RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--34
गतान्क से आगे…………………..
हम तीनों बड़ी मस्ती कर रहे थे और चाइ भी पी रहे थे ..भैया बीच में बैठे थे . मैं एक हाथ से खुद चाइ पीती और दूसरे हाथ से उनको पिलाती ...और भैया एक हाथ से मेरी चूत सहला रहे थे और दूसरे हाथ से मम्मी की चूत ..उनकी तो बस चाँदी थी....दो सब से हसीन चूत उनकी मुट्ठी में थी ...उनका लौडा उनकी पॅंट का तंबू बनाए शान से खड़ा था और मम्मी उसे पॅंट के उपर से ही सहलाए जा रही थी ...इतने कड़क लौडे को हाथ में लेना भी कितना मज़ेदार ताजूर्बा होता है ... मैने भी जल्दी चाइ पीना ख़त्म कर उनके लौडे से खेलने लगी ...
तीनों मस्ती में थे ..तभी कॉल बेल बजी ...मम्मी ने झट उठते हुए बाहर दरवाज़े के होल से झाँका ..
" लगता है आज पापा जल्दी आ गये ..." दरवाज़ा खोलते ही पापा अंदर आए और मम्मी को अपनी बाहों में ले लिया और उन्हें चूमते हुए अपने सीने से लगाए सोफे पर बैठ गये
" मेरी रानी /....मेरी कामिनी रानी ...तुम्हारे मुँह के टेस्ट से कभी जी नहीं भरता .... उफ़फ्फ़ .."और वे काफ़ी देर तक मम्मी के होंठ चूस्ते रहे .....
मम्मी उनकी बाहों से छूटने की नाकामयाब कोशिश में थी और मंद मंद मुस्कुराए जा रहीं थी ..
तभी पापा की नज़र मेरे और भैया पर पड़ी ..मैं भैया के लंड से खेल रही थी और भैया मेरी चूत से...
" वाह वाह क्या प्यारा नज़ारा है ..दोनों भाई बहेन में खूब प्यार हो रहा है ....आओ ना मेरी रानी हम भी कुछ करें ", और उन्होने मम्मी को अपनी गोद में बिठा लिया ...और उनके चेहरे पर हाथ फेरने लगे ...उनके होंठों पर अपनी उंगलियाँ फेरने ल्गे ....
तभी मम्मी ने कहा " बस बस .मेरे राजा ..ज़रा सब्र करो और अपना प्यार ज़रा बचा कर ही रखो....आज तुम्हारी फॅवुरेट साली आ रही है .ज़रा उसका भी ख़याल रखना ...."
" कौन ...मेरी तो बस एक ही साली है .... यानी पायल ..?? "
"हाँ अभय ..आज उसको तुम्हारे लंड की याद आ गयी पता नहीं क्यूँ....अभी थोड़ी देर में ही आने वाली है ....तुम दोनों जम कर चुदाई करो उसकी "
"उफ़फ्फ़ ...मेरी रानी ....फिर तो आज जश्न मनाएँगे हम सब ....ओक मैं अभी आया तैयार हो कर .."
और वह अपने रूम की ओर चले गये ...
भैया ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया था और मेरी चूचियों से खेल रहे थे ... और मैं तो उनके लौडे को सहलाए जा रही थी ..बड़ा ही रिलॅक्स्ड और मस्ती का आलाम था .
थोड़ी देर बाद पापा भी फ्रेश हो कर शॉर्ट्स और टॉप में रूम से बाहर निकले ....एक दम जवानी की जोश में थे ..आते ही उन्होने मम्मी को अपनी गोद में ले कर उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया ...भैया को मेरी चूची और पापा को मम्मी के होंठो से खेलने , चूसने और चाटने से कभी भी जी नहीं भरता ....
हम चारों मस्ती में पायल आंटी का इंतेज़ार कर रहे थे...
कितना प्यार , कितना स्नेह और एक दूसरे के लिया कितना लगाव टपक रहा था ...एक दूसरे को छूने , चूमने और सहलाने से बढ़कर अपने भावनाओं को व्यक्त करने का कोई दूसरा तरीका नहीं होता....हम एक दूसरे में खोए थे ...मस्ती करते..कभी चूमते , कभी चाट ते , कभी गले लगते ...हम चारों एक साथ जुटे थे ...
और आज तो हमारे साथ एक और हसीन सख्शियत जुड़ने वाली थी ..पायल आंटी....अब तो वो भी हमारे परिवार की ही तरह हो गयीं थी..इतनी घूल मिल गयीं थी.... सब से ...उनके आने का बड़ी बेसब्री से सब को इंतेज़ार था ..खास कर भैया और पापा को.....और क्यूँ हो..उनके चुद्ने का अंदाज़ ही कुछ और था .जी और चूत पूरा खोल देतीं थी वो ....
तभी बाहर किसी के आने की आहट हुई ..मम्मी झट उठी और दरवाज़ा खोला तो सामने पायल आंटी मुस्कुराते हुए खड़ी थी..
मैं अभी भी भैया की गोद में थी और पापा बैठे थे पर उनका लंड अभी भी कड़क था और उनके शॉर्ट से बाहर झाँक रहा था ..
मम्मी के के कपड़े भी अस्त व्यस्त थे ...पायल आंटी अंदर आईं और देखते ही कहा
"लगता है छोटा परिवार और सुखी परिवार का जीता जागता नमूना है तुम्हारा परिवार .कामिनी ...वाह क्या प्यार टपक रहा है... दोनों भाई बहेन को तो देखो ज़रा ..और जीजा जी भी अपने हथियार बाहर निकाले तैयार हैं मेरे स्वागत को......हे हे हे हे !! " पायल आंटी ने अपने चहकते अंदाज़ में कहा .
" अरे क्यूँ नहीं ..मेरी पायल रानी....आप भी तो हमारे परिवार में शामिल हो...आप हमारे परिवार के प्यार से क्यूँ अलग रहो..?? " पापा ने अपना हाथ बढ़ाया और उन्हें बड़े प्यार से अपने बगल बिठा लिया और अपने से चिपका लिया ..
पायल आंटी के आते ही वातावरण में उनकी खूबसूरती , उनकी खुश्बू और उनकी हँसी छा गयी थी ...उन्होने भी एक लो कट ब्लाउस और मिनी स्कर्ट पहेन रखा था जो अच्छी फिगर के चलते वो एक कमसिन लड़की लग रहीं थी ..... अंदर उन्होने पैंटी पहेनी थी ....बहुत ही छोटा ..सिर्फ़ चूत को ढँकता हुआ ...और पारदर्शी ..उनकी चीकनी चूत की चमक बाहर झलक रही थी ..
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