RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
शायद बाजी की जहांदीदा नज़र ने भी इसे महसूस कर लिया था। इसलिए वो नरम से लहजे में मेरे लण्ड की तरफ हाथ का इशारा करते हुए बोलीं- वसीम प्लीज़ कम से कम अपने जिस्म को तो कवर करो.. और गंदगी साफ करो वहाँ से.. और अपने हाथों से..’
‘छोड़ो बाजी.. आप मुझे एक से ज्यादा बार इस हालत में देख चुकी हो और अभी भी मैं इतनी देर से आपके सामने इस हालत में खड़ा हूँ.. अब इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि मैं अपने लण्ड को आप से छुपाऊँ या नहीं..’ मैंने बाजी के सामने बिस्तर पर बैठते हुए कहा।
बाजी को मेरे मुँह से लफ्ज़ ‘लण्ड’ इतने बेबाक़ अंदाज़ में सुन कर शॉक सा लगा और उन्होंने एक भरपूर नज़र मेरे लण्ड पर डाली और फिर अपना रुख़ फेर कर खड़ी हो गईं।
मुझसे कहा- वसीम प्लीज़ कुछ पहन लो.. ये मेरी इल्तिजा है.. मुझे मेरी ही नजरों में मत गिराओ..
मैंने कहा- ओके बाजी.. लेकिन मेरी एक शर्त है.. आप मान लो.. फिर मैं कुछ पहन लूँगा।
मैं अब बिस्तर पर आधा लेटा हुआ था और मेरी टाँगें बिस्तर से नीचे लटक रही थीं। मेरा लण्ड फुल तना हुआ छत की तरफ मुँह किए खड़ा था।
‘शर्त..!’ उन्होंने हैरतजदा सी आवाज़ में दोहराया और मेरी तरफ घूम गईं।
मैंने अपनी पोजीशन चेंज करने की कोशिश नहीं की और उसी तरह पड़ा रहा। फिर कुछ देर खामोश खड़ी.. वो मेरी आँखों में देखती रहीं और मैंने भी अपनी आँखें नहीं झुकाईं और उनकी आँखों में ही देखता रहा। शायद वो मेरी आँखों में देख कर.. कुछ अंदाज़ा लगाना चाह रही थीं।
कुछ लम्हें मज़ीद खामोशी से गुज़रे और फिर वो बोलीं- बको क्या शर्त है?
मैं बिस्तर से उठा और उनकी आँखों में देखते-देखते ही कहा- आपको मैंने पहली दफ़ा बगैर स्कार्फ और बगैर बड़ी सी चादर के देखा है.. मैं कसम खा कर कहता हूँ कि आप से ज्यादा हसीन और पुरकशिश लड़की मैंने कभी नहीं देखी। आपके बाल बहुत खूबसूरत हैं.. क्या आप अपने बालों को चेहरे के एक तरफ से गुजार कर सामने नहीं ला सकती हैं?
मैं ये बोल कर सांस लेने को रुका.. तो बाजी बोलीं- ये शर्त है तुम्हारी?
‘नहीं.. ये शर्त नहीं इल्तिजा है..’ मैंने मासूम से लहजे में जवाब दिया।
बाजी ने फ़ौरन ही अपना राईट हैण्ड पीछे किया और बालों को समेट कर सामने अपनी लेफ्ट साइड पर ले आईं।
आप यक़ीन करें.. बाजी के बाल उनके घुटनों को छू रहे थे।
मेरा मुँह ‘वाउ..’ के अंदाज़ में खुला का खुला रह गया।
बाजी फिर बोलीं- वसीम अब बक भी दो जो शर्त है.. या उठ कर कुछ पहनो..
मैं अपनी हवस में वापस आया और मैंने अपने हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा और आहिस्तगी से सहलाते हुए उठ बैठा और बाजी को कहा- मैं आपके दूध बगैर कपड़ों के नंगे देखना चाहता हूँ..
‘शटअप.. तुम होश में तो हो.. जो मुँह में आ रहा है बकवास करते चले जा रहे हो..!!’
वो मज़ीद कुछ कहना चाहती थीं.. लेकिन मैंने उनकी बात काट दी और लण्ड को हाथ में पकड़े खड़ा हुआ।
बाजी की नजरें मेरे लण्ड पर जैसे चिपक सी गई थीं।
मैं उनके चारों तरफ घूमते हुए अपने हाथ को लण्ड पर आगे-पीछे करते-करते कहने लगा- मेरी प्यारी सी बाजी मेरी बहना जी.. मैंने वैरी फर्स्ट डे भी देखा था आपको.. इसी खिड़की से.. जब आप मूवी देख कर अपने दूध को सहला रही थीं और टाँगों के बीच में हाथ फेर रही थीं।
मुझे इसका भी अंदाज़ा बहुत अच्छी तरह है कि आप 5 दिन तक सुबह से रात तक हमारे कमरे में क्या देखती और क्या करती रही हैं.. और मेरी सोहनी बाजी जी.. आज भी मैं उस वक़्त खिड़की में आया था.. जब आप बाथरूम में थीं।
मतलब ये कि आज भी मैंने देखा.. जब आप अपने दूध को दबोच-दबोच कर मसल रही थीं.. जब आप अपना अबया उठा रही थीं और जब आप अपनी खूबसूरत लंबी टांग को नंगा करके टेबल पर टिका रही थीं।’
वे सनाका खा कर मुझे हैरत से देख रही थीं।
‘और हाँ..’ मैंने हँसते-हँसते हुए कहा- जब आप अपने जज़्बात से तंग आकर अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को थप्पड़ों से नवाज रही थीं.. उस वक़्त भी मैं यहाँ ही था..
मेरी सोहनी बहन जी.. और अब आप लेडी मौलाना बनना छोड़ें.. और जो मैं कह रहा हूँ.. मेरी बात मान जाएं। मैं जानता हूँ कि आपको भी ये सब कुछ बहुत मज़ा देता है।
‘नहीं वसीम.. कभी नहीं.. मूवीज देखना या अपने हाथों से अपने आपको तसल्ली पहुँचाना एक अलग बात है और ये बिल्कुल अलहदा चीज़ है कि आप किसी और के साथ सेक्स करो और वो भी सगे भाई के साथ.. नो नो.. ये कभी नहीं हो सकता और अब तुम्हें खुदा का वास्ता है कुछ पहन लो.. मुझे इस तरह तो ज़लील मत करो..’
यह कहते ही बाजी को शायद बहुत शदीद किसम की जिल्लत का अहसास या फिर एहसासे बेबसी ने घेर लिया.. या फिर सेक्स की शदीद तलब और कुछ ना कर सकने का अहसास था.. पता नहीं क्या था कि बाजी ज़मीन पर बैठीं.. अपना सिर अपने घुटनों पर रख कर फूट-फूट कर रोने लगीं।
बाजी को रोता देखते ही मेरा दिल पसीज गया। जो भी हो वो थीं तो मेरी सग़ी बहन और मैं उनसे शदीद मुहब्बत करता हूँ।
मैंने फ़ौरन अपनी अलमारी से अपना ट्राउज़र निकाला और पहन लिया, फिर भागते हुए ही मैंने बाजी की बड़ी सी चादर उठाई और लाकर उनके जिस्म के गिर्द लपेटी.. हाथ बढ़ा कर क़रीब पड़ा उनका स्कार्फ उठा कर बाजी के हाथ में पकड़ाया और उनके पाँव को पकड़ता हुआ भर्राई हुई आवाज़ में बोला- बाजी.. प्लीज़ चुप हो जाओ.. मुझे माफ़ कर दो.. चुप हो जाओ.. नहीं तो मैं भी रो दूँगा।
और वाकयी मेरी कैफियत ऐसी ही थी कि चंद लम्हें और गुज़रते.. तो मैं भी रो देता।
मेरी बाजी ने अपना सिर घुटनों से उठाया उनकी बड़ी-बड़ी आँखें आँसुओं में भीग कर मज़ीद रोशन हो गई थीं। उनके पलकों पर रुके आँसू देख कर मेरी आँखें भी टपक पड़ीं। बाजी ने मेरी आँख में आँसू देखा तो तड़फ कर मेरे चेहरे को दोनों हाथों में थाम लिया और मेरे माथे को चूमते हुए भर्राई हुई आवाज़ में कहने लगीं।
‘नाअ.. मेरे भाई.. नहीं मेरे सोहने भाई.. कभी तेरी आँख में आँसू ना आएं.. मेरा सोहना भाई.. मेरा सोहना भाई..’
बाजी ये बोलती जा रही थीं और मेरा माथा चूमती जा रही थीं।
मेरा दिल भी भर आया था और मेरे आँसू भी नहीं थम रहे थे।
जब मेरी बर्दाश्त जवाब देने लगी तो मैंने अपने आपको बाजी से छुड़वाया और रोते हुए और अपने आँसू साफ करते हुए भाग कर बाथरूम में घुस गया।
मैं जब सवा घंटे बाद नहा कर बाथरूम से निकला.. तो अपने आपको बहुत फ्रेश महसूस कर रहा था। बाजी पता नहीं कब कमरे से चली गई थीं।
मैं भी नीचे आया तो बाजी से सामना नहीं हुआ और मैं घर से बाहर निकलता चला गया।
शाम हो चुकी थी.. मैं रात तक स्नूकर क्लब में रहा और रात 9 बजे घर लौटा तो अब्बू.. हनी और अम्मी डाइनिंग टेबल पर ही मौजूद थे।
हनी और अब्बू से मिलने के बाद मैं भी खाना खाने लगा।
अब्बू ने हनी से पूछा- रूही कहाँ है? भाई से मिली भी है या नहीं?
हनी ने कहा- अब्बू बाजी कोई बुक पढ़ रही हैं.. भाई तो दिन में ही आ गए थे.. बाजी तो घर में ही थीं.. मिल ली होंगी।
जब सब खाना खा चुके तो अब्बू ने हनी को कहा- जाओ बेटा जाकर सो जाओ.. सुबह स्कूल भी जाना है।
वे मुझसे गाँव के बारे में बातें पूछने लगे। उसके बाद वो भी सोने के लिए चले गए और मैं भी अपने कमरे में आ गया।
मैं बिस्तर पर लेटा तो सुबह बाजी के साथ गुज़ारा टाइम याद आने लगा।
फिर मुझे पता ही नहीं चला कि कब आँख लगी।
सुबह आँख खुली तो कॉलेज के लिए देर हो गई थी.. मैं जल्दी-जल्दी तैयार हुआ.. तो कमरे से निकलते हुए मेरी नज़र कंप्यूटर पर पड़ी.. तो बगैर कुछ सोचे-समझे ही मैंने पॉवर कॉर्ड निकाली और अपनी अलमारी में लॉक कर दी।
नीचे आया तो मेरा नाश्ता टेबल पर तैयार पड़ा था.. लेकिन वहाँ ना बाजी थीं.. ना अम्मी.. खैर.. मुझे वैसे ही देर हो रही थी.. मैंने नाश्ता किया और कॉलेज चला गया।
दिन का खाना में अमूमन कॉलेज के दोस्तों के साथ ही कहीं बाहर खा लेता था। शाम में 2-3 घन्टों के लिए घर में होता था.. फिर स्नूकर क्लब चला जाता था। जहाँ आजकल वैसे भी एक टूर्नामेंट चल रहा था.. और मेरा शुमार भी अच्छे प्लेयर्स में होता था.. इस वजह से रात घर भी देर से जाता.. तो अब्बू-अम्मी के साथ कुछ देर बातें करने के बाद सोने चला जाता।
आज ही अब्बू ने मुझे बताया कि ज़ुबैर एक महीने के लिए टूर पर जा रहा है गाँव के कज़न्स के साथ.. उनकी बात मैंने सुनी और सोने चला गया।
अजीब सी तबीयत हो गई थी इन दिनों.. सेक्स की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं जाता था। इसी तरह दिन गुज़र रहे थे.. सुबह नाश्ता टेबल पर तैयार मिलता था।
लेकिन वहाँ कोई नहीं होता था। अक्सर नाश्ता ठंडा हो जाता था.. जिसकी वजह से मैं आधा कप चाय.. आधा परांठा या ऑमलेट वैसे ही छोड़ कर निकल जाया करता था।
इस बात को शायद बाजी ने भी महसूस कर लिया था।
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