RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--24
गतान्क से आगे…………………..
पापा ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया ...और बस मुझे अपने सीने से लगा लिया ...मैं गाउन के अंदर बिल्कुल नंगी थी ...गाउन भी पतला सा ही था ...पापा मेरे नंगे बदन को अपने सीने में महसूस करते ही पागल हो उठे .....मेरी गदराई चुचियाँ , उनके सीने से चिपकी थी ,उनकी हथेली मेरी चीकनी चूत पर फिसल रही थी ..मैं कांप उठी ..पापा की बेताबी साफ झलक रही थी....वे अपनी जवान बेटी को सीने से लगाए खुद भी जवानों की बेसब्री दिखा रहे थे ....मैने नयी नवेली दुल्हन का रूप ले लिया और उन्हें अपने हाथ से हल्के से धकेलते हुए अलग किया
" हाई ..इतनी बेसब्री क्यूँ है दूल्हे राजा ..अभी तो पूरी रात बाकी है ..... "
" उफफफफ्फ़..मेरी रानी इतना तो ना तडपाओ ..इस रात का हमें कितना इंतेज़ार था ...आओ ना रानी ...अब और सहा नहीं जाता .."
उन्होने मुझे फिर से जाकड़ लिया और अपने सीने से लगा लिया ...मैने उन्हें फिर से अलग किया ...बीस्तर तक पहुँचते पहुँचते तीन चार बार येई चलता रहा ..दोनों हाँफ रहे थे ...काफ़ी एग्ज़ाइटेड थे ..
बिस्तर पर हाफते हुए दोनों अगल बगल बैठे थे
फिर मैने देखा उनके एक हाथ में पोलिथिन बॅग लटक रहा था ..
मैने उनके हाथ से बॅग झटक लिया , खोल कर देखा ,मेरी आँखें चमक उठी ..
उस के अंदर लाल सारी थी , जैसी सारी दुल्हन सुहाग रात में पहन्ति है ...
अब तक पापा की जवानी का दौरा कुछ कम हो गया था ...
"कैसी लगी सारी दामिनी रानी..?' पापा ने पूछा ..उनकी सांस अब नॉर्मल थी .
" ऊवू पापा ...यू आर छो च्वीत ...आज तो बस असली सुहाग रात मानेगी हमारी ...."
"हाँ रानी ..मैं खुश नसीब हूँ ..मेरे खोए हुए सुनहरे पल आज मुझे फिर से मिलने वाले हैं."
और उन्होने फिर से मुझे अपने सीने से लगाया और मेरे होंठ बुरी तरह चूसने लगे ..मैं उनके हाथों में छाटपटा रही थी ..काफ़ी लंबा किस था ...जैसे वे मुझे अपने अंदर समेट लेना चाहते हों ...
मैने उन्हे धक्का देते हुए अलग किया ..पापा आज अपनी पूरी जवानी के जोश में थे ..हम दोनों फिर से हाँफ रहे थे ..
" उफफफ्फ़ मेरे दूल्हे राजा ..आज लगता है अपनी दुल्हन को खा जाओगे .."मैने दुल्हन की तरह शरमाते हुए कहा ..
" हाँ रानी आज तुम्हारा रस पीना है और चूत खानी है ...बस तुम तैयार हो जाओ ... मैं शवर ले कर आता हूँ ...अगर तुम्हें खाना हो तो ऑर्डर कर दो ..मुझे तो बिल्कुल भूख नहीं.." और पापा बाथरूम में घुस गये ..
मैने भी देर से लंच लिया तहा ..मुझे भी खाने की भूख कहाँ थी ..भूख थी बस अपने दूल्हे राजा के तननाए लंड की ..
मैने वो सारी निकाली और दुल्हन की तरह सारी लपेट .. घूँघट ताने बीस्तर पर अपने दूल्हे राजा का इंतेज़ार कर रही थी ..बड़ी बेसब्री से.... ..
इतनी बेसब्री और उत्सुकता से इंतेज़ार आज तक नहीं किया था मैने ...कुछ ऐसा माहौल बन गया था पापा की हरकतों से , मैं सही में अपने आप को एक नयी नवेली दुल्हन समझ रही थी ...आनेवाले मज़ेदार , मस्ती भरे पलों के रोमांच से मेरा सारा बदन सिहर उठा था ....
तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और मेरे दूल्हे राजा बाहर आए ... मैं बस आँख फाडे देखती रही ....पापा ने भी दूल्हा बन ने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी ...सिल्क का कुर्ता और चूड़ीदार पहेन रखा था उन्होने ..पता नहीं बाथरूम में कहाँ छुपा रखा था उन्होने ये ड्रेस ...
उनके लंबे , मस्क्युलर बॉडी में कितना फब रहा था ये ड्रेस...उनका चौड़ा सीना , कसरती बदन , उनके कुर्ते के अंदर से झलक रहा था ..मैं उन से गले लग चिपकने को बेताब थी ...किसी और दिन तो मैं सीधा उनकी गोद में उछलते हुए समा जाती ...पर आज तो मैं दुल्हन थी ...शर्म और लिहाज की मूरत ...मैं बस बेसब्री से अपने दूल्हे राजा के अगले कदम का बेचैनी से इंतेज़ार कर रही थी .
मेरे दूल्हे राजा धीरे धीरे हल्के कदमों से मुस्कुराते हुए मेरी ओर बढ़े और मेरे बगल में बैठ गये ..मेरी पीठ उनकी ओर थी ...उन्होने मेरे कंधे पे हाथ रखा ...पता नहीं मुझे क्यूँ ऐसा लगा ..शायद माहौल का असर हो....यह फिर मेरे दूल्हे राजा के हाथ रखने का कमाल....मुझे लगा किसी मर्द ने मुझे पहली बार छुआ हो..मैं कांप उठी ..मेरी सांस तेज़ हो गयी ...अगले कदम की उत्सुकता से ..जाने क्या होगा आज ...उफफफफफफ्फ़ बड़ी बेचैनी थी ..
उन्होने मुझे अपनी तरफ घूमाया , घूँघट उठाया और मेरे चेहरे को बस निहारते रहे..
मैं भी दुल्हन थी आज .....पूरे शर्म -ओ-हया के लिबास से लैस ...मेरी नज़रें झूकि थी ..
" मेरी रानी नज़रें तो उठाओ ना .....अपनी बड़ी बड़ी आँखों से देखो मुझे ... और देखो मैं क्या लाया हूँ ..."
उन्होने अपने कुर्ते के पॉकेट से एक सुनेहरा खूबसूरत जेवएलेरी का डब्बा निकाला उसे खोला , मेरी ठुड्डी उठाते हुए मेरा चेहरा उपर किया ..सामने हीरे से जड़ी चम चमाति गोलडेन नेकलेस थी ..पतली सी ...
मेरी आँखों में हीरे सी चमक थी
फिर उन्होने मेरे आँचल को सर से हटाया ..मेरा गला नंगा था ...और नेकलेस मेरे गले में डाल डी ...नेकलेस की ठंडक गले में महसूस हुई और उनके हाथों के प्यार की गर्मी ..उफफफफ्फ़ ...मेरा सीना कांप उठा ... चुचियाँ फडक उठी ..
मैने अपने दूल्हे के कंधे पर अपना सर रख दिया और धीरे से कहा " थॅंक्स पापा ..लव यौउउउ सूओ मच ... " और ऐसे ही कंधे पर अपना सर रखे रही ..कितना अच्छा लग रहा था जैसे मुझे सच में इतना प्यार करनेवाला पति मिल गया हो...
" हाँ दामिनी ..मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ..बहुत .." उनके हाथ मेरे पीठ सहला रहे थे..और मेरी सारी सरक्ति जा रही थी कमर से नीचे ...
मेरी सारी कमर तक खूल गयी थी .मैं उपर सिर्फ़ पतले से ब्लाउस में थी ..सीना बिल्कुल नंगा और दोनों चूचियों के बीच की फाँक मेरी लंबी लंबी साँसों से कभी सिकुडति तो कभी फैल जाती और उनके बीच मेरा हीरे का नेकलेस ...मेरे दूल्हे राजा की आँखें फटी की फटी रह गयीं ...उन्होने ऐसा नज़ारा आज तक नही देखा तहा ...मैने भी उन्हें एक नयी नवेली दुल्हन का मज़ा देने की ठान ली थी..
मैने उनके कंधे पर फिर से सर रखा और अपने हाथ पीछे करते हुए उनके हाथ पीठ से हटाने की नाकामयाब कोशिश करते हुए कहा ..." ये क्या कर रहे हो...आप बड़े बेशरम हो...."
" हाँ मेरी दुल्हन रानी ..आज की रात तो सारी लाज शरम भूल जाओ ....." और उन्होने मेरे चेहरे को अपने हाथों से थाम अपने करीब लाया और मेरे होंठ चूम लिए ..पहले तो धीरे से फिर धीरे धीरे उनका मेरा होंठ चूसना ज़ोर पकड़ता गया ..और जीभ भी अंदर जा रही थी ..
उनके चूमने का अंदाज़ क्या निराला था ..मैं दुल्हन बनी अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की ..पर इतनी बेताबी , इतनी मस्ती , इतना तड़प और सिहरन थी उनके चूमने में ..मैं कोशिश कर भी अपने आप को रोक नहीं पाई और मेरे हाथों ने भी उन्हें जाकड़ लिया और मेरा मुँह अपने आप खूल गया ...उफ़फ्फ़ ...दुल्हन ने अपनी शर्म-ओ-हया ताक पर रख दी थी ...
हम एक दूसरे को अब पागलों की तरह चूम रहे थे , एक दूसरे की जीभ चाट रहे थे , मुँह के अंदर जीभ दौड़ रही थी , एक दूसरे का स्वाद ले रही थी ..और इसी बीच उन्होने मेरा ब्लाउस भी खोल दिया और ब्रा तो मैने पहनी ही नही थी ..मैं उपर बिल्कुल नंगी थी ..सिर्फ़ गले का हार था ...जिसकी चमक ने मेरे सीने के नंगेपन को और उभार दिया था ..
पापा ने अपना कुर्ता उतार दिया , उनका नंगा सीना मेरी चूचियों को दबा रखा था और हम एक दूसरे से चिपके लगातार चूमे जा रहे थे ....हाँफ रहे थे ..साँसें लंबी चल रही थी , पर फिर भी एक दूसरे के स्वाद से जी नहीं भर रहा था ..उफफफफ्फ़ ..आज पापा सही में दूल्हे राजा थे और मैं उनकी दुल्हन नयी नवेली दुल्हन ...हमारा थूक , लार सब कुछ हम चूस रहे थे , चाट रहे थे ...अपनी प्यास मिटा रहे थे..
फिर पापा ने मुझे चूमना जारी रखते हुए पलंग पर लिटा दिया ...आज मैं तो दुल्हन थी , मैं आँखें बंद किए बस उनकी हर हरकतों का मज़ा ले रही थी ...हमारी जांघों के बीच अपनी जंघें रख मेरी जांघों के बीच अपने चूरिदार के उपर से ही तननाए लौडे से घिस रहे थे ...ना मैने अंदर कुछ पहन रखा था ना उन्होने ...उनके लौडे और मेरी चूत के बीच सिर्फ़ उनका पतला चूरिदार और मेरी पतली सारी थी ..उफफफ्फ़ लग रहा था जैसे उनका लौडा नंगा हो और मेरी चूत नंगी...
चूत मेरी घिस रही थी , होंठ मेरे चूसे जा रहे थे और चुचियाँ सीने से रगडी जा रही थी .....दुल्हन तीन तरफ़ा मार झेल रही थी ..कांप रही थी ..सिसक रही थी , कराह रही थी..दुल्हन थी ना ..मैं जोरों से कुछ बोल भी नहीं सकती थी ना .... शर्म का जामा पहने थी मैं ....मेरी सारी गीली थी ..लगातार चूत से पानी रीस रहा था ...
लौडे का कडपन बढ़ता जा रहा था मैं महसूस कर रही थी , घिसाई से , इतना कड़ा लौडा आज तक ना मैने पापा का देखा था ना भैया का....लगता था पापा दूल्हे दुल्हन के खेल से बहुत ही ज़्यादा एग्ज़ाइटेड थे ...और मैं उनके लोहे जैसे कड़े लॅंड की घिसाई से बार बार तड़प रही थे ..मेरा चूतड़ उछाल रहा था ....इतना ज़्यादा एक्सिट्म्नेट था मुझे सिर्फ़ घिसाई से ..
मेरे अंदर की औरत ने जीत हसील कर ली ..दुल्हन का जामा उस ने उतार फेंका और दुल्हन लिपट गयी अपने दूल्हे से और कराह उठी " हाँ ..हाँ राजा ..मेरे दूल्हे राजा ..उफ़फ्फ़ चूसो ..घिसो ,,उउउहह ..उईईइ .""
और मैने शर्म लिहाज को ताक पर रखते हुए पापा के चूरिदार का नाडा एक झट्के में खोल दिया और उसे खींच कर नीचे कर दिया ..पापा नंगे थे उनका लौडा लहरा रहा था ...बची कूची कसर मेरे दूल्हे ने पूरी कर दी ...मेरी सारी कमर से नीचे खींच दी ..दूल्हा दुल्हन नंगे थे ...दूल्हे को दुल्हन की स्वाद का मज़ा अभी तक पूरा नहीं हुआ था ...अभी भी मेरे होंठ चूसे जा रहा था ...उफफफ्फ़ मेरी सांस फूल रही थी ..पर उनका चूसना जारी था ..मैने उनका लौडा अपने हाथों में थाम लिया और सहलाने लगी ...कितना कड़ा था , कितना गर्म , कितना मोटा ....दूल्हे राजा सिहर उठे मेरे गर्म हथेलियों के जकड़न से ...उनके लौडे से भी लगातार पानी मेरी हथेली में रीस रहा था ...
चूत से पानी रीस रहा था ,लौडे से भी रस टपक रहा था और मुँह से थूक और लार , हम पानी पानी थे , अपने प्यार के रस से सराबोर ....
एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे को महसूस करते हुए ..शायद मेरी जिंदगी का ये सब से ज़्यादा हसीन पल था.....मैं इसे हमेशा के लिए क़ैद कर लेना चाहती थी ..मैं आँखें बंद किए उनसे चिपकी लौडा सहलाते हुए उनके बदन का स्पर्श को अपने बदन के अंदर ले रही थी ..उनसे और ज़ोर और जोरों से चिपकते हुए ..हमारी एक एक हड्डी एक दूसरे से चिपकी थी ...
दूल्हे राजा ने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में लगा दी , और चूत की फांकों के बीच घिसने लगे , मेरी टाँगें अपने आप फैल गयीं ..चूत की फाँक फड़कने लगी ...टाँगें कांप उठी ..ये मेरे लिए उनका आखरी हमला था ..." उफफफफफ्फ़ ..दूल्हे राजा ..अब और नहीं ...मैं अब नहीं से सकती ..उफफफफ्फ़ कुछ करो ......आअहह ,,हे भगवान ये क्या हो रहा है ......"
क्रमशः……………………..
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