RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--27
गतान्क से आगे…………………..
दुल्हन ने मेरी आँखों के सामने चुटकी बजाते हुए कहा " दूल्हे राजा ....हाई ऐसे क्या देख रहे हो...मुझे शर्म आती है...."
मैं जैसे सपने से जाग गया ..." ओह्ह ...... हाँ ..मेरी दुल्हन रानी ...तुम्हारा ये रूप जी भर देख लूँ ..शायद ये रूप फिर दूबारा देखने को ना मिले ...." और मैने उसे बीस्तर पर लीटा दिया ... उसका आँचल उसके शरीर से हट कर बीस्तर पे आ गया ....कमर से उपर बिना सारी के....चोली और गहने ..बस येई थे उसके उपरी बदन पर...गले में लंबा हार चूचियों की फांकों तक ... माँग में माँग टीका माथे को छूता हुआ ...कमरबन्द नाभि से नीचे और सारी के बीच की जागेह से लीपटि ..सारी के घेरे के बिल्कुल उपर ..कानों में लटकता कर्नफूल .... नाक में नथिया पतली सी .आँखों में हल्का काजल .......और होंठों पर शर्मीली मुस्कुराहट ....पैरों में पायल ... हाथों में चूड़ीयाँ ...
मुझ से रहा नहीं गया ..मैने एक झट्के में कमर के नीचे की सारी भी उतार दी ..दुल्हन ने हाथ पकड़ रोकना चाहा ..पर मैं कहाँ रूकने वाला .उसका हाथ झटकता हुआ ...उसकी टाँगें उठाई और सारी पूरी की पूरी टाँगों के सरकाते हुए बाहर कर दिया...सारी के नीचे दुल्हन पूरी नंगी थी .......
उफफफफफफ्फ़ ......दुल्हन ने अपने घूटने मोडते हुए अपना चेहरा हथेलियों से छुपा लिया //जैसे अपने शर्म-ओ-हया से बदन को ढँकने की कोशिश कर रही हो..
मैं बस देखता ही जा रहा था अपनी दुल्हन को....एक टक.....
उफ़फ्फ़ ........दामिनी मैं समझ नहीं पा रहा था ..क्या करूँ ..कहाँ से शुरू करूँ ...दुल्हन का अंग अंग एक तराशि हुई संगमरमर की मूरत थी ...मम्मी का ये रूप मैने पहली बार देखा ..दुल्हन का रूप ..
मेरी दुल्हन आँखें बंद किए अपने दूल्हे के अगले कदम का इंतेज़ार कर रही थी ..
दूल्हे ने अपने कपड़े उतार फेंके और बस टूट पड़ा ....इतने देर से ..एक एक पल के अब तक के इंतेज़ार ने उसके सब्र का बाँध तोड़ दिया था ...मैं दुल्हन के उपर लेट गया ...दुल्हन का मुलायम शरीर ..जैसे स्पंज का बना हो ..मेरे मर्दाना और कठोर शरीर के उपर आने से धँस गया था ..
मैने दुल्हन के चेहरे को अपने हाथों से थामा और उसके पतले और भरे होंठ चूम लिए ..दुल्हन शरमाई ..अपने होंठ अलग करने की कोशिश की....दूल्हे ने अपने हाथों से चेहरे को और जकड़ने की कोशिश की... पर नाक के नथिये ने मेरे होंठों के और कान की बाली ने मेरे हाथों के मचलने में रोक लगाए रखा था , दुल्हन समझ गयी .उस ने झट दोनों गहने उतार दिए ..दुल्हन का चेहरा अब नंगा था..दुल्हन ने अपने शर्म का परदा उतार फेंका था.
दूल्हा अब बेपर्दा हुए चेहरे को हथेली से थाम लिया और चूसने लगा उसके होंठ ..जैसे कई दिनों का प्यासा हो....दुल्हन ढीली पड गयी ....सिहर उठी और अपने होंठ भी खोल दिए उस ने ..मैने आपनी जीभ अंदर डाल दी और दुल्हन के मुँह का स्वाद लेना शुरू कर दिया ...दामिनी तू माने या ना माने ..पर सच बोलता हूँ ...ऐसा स्वाद था आज ..मैं बोल नहीं सकता ..दुल्हन के मुँह का ...उसके थूक और लार में शराब का नशा था ...शरबत की मीठास थी ....मैं चूस्ता रहा ....चूस्ता रहा दुल्हन की सांस टूट ने लगी .....मैं अलग हुआ ..दोनों हाँफ रहे थे...मैने फिर से उसे चूमना , चूसना शुरू किया ...
हाथों से दुल्हन की गदराई चूची मसल रहा था ...इतनी शेप्ली और मुलायम थी ... गले का हार ने उसकी खूबसूरती और ज़्यादा बढ़ा दिया था ...मुँह से उनके थूक और लार का स्वाद और हाथों से चूची को मसल्ने का रोमांच ....मैं किसी और ही दुनिया में था दामिनी...अगर स्वर्ग की अप्सरा होती होगी तो मम्मी जैसी ही होगी ....
अब मेरी दुल्हन भी शर्म की हद लाँघ चूकि थी ..उस ने भी मेरे जीभ से अपनी पतली , मुलायम और गर्म जीभ मिला दी और मेरे मुँह का दौरा चालू कर दिया ..उफफफफ्फ़ दामिनी ..दुल्हन की जीभ मेरे मुँह में लॅप लापते हुए घुसी और मुँह के अंदर हर कोने में दौड़ लगाना चालू कर दिया ...मैं भी सिहर गया ...दोनों भूखे शेर शेरनी की तरह एक दूसरे पर टूट पड़े थे ...उनका हाथ मेरे गर्दन के गिर्द चला गया और मुझे अपनी ओर खींच रहा था ....दोनों बेतहाशा चूस रहे थे ..चाट रहे थे ....हानफते हानफते ...मेरा लौडा तननाया था कड़क था ,मैं दुल्हन के जांघों के बीच उसे घिस रहा था ...दुल्हन की टाँगें खूल गयीं ....दुल्हन की चूत कांप उठी ..चूत से पानी रीस रहा था ..
पर मुझे तो आज दुल्हन का पूरा स्वाद लेना था ...उसके मुँह से मैं अपने होंठ हटाया और दुल्हन की चूची पर लगा दिया ..पपीते जैसी चूची ..लंबी निपल्स ..कड़ी निपल ..मुँह भर लिया और हाथ से दबाता हुआ जोरों से चूस रहा था अपनी माँ की चूची ......दुल्हन ने भी मेरे सर को पीछे से जाकड़ते हुए अपनी चूची पर जोरों से लगा दिया ...'ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..राजा ..मेरे दूल्हे रजाआआआआआआआआआआआआआआआ ...हाअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चूसो ...खा जाओ .....उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.." दुल्हन ने अब सारी लाज लिहाज ताक पर रख दिए थे ..अब उसके और मेरे बीच सिर्फ़ उसके गहने थे ....चूड़ियों की खनक ....पायल की झंकार ....उउफ़फ्फ़ और दुल्हन की सिसकारियाँ ....मैं ताबड़तोड़ चूस रहा था ..".पच ..चॅप ..पुकच्छ ..." की आवाज़ लगातार आ रही थी...
दुल्हन की चूड़ीयाँ मेरी पीठ पर गढ़ रही ठेए ...ये गहना भी उस ने उतार फेंका ..हाथ नंगे हो गये ...
मैने अपने होंठों को चूचियों से हटाया और पेट पर लगा दिया ..मक्खन जैसा मुलायम और सफेद ....बिल्कुल चिकना ..कहीं भी लेश मात्र बाल नहीं ..मेरे होंठ और जीभ फिसल रहे थे दुल्हन के पेट पर ..मैं चाटे जा रहा था ..अपने थूक और लार से गीला कर रहा था और फिर चाट जाता ..मैं पागलों की तरह कर रहा था आज ..दुल्हन को जैसे अपने में समा लेना चाह रहा था ..उसका स्वाद हमेशा के लिए अंदर लेना चाह रहा था ..दुल्हन कराह रही थी ..सिसकारियाँ ले रही थी ..चूतड़ उछाल रही थी घुटि घुटि आवाज़ से चिल्ला रही थी " उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ..बस बसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...ऊवू मैं मर जाउन्गि .....हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई...."
पर मैं तो इतने देर से उसके शरीर का भूखा था ..पूरा स्वाद लिए बिना कैसे छोड़ता ..?? मैं पेट से नीचे आया नाभि पर ...पर वहाँ कमरबन्द का परदा लटक रखा था ...दुल्हन ने ये परदा भी हटा दिया ...उसकी कड़ी खोल दी.....उसे नीचे फेंक दिया ..अब पूरी तरह नंगी थी मेरी दुल्हन .... दामिनी मेरी रानी .....नंगी मम्मी जितना सुंदर और आकर्षक लग रही थी ..अपने अच्छे से अच्छे ड्रेस में भी नहीं लगी कभी..क्या फिगर है ..एक दम सुडौल ..हर जागेह मांसल पर ज़रा भी बेढब नहीं ..कहीं भी गोलाई नहीं ...तराशि हुई मूर्ति ..स्वर्ग की अप्सरा ...मुझे छूने में भी डर लग रहा था ..मैं उसे निहारे जा रहा था...उसकी चाबी हमेशा के लिए आँखों में क़ैद करने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था..
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