RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
अम्मी उठ कर अपने कमरे में चली गईं.. तो मैंने बाजी से कहा- क्या दिमाग खराब हुआ है आपका.. ऐसे तंज़ मत करो ज़ुबैर पर.. वरना सब काम बिगड़ जाएगा। जब आपने सब कुछ मुझ पर छोड़ा है.. तो मेरे तरीक़े से मुझे संभालने दें ना।
‘अरे मैंने तो वैसे ही मज़ाक़ में कह दिया था.. लेकिन मैं भूल गई थी कि वो ज़ुबैर है.. वसीम नहीं.. शायद वो बेचारा अभी भी मुझसे डरा हुआ ही है।’
बाजी ने फ़िक्र मंदी से कहा।
मैं फ़ौरन बोला- अच्छा अब आप परेशान नहीं होओ.. जाओ मैं देख लूँगा सब..
कह कर मैं भी बाहर जाने लगा.. तो बाजी ने पूछा- क्या तुमने मेरे बारे में सब बता दिया है ज़ुबैर को?
मैंने चलते-चलते ही जवाब दिया- हाँ.. एक-एक लफ्ज़..
और मैं बाहर निकल गया।
रात में जब मैं घर में घुसा.. तो सब खाने के लिए बैठ ही रहे थे.. मैंने भी सबके साथ खाना खाया और अपने कमरे में आ गया।
आधे घंटे बाद ज़ुबैर भी अन्दर आया तो उसका मूड ऑफ था।
‘भाई बाजी आपसे तो इतनी फ्री हो गई हैं.. लेकिन मुझ पर तंज़ करती हैं..’
मैंने समझाया- यार.. वो मज़ाक़ कर रही हैं तुमसे.. बेतकल्लुफ होने के लिए ऐसे ही बातें कह देती हैं.. तुम टेन्शन मत लो.. और तुम भी तो भीगी बिल्ली बने हुए हो ना.. उनके सामने घबराए-घबराए से रहते हो.. तो अम्मी-अब्बू को कुछ शक भी हो सकता है.. इसलिए भी बाजी तुम को छेड़ लेती हैं.. और मेरी बात कान खोल कर सुनो.. और इसको जेहन में बिठा लो कि बाजी की किसी हरकत पर हैरत मत ज़ाहिर करो.. उनकी हर बात.. हर हरकत को नॉर्मल ट्रीट करो.. और बाक़ी सब मुझ पर छोड़ दो।
फिर ज़ुबैर के लण्ड को सलवार के ऊपर से ही पकड़ते हुए मैंने कहा- बहुत जल्दी ही इसको बाजी की टाँगों के बीच वाली जगह की सैर करवा दूँगा। बस तुम कुछ मत करो और हालत के साथ-साथ चलते रहो.. मैं हूँ ना हालात कंट्रोल करने के लिए।
ज़ुबैर ने अपने दोनों हाथों को भींचते हुए कहा- भाई अगर ऐसा हो जाए.. तो मज़ा आ जाए..
कुछ देर मैं ज़ुबैर को समझाता रहा और फिर हम दोनों कंप्यूटर के सामने आ बैठे.. ट्रिपल एक्स मूवी देखने लगे।
अचानक ही दरवाज़ा खुला और बाजी अन्दर दाखिल हुईं- आह्ह.. मेरे ख़ुदा.. तुम लोग ज़रा भी टाइम ज़ाया नहीं करते हो..
ज़ुबैर ने फ़ौरन डर कर मॉनिटर ऑफ कर दिया.. लेकिन फिर कॉन्फिडेंस से बोला- बाजी आप.. मिस मौलवी.. नहीं हैं.. आपने भी तो सारी मूवीज देखी ही हैं ना..
मैंने ज़ुबैर को इशारे से चुप करवाया और कहा- अच्छा बहना जी.. तो अब आप क्या चाहती हैं..?
बाजी ने मुस्कुराते हुए कहा- रूको मुझे सोचने दो.. उम्म्म्मम.. मुझे नहीं समझ आ रहा.. मैं तुम लोगों को क्या करने को कहूँ..’
यह कह कर बाजी हमारे राईट साइड पर पड़े हुए सोफे पर जा बैठीं।
‘क्या मतलब..?’ ज़ुबैर ने सवालिया अंदाज़ में कहा।
बाजी बोलीं- ज़ुबैर, दरवाज़ा बंद कर दो।
ज़ुबैर उठा और जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया।
‘लॉक भी लगा दो..’
ज़ुबैर ने लॉक भी लगाया और वापस आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
‘हाँ मुझे तुम्हारे कंप्यूटर में कुछ फ़िल्में वाकयी ही बहुत अच्छी लगी हैं.. तो मैं सोच रही हूँ कि आज रियल ही क्यूँ ना देख लूँ.. चलो शुरू करो.. जो तुम लोग मेरे आने से पहले करने जा रहे थे।’
‘बिल्कुल नहीं..’
ज़ुबैर ने चिल्ला कर कहा- आप ऐसा कैसे कर सकती हैं.. आप हमारी सग़ी बड़ी बहन हैं।
बाजी तंज़िया अंदाज़ में बोलीं- अच्छाआ.. देखो देखो ज़रा.. अब कौन.. मिस्टर मौलवी.. बन रहा है.. उस रात तो बहुत मज़े ले-लेकर चूस रहे थे.. क्या वो तुम्हारा सगा बड़ा भाई नहीं था?
मैं काफ़ी देर से खामोश होकर उनकी बातें सुन रहा था। मैंने हाथ उठा कर दोनों को खामोश होने का इशारा करते हुए खड़ा हुआ और ज़ुबैर से कहा- चलो यार ज़ुबैर.. अब बस करो.. हमारी कोई बात ऐसी नहीं है जो बाजी को ना पता हो.. वो पहले ही सब जानती हैं। फिर बहस का क्या फ़ायदा?
मेरा लण्ड पहले से ही पूरा खड़ा था.. मैंने अपने कपड़े उतारे और ज़ुबैर का हाथ पकड़ कर बिस्तर की तरफ चल पड़ा।
बाजी की नजरें मेरे नंगे लण्ड पर ही जमी हुई थीं.. वो सोफे से उठीं और कंप्यूटर कुर्सी पर बैठते हुए उन्होंने मॉनिटर भी ऑन कर दिया.. जहाँ मूवी पहले से ही चल रही थी।
ज़ुबैर अभी भी झिझक रहा था.. मैंने ज़ुबैर को खड़ा किया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
अपनी एक आँख मैंने मुस्तक़िल बाजी पर रखी हुई थी.. क्योंकि मैं बाजी का रिएक्शन देखना चाहता था।
अपने एक हाथ से मैंने ज़ुबैर का शॉर्ट नीचे किया और उसका लण्ड उछल कर बाहर निकल आया। ज़ुबैर का लण्ड भी थोड़ी सख्ती पकड़ चुका था.. शायद ज़ुबैर भी बाजी की यहाँ मौजूदगी से एग्ज़ाइटेड हो रहा था।
मैंने ज़ुबैर के होंठों से अपने होंठों को अलग किया और ज़ुबैर की शर्ट और शॉर्ट मुकम्मल उतार दिए।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे, दोनों बाजी की तरफ घूम गए।
बाजी के गाल सुर्ख हो रहे थे और उनकी आँखें भी नशीली हो चुकी थीं।
‘बाजी कैसा लग रहा है आपको.. अपने सगे भाइयों को नंगा देख कर.. और उनके लण्ड देख कर.. क्या आप एंजाय कर रही हैं?’ मैंने मुस्कुराते हो कहा।
‘शटअप.. बकवास मत करो और अपना काम जारी रखो..’
यह बोल कर बाजी ने मुझे आँखों से इशारा किया कि प्लीज़ ये मत करो.. शायद बाजी अभी जहनी तौर पर मुकम्मल तैयार नहीं थीं और उन में अभी काफ़ी झिझक बाक़ी थी।
मैंने फिर ज़ुबैर के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और ज़ुबैर को घुमा दिया, अब बाजी की तरफ ज़ुबैर की पीठ थी, मैंने अपने एक हाथ से ज़ुबैर के कूल्हों को रगड़ना और दबोचना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद मैंने अपने दोनों हाथों से ज़ुबैर के दोनों कूल्हों को खोल दिया.. ताकि बाजी ज़ुबैर की गाण्ड के सुराख को साफ देख सकें।
बाजी को दिखाते हुए मैंने अपनी एक उंगली को अपने मुँह में लेकर गीला किया और ज़ुबैर की गाण्ड के सुराख में डाल दी।
ज़ुबैर हल्का सा मचला.. लेकिन मैंने किसिंग जारी रखी और अपनी ऊँगली को अन्दर-बाहर करने लगा।
बाजी आँखें फाड़-फाड़ कर मेरी ऊँगली को अन्दर-बाहर होता देख रही थीं। मैंने ज़ुबैर के होंठों से होंठ हटाए और उसकी गर्दन को चूमते और ज़ुबान से सहलाते नीचे जाने लगा।
मैंने ज़ुबैर के निप्पल को बारी-बारी से चूसा और फिर ज़मीन पर घुटने टेक कर बैठ गया। अब मैंने ऊँगली ज़ुबैर की गाण्ड से निकाल कर बाजी को दिखाते हुए ज़ुबैर की गाण्ड के सुराख पर फेरी।
मैंने ज़ुबैर के लण्ड को हाथ में लिया और अपना चेहरा लण्ड के पास ला कर एक नज़र बाजी पर डाली।
बाजी की नजरें मेरी नजरों से मिलीं तो मैंने देखा.. कि बाजी बहुत एग्ज़ाइटेड हो रही थीं.. शायद वो समझ गईं थीं कि मेरा अगला अमल क्या होगा।
फिर मैंने ज़ुबैर के लण्ड को अपने मुँह में लिया और आहिस्ता-आहिस्ता 3-4 बार मुँह आगे-पीछे करने के बाद मैंने एक हल्के से झटके से ज़ुबैर का लण्ड जड़ तक अपने मुँह में ले लिया।
उसकी टोपी मेरे हलक़ में टच हो रही थी।
मैंने इसी हालत में रुकते हुए बाजी को देखा.. तो वो बहुत ज्यादा बेचैन नज़र आ रही थीं.. वो बार-बार अपनी पोजीशन चेंज कर रही थीं, शायद वो अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को अपने हाथ से रगड़ना चाह रही थीं.. लेकिन अपने आपको रोके हुए थीं।
मैं कुछ देर तेज-तेज ज़ुबैर के लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करता रहा और फिर लण्ड मुँह से निकालते हुए खड़ा हुआ और ज़ुबैर को इशारा किया कि अब वो चूसे।
ज़ुबैर मेरी टाँगों के बीच बैठा और मेरे लण्ड को चूसने लगा। कुछ देर मेरा लण्ड चूसने के बाद ज़ुबैर ने मुँह नीचे किया और मेरी बॉल्स को अपने मुँह में भर लिया।
वाउ.. ज़ुबैर की इस हरकत ने मेरे अन्दर मज़े की एक नई लहर पैदा कर दी। ज़ुबैर नर्मी से मेरी बॉल्स को चूसने लगा।
मैंने बाजी को देखा तो वो भी एकटक नज़रें जमाए ज़ुबैर को मेरे बॉल्स चूसते देख रही थीं। मैं जानता था कि बाजी को मेरी बॉल्स बहुत अच्छी लगी थीं.. इसलिए भी बाजी को ज़ुबैर की ये हरकत बहुत पसन्द आई थी।
ज़ुबैर ने मेरी बॉल्स को मुँह से निकाला और मेरे पीछे जाकर मेरे कूल्हों को दोनों हाथों में लेकर खोला और मेरी गाण्ड के सुराख पर अपनी ज़ुबान फेरने लगा।
‘एवव.. ज़ुबैर.. तुम तो बहुत ही गंदे हो..’ बाजी ने बुरा सा मुँह बना कर कहा.. लेकिन अपनी नज़र नहीं हटाई।
ज़ुबैर बाजी को कुछ कहना चाहता था लेकिन मैंने ज़ुबैर के सिर को वापस अपनी गाण्ड पर दबा दिया। मैंने अपने लण्ड को अपने हाथ में लिया और बहुत स्पीड से लण्ड पर हाथ को आगे-पीछे करने लगा।
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