RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--18
गतान्क से आगे…………………..
आंटी उठ गयीं और हमने भी बाथरूम से वापस आ कर कपड़े पहेने आंटी को थॅंक्स बोला और बाहर निकल गये .
कार में बैठते ही मैने कहा " भैया ..कितना अच्छा हुआ ना हम लोग पायल आंटी से मिले..!"
" हाँ दामिनी ... मुझे कितना रिलॅक्स्ड फील हो रहा है..उनकी बातों से ... बहुत से डाउट्स ...झिझक जो अब तक थे सब दूर हो गये ..है ना दामिनी...?"
" हाँ भैया ....मम्मी ने कितना अच्छा काम किया हमें उनके पास भेजा..... वी आर सो लकी टू हॅव सच आ ग्रेट मोम....."
" और तुम ने एक बात नोटीस की दामिनी ..? "
"क्या भैया ..??"
"पायल आंटी भी ग़ज़ब की हैं ....क्या फिगर है उनकी ...30 साल की हैं ..पर लगती बिल्कुल तुम्हारी तरह ..सिर्फ़ उनका चूतड़ थोड़ा ज़्यादा मोटा है तेरे से ....32-28-36 होगी..... है ना ..??"
" ह्म्म्म्म ..लगता है भैया उनकी फिगर में उलझ गये ..हा हहा !! "
" और क्या चुद्ति थी दामिनी ...जब मैं धक्के लगाता वो अपनी चूत पता नहीं कैसे सीकोड लेती थी ..जैसे मेरे लौडे को चूस रही हों ...उफफफफ्फ़ चूत टाइट हो जाती थी और लगता था जैसे तुम्हें ही चोद रहा हूँ .... हाँ दामिनी बिल्कुल वैसा ही लग रहा था ..तभी तो मैं इतनी जल्दी झाड़ गया.. "
"अच्छा .मतलब भैया को मेरी चूत इतनी पसंद है .... मेरी चूत की याद आते ही झाड़ गये आप..???"
" हाँ दामिनी ...सच में तुम्हारी चूत कितनी टाइट है ..लगता है जैसे मेरे पूरे लौडे को चूस लेगी ...उफफफ्फ़ ..दामिनी ...एक बात बोलूं मेरी बहना ..??"
" एक नहीं चार बात बोलो ना भैया .." और मैं उनके लौडे को पॅंट के उपर से ही सहलाने लगी ..
" ऐसा क्यूँ है ..मुझे कभी लगता है मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूँगा ..?? तुम साथ रहती हो ना दामिनी तो ऐसा लगता है मैं सारी दुनिया जीत लूँगा .....चाहे कितनी बड़ी मुश्किल आ जाए हंसते हंसते उसे आसान कर दूँगा ...दामिनी आइ लव यू बहना ...सो मच ..."
" हाँ भैया मुझे भी अब कुछ ऐसा ही फील होता है ...."
" जब तुम्हारी शादी हो जाएगी ..मैं क्या करूँगा दामिनी..?? मैं मर जाऊँगा दामिनी ..मैं सच कह रहा हूँ ..तुम्हारे बिना मैं मर जाऊँगा ...."
"भैया ..अभी तो मैं आप के साथ हूँ ना ...अभी शादी की बात क्यूँ सोचते हैं आप....अभी बहुत दिन हैं ... उसके बाद भी कुछ रास्ता निकल ही जाएगा .मेरे प्यारे भैया .." मैने उनके लौडे को बड़े प्यार से सहलाया ..मैने उसे उनके पॅंट से बाहर निकल दिया था ,,मुझे भी उनका लौडा सहलाना , चूसना कितना अच्छा लगता था ...
" हाँ दामिनी कुछ रास्ता निकालेंगे .... " और ऐसी ही प्यारी प्यारी बातें करते हम घर पहुँच गये .
सामने मम्मी खड़ी थी ..सिर्फ़ शॉर्ट्स और टॉप पहने ..क्या लग रही थी ..
अंदर जाते ही उन्होने हमें अपनी बाहों में ले लिया ... हम भी उन से लिपट गये ..
" डॉक्टर. पायल का फोन आया था ..तुम दोनों की बहुत तारीफ़ कर रही थी ... मैं बहुत खुश हूँ तुम दोनों से ..."
" ये सब आप का ही कमाल है मोम ..." मैने कहा , भैया तो बस मम्मी की चूची चूसने में ही मगन थे ...उन्हें मेरी चूत और मम्मी की चूचियों के सामने और कुछ नहीं दिखता था ...मेरे स्वीट स्वीट भैया ..
उन्होने भैया के गालों पर हल्के से चपत लगाते हुए कहा " बस बस बहुत चूस लिया मेरी चूची ...अरे पागल खाना भी खाएगा यह फिर इन्हें ही चूस्ता रहेगा ..? चल खाना खा ले ..."
" मोम क्या करूँ आप की चूची मुझे इतनी अच्छी और टेस्टी लगती है , मन करता है हमेशा मुँह में डाले चूस्ता रहूं ..."
'' ठीक है बाबा चूसना रात भर ..पर अभी चल खाना खा ले .."
" खाएँगे पर सिर्फ़ आप के मुँह से ..."हम दोनों एक साथ बोल उठे ..
"तुम दोनों ना ....अच्छा चलो तो सही ..."
फिर हम बाथरूम से फ्रेश हो कर कपड़े बदल मम्मी को बीच में किया और डाइनिंग टेबल पर बैठ गये ..
मम्मी खाना चबा कर हम दोनों के मुँह में बारी बारी अपना मुँह डाल ते हुए हमें खिला रही थी....
कितना प्यार था ..कितना स्नेह था ...
इसी तरह हमारी जिंदगी गुजर रही थी ..हम तीनो के बीच प्यार ,स्नेह और दोस्ती की गंगा उमड़ पड़ी थी ..हमारे बीच कोई भेद भाव ..कोई छल कपट नहीं ..हम लोग एक दूसरे से पूरी तरह ख़ूले थे .. साथ उठ ते , साथ खाते साथ सोते और साथ साथ चुदाई भी करते ..बस अब सिर्फ़ पापा को अपने में शामिल करने की देर थी ,..
वैसे मुझ से तो पापा बिल्कुल फ्री हो गये थे और मेरी छुट्टियो में अपने साथ टूर पर ले जानेवाले थे ..मैं अपनी छुट्टियों का बड़ी बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी ..पर मन के किसी कोने में ये ख़याल आ जाता के " अगर भैया भी साथ होते तो कितना मज़ा रहता.."
मैं भी अब ये फील करती थी के मुझे भी भैया के बिना अच्छा नहीं लगता था ..उनके साथ रहने से कितनी मस्ती रहती थी..... चुदाई का मज़ा कितना बढ़ जाता था ..
पर ऐसा नहीं था के मुझे पापा से चुद्ना अच्छा नहीं लगता ..दोनों का मज़ा अलग अलग था ,,पापा की चुदाई में लग्षुरी कार की सैर का मज़ा था ... धीरे धीरे मस्ती बढ़ती , तो भैया की चुदाई में स्पोर्ट्स कार की मस्ती भरी रोमांच और तेज़ हवा के झोंको का सिहरन ...आ दोनों मेरे लिए नायाब थे ...
पर जहाँ साथ की बात थी , मैं अब फील कर रही थी की भैया मेरी जिंदगी में बुरी तरह रम गये हैं ...
एक दिन मैने मम्मी से पूछा " मम्मी ..कितना अच्छा होता अगर पापा भी अपने साथ शामिल हो जायें ..?"
" हाँ बेटी मैं भी येई चाहती हूँ ..पर इसमें जल्दी करना नहीं चाहती ...पता नहीं उन्हें मेरा अभी के साथ चुद्ना पसंद आए या नहीं..? मेरे लिए वो बहुत पस्सेसिव हैं... कॉलेज के दिनों में कोई भी मुझे देख लेता तो गुस्से से बेक़ाबू हो जाते .इसलिए बेटा डरती हूँ कहीं हमारा इतना अच्छा प्यारा स्मबंध कहीं एक झट्के में ख़त्म ना हो जाए ...तू धीरज रख ..अभी जैसा चल रहा है चलने दे ..धीरे धीरे मैं कुछ करूँगी ..पर बेटी तू कुछ ना करना ..."
" हाँ मोम मैं समझती हूँ आप की बात ...मुझ पर भरोसा रखिए ,,मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं करूँगी .."
और उसके बाद कुछ ही दिनों में भैया और मेरे एग्ज़ॅम्स चालू हो गये ... हम दोनों पढ़ाई मे बिज़ी थे ..पर अब पढ़ाई भी बड़ी मस्ती में होती थी..मैं भैया की गोद में ..तो कभी मम्मी की गोद में बैठ पढ़ती थी..वह दोनों भी मुझ से पढ्ते वक़्त ज़्यादा छेड़खानी नहीं करते ..बस उनके गोद की गर्मी .... अपनापन और एक निश्चिंत ता का अहसास होता ..जिस के कारण पढ्ने में काफ़ी कॉन्सेंट्रेशन होता था ....और इसका नतीज़ा ...मैने काफ़ी अच्छे नंबर लाए ..और भैया भी ...
पूरे एग्ज़ॅम्स. तक हम ने चुदाई नही की थी ..मेरी चूत फडक रही थी , मैं काफ़ी चुदासी थी उस दिन जब एग्ज़ॅम्स ख़त्म हुए ..मन कर रहा था भैया को पटक उन के लौडे पर बैठ जाऊं ..और तबाद तोड़ उन्हें चोद डालूं..
पर मैं भैया को आज चुदाई में कुछ नया देना चाहती थी...कुछ नयी चीज़ ..कुछ ऐसा अनुभव जो भैया याद रखें ...क्यूंकी एक दो दिनों बाद हमारी छुट्टियाँ शुरू हो रहीं थी और मैं और पापा जानेवाले थे साथ ..भैया और मम्मी को छोड़ कर ..
मैने दिमाग़ पर ज़ोर डाला ...और फिर मैं मुस्कुराने लगी ...आइडिया आ गया था ..
तभी भैया भी आ गये थे कॉलेज से ..उन्होने आते ही मुझे गोद में उठा लिया
" दामिनी ...उफफफ्फ़ ..कितने दिन हो गये ना .. तुम्हारी चूत देखे नहीं बहना ...आज तो बस तुम्हारी चूत चाटूँगा ...खाऊंगा और बस चोदून्गा ..चोदून्गा रात भर ...मैं तो बस पागल हो रहा हूँ ..."
और उन्होने मेरे जीन्स के अंदर हाथ डाल पैंटी के अंदर घुसा दिया और मेरी चूत मुठियों से जाकड़ मसल्ने लगे..और अपना मुँह मेरे मुँह से लगा मेरे होंठ चूसे जा रहे थे..
'उफफफ्फ़ ..तुम भी ना ...ज़रा सब्र करो ना मेरे राजा भैया ..." मैने अपने को बड़ी मुश्किल से चुदते हुए कहा .." मैं भी तो पागल हो रही हूँ आप के लंड के लिए ..".रात होने दो ना पापा मम्मी अपने कमरे में और हम अपने कमरे में ..."
"ठीक है दामिनी , पर कम से कम चूत तो मसल्ने दो ना ..." और हम दोनो सोफे पर बैठ अंदर ही अंदर वो मेरी चूत मसल रहे थे और मैं उनका लंड ..
तभी मम्मी भी आ गयीं चाइ लिए ...और हमारे साथ वो भी शामिल हो गयीं ..पापा अभी तक ऑफीस से नहीं आए थे ..
हम चाइ भी पीते और मज़े भी ले रहे थे ...भैया को तो अपनी सब से प्यारी चीज़ों को एक साथ मसल्ने का अच्छा मौका मिल गया था ...एक हाथ उनका मम्मी की मुलायम और गुदाज चुचियाँ मसल रहीं थी और दूसरा हाथ उनका मेरी चूत ..और मम्मी उन्हें अपने हाथों से चाइ पीला रही थी ..और मैं एक हाथ मम्मी की चूत में डाल रखी थी और दूसरे हाथ से भैया का लंड सहला रही थी .....मम्मी हमारे सामने बैठी हम दोनों को चाइ पीला रहीं थी .....भैया तो बस चाइ के साथ मम्मी के निपल्स की भी चूस्कियाँ ले रहे थे .. मम्मी कभी कभी उनके सर के पीछे हाथ रख उन्हें अपने सीने से चिपका लेतीं ...
क्रमशः……………………..
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