RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैं बिस्तर पर ही उल्टा हो कर डॉगी पोजीशन में आ गया और ज़ुबैर ने मेरी गाण्ड के सुराख और अपने लण्ड पर तेल लगाना शुरू कर दिया।
मैंने ज़ुबैर के लण्ड को अपने हाथ में लिया जो तेल से तर था और उसके लण्ड की नोक को अपनी गाण्ड के सुराख के बिल्कुल सेंटर में एंट्रेन्स पर टिका कर उससे कहा- हाँ.. अब धक्का मारो..
उसने एक ही झटके में अपने पूरे लण्ड को मेरी गाण्ड में उतार दिया.. मैं बुरी तरह से उछला.. मुझे पूरे बदन में दर्द के एक शदीद लहर उठी थी। ऐसा महसूस हुआ था जैसे किसी ने मेरी गाण्ड में लोहे का गरम जलता हुआ खंजर उतारा हो.. जो चीरता हुआ अन्दर गया हो।
मैंने चिल्ला कर कहा- भैनचोद.. किस बात की जल्दी है तुझे.. आराम से नहीं डाल सकता था?
वो डरी सहमी हुई सी आवाज़ में बोला- भाई सॉरी.. मुझे नहीं पता चला.. मैं इतना एग्ज़ाइटेड था कि कुछ समझ में ही नहीं आया..
मैंने अपनी गाण्ड में से उसके लण्ड को बाहर निकालना चाहा.. लेकिन ज़रा सी भी हरकत तक़लीफ़ में नक़ाबल-ए-बर्दाश्त इज़ाफ़ा कर रही थी.. तो मैंने ज़ुबैर से कहा- अभी इसी तरह रहना.. बिल्कुल भी मत हिलना..
वो कुछ देर रुका रहा.. फिर शायद उसे मेरी टेक्निक याद आ गई.. जो मैंने कल रात उस पर आज़माई थी.. वो अपना हाथ मेरे सामने की तरफ लाया और मेरे लण्ड को थाम कर अपने हाथ को आगे-पीछे करने लगा..
बस 2-3 मिनट बाद ही मुझे हल्का-हल्का सुरूर आने लगा और मैंने ज़ुबैर से कहा- अब लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू करो.. लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता..
उसने आहिस्ता-आहिस्ता अपने लण्ड को मेरी गाण्ड में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड की अंदरूनी दीवारों से रगड़ ख़ाता.. तो जलन तो होती थी.. लेकिन जलन के साथ ही मीठा-मीठा सा मज़ा भी आ रहा था।
कुछ देर बाद मैंने अपनी गाण्ड को उसके लण्ड के साथ ही हरकत देना शुरू कर दी।
जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड की दीवारों से रगड़ खा के बाहर निकल रहा होता.. तो मैं भी आगे की तरफ हो जाता। जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड की दीवार को चीरता हुआ अन्दर दाखिल होता.. तो मैं भी अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ दबा देता।
यह एक अनोखा मज़ा था.. जो मैंने कभी नहीं सोचा था.. बल्कि मेरे ख़याल से इस मज़े को कोई सोच ही नहीं सकता.. जब तक कि उसकी गाण्ड की अंदरूनी दीवार से कोई चीज़ रगड़ ना खाए.. कोई नहीं जान सकता उस मज़े का अहसास।
मेरी हरकत के साथ-साथ ही ज़ुबैर ने भी अपनी स्पीड तेज कर दी थी और अब उसका लण्ड एक झटके की सूरत मेरे अन्दर दाखिल होता था और जड़ तक उतर जाता था। मेरे कूल्हों और उसकी जाँघों के टकराने से ‘थप्प्प-थप्प्प’ की आवाज़ पैदा होती थी.. जो मधुर मोसिक़ी महसूस हो रही थी।
इसी साथ-साथ वो मेरे लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को भी भी तेज करता जा रहा था।
कुछ ही देर बाद हम दोनों के लण्ड ने पानी छोड़ दिया और हम वहाँ ही सीधे हो कर लेट गए।
सांस बहाल होने के बाद मैंने ज़ुबैर से कहा- अब खुश हो तुम.. अब तो तुमने मुझे चोद लिया।
वो हँस कर कहने लगा- जी भाईजान.. सगा भाई और वो भी बड़ा भाई हो.. तो उसको चोदने में मज़ा तो आएगा ही ना..
मैंने यह सुन कर उसे मारने के लिए हाथ उठाया तो वो हँसता हुआ बाथरूम में भाग गया।
उसके निकलने से पहले ही मैंने फिर अपने आपको नींद की परी के सुपुर्द कर दिया।
उस दिन के बाद यह हमारा रुटीन बन गया, हम रोज़ रात सोने से पहले एक-दूसरे के लण्ड चूसते व चुदाई करते।
फैमिली में सब हैरान थे कि हम दोनों में बहुत अंडरस्टैंडिंग हो गई है।
आज कल ना ही हम लड़ते हैं.. ना ही एक-दूसरे की कोई शिकायत अम्मी-अब्बू से लगाते हैं.. हमारी अम्मी अक्सर मेरी बहनों को नसीहत करते हुए कहने लगीं- शरम करो.. बजाए लड़ने झगड़ने के.. आपस में अपने भाईयों की तरह सुकून और अमन से रहो.. और हम अपनी अम्मी की इन बातों को सुन कर मुस्कुरा दिया करते थे।
अगले हफ़्ते.. ज़ुबैर अपने स्कूल एनुअल ड्रामा क्लब फंक्शन में था। वो सिर्फ़ लड़कों का स्कूल है.. और ज़ुबैर को ड्रामे में लड़की का रोल करना था.. तो उसने अपने चेहरे को लड़कियों की ड्रेसिंग के साथ मेकअप किया और साथ ही एक बड़े बालों की विग भी लगाई..
उसके सब क्लास फैलो उस पर जुमले कस रहे थे और सीटियाँ बजा रहे थे.. क्योंकि वो वाक़यी एक बहुत सेक्सी सी लड़की लग रहा था। उसने नॉर्मल से हट कर ऐसा स्टफ यूज किया था।
उसके नक़ली मम्मे ऐसे लग रहे थे.. जैसे किसी ट्रिपल एक्स मूवी की हिरोइन यानि किसी पॉर्न स्टार के मम्मे हों।
बाहर हॉल में ड्रामा खत्म होने के बाद मैंने ज़ुबैर से कहा- अपना ये गर्ल वाला स्टफ अपने साथ घर ले आना।
उसने कहा- भाई, यह बहुत मुश्क़िल है..
मैंने उससे ज़िद करके कहा- यार कम से कम विग तो छुपा ले.. बाक़ी चीजें तो हमें घर से ही मिल जाएंगी।
फिर जब वो घर आया.. तो वो बहुत खुश था कि विग छुपा लाने में कामयाब हो गया था।
कुछ दिन बाद ही हमें ऐसा मौका मिला कि घर में सिर्फ़ हम दोनों ही थे। मैंने ज़ुबैर से कहा- आज ज़रा लड़की बनो यार..
‘ओके..’
हम दोनों अपनी बहनों के कमरे में गए और उनके ड्रेस देखना स्टार्ट कर दिए। तमाम कॅबिनेट लॉक थे.. लेकिन कुछ देर की मेहनत से हमें एक क़मीज़ सलवार का सूट टेबल के पीछे पड़ा मिल गया.. जो शायद बेध्यानी में वहाँ पड़ा रह गया था.. जो यक़ीनन ज़ुबैर पर फिट आता।
ओलिव कलर की कॉटन की क़मीज़ पर रेड फूल प्रिंट थे.. और सलवार भी कॉटन प्लेन ब्लैक कलर की थी।
फिर ज़ुबैर वॉशिंग मशीन में पड़े गंदे कपड़ों के ढेर से एक स्किन कलर की ब्रा भी निकाल लाया.. जो हमें नहीं पता किसकी थी। उस पर 38डी का टैग लगा था.. लेकिन सूट हमें पता था कि बाजी का है।
ये चीजें लेकर हम कमरे में वापस आए।
मैंने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट कर अपने लण्ड पर हाथ चलाने लगा।
जब ज़ुबैर कपड़े उतारने लगा.. तो मैंने कहा- यहाँ नहीं यार.. बाहर से तैयार हो कर आ..
वो बाहर चला गया।
आज मैं बहुत उत्तेजित होकर अपने लण्ड को हिला रहा था और लड़के को चोदने से बोर हो चुका था।
अब मेरा मन चुदाई के लिए एक लड़की की तलब कर रहा था और ज़ुबैर लड़की के रूप में मेरी कुछ ना कुछ संतुष्टि का सबब तो बन ही सकता था।
काफ़ी देर बाद जब ज़ुबैर कमरे में आया तो मैं उससे देख कर दंग रह गया।
उसने ड्रेस चेंज करने के साथ-साथ हल्का सा मेकअप भी कर लिया था, वो बिल्कुल लड़की लग रहा था और एक खूबसूरत लड़की दिख रहा था।
उसे देखते ही मेरे जेहन में कुछ गड़बड़ सी हुई.. वो चेहरा मुझे कुछ जाना पहचाना सा लगा.. लेकिन ना मुझे याद आया और ना मैंने ज्यादा सोचा कि वो किस लड़की के चेहरे की तरह लग रहा है।
वो सेक्सी लड़की के तरह कैटवॉक करता हुआ अन्दर आ रहा था। मैं अपने आपको रोक ना सका और मैंने जाकर उससे अपनी बाँहों में भींच लिया।
मैं किसी पागल आदमी के तरह उसके होंठों को चूमने और चूसने लगा।
करीब 5 मिनट किसिंग करने के बाद मैंने उसके नक़ली मम्मों को दबाना शुरू किया। लेकिन सच ये है.. कि मुझे उन्हें दबाने में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आया।
अब हम दोनों आईने के सामने आ गए ज़ुबैर मेरी टाँगों के बीच बैठा और उसने मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया।
मैं नहीं जानता क्यों.. लेकिन रियली आईने में खुद को और ज़ुबैर को देख कर मुझे बहुत लज़्ज़त महसूस हुई, देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई लड़की मेरा लण्ड चूस रही है।
मैंने ज़ुबैर का चेहरा दोनों हाथों में थामा और उसके मुँह में तेजी से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। ज़ुबैर रुका और लण्ड को मुँह से निकाल कर बोला- भाई पानी निकालते वक़्त ध्यान रखना रूही बाजी की क़मीज़ पर कोई दाग धब्बा ना लग जाए।
मैंने उसकी बात को अनसुनी करते हुए दोबारा उसके चेहरे को लण्ड के सामने किया और उसके मुँह में फिर से अपना लण्ड डाल दिया। कुछ देर बाद ही मेरे लण्ड ने अपना सारा पानी ज़ुबैर के मुँह में उड़ेल दिया।
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने ज़ुबैर को पुकारा- चल ज़ुबैर.. अब मेरे ऊपर आ जा.. और अपना चेहरा मेरी तरफ करके मेरे लण्ड के ऊपर बैठो और अपनी टाँगें मेरी कमर के इर्द-गिर्द कर लो..
कहते हुए मैं आईने को अपने राईट साइड पर करते हुए सीधा लेट गया।
ज़ुबैर सलवार उतारने लगा.. तो मैंने कहा- सलवार मत उतारो बस नीचे से बीच में से सलवार की सिलाई उधेड़ लो.. ताकि वहाँ सुराख बन जाए और ड्रेस उतारना ना पड़े।
ज़ुबैर ने एक लम्हा कुछ सोचा और फिर वो ही किया.. जो मैंने कहा था।
फिर ज़ुबैर मेरे ऊपर आया.. मैंने लण्ड को अपने हाथ में पकड़ रखा था और सीधा कर रखा था।
ज़ुबैर ने एक हाथ से सलवार के होल को अपनी गाण्ड के सुराख से मैच किया और मेरे लण्ड की नोक पर अपने सुराख को टिका दिया और गाण्ड को मेरे लण्ड पर दबाने लगा।
मेरे लण्ड पर बैठते-बैठते उसने क़मीज़ के गले को सामने से खींच कर ज़रा नीचे कर दिया.. जिस से ब्रा का ऊपरी हिसा नज़र आने लगा।
मैंने ‘ये देखो तो…’ दिल ही दिल में अपने छोटे भाई की ज़हानत की दाद दी।
मेरा लण्ड जड़ तक ज़ुबैर की गाण्ड में दाखिल हो चुका था।
मैंने उससे कहा- अपनी विग के बाल भी अपने चेहरे पर गिरा लो..
उसने ऐसे ही किया और मेरे सीने पर अपने हाथ टिका कर अपनी गाण्ड को ऊपर-नीचे करते हुए मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में अन्दर-बाहर करने लगा।
मैं भी इन्तेहाई मज़े के कारण नीचे से झटके लगाने लगा और मैंने अपना चेहरा मोड़ कर आईने में देखा.. तो अपना सीन आईने में इतना ज़बरदस्त और वंडरफुल लगा कि मैं फ़ौरन ही अपना कंट्रोल खो बैठा और मेरे लण्ड ने ज़ुबैर की गाण्ड में ही फुहार बरसाना शुरू कर दी।
वो भी थक चुका था.. लेकिन डिसचार्ज होने के बावजूद भी मेरे लण्ड की सख्ती अभी काफ़ी हद तक कायम थी।
मैंने ज़ुबैर को ऐसे ही अपने सीने पर सिर रखने को बोला और 5-6 मिनट बाद मेरा लण्ड फिर से अपने पूरे जोबन पर आ चुका था। इसके बाद मैंने एक बार फिर उसकी चुदाई की और ये हमारी चुदाई में से अब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी।
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