Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:35 PM,
#20
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
बाजी बिल्कुल मेरे सामने थीं.. मैं डाइरेक्ट बाजी की आँखों में देख रहा था और लण्ड पर अपना हाथ चला रहा था। 
बाजी भी कुछ देर मेरी आँखों में देखती रहीं और फिर अपना चेहरा फेर लिया। मैं भी घूमा और फिर ज़ुबैर को किसिंग करने लगा। अब हम दोनों की नजरें बाजी पर नहीं थीं। मैंने आँखों के कॉर्नर से देखा.. बाजी ने अपना एक हाथ टाँगों के बीच रख लिया था और मसलने लगी थीं। 
ये नज़ारा देखते ही मेरे लण्ड को झटका सा लगा.. जैसे ही हम बाजी की तरफ घूमे, उन्होंने फ़ौरन हाथ अपनी टाँगों के बीच से हटा लिया।
अब मैं डॉगी पोजीशन में झुका सा हुआ और ज़ुबैर मेरे पीछे आ गया। उसने अपने लण्ड पर और मेरी गाण्ड के सुराख पर तेल लगाना शुरू किया।
मेरी नजरें बाजी पर थीं और मुझे यक़ीन था कि बाजी हर एक सेकेंड को एंजाय कर रही हैं। 
ज़ुबैर ने आहिस्ता से अपना लण्ड मेरे अन्दर डाला और अपना लण्ड मेरी गाण्ड में अन्दर-बाहर करने लगा। 
मेरे मुँह से कुछ आवाजें तो वैसे ही मज़े और दर्द से निकल रही थीं और कुछ मैं खुद भी माहौल को सेक्सी बनाने और बाजी को सुनाने के लिए निकालने लगा।
‘आ ह.. हाँ.. ज़ुबैर ज़ोर से धक्का मारो.. ज़ोर से.. हाँ पूरा डालो… अहह और ज़ोर से.. चोदो अपने सगे भाई को.. ज़ोर से.. झटका मारो.. हाँ फाड़ दो अपने बड़े भाई की गाण्ड..’ 
मेरे ये अल्फ़ाज़ बाजी पर जादू कर रहे थे और बार-बार बेसाख्ता उनका हाथ उनकी टाँगों के बीच चला जाता और वो अपना हाथ वापस खींच लेतीं। 
मैं चाहता था कि बाजी पूरा मज़ा लें.. इसलिए मैंने ज़ुबैर से पोजीशन चेंज करने को कहा।
अब हम दोनों की बैक बाजी की तरफ थी और ज़ुबैर मेरे ऊपर था। बाजी हम दोनों की गाण्ड और मेरी गाण्ड में अन्दर-बाहर होता ज़ुबैर का लण्ड साफ देख सकती थीं और हम बाजी को डाइरेक्ट नहीं देख सकते थे। 
लेकिन दीवार पर लगे आईने में हम अपनी पोजीशन भी देख सकते थे.. और बाजी को भी साफ देख रहे थे। 
अब बाजी के सामने उनका बहुत पसंदीदा नजारा था, उन्होंने हमारी गाण्ड पर नज़र जमाए हुए अपने हाथ को अपनी टाँगों के बीच रखा और बहुत तेज-तेज रगड़ने लगीं।
वो नहीं जानती थीं कि हम उन्हें आईने में साफ देख सकते हैं। बाजी को ऐसे देखना मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था। 
मैंने सरगोशी करते हुए ज़ुबैर को बुलाया और आईने की तरफ इशारा किया.. जैसे ही ज़ुबैर ने आईने में देखा.. मैंने महसूस किया कि उसके बाद उसकी मेरी गाण्ड में लण्ड अन्दर-बाहर करने की स्पीड बढ़ती जा रही थी।
कुछ ही देर बाद उसके लण्ड ने मेरी गाण्ड में ही गर्म पानी छोड़ दिया।
उसके रुकने पर मैंने तेज आवाज़ में कहा- आह्ह.. अब तुम आ जाओ नीचे.. अब मेरी बारी है करने की..
बाजी ने यह सुना तो फ़ौरन अपना हाथ टाँगों के बीच से निकाल लिया।
ज़ुबैर और मैंने अपनी जगहें चेंज कर लीं, अब ज़ुबैर डॉगी पोजीशन में था और मैंने उसकी गाण्ड में अपना लण्ड डाल दिया था। मैंने आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। 
मुझे ज़ुबैर का पानी अब भी अपनी गाण्ड में महसूस हो रहा था.. जो बाहर निकलना चाह रहा था.. लेकिन मैंने अपनी गाण्ड के सुराख को भींचते हुए पानी को बाहर आने से रोक लिया और अपनी स्पीड को बढ़ाने लगा। मैंने आईने में देखा तो बाजी अपना हाथ वापस अपनी टाँगों के बीच ला चुकी थीं और रगड़ना शुरू कर दिया था। 
मैंने ज़ुबैर की गाण्ड में झटके मारते-मारते ही अपनी गाण्ड के सुराख को लूज किया और ज़ुबैर के लण्ड का गाढ़ा सफ़ेद पानी मेरी गाण्ड से लीक होकर मेरे टट्टों से होता हुआ मेरे लण्ड और फिर ज़ुबैर की गाण्ड में जाने लगा।
मुझे अंदाज़ा था कि यह सीन देख कर बाजी बिल्कुल पागल ही हो जाएंगी और जैसे कि मैं आईने में देख सकता था, बाजी ने एक हाथ को अपनी टाँगों के बीच चलाते-चलाते दूसरे हाथ से अपने लेफ्ट दूध को दबोच लिया था और अपनी निप्पल को चुटकी में लेकर बुरी तरह से मसल रही थीं।
जैसे-जैसे ज़ुबैर की गाण्ड में अन्दर-बाहर होते मेरे लण्ड की स्पीड तेज होती जा रही थी.. बाजी भी अपने हाथों की स्पीड को बढ़ाती जा रही थीं। 
थोड़ी देर बाद मुझे पता चल गया कि बाजी डिसचार्ज होने ही वाली हैं.. क्योंकि उन्होंने अपना हाथ सलवार के अन्दर डाल लिया था। उन्हें यह नहीं मालूम था कि हम उन्हें आईने में देख रहे हैं। 
बाजी का हाथ उनकी सलवार में जाता देख कर मैं अपना कंट्रोल खो बैठा और मैंने फ़ौरन ज़ुबैर की गाण्ड से अपने लण्ड को निकाला और उसके कूल्हों पर अपने लण्ड का गाढ़ा सफेद पानी छोड़ने लगा। 
शायद यह बाजी के लिए सबसे ज्यादा हॉट सीन था.. फ़ौरन ही बाजी का जिस्म अकड़ गया और उनकी आँखें बंद हो गईं।
मैं और ज़ुबैर दोनों ही घूम कर सामने बाजी को देखने लगे।
वो दुनिया से बेख़बर हो चुकी थीं.. उनके जिस्म को ऐसे झटके लग रहे थे.. जैसे उन्हें इलेक्ट्रिक शॉक लग रहे हों।
उनका पूरा जिस्म काँपने लगा और बाजी बहुत स्पीड से अपना हाथ अपनी टाँगों के दरमियाँ वाली जगह पर चलाने लगीं और दूसरे हाथ से अपने दूध को मसलने लगीं। 
अचानक उनका जिस्म अकड़ा और गर्दन कुर्सी की पुश्त पर टिका कर और पाँव ज़मीन पर जमाते हुए उन्होंने अपने कूल्हे कुर्सी से उठा लिए और कमान की सूरत उनका जिस्म मुड़ गया। उन्होंने अपनी टाँगों के बीच वाली जगह और अपने दूध को अपनी पूरी ताक़त से भींच लिया।
‘अहह.. अककखह.. ओह..’ की आवाज़ उनके मुँह और हलक़ से खारिज हुई और फिर उनका जिस्म ढीला होकर कुर्सी पर गिर सा गया। 
कुछ देर ऐसे पड़ी वो अपनी साँसों को दुरुस्त करती रहीं.. और जब उन्होंने आँखें खोलीं.. तब उन्होंने हमें देखा कि हम बिल्कुल उनके सामने बैठे मुस्कुराते हुए अपने-अपने लण्ड को हाथ में लेकर सहला रहे थे।
बाजी ने अपने आप पर एक नज़र मारी.. कि उनका एक हाथ उनकी सलवार के अन्दर था और दूसरा उनके मम्मे पर था और उससे रगड़ते हुए उनके पेट से भी क़मीज़ हटी हुई थी। बाजी का खूबसूरत सा नफ़ भी नज़र आ रहा था।
बाजी ने ये सोचा कि वो अपने सगे भाईयों.. छोटे भाईयों के सामने अपने मम्मे और टाँगों के बीच वाली जगह को रगड़ती रही हैं और फ़ौरन ही अपने हाथ को सलवार से निकाला और अपना लिबास सही करने लगीं। 
उनकी हया की निशानी उनका स्कार्फ और चादर ज़मीन पर पड़ी थी.. पता नहीं कब उन्होंने चादर और स्कार्फ निकाल फेंका था कि उन्हें खुद भी खबर नहीं हुई।
ज़ुबैर ने अपने दोनों हाथों को जोड़ा और ताली बजाते हुए शरारत से बोला- ब्रावो बाजी.. ग्रेट शो था। मेरे ख़याल में आप अपने सगे भाईयों को एक्शन में देखने के लिए बैठी थीं.. लेकिन आपकी तरफ से हमें एक शानदार शो देखने को मिल गया.. थैंक यू बाजी.. इतने खूबसूरत शो के लिए..
बाजी का चेहरा शर्म से सुर्ख हो गया था.. तो मैंने बात संभालते हुए कहा- कोई बात नहीं बाजी.. हमने सिर्फ़ एंड ही नहीं देखा.. बल्कि शुरू से आख़िर तक सब देखा है.. उस आईने में..!
मैंने आईने की तरफ इशारा किया.. जहाँ हम सब बिल्कुल क्लियर नज़र आ रहे थे। 
बाजी बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस कर रही थीं.. तो मुझे बहुत अफ़सोस हुआ उनके लिए और मैंने कहा- कोई बात नहीं बाजी.. ये एक नेचुरल चीज़ है.. आपकी जगह कोई भी होता.. वो ये ही करता आप परेशान ना हों.. बल्कि खुल कर हमारे साथ ही ये सब एंजाय करें। 
ये कहते हुए मैं खड़ा हुआ और बाजी की तरफ 2 क़दम ही बढ़ा था कि बाजी फ़ौरन खड़ी हो गईं और अपनी चादर और स्कार्फ उठा कर सिर झुकाए-झुकाए कमरे से बाहर निकल गईं। 
शायद उन्हें बहुत अफ़सोस हो रहा था अपनी इस हरकत पर.. या फिर शर्म आ रही थी अपने सगे भाईयों से.. 
बाजी बाहर निकल गई थीं.. मैं वहाँ ही खड़ा था कि ज़ुबैर की आवाज़ आई- भाई आज मज़ा ही आ गया.. बाजी को इस हालत में देख कर.. उफफ्फ़ सग़ी बहन सामने इस हॉल में..
उसने एक झुरझुरी सी ली। 
‘फ़िक्र ना करो मेरे छोटे शहज़ादे.. बस तुम सब कुछ मुझ पर छोड़ दो.. देखो मैं तुम्हें क्या-क्या दिखाता हूँ।’
मैंने शैतानी मुस्कुराहट से कहा। 
अगली रात हमने मूवी स्टार्ट की ही थी कि दरवाज़ा खुला और बाजी अन्दर आईं। हम दोनों की नजरें बाजी पर ही थीं। बाजी सिर झुकाए-झुकाए ही अन्दर आईं और हमारी तरफ नज़र उठाए बगैर ही जाकर सोफे पर बैठ गईं। उन्होंने आज भी क़मीज़ सलवार पहनी हुई थी.. सिर पर स्कार्फ मौजूद था। लेकिन चादर नहीं थी.. उन्होंने दुपट्टा उतारा और सलीक़े से तह करके साइड टेबल पर रख दिया और चुपचाप सिर झुका कर बैठ गईं। 
हम दोनों भी बगैर कुछ बोले बाजी की ही तरफ देख रहे थे.. लेकिन वो नज़र नहीं उठा रही थीं।
मैंने गौर किया तो मेरे लण्ड को झटका सा लगा। बाजी की जर्द क़मीज़ में निप्पल वाली जगह काली नज़र आ रहा था और जब वो दुपट्टा ठीक करते हुए या किसी और वजह से जिस्म को हल्की सी भी हरकत देती थीं तो बाजी के मम्मे हिलने लगते थे। 
‘भाईजान लगता है हमारी सोहनी सी बहना जी ने आज ब्रा नहीं पहनी।’
ज़ुबैर ने आँख मार कर मुस्कुराते हुए बाजी के चेहरे पर नज़र जमाए-जमाए कहा। 
बाजी ने नज़र नहीं उठाई और झेंपते हुए कहा- बकवास मत करो और अपना काम शुरू करो। मेरी तरफ़ नहीं देखो.. वरना मैं उठ कर चली जाऊँगी।
मैंने ज़ुबैर को इशारा किया कि बाजी को तंग नहीं कर.. वरना वो वाकयी ही चली जाएंगी। 
मैं और ज़ुबैर फ़ौरन खड़े हुए और अपने कपड़े उतार कर नंगे हो गए। चूमा चाटी करने के बाद मैंने सोचा कि आज कुछ बदलाव किया जाए। मैंने ज़ुबैर को बिस्तर पर सीधा लिटाया और उसकी गर्दन को बिस्तर के किनारे पर टिका कर.. सिर को पीछे की तरफ नीचे झुका दिया। फिर मैंने ज़ुबैर के मुँह में अपने खड़े लंड को डाला और उसके ऊपर झुकते हुए ज़ुबैर के लण्ड को अपने मुँह में भर लिया। अब हम 69 की पोजीशन में थे।
‘नाइस पोजीशन..’ बाजी के मुँह से बेसाख्ता ही निकला। 
मैंने सिर उठा कर बाजी को देखा तो उन्होंने फ़ौरन अपना हाथ अपनी टाँगों के बीच से हटा लिया। उनके निप्पल खड़े हो गए थे और क़मीज़ का वो हिस्सा नुकीला हो चुका था.. क्योंकि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। 
‘प्लीज़ बाजी.. अगर आप अपने जिस्म से मज़ा लेना ही चाहती हैं.. तो फ्री हो कर मज़ा लें.. प्लीज़ हम यहाँ बिल्कुल नंगे हैं और आपके सामने एक-दूसरे के लण्ड को चूस रहे हैं। अगर आप अपने जिस्म को टच करेंगी.. तो हमें भी एक-दूसरे के साथ सब करने में मज़ा आएगा। हम आपको कल ये करते हुए देख चुके हैं और इससे क्या फ़र्क़ पड़ेगा कि हम आज फिर देख लेंगे। आप अपने मज़े को तो कत्ल मत करें।’
मैंने समझाने वाले अंदाज़ में कहा।
बाजी कुछ देर तक तो सिर झुकाए बैठी रहीं और फिर अपना हाथ उठा कर अपनी टाँगों के बीच वाली जगह पर रख कर 2-3 बार रगड़ा और हमारी तरफ देखते हुए कहा- बस खुश हो अब..!
ज़ुबैर फ़ौरन ही बोला- जी बाजी.. आप इस हाल में गज़ब लग रही हैं।

और वाकयी ही बहुत सलीक़े से सिर पर और चेहरे के गिर्द ब्लैक स्कार्फ जिसमें गोरे-गोरे गाल अब सेक्स की हिद्दत से लाल हो चुके थे। सोफे पर कुछ लेटी.. कुछ बैठी सी हालत में ज़मीन पर पाँव फैलाए.. थोड़ी सी टाँगें खुली हुईं और ठीक टाँगों के बीच वाली जगह पर ब्लैक सलवार के ऊपर गुलाबी खूबसूरत हाथ.. बाजी बिल्कुल परी लग रही थीं। 
मैंने और ज़ुबैर ने फिर से एक-दूसरे के लण्ड मुँह में लिए और लण्ड मुँह में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिए और बाजी भी फ्रीली अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को रगड़ने लगीं। 
अब मैंने ज़ुबैर को सीधा लेटने को कहा और हमने अपना रुख़ भी थोड़ा चेंज कर लिया। ज़ुबैर की टाँगों को अपने कंधों पर जमाते हुए मैंने लण्ड ज़ुबैर की गाण्ड में डाला और 2-3 झटके मारने के बाद झुक कर उसके होंठों को चूसने लगा। आज मुझे कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा था। 
पता नहीं ये ज़ुबैर के नर्म और नाज़ुक होंठ थे.. या अपने लण्ड पर ज़ुबैर की गाण्ड के अन्दर की गर्मी का अहसास था.. या शायद आज के अनोखे मज़े की वजह ये सोच थी कि मेरी सग़ी बहन जो बहुत बा-हया और पाकीज़ा है.. जिसका चेहरा ही शर्म-ओ-हया का पैकर है.. वो मुझे देख रही हैं कि मैं अपने सगे छोटे भाई की टाँगों को अपने कंधे पर रखे उसकी गाण्ड में अपना लण्ड अन्दर-बाहर कर रहा हूँ। 
मेरी पाकीज़ा बहन ये सब देखते हुए मज़े से अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को अपने ही हाथ से मसल रही है और अपने मम्मों को दबा-दबा कर बेहाल हुए जा रही है। 
बाजी को हक़ीक़तन ही ये सब बहुत अच्छा लग रहा था और वो अपने मम्मों को अपने हाथ से मसलती थीं.. तो कभी उन्हें दबोच लेती थीं.. तो कभी अपने निप्पल्स को चुटकी में लेकर खींचने लगती थीं। 
ज़ुबैर और मेरी नजरें बाजी पर ही थीं.. बाजी भी हमें ही देख रही थीं, कभी-कभी हमारी नजरें भी मिल जाती थीं।
कुछ देर बाद मैं ज़ुबैर की गाण्ड में ही डिसचार्ज हुआ और अब मैं नीचे और ज़ुबैर मेरे ऊपर आ गया और ज़ुबैर ने मुझे चोदना शुरू कर दिया और हम दोनों ने नजरें बाजी पर जमाए रखीं। 
बाजी अब बिल्कुल फ्री होकर अपने जिस्म को रगड़ रही थीं और मज़े में अपने मुँह से आवाजें भी निकाल रही थीं।
ज़ुबैर के लण्ड का जूस निकालने तक बाजी भी 2 बार डिसचार्ज हो चुकी थीं। 
इस तरह नजारा ये रहा कि बाजी रोज रात को आ जातीं.. अब उनकी झिझक खत्म हो चुकी थी.. वो बस कमरे में आकर अपनी जगह पर बैठ जातीं और अपनी टाँगों के बीच हाथ रख कर हमें हुकुम दे देतीं कि शुरू हो जाओ.. हम एक-दूसरे को चोदते और बाजी अपने हाथ से अपने आपको सुकून पहुँचा लेतीं।
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RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी - by sexstories - 11-18-2018, 12:35 PM

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