RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी क्या बताऊं आज मम्मी अपने पूरे फॉर्म में थी ..मैने उनका ऐसा रूप कभी नहीं देखा ..पहले मुझ से हमेशा चिपकी रहतीं थी और आज हाथ भी लगाना मुश्किल हो रहा था ..मैं बेचैन था ...मेरा लंड फूँफ़कार रहा था ...अंग अंग उन से लिपटने को बे करार था ..तड़प रहा था ...उफफफ्फ़ ..दामिनी ..खास कर पायल आंटी के यहाँ से आने के बाद तो एक दम ही बदली बदली नज़र आ रही थी मम्मी ..तन से और मन से भी ..
जब मैने उन्हें गले लगाया था मुझे लगा मेरे हाथ फिसल जाएँगे इतना चीकना था सारी के अंदर भी ..चेहरे पर एक भी बाल नहीं थे ....एक दम चिकनी और चमकती हुई ..लगता है उन्होने वहाँ कुछ फेशियल वग़ैरह करवाया था ...कितना हौसला था उनमें आज ..... कितना अरमान था मम्मी को आज दुल्हन बन ने का ...मैने भी सोच लिया था उनके जीतने अरमान थे आज के लिए मैं पूरे करूँगा ...उन्हें एक ऐसा तज़ुर्बा दूँगा , उन्हें पापा के साथ सुहागरात नहीं मनाने का गम हमेशा के लिए हटा दूँगा ..हाँ मम्मी ..हाँ ..
और मैने भी अपने बाथरूम में जा कर हॉट शवर लिया ..और फ्रेश हो कर ...दूल्हे का ड्रेस ( ज़ारी डर कुर्ता और चूरिदार) पहन मम्मी के दरवाज़ा खोलने का इंतेज़ार करता रहा ..
10 मिनिट...15 मिनिट ...उफफफफ्फ़ .क्या कर रही है मेरी दुल्हन ....मुझे मार डालेगी .....20 मिनिट .....मेरा धीरज टूटा जा रहा था ..मन कर रहा था दरवाज़ा तोड़ दूं ....25 मिनिट ...मैं उठा और दरवाज़ा खत खटखटाया " ऊवू मेरी दुल्हन रानी ...दूल्हे राजा तुम्हारे इंतेज़ार में दूब्ले हो रहें हैं ...कहीं धक्के में ताक़त कम ना पड जाए ...प्लज़्ज़्ज़ अब खोलो ना ..."
दामिनी तुम समझ सकती हो मेरी क्या हालत हो रही होगी ...अंदर से आवाज़ आई " हाईईईईईईईईईईईईईईईईई...... .कितने बेशरम हो दूल्हे राजा .... इतनी बेसब्री तो ना करो ..बस थोड़ी देर और मेरी जान..."
क्या बताऊं दामिनी .मम्मी ने जिस अंदाज़ में कहा ना ..मन तो किया के अब और नहीं बस दरवाज़ा तोड़ ही डालूं ...
ठीक 5 मिनिट के बाद आवाज़ आई " दूल्हे राजा ..बाहर क्यूँ खड़े हो ..दरवाज़ा खुला है .....अंदर आ भी जाओ ना ....प्लज़्ज़्ज़..." और उनके खन खनाती हँसी की आवाज़ भी ...
मम्मी के इस अंदाज़ ने मुझे पागल कर दिया ...उन्होने चूपके से दरवाज़ा पहले से ही खोल रखा था और मैं समझ रहा था दरवाज़ा बंद है ...आज तो मम्मी पूरी तरह दुल्हन के सारे नाज़ नखरों से लैस थी ..इस के कारण मेरी बेचैनी और बढ़ती जा रही थी ... उनके अगले कदम की उत्सुकता से मरा जा रहा था मैं ..धीरे से दरवाज़े का पल्ला खोला और अंदर दाखील हुआ ...
कमरे में बहुत हल्की रोशनी थी ..मुझे पहले तो कुछ दीखाई नहीं दिया ..फिर आँखें इस कम रोशनी में अड्जस्ट हुई ...मैं बस देखता ही रहा ..दुल्हन ने रूम भी दुल्हन की तरह सज़ा दिया था ...पलंग में फूल बीखरे थे ...दीवालों पर वोई पायल आंटी के यहाँ वाले खजुराहो की तस्वीरें ...और पलंग के एक कोने में दुल्हन लाल सारी पहने घूँघट डाले बैठी थी ...क्या माहौल था दामिनी ...पूरा कमरा एक अजीब मदमस्त खुश्बू से भरा था ..फूलों की और दुल्हन की ..दोनों की मिली जुली खुश्बू ...मैं पागल हो रहा था ..आज मम्मी सही में कयामत ढा रही थी मुझ पर ...
दुल्हन की पीठ थी मेरी ओर , पीठ पूरी ढँकी थी सारी से , सर के उपर घूँघट , सर झूका ...शर्म और हया की मूरत बनी बैठी थी दुल्हन ..
मेरा दिल धड़क रहा था, मैं इस माहौल में इस तरह खो गया था मुझे ऐसा अहसास हुआ ये मेरी असली सुहाग रात है और मैं अपनी व्याही दुल्हन के पास जा रहा हूँ...
मैं उनके बगल उन से चिपक कर बैठ गया ...दुल्हन फ़ौरन थोड़ा सरक गयी ....मैं फिर और खिसक गया और उनकी घूँघट हल्के से खींचते हुए कहा " दुल्हन रानी .... अब शर्म कैसी ..??आज तो शर्म और लिहाज की हद तोड़ दो ..." और मैं उन्हें उनके कंधों से थामता हुआ उनका चेहरा और बदन अपनी ओर खींच लिया ........ दुल्हन का ऐसा रूप सामने था......मैं एक टक निहार रहा था अपनी दुल्हन को ....दामिनी ..दामिनी मेरी रानी ..उफ़फ्फ़ क्या बोलूं ..मेरी नज़रें हट ही नहीं रहीं थी ...
लग रहा था बस खजुराहो की तस्वीरों से निकल सीधे मेरे पास आ गयी हो....मम्मी तो वैसे भी सुंदर हैं और उनके फिगर ने और भी कमाल कर दिया था ...
बिल्कुल सारी पह्न ने का ढंग भी वैसा ..नाभि से नीचे ...पतली सी चोली ..और गहनों से लदी ....नज़रें झूकि ....दामिनी ..मैं बस आँखें फाड़ उन्हें देखे जा रहा था ...
क्रमशः……………………..
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