RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--32
गतान्क से आगे…………………..
घर जाने से ज़्यादा मुझे भैया से मिलने की खुशी ज़्यादा हो रही थी ..हम सिर्फ़ तीन या चार दिन ही अलग थे , पर ऐसा लग रहा था जैसे कितना अरसा हो गया उन से मिले...उनके सीने से लग उनकी बाहों में चिपकने को मैं पागल हो रही थी ..उफ्फ ...मेरी चुचियाँ उनके सीने से लगने को फडक उठी थी .....उनकी याद से निपल्स कड़क हो गये थे ....बस अब तो ये हाल था के कैसे घर पहुँचू और भैया को बीस्तर में लीटा उन्हें उछल उछल कर चोद दूँ ....
हम सुबह तड़के ही होटेल से चेक आउट हो गये ...होटेल की कार से एर पोर्ट और फिर एक घंटे के बाद हम अपने सहर के एर पोर्ट में लॅंड कर रहे थे..
लगेज कलेक्ट कर बाहर निकले हम दोनों....मेरी निगाहें दौड़ रही थी ...किसी को ढूँढ रहीं थी ..भीड़ में उसे ....और वो दीखे भैया हाथ हिलाते हुए ....मैं लगेज ट्रॉल्ली छोड़ते हुए उनकी ओर भागती हुई उन्हें अपने गले से लगा लिया.....उन्होने भी अपनी बाहों में जकड़ते हुए अपने चौड़े सीने से लगा लिया ;
" भैया ...भैया ....मैने बहुत मिस किया आप को ....."
"हाँ दामिनी मैने भी " मेरी जीन्स के उपर उनका लौडा चुभ रहा था ..
मैं झूम उठी इस मदभरी चूभन से ...
"अरे बाबा दोनों भाई -बहेन अपना सारा प्यार यही दीखाएँगे या घर भी चलना है..??" मम्मी ने मेरे गालों को हथेली से जकड़ते हुए कहा ...
और फिर हम दोनों अलग हुए और बाहें थामे कार की ओर चल पड़े ..
घर पहुँचते ही मम्मी और पापा तो अपने कमरे में चले गये ..मम्मी भी पापा के लिए बहुत पागल थी , उन दोनों का आपस में अभी भी इतना प्यार था ..कमरे में जाते ही उन्होने दरवाज़ा बंद कर लिया ..
फिर क्या था ...भैया ने मुझे अपनी गोद में उठाया और अपने कमरे में मुझे पागलों की तरह चूमते हुए बीस्तर पर लीटा दिया
"उफ़फ्फ़ दामिनी...मेरी रानी बहना ....बस अब और मुझे छोड़ कर मत जाना ..मैं मर जाऊँगा ..मेरी बहना ...मैं मर जाऊँगा ...."
बार बार मुझे चूम रहे थे और कहते भी जा रहे थे ...मेरे गालों को. मेरे चूचियों को , मेरे गले पर ...जहाँ भी मन करता मुझे चूमे जा रहे थे और मैं उनके इस प्यार की गंगा में नहा रही थी ..मेरा रोम रोम उनके इस प्यार से सिहर उठा था ...उनके एक एक हरकत से , उनके मेरे बदन छूने से प्यार टपक रहा था ..मैं निहाल थी ..
"हाँ भैया .हाँ ...मैं अब कभी भी आप को नहीं छोड़ूँगी...मैं भी तो कितनी पागल हो रही थी आप के लिए .." मैने भी उनसे और , और , और जोरों से चिपकते हुए कहा ...मैने अपने पैर उनकी चूतड़ के उपर दबाते हुए उन्हें जाकड़ लिया था और अपने हाथ उनकी गर्दन के चारों ओर ले जाते हुए अपने से बुरी तरह चिपका लिया ...
उनका लौडा इतना कड़क था ..मेरी चूत में जीन्स के उपर से ही लगता था घुस जाएगा ... हम दोनों एक दूसरे को बस पागलों की तरह चूसे , चाटे और चूमते जा रहे थे
मैं उठी और उनके पॅंट का ज़िप खोल दिया ...अपनी जीन्स और पैंटी भी उतार दी ...उनके मुँह की तरफ मेरी चूत रखते हुए उनके लौडे को अपने हाथों से थाम लिया ..उसे चूमने लगी ..अपनी आँखों के उपर लगाती रही ...
" ओह्ह्ह ऊवू मेरे प्यारे प्यारे लौडे ..अब कभी मेरी चूत से अलग नहीं होना ..समझे ..?" और मैने उनके खड़े लौडे पर हल्की थप्पड जड़ दी ..और पूरे का पूरा अपनी मुँह के अंदर लेते हुए चूसने लगी ...
भैया सिहर उठे ....उन्होने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से जकड़ते हुए मुँह में ले लिया और इतने जोरों से चूसा ..मेरा बहता हुआ रस सीधा धार मारता हुआ उनके अंदर जाने लगा ..लगातार..
मैं भी उनके लौडे को जोरों से सहलाते हुए चूसे जा रही थी ..जैसे मैं कितनी भूखी थी ...
हम दोनों सही में एक दूसरे के लिए पागल थे...बस चूस रहे थे ..चाट रहे थे..
भैया का बुरा हाल था
"हाँ ..हाँ मेरी रानी ..मेरी बहना ...उफफफफ्फ़ .....चूस ले ..खा ले ....मेरा पूरा लौडा ...हाँ मेरी जान ..पूरे का पूरा .....उफफफ्फ़ ..आज कितने दीनो बाद तेरी चूत का स्वाद ले रहा हूँ .....हाँ मेरी दामिनी ...हाँ चूस चूस और ज़ोर से चूस ..."
मैने इतने जोरों से उनके लौडे पर जीभ फिराते हुए उसे चूसा ..उनके लौडे ने मेरे मुँह में पिचकारी छोड़ दी .मैने अपने हाथों से उसे जाकड़ लिया और मुँह के अंदर ही झट्के पर झटका लेती रही ..मेरा पूरा मुँह भर गया था उनके वीर्य से ....और मैं चूतड़ उछल उछल कर उनके मुँह में झाड़ रही थी ..
दोनों एक दूसरे के भूखे अपने अपने बदन का रस निकाल निकाल कर पीलाए जा राहे थे ... एक दूसरे में समाए जा रहे थे ....मैं उनका लंड हाथों से थामें अपने मुँह में अंदर रखे उन के उपर निढाल थी और अपनी चूत उनके मुँह पर रखे अपना रस उन्हें पीलाए जा रही थी ..पिलाए जा रही थी ... ना जाने कब तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को पी रहे थे ....एक दूसरे का रस अंदर ले रहे थे ..अपनी अतृप्त भूख मिटाने की कोशिश में जुटे थे....
भैया का मुरझाया लंड मेरे मुँह में था..पर मैं उसे अपनी हथेली से पुच्कार्ते हुए धीरे धीरे चूसे जा रही थी ..उसका एक एक बूँद वीर्य मैं अपनी जीभ से चाट ती जाती...कितने दिनों बाद मिला मुझे इस अमृत जैसे रस का स्वाद ..उधर भैया भी मेरी चूत से रीस्ते पानी को सतासट जीभ से चाटे जा रहे थे ..
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