से उठती महक में कैसा जादू होता है।
अचानक बाजी ने अपनी गर्दन को सोफे की पुश्त पर दबाया और टाँगें खुली रखते हुए ही पैर ज़मीन पर टिका कर अपने चूतड़ों को सोफे से उठा लिया, उनका जिस्म कमान की सूरत में अकड़ गया, हाथ चूत से और उभारों से हट गए और पेट के क़रीब अकड़ गए थे.. बाजी ने अपनी आँखों को बहुत ज़ोर से भींच लिया था और उनके चेहरे पर बहुत तक़लीफ़ का अहसास था। 
यह पता नहीं बाजी के डिसचार्ज होने का ख़याल था.. उनके हसीन.. खूबसूरत जिस्म का नज़ारा था.. सेक्सी माहौल का असर.. या फिर मेरी सग़ी बहन की चूत से उठती मदहोशकन खुश्बूओं का जादू था कि मैं बुत की सी कैफियत में आगे बढ़ा
और
अपनी बहन के सीने के दोनों उभारों को अपने दोनों हाथों में दबोचा और बाजी की चूत पर अपना मुँह रखते हुए उनकी चूत के दाने को पूरी ताक़त से अपने होंठों में दबा लिया और चूस लिया।

बाजी के मुँह से एक तेज ‘अहाआआआआ..’ निकली और उन्होंने बेसाख्ता ही अपने दोनों हाथों को मेरे सिर पर रखते हुए अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबा दिया। ज़ुबैर मेरी इस हरकत पर शॉक की हालत में रह गया और ना उसने हरकत की और ना ही उसकी ज़ुबान से कोई बात निकली। 
बाजी के जिस्म ने एक ज़ोरदार झटका खाया और उनके मुँह से निकला- वसीम.. अहह.. रुकओ.. ऊऊ मैं गइई.. उफ फफ्फ़..
और इसी के साथ ही बाजी के जिस्म को मज़ीद झटके लगने लगे और उनका जिस्म अकड़ने लगा, वो मेरे मुँह को अपनी चूत पर दबाती जा रही थीं और उनके हलक़ से ‘आआखह.. अहह..’ की आवाजें निकल रही थीं।
मुझे अपने मुँह में बाजी चूत फड़कती हुई सी महसूस हो रही थी। 
मैंने ज़िंदगी में पहली बार किसी चूत का ज़ायक़ा चखा था और मुझे उस वक़्त ही पता चला के चूत के पानी का कोई ज़ायक़ा नहीं होता.. हमें जो नमकीनपन महसूस होता है.. वो असल में जमे हुए यूरिन के क़तरे या खुश्क हुआ पसीना होता है।
कुछ लम्हों बाद ही जब बाजी को अपनी हालत का इल्हाम हुआ कि उनका सगा भाई अपने हाथों से उनके सीने के उभारों को दबा रहा है और उनकी शर्मगाह को अपने मुँह में दबाए हुए है.. तो उन्होंने तकरीबन चिल्लाते हुए कहा- नहीं.. वसीम.. हटोअओ.. छोड़ो मुझे.. उफफ्फ़.. ये.. ये क्या कर रहे हो.. मैं तुम्हारी सग़ी बहन हूँ.. प्लीज़..
मैंने बाजी की चूत के दाने को अपने दाँतों में पकड़ कर ज़रा ज़ोर से दबा दिया।
‘अहह.. ऊऊओफ्फ़.. साअ..गर्र छोड़ो मुझे हटोऊऊ.. नाआ आआ..’
बाजी ने ये कह कर एकदम अपने कूल्हों को सोफे पर गिराया और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथों को पकड़ते हुए एक झटके से अपने उभारों से दूर कर दिया और मेरे सीने पर अपने पाँव रखते हुए मुझे धक्का दिया। 
मैं बाजी के धक्का देने से तकरीबन 2 फीट पीछे की तरफ गिरा और अपना सिर ज़मीन पर टकराने से बहुत मुश्किल से बचाया।
मुझे धक्का देते ही बाजी ने देखा कि मेरा सिर ज़मीन पर लगने लगा है.. तो वो मुझे बचाने के लिए एकदम सोफे से उठीं और बोलीं- वसीम..
उन्होंने मुझे देखा कि मेरा सिर नहीं टकराया है.. तो फ़ौरन ही वापस सोफे पर बैठ गईं और अपने जिस्म को समेटते हुए दोनों हाथों में चेहरा छुपा लिया और रोने लगीं। 
मैंने ज़ुबैर की तरफ देखा तो वो बहुत डरा हुआ और कुछ परेशान सा था।
मैंने उसको इशारे से कहा कि कुछ नहीं होगा यार.. मैं हूँ ना.. जाओ तुम बिस्तर पर जाओ। 
ज़ुबैर को समझा कर मैं बाजी की तरफ गया.. वो सोफे पर ऐसे बैठी थीं कि उन्होंने अपनी दोनों टाँगों को आपस में मज़बूती से मिला रखा था और अपनी रानों पर कोहनियाँ रखे बाजुओं से अपने सीने के उभारों को छुपाने की कोशिश की हुई थी।
‘कोशिश..’ मैंने इसलिए कहा कि मेरी बहन के बड़े-बड़े मम्मे नर्मोनाज़ुक से बाजुओं में छुप ही नहीं सकते थे। 
मैं बाजी के पास जाकर खड़ा हुआ और कहा- बाजी प्लीज़ रोओ तो नहीं यार..
बाजी ने रोते-रोते ही जवाब दिया- नहीं वसीम तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था.. ये बहुत गलत है.. बहुत गलत हुआ है ये.. तुमने मेरी हालत का नाजायज़ फ़ायदा उठाया है.. तुम जानते ही हो कि मैं जब डिसचार्ज होने लगती हूँ.. तो मैं होश में नहीं रहती। तुम तो होश में थे.. इतना तो सोचते कि मैं तुम्हारी सग़ी बहन हूँ वसीम..
‘बाजी प्लीज़ जो कुछ हुआ उससे हम मिटा नहीं सकते, आपको अपने सीने के उभारों को मसलते.. निप्पल्स को झंझोड़ते और अपनी टाँगों के बीच वाली जगह में ऊँगली अन्दर-बाहर करते देख कर मेरी भी सोचने-समझने की सलाहियत खत्म हो गई थी। आपकी टाँगों के बीच से उठती माशूरकन खुश्बू ने मेरे होश भी गुम कर दिए थे और मैंने जो किया उसकी आपको उस वक़्त शदीद जरूरत थी.. लाज़मी था कि आपको संतुष्टि मिले.. वरना आप का नर्वस ब्रेक डाउन भी हो सकता था।’
मैं यह कह कर बाजी के साथ ही सोफे पर बैठ गया।
मैं वाकयी ही बहुत दुखी हो गया था, मैं अपनी प्यारी बहन को रोता नहीं देख सकता था।
मैंने अपने एक हाथ से उनके सिर को नर्मी से थामते हुए अपने सीने से लगा लिया और अपना दूसरा बाज़ू बाजी के पीछे से उनकी नंगी कमर से लगते हुए हाथ बाजी के कंधों पर रख दिया।
मैं बाजी को चुप कराने लगा- बाजी प्लीज़.. अब बस करो.. मैं आपको रोता नहीं देख सकता.. मेरा दिल फट जाएगा.. चुप हो जाओ।
बाजी ने अभी भी अपने चेहरे को दोनों हाथों में छुपा रखा था और उनकी आँखों से मुसलसल आँसू निकल रहे थे। मैंने बाजी के कंधे से हाथ हटाया और बिला इरादा ही उनकी नंगी कमर को सहलाने लगा। 
बाजी के गाल मेरे सीने और कंधे के दरमियानी हिस्से के साथ चिपके और उनके सीने के खूबसूरत और बड़े-बड़े उभार मेरे सीने में दबे हुए थे। 
बाजी के निप्पल्स बहुत सख्ती से अकड़े हुए मेरे सीने के बालों में उलझे पड़े थे और मेरे खड़े लण्ड की नोक..! बाजी की नफ़ से ज़रा नीचे.. साइड पर उभरे खूबसूरत तिल को चूम रही थी। 
बाजी ने रोना अब बंद कर दिया था लेकिन उनके मुँह से सिसकियाँ अभी भी निकल रही थीं। मैंने बाजी के दोनों हाथों को अपने हाथ में लिया और उनके चेहरे से हटा कर बाजी की गोद में रख दिया।
मैंने बाजी का चेहरा अपने हाथ से ऊपर किया.. उन्होंने आँखें बंद कर रखी थीं।
मैंने अपने हाथ से बाजी के आँसू साफ करने शुरू किए.. तो बाजी ने आँखें खोल दीं। मैं उनके आँसुओं को साफ कर रहा था और बाजी बिना पलक झपकाए मेरी आँखों में देख रही थीं, उनकी आँखों में बहुत तेज चमक थी। उस वक़्त पता नहीं क्या था बाजी की आँखों में..
मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं अब हमेशा के लिए इन आँखों का गुलाम हो गया हूँ।
उनकी आँखों में देखते-देखते मेरी आँख में भी आँसू आ गए।
बाजी ने वैसे ही मेरे सीने से लगे-लगे अपना एक हाथ उठाया और मेरे आँसू साफ करने लगीं।
मैंने उस वक़्त अपनी बहन के लिए अपने दिल-ओ-दिमाग में शदीद मुहब्बत महसूस की और बेसख्तगी में अपना चेहरा नीचे किया.. तो पता नहीं किस अहसास के तहत बाजी ने भी अपनी आँखें बंद कर लीं और मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों से मिला दिए। 
बाजी के होंठ बहुत नर्म थे, मैंने बाजी के ऊपर वाले होंठ को चूसना शुरू किया तो मुझे ऐसे लगा जैसे मैं गुलाब की पंखुड़ी को चूम रहा हूँ..
कुछ देर ऊपर वाले होंठ को चूसने के बाद मैंने बाजी के नीचे वाले होंठ को अपने मुँह में दबाया तो मेरा ऊपरी होंठ बाजी ने अपने मुँह में ले लिया और मदहोश सी मेरे ऊपरी होंठ को चूसने लगीं।
चुम्बन एक ऐसी चीज़ है कि आप अगर पहली मर्तबा भी करें तो आपको सीखने की जरूरत नहीं पड़ती.. नेचर हमें खुद ही समझा देती है कि हमने क्या करना है।
बाजी ने अपने जिस्म को मेरे हाथों में बिल्कुल ढीला छोड़ दिया था।
मैंने बाजी के दोनों होंठों के बीच अपने होंठ रख कर उनके मुँह को थोड़ा सा खोला और बाजी की ज़ुबान को अपने होंठों में खींचने की कोशिश करने लगा।
बाजी ने मेरे इरादे को समझते हुए अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह में दाखिल कर दिया।
बाजी की ज़ुबान का रस चूसते-चूसते ही मैंने अपना हाथ उठाया और बाजी के सीने के उभार को नर्मी से थाम लिया और आहिस्ता-आहिस्ता दबाने और मसलने लगा..
मैंने बाजी के निप्पल को अपनी चुटकी में मसला तो बाजी के मुँह से ‘सस्स्स्सीईईईई..’ की आवाज़ निकली और मेरे मुँह में गुम हो गई।

मैं अपना हाथ बाजी के दोनों उभारों पर फिराता हुआ नीचे की तरफ जाने लगा।
बाजी के पेट पर हाथ फेरते हुए मैंने अपने हाथ को थोड़ा और नीचे किया और जैसे ही मेरा हाथ अपनी बहन की टाँगों के बीच पहुँचा और मैंने उनकी चूत के दाने को छुआ ही था कि उन्होंने एकदम से मचल कर आँखें खोल दीं और एक झटके से अपने जिस्म को मेरे जिस्म से अलग करते हुए कहा- नहीं वसीम.. नहींईई.. ये नहीं होना चाहिए नहीं.. नहीं..
‘नहीं.. नहीं..’ की गर्दन करते हुए बाजी उठीं और अपनी क़मीज़ पहनने लगीं। मैंने बाजी की कैफियत को समझते हुए उनको कुछ कहना मुनासिब नहीं समझा कि उनको अपनी इस हरकत पर बहुत गिल्टी फील हो रहा था और मेरा कुछ कहना हमारे इस नए ताल्लुक के लिए अच्छा नहीं साबित होना था। 
मैं और ज़ुबैर चुपचाप बाजी को कपड़े पहनते देखते रहे.. बाजी ने अपने कपड़े पहने और तेज क़दमों से चलती हुई कमरे से बाहर निकल गईं। 
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RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी - by sexstories - 11-18-2018, 12:36 PM

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