RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--28
गतान्क से आगे…………………..
इस के बाद फिर और कोई ई-मैल नहीं था भैया का....पर जितना था ..मेरे चूत को गीला करने के लिए काफ़ी था ..उफफफफफ्फ़ ..क्या सुहाग रात थी दोनों की...और क्या विस्तार से वर्णन किया था भैया ने ..जैसे सब कुछ मेरी आँखों के सामने हो रहा हो...
"ओओऊऊह भैया आइ लव यौउउउ ..... मुझे भी आप का लौडा चाहिए ,,हाआँ बस अभी ...चोदिये ना प्लज़्ज़्ज़ ...प्ल्ज़्ज़ ..जैसे मम्मी को चोदा आप ने मुझे भी ....अभी के अभी ...." मैं बोलती जा रही थी और अपनी चूत की फाँक में अपनी उंगली डाले घिसाई किए जा रही थी ..ज़ोर और ज़ोर से ...टाँगें फैलाए ...और फिर इतने जोरों से झडने लगी ....मुझे भी आश्चर्या हुआ ....आज मेरी चूत से पानी फव्वारे की तरह निकला ...ऐसा कभी कभी ही होता है मेरे साथ ...मम्मी और भैया की दास्तान ने मुझे बहुत ही ज़्यादा उत्तेजित कर दिया था ...
झडने के बाद मैं शांत हो काफ़ी देर तक लेटी रही ...और फिर उठी लंच लिया और फिर सो गयी ...आज शाम को पापा के साथ कहीं बाहर घूमने का प्लान था ..मैने सोचा थोड़ा आराम ही कर लूँ ..
शाम को पापा जल्दी आ गये आए और फिर हम दोनों तैयार हुए और लग्षुरी टॅक्सी में चल पड़े ..
"ओह मेरे दूल्हे राजा ..कहाँ ले जा रहे हो अपनी दुल्हन को ,,?? " मैने पूछा..
मैं तो बस पापा के उत्साह और उनकी फिर से आई जवानी से हैरान थी ..उनके चेहरे पर दिन भर के काम की थकान का नामो निशान नहीं था ..अभी भी फ्रेश लग रहे थे और चहकते हुए उन्होने कहा
" अरे चलो तो सही मेरी दुल्हन रानी ...ऐसी जागेह जहाँ सिर्फ़ मेरी दुल्हन हो .. मैं हूँ और बस तीसरा कोई नहीं ..." और कहते हुए उन्होने मुझे अपने से चिपका लिया और मुझे चूम लिया ..
" लो आप भी ना ..अगर ऐसी जागेह जानी थी तो अपना होटेल का रूम क्या बुरा था .." मैने उन्हें छेड़ते हुए कहा ..
" बुरा था मेरी जान ..मेरी दुल्हन रानी..बुरा था ...खुली हवा हो... सामने फैला हो अतः और विशाल सागर ..और एक किनारे सिर्फ़ हम दोनों ..क्या रूम में ये माहौल होगा ..?"
" ऊवू ..हाउ रोमॅंटिक ....मेरे दूल्हे राजा इतने रोमॅंटिक हैं ..मैने आज ही जाना ..."
उन्होने मेरी चूचियों से खेलते हुए कहा " बस देखती जाओ रानी ...तुम्हें और क्या क्या जान ने को मिलेगा अपने दूल्हे राजा के बारे ..."
हम लोग ऐसे ही छेड़ छाड़ करते सी बीच पहुच गये ....
हम दोनों एक दूसरे का हाथ थामे बीच की भीड़ भाड़ से दूर निकलते हुए एक चाट्टान की तरफ पहुँच गये ..जागेह बिल्कुल सुन सान था ..आस पास कोई नहीं ...चाट्टान पर पीठ टीकाते हुए दोनों एक दूसरे से चिपकते हुए बैठ गये ..बिल्कुल कोई नौजवान और ताज़ा ताज़ा शादी शुदा पति-पत्नी की तरह ..मैं भी नयी नवेली दुल्हन बनी थी और पापा तो बस दूल्हे राजा से भी ज़्यादा दूल्हा बने थे ..एक दम हनिमून का माहौल था.
दोनों पैर फैलाए . एक दूसरे की टाँगों पर अपनी टाँगें रखे बैठे थे ....सागर की लहरें हमारे पैर छूते हुए वापस लौट जातीं ..जैसे हमें अपना सलाम दे रहीं हों ...तलवे पर सागर के पानी के छूने से एक अजीब ठंडक और सिहरन सी महसूस होती ...सही में बड़ा रोमॅंटिक माहौल था ...
"दामिनी ..." पापा ने बड़े प्यार से मेरे चेहरे को अपनी ओर खींचते हुए कहा
" हाँ पापा .." मैने उनके चेहरे से अपना चेहरा लगाते हुए कहा
"कितना अच्छा लग रहा है ना ..??"
"हाँ पापा ..बहुत अच्छा .लग रहा है..बिल्कुल हनी मून का माहौल है.." मैने उनके लौडे को उनके पॅंट के उपर से सहलाते हुए कहा ..जो पॅंट के अंदर ही अंदर कड़क हो रहा था ..
पापा सिहर उठे ..उन्होने मुझे और करीब खींच लिया ..मेरी चूचियों सहलाते हुए कहा
" हाँ दामिनी ..तुम्हारे साथ साथ तो मैं बिल्कुल जवान हो गया ...बिल्कुल हनिमून का मज़ा आ रहा है ..आइ लव यू ..लव यू सो मच ....मैं कितना लकी हूँ तुम्हारे जैसी समझदार बेटी मुझे मिली .." और उन्होने मुझे अपनी गोद के उपर खींच कर बिठा लिया ...दोनों के च्चेहरा आमने सामने था ,,
" मैं भी तो लकी हूँ पापा ..आप के जैसे आज़ाद ख़यालों वाला कोई है दूसरा डॅड ??" मैने अपनी स्कर्ट उठाते हुए पापा के लौडे पर अपनी चूत घिसते हुए कहा ..
अब तक दोनों की साँसें बहुत तेज़ हो गयीं थी ..पापा का लौडा पॅंट के अंदर ही तंबू बनाए लहरा रहा था ...उन्होने पॅंट के ज़िप खोल दिए और लौडा बाहर निकाल दिया ...
मैने भी अपनी पैंटी उतार दी ...मेरी चूत नंगी थी ...और मैं अपनी नंगी चूत से पापा के लौडे को घिस रही थी ..
"ऊऊऊओ..दामीनिूओ ......अयाया ..हाां " पापा सिसकारियाँ ले रहे थे और मेरा घिसना तेज़ और तेज़ हो रहा था ..पापा ने मेरे टॉप के बटन्स खोल डाले और ब्रा से मेरी चूहियों को आज़ाद करते हुए मुँह में ले चूसने लगे ..
मेरी मस्ती ज़ोर और ज़ोर पकड़ती गयी ...चूत से पानी बह रहा था ..उनके लौडे से पानी निकल रहा था ..
दोनों दुनिया से बेख़बर एक दूसरे में खोए थे ..सागर की लहरें हमें सलाम कर रही थी ..जैसे नयी जोड़ी को आशीर्वाद दे रहा हो...
मेरा घिसना और पापा को चूसना ज़ोर पकड़ता जा रहा था ...अचानक घिसते घिसते मेरी चूत पापा के लौडे के अंदर फतचक से घुस गयी ..ये इतना अचानक हुआ मैं सिहर उठी ....पापा भी बुरी तरह सिहर गये ,,उन्होने मुझे और भी जोरों से चिपकाते हुए मेरे होंठ चूसना शुरू कर दिया ..बुरी तरह ..
मैं उन्हें चोदे जा रही थी ..खुली हवा में ...सागर की लहरें बाहर पैरों से टकरा रही थी और मेरी चूत की लहरें मेरे दूल्हे की लौडे से ...उफफफ्फ़ इतनी मस्ती थी ..और दूल्हे राजा की ल़ाहेरदार जीभ मेरे मुँह में दौड़ रही थी ,
आआआः खुले में चुदाई का भी एक अलग ही मज़ा होता है ...
मेरी चूत उनके लंड के जड़ तक जा रही थी ..मैं बैठती और उठती , उनके लौडे पर ...
पापा आँखें बंद किए बेटी से चुद रहे थे और बेटी सटा सॅट ..फका फक चोदे जा रही थी ..
मेरे धक्के बहुत तेज़ हो गये थे ..और मैं हानफते हुए "ओओऊऊऊऊऊऊह ....उईईईईई पपाााआआ ...." की चीख लगाते हुए उनके लौडे को अपनी चूत से जकड़ते हुए उनके सीने में अपना सर रखे उनकी कमर को जकड़ते हुए उन से लिपट गयी ..और चूत लौडे पर रखे रखे ही जोरदार झडने लगी ....पापा का लौडा मेरे चूत रस से नहा रहा था ....पापा ने भी मुझे जकड़ते हुए मेरी चूत के अंदर ही अंदर लौडे को झट्के पे झटका देते हुए लगातार झाड़ रहे थे ...
हम दोनों एक दूसरे से चिपके हाँफ रहे थे , एक दूसरे की सांस अंदर ले रहे थे ... और सागर हमारे इस प्यार पर अपनी लहरो से खुशी ज़ाहिर कर रहा था ..
हम दोनों काफ़ी देर एक दूसरे से चिपके हुए पड़े रहे ...एक दूसरे के बदन से खेलते रहे ..छेड़ छाड़ करते रहे ...सागर की लहरें अपनी मस्ती में थी ..और हम अपनी मस्ती की लहरो में थे...एक दूसरे में खोए हुए ...दो जवान दिलों की तरह ...बेपरवाह ..
काफ़ी अंधेरा हो चुका था ...इतनी मस्ती का आलम था ..वहाँ से उठने का दिल ही नहीं करता ..पर मजबूरी थी ...
|