RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--21
गतान्क से आगे…………………..
मैं ज़्यादा देर टिक नहीं पाई और अपनी चूतड़ जोरों से उछालते हुए पानी का फवारा उनके लंड पर छोड़ते हुए झाड़ रही थी .भैया भी उसी समय मेरे फव्वारे की धार से सिहर गये और मेरी कमर जकड़ते हुए लंड चूत के अंदर जोरों से घुसाए रखा ..और मुझे जकड़े जकड़े ही उनका लंड झट्के पे झटका खा रहा था ..मेरी चूत में ...उनका गरम लावा मैं अपने अंदर महसूस कर रही थी ....मेरी चूत में उनके वीर्य की पिचकारी छ्छूट रही थी ..
हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह लिपटे थे ... भैया मेरे सीने पर सर रखे ढेर हो गये ... हम दोनों की साँसें टकरा रही थी ...
उस रात भैया ने रात भर मेरी चुदाई की ...और मैं भी हर बार उतने ही जोश , मस्ती और प्यार से अपनी टाँगें और चूत भैया के लिए खोले रखी और चुद्ति रही...चुद्ति रही ..
सुबह मेरी नींद खुली तो देखा घड़ी में 9 बज चूके थे ...इतनी देर तक मैं सोती रही और मुझे कुछ पता ही नही था ..भैया वहाँ नहीं थे ..शायद बीच में ही कभी अपने रूम में चले गये और मेरे उपर एक पतली सी चादर डालना नहीं भूले ..उनके इस लाड से मैं आत्म - विभोर थी ...इतना ख़याल था उन्हें मेरा ..
मेरे अंग अंग में एक मीठा सा दर्द था ...खास कर मेरी गान्ड में ...पर भैया की आइस क्रीम और ऑलिव आयिल के मिक्स्चर ने तो कमाल कर दिया था ...दर्द नहीं के बराबर था..
तभी मम्मी चाइ लिए आ गयीं ...
" ह्म्म्म्म..लगता है अभी ने काफ़ी ख़याल रखा तेरा रात भर ...सुबह बहुत मुस्कुरा रहा था ..." उनका गुनगुनाना भी जारी था .
मैने अपना चेहरा मम्मी के सीने से लगाते हुए कहा " क्या मम्मी आप भी ....और देखो ना आप भी तो अभी तक गुनगुना रहीं हैं ...पापा ने भी काफ़ी ख़याल रखा होगा रात भर ..." मैं भला कब पीछे रहनी वाली थी ...'" ही हीही .."
" हाँ वो तो है ..... तेरा भी ख़याल रखेंगे ना ...तू तो साथ जा रही है ना टूर पर.."
" पर मम्मी कितना अच्छा होता अगर हम सब साथ चलते ...उफफफ्फ़ क्या मस्ती करते हम सब साथ साथ.."
" अरे मेरी दामिनी रानी अभी तो बस अपनी ही मस्ती का ख़याल कर ...हम और अभी यहीं अकेले ठीक हैं ...तुम और पापा उधर और मैं और अभी इधर ..इसका भी एक अलग ही मज़ा रहेगा ..क्यूँ ???"
" ओह तुस्सी ग्रेट हो मम्मी .... बिल्कुल ठीक कहा ... उफफफफफ्फ़ मैं तो अभी से मरी जा रही हूँ ..."
और मैं मम्मी से लिपट कर उनके होंठ चूसने लगी ...और उनकी चूचियों से खेने लगी .....
" तू भी ना दामिनी ... चल छोड़ मुझे और तू भी उठ ...देख कितना देर हो गया है.. और तुझे जाने की तैयारी भी करनी है ..कल ही तो जाना है ... "
" हाँ वो तो है ...."
और मैं बीस्तर से उठी मम्मी चली गयीं किचन की ओर और मैं घुस गयी बाथरूम के अंदर .
मुझे चलने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी ...पर कुछ खास नहीं ...पहली बार गान्ड मरवाने का नतीज़ा था ... चूत भी कुछ सूज़ गयी थी ..भैया की ताबड़तोड़ चुदाई से ... उफफफफफ्फ़ क्या चुदाई हुई थी रात में ....मैं भी मस्त चुदवाइ और भैया तो बस ....ऐसे चोद रहे थे जैसे उन्हें मेरी चूत फिर दुबारा नहीं मिलने वाली ....लव युवूयूयूयुयूवयू भयियैययाया ....
मैने हॉट शवर लिया ...काफ़ी रिलॅक्स्ड फील हुआ ... और चाल में भी सुधार आ गया था .
उस दिन मैं कॉलेज नहीं गयी ...वैसे भी छुट्टियों से पहले वाले दिन कुछ पढ़ाई लीखाई तो होती नहीं थी ... सारा दिन सोती रही ...
मैं नींद में थी के अचानक मुझे अपने गालों पर कुछ हलचल सी महसूस हुई..मेरी आँखें खूल गयीं ..देखा तो मम्मी अपनी लंबी .पतली और सुडौल उंगलियाँ मेरे गालों पर फ़ीरा रहीं थी ..मेरे बगल में लेटी थी और मेरी ओर निहार रहीं थी ..बड़े प्यार से ..
" ऐसे क्या देख रही हो मम्मी..? " मैं आधी नींद में ही थी .
" देख रहीं हूँ , मेरी प्यारी बेटी कितनी मासूम लगती है सोते हुए , कोई भी तुम्हें प्यार किए बिना रह नहीं सकता .तभी तो तुम्हारे पापा और अभी तुम्हें इतना प्यार करते हैं ....और मैं भी ...."
और उन्होने मेरे चेहरे को अपनी भारी भारी और मुलायम चूचियों से लगाते हुए मेरे माथे को चूम लिया और फिर मेरे चेहरे को अपने हथेली से थामते हुए अपने होंठों से लगाया और मेरे होंठ चूसने लगीं ....मेरी नींद पूरी तरह टूट चूकि थी .
" ऊवू मम्मी क्या कर रही हो...उफ्फ ...."
" दामिनी तू कल तो चली जाएगी पापा के साथ ..आज तो ज़रा जी भर के प्यार कर लूँ ...जी भर तुझे सीने से लगा लूँ .."
" हाँ मम्मी मैं भी तो आप से अलग रहूंगी इतने दिनों ...." और फिर मैं उन से चिपक गयी और अपनी टाँग उनके जांघों पर रख दिया और अपना मुँह पूरा खोल दिया.
मम्मी की जीभ अंदर थी मेरे मुँह में और उनकी जीभ कमाल कर रही थी अंदर ..मेरे मुँह के हर कोने तक मम्मी की पतली और लंबी जीभ जा रही थी ..और मैं सिहर उठ ती उनके जीभ के हमले से ....लॅप लॅप ...मेरे तालू , मेरे गालों के अंदरूनी भाग , दाँत हर जगह ..जैसे मम्मी मुझे खा जाना चाहती हों ...
मैं उनकी मुलायम चुचियाँ हल्के हल्के मसल रही थी ...उनके निपल्स दबा रही थी ... उफ़फ्फ़ क्या चुचियाँ थी उनकी ...कितना मुलायम , पर भरा भरा ......
फिर मम्मी ने अलग होते हुए अपने कपड़े उतारे और मेरे कपड़े भी उतार दिए ...हम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े .....एक दूसरे की बदन चूम रहे थे ..चूस रहे थे चाट रहे थे ..लॅप ..लॅप ..चप ...एक औरत दूसरे औरत को चाट रही थी ....कितना फ़र्क होता है ... मर्द उसे ख़ाता है ... औरत उसे चख़्ती है ..धीरे धीरे ..उसे खूबसूरत और नाज़ुक होने का अहसास दिलाती है .....पर दोनों का अपना अपना मज़ा है .....मैं किस्मेतवाली थी ..मुझे दोनों का मज़ा मिल रहा था ....
दोनों सिसकारियाँ ले रहे थे , और लगातार एक दूसरे को चखे जा रहे थे ..मम्मी एक पके आम की तरह थी ..हर जागेह मुलायम , भारी भारी और गुदाज ..मैं अधखिलि गुलाब थी तो मम्मी पूरी तरह खीली हुई गुलाब का महेकता फूल , उनके पूरे शरीर से एक मादक सुगंध आ रही थी..एक औरत की सुगंध , ये सुगंध ऐसी होती है किसी भी पर्फ्यूम से नहीं आती...बस मम्मी जैसी औरतों में आ जाती है ..बस आ जाती है ...मैं अपनी नाक मम्मी के पेट से लगाए उन्हें सूंघ रही थी ....चाट रही थी .चूस रही थी , मम्मी लेटी थी और अपने अलग ही अंदाज़ में मुँह खोले सिसकारियाँ ले रहीं थी ..
मम्मी का मुँह खुला रखने का भी बड़ा सेक्सी अंदाज़ था ..उनकी चमकीले दाँत आधे बाहर दिखते ..आधा मुँह खुला और जीभ थोड़ी सी बाहर ...सिर्फ़ इतना के जीभ दीखाई दे ...मुँह के अंदर ही से ..और धीरे धीरे आहें भरती ....उफफफफफफफ्फ़ ..लगता था जैसे किसी और ही दुनिया में खोई हैं ..अपनी मस्ती में सब कुछ भूल चूकि हैं ....वो एक सम्पूर्न रूप से औरत और सेक्स की मूर्ति थी ...उपर से नीचे ...
उनकी टाँगें खुली थी ....अगर मैं एक मर्द होती ..फ़ौरन अपना लौडा अंदर पेल देती ...पर एक औरत भी औरत का मज़ा ले सकती है और मज़ा दे भी सकती है..और हम दोनों येई कर रहे थे ..
मैं मम्मी के टाँगों के बीच आ गयी ...उनकी चूत अपनी उंगलियों से फैलाई ...उफफफफफफ्फ़ .....उनकी चूत की फांके पूरी तरह खुली थी , उनकी चूत की पंखुड़ीयाँ पतली पतली पूरी तरह खीली गुलाब के फूल की पंखुड़ियों की तरह थी ..मैने अपना मुँह चूत से लगाया ..कितनी गीली थी और एक मादक खुश्बू ...
मैं मचल उठी इस खुश्बू से और फ़ौरन अपनी जीभ वहाँ लगा दी और चूत की पूरी लंबाई चाटने लगी ...मम्मी की चूतड़ उछल पड़ी ..उनका मुँह और खूल गया ..."आआआह ...अया ...हाँ बेटी ..चाटो ..चाटो ... " उनकी चूत की पंखुड़िया फदाक रहीं थी ...मेरे चाटने से ..उनकी चूत से पानी की धार मेरे मुँह में जा रही थी , मैं गटके जा रही थी .....उनकी चूत का मुँह और भी खूल गया था ...अब मुझ से रहा नहीं गया और मैने अपनी जीभ उनकी चूत में घुसेड दी और लॅप लॅप , सटा सॅट अंदर बाहर करने लगी ..मम्मी भी सहेन नहीं कर सकीं ..दो ही चार बार में उनके चूतड़ जोरों से उछल पड़े ...एक बार .दो बार ..बार बार और वह बुरी तरह मेरे मुँह में रस की फुहार छोड़ रहीं थी ..मेरे पूरे चेहरे में उनकी चूत का पानी फैला था ......वो हाँफ रही थी और फिर सुस्त हो कर आँखें बंद किए पड़ी थी ...
मैं अपनी चूत में उंगली किए जा रही थी .टाँगें फैलाए ...जोरों से ..आँखें बंद किए ..उंगली उपर नीचे ..उपर नीचे ...अपनी चूत की घुंडी मसल्ति जाती ..बुरी तरह झडने को बेताब थी ...तभी मम्मी उठी और मुझे लीटा दिया ..मेरी टाँगें खोल दी और अपनी जीभ से टूट पडी मेरी चूत पर .... लॅप ..लॅप उनकी पतली और लंबी जीभ मेरी चूत की लंबाई नाप रही थी ..मैं मस्ती में कराह उठती ..अपने अंघूठे से मेरी चूत की घूंड़ी दबाती जाती और घिसती भी जातीं ...और जीभ लगातार उपर नीचे ...अफ इस दोहरी मार को मैं झेल नहीं पाई ....और अपनी चुटड उछालते हुए मम्मी के मुँह में "ओओओओओह मुमयययययययययययी ..मम्मियययययययययी " करते हुए रस का फव्वारा छोड़ दिया ..जैसे मेरा चेहरा गीला था उनके रस से //उनका चेहरा भी मैने गीला कर दिया ....
मम्मी मेरे उपर लेट गयीं , मैं उनके गाल चाट रही थी और वो मेरा ...अपना अपना रस हम खुद चाट रहे थे ....
दोनों एक दूसरे की बाहों में पड़े थे ...एक दूसरे की चुचियाँ अपनी चूचियों से चिपकाए हुए .....लंबी साँसों से दोनों की चुचियाँ एक दूसरे को दबा रही थी ...उफफफफफफफ्फ़ ..ये भी एक अलग ही अनुभव था ..फूल ने कली को अपनी पंखुड़ियों के घेरे में छुपा लिया था ....
उस रोज मम्मी के लाड और प्यार का एक अलग ही ताजूर्बा था ..उसके बाद मैने अपने आप को बहुत ही तरो -ताज़ा और हल्का महसूस किया ....बदन जैसे हवा में उड़ रहा हो...मेरे बदन का सारा दर्द जाता रहा .औरत से औरत के प्यार में सिर्फ़ एक दूसरे को देने की भावना होती है ...इसका भी एक अपना अलग ही मज़ा होता है ...हमारे घर में कितना प्यार था ..कितनी मुहब्बत थी एक दूसरे के लिए ...
क्रमशः……………………..
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