RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--16
गतान्क से आगे…………………..
शाम को मैं कॉलेज से वापस आते ही मम्मी से लिपट गयी ,उन्हें बेतहाशा चूमे जा रही थी ..और वह भी मुझ से ऐसे लीपटी थी जैसे हम दोनों बरसों बाद मिले हों ..
" मोम आज ऐसा क्यूँ लग रहा है .जैसे आप से मिले कितना अरसा हो गया है ..हम तो रोज कॉलेज जाते हैं ,पर पहले तो ऐसा कभी फील नहीं हुआ .."
उन्होने मुझे खींचते हुए अपने साथ सोफे पर बिठा लिया , एक हाथ मेरी पीठ पर था और दूसरा हाथ मेरी गोल गोल चुचियाँ सहला रही थी..मम्मी के हाथों में जादू था ..मैं आँखें बंद किए थी ..मेरी सारी थकान दूर हो गयी ...
" ऐसा इस लिए है दामिनी रानी क्यूंकी हमारे रिश्ते में अब कोई बंधन नहीं ...कोई दूरी नहीं...हम एक दूसरे के ही दो रूप हैं ...और अपने से ही कोई कैसे दूर रह सकता है ...?"
" हाँ मम्मी आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं ...हम अब तीन शरीर पर एक जान हैं ....."
और तभी भैया भी आ गये और हमारा त्रिकोण पूरा हो गया ...
हम तीनों एक दूसरे से लिपटे थे ..एक दूसरे को प्यार कर रहे थे ..मम्मी और भैया अगल बगल थे और मैं कभी भैया की गोद में तो कभी मम्मी की गोद में प्यार के हिचकोले ले रही थी ..
तभी फोन की घंटी बजी ...
मम्मी ने उठाया और थोड़ी देर किसी से मजाकिये लहज़े में बातें करती रहीं .फहीर उन्होने फोन रख दिया और हमारी ओर देखते हुए कहा .." पायल का फोन था ..कह रही थी तुम दोनों का इंतेज़ार कर रही हैं .."
" अरे मैं तो बिल्कुल भूल ही गया था उनके बारे ..चल दामिनी जल्दी तैयार हो जा . चलें ज़रा देखें क्या कहती हैं अपनी पायल आंटी ..?" भैया ने मुझे आँख मारते हुए कहा .फिर मोम की तरफ देखते हुए कहा " पर मोम जाना कहाँ है ..? "
" अरे ज़्यादा दूर नहीं पास ही है .." और उन्होने भैया को अच्छी तरह समझाया कहाँ जाना था ..
हम दोनों ने चाइ पी और फिर तैयार हो कर भैया के साथ कार में पायल आंटी के क्लिनिक की ओर चल पड़े.
रास्ते में मैने भैया से पूछा " भैया ...मम्मी आख़िर हमे पायल आंटी से मिलवाना क्यूँ चाहती हैं ..? "
" मैं भी उतना ही हैरान हूँ दामिनी , जितना तुम ..पर इतना तो ज़रूर है अगर मम्मी ने कहा है तो इसके पीछे कोई अच्छी बात ज़रूर होगी. अब तो उन से मिल कर ही पता चलेगा ... "
" हाँ भैया ...अपनी मम्मी कितनी अच्छी हैं ..औरों से बिल्कुल अलग ..देखो ना सब कुछ उन्होने कितने अच्छे ढंग से संभाल लिया .... कल सुबह जब वो अचानक हमारे कमरे में आईं ..मेरी तो चूत ..गान्ड सब फॅट गयी थी भैया..."
'" हाँ दामिनी और मेरा लौडा भी बुरी तरह पन्चर हो गया था ...पर वाह रे मम्मी ..और अब कितना अच्छा ..कितना हल्का महसूस हो रहा है...किसी चीज़ की कोई टेन्षन नहीं ..."
और ऐसे ही बातें करते करते हम डॉक्टर. पायल की क्लिनिक पहुँच गये .....
डॉक्टर. पायल की क्लिनिक एक पॉपुलर शॉपिंग कॉंप्लेक्स के फर्स्ट फ्लोर में थी. उनके नाम का बोर्ड लगा था ..इसलिए ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं हुई .
हम सीधे सीढ़ियाँ चढ़ते उपर पहुँच गये ..उनके चेंबर के बाहर खूबसूरती से सज़ा वेटिंग लाउंज था ..उसकी दीवार पर अजंता , खजुराहो ,एल्लोरा जैसी जगहों से ली हुई बहुत ही अच्छी अच्छी अलग अलग पोज़ में तस्वीरें टगी थी ...इन्हें देख कर लगता था जैसे सेक्स करना भी एक पूजा है...जिस तरह लोग तस्वीरों में सेक्स कर रहे थे उसे देख कर यही लगता था ... हम पोर्नॉग्रॅफिक तस्वीरों यह वीडियो में देखते थे उस से बिल्कुल अलग ..पॉर्न पिक्चर्स में कितने भद्दे तरीके से दिखाया जाता है..पर यहाँ इसे इतनी खूबसूरती से दिखाया गया था...मन में कोई भी गंदे ख़याल नहीं आते ...
तभी एक लड़की आई ..काफ़ी सलीके दार ..उस ने हमारा नाम पूछा ..अंदर गयीं ..और थोड़ी देर बाद बाहर आई और हमें कहा " आप बस 5 म्न्ट वेट करो ...मेडम थोड़ा बिज़ी हैं ..आप चाइ लेंगे यह कॉफी..?"
" ओह नो थॅंक्स ..हम ऐसे ही ठीक हैं ..." भैया ने कहा ..मैं तो दीवार में लगी तस्वीरें देखने में मग्न थी.
हम दोनों भाई बहेन तस्वीरों में खोए थे कि उस लड़की ने कहा " आप अंदर जाइए..मेडम बूला रही हैं..."
हम दोनो अंदर दाखील हुए ...अंदर जाते ही एक आकर्षक महिला ने हमारा स्वागत किया
" मैं डॉक्टर. पायल .और तुम दोनों अभिजीत और दामिनी हो ना...? आओ बैठो .." उन्होने अपने सामने टेबल की दूसरी छोर पर लगी कुर्सिओ की ओर इशारा करते हुए कहा .
जिस तरह बेतकलुफि से उन्होने कहा ..हमारी घबड़ाहट आधी से ज़्यादा दूर हो गयी ...
अब हम ने उन्हें और नज़दीक से देखा ..आकर्षक कहना उन के साथ बेइंसाफी थी ...ऐसा लग रहा था जैसे जिन तस्वीरों को हम बाहर लाउंज में देख रहे थे उन्ही तवीरों से उतर आई कोई औरत हो . छ्हर्हरा कद... सुडौल पर भारी चुचियाँ .. पेट एक दम सपाट पर फिर भी मांसल और तीखे नयन नक्श ...और कपड़े भी उसी तरह पहनी थी उन्होने ...पतली सिल्क की सारी ...बदन से चिपकी ..ब्लाउस और ब्रा दोनों एक साइज़ के..बहुत हल्का मेक अप और रंग चमकीला सांवला ...सेक्स की देवी लग रहीं थी ...उपर से नीचे सेक्शोलॉजिस्ट ... ..
भैया ने मेरी जंघें दबाई जैसे कह रहें हो "वाउ ...!! "
फिर उन्होने कहा " तुम्हारी मम्मी मेरी बहुत अच्छी दोस्त हैं ...बिल्कुल अपनी सग़ी बहेन ...हम आपस में कुछ भी नहीं छुपाते ...और साथ में एक बहुत ही सुलझी हुई इंसान भी..."
" हाँ आंटी ..उन्होने हम से कहा था आप के बारे .." हम दोनों ने साथ ही कहा .
वो हंस पडी ...और उनकी मोतियों जैसी शेप्ली दांतें चमक उठी ...मैं तो एक लड़की थी ,फिर भी मुझे ऐसा लगा उनके दाँत चूम लूँ ..चाट लूँ ..जाने भैया पर क्या बीत रही थी उस समय ..
" अच्छा चलो हम ज़्यादा समय बर्बाद नहीं करते और सीधा काम की बातें करते हैं ...कम यानी सेक्स .." उन्होने फिर अपनी दांतें चम्काते हुए कहा ..
" देखो अभी और दामिनी ...मम्मी ने तुम्हें इसलिए यहाँ मेरे पास भेजा है के तुम को सेक्स के बारे सही जानकारी हो ..और खास कर तुम लोगों को ..."
" ऐसा क्यूँ आंटी ..सिर्फ़ हमें क्यूँ ..?"
" तुम ने बिल्कुल सही कहा ...इसे जान ना तो सब के लिए ज़रूरी है..पर क्योंकि तुम लोग एक ऐसे रिलेशन्षिप में हो जिसे समाज बुरा समझता है ...ग़लत समझता है ..और इस के चलते तुम लोगों में कहीं डर और अपने उपर दोष डालने की भावना ना आ जाए ..के तुम लोग कुछ ग़लत कर रहे हो ..इस भावना को हटाने के लिए "
" तो क्या आप के ख़याल में हम लोग ठीक कर रहें हैं..??"
" हाँ अभी और्डामिनि ..बिल्कुल ठीक है तुम्हारा अपनी माँ से सेक्षुयल रिलेशन्षिप रखना ..इस से आपसी प्रेम भाव बढ़ता है ..और दूसरी बात कोई भी सेक्षुयल रिलेशन्षिप अगर दोनों की मर्ज़ी से हो तो किसी से भी संबंध बनाने में हर्ज़ नहीं ..."
हम लोग बस सुनते जा रहे थे उनकी बातें ... वो बोलती जा रहीं थी ' अगर कोई भी सेक्षुयल रिलेशन्षिप किसी की मर्ज़ी के खिलाफ है तो ग़लत है चाहे हज़्बेंड वाइफ के बीच ही क्यूँ ना हो.."
इस बात से मैं तो दंग रह गयी ..यानी अगर हज़्बेंड यह वाइफ भी अगर बिना मर्ज़ी के सेक्स करें तो ग़लत ..ये मैने पहली बार सुना ...कितनी वाइव्स बेचारी इस ज़बरदस्ती का शिकार होती हैं ...
" और अगर दोनों की मर्ज़ी से हो रहा है तो चाहे माँ बेटे के साथ भी हो तो कोई बुराई नहीं ...इस लिए तुम लोग अपने दिल में कोई भी डर यह शंका मत रखो ..अपने को दोष मत दो ..."
" वाह आंटी आपने कितनी अच्छी बातें कहीं , अब हमें कितना हल्का महसूस हो रहा है ..अंदर ही अंदर हम थोड़ा परेशान थे ..है ना भैया,..??"
'" हाँ दामिनी ..मैं भी थोड़ा परेशान था ..अब अच्छा लग रहा है.."
" अच्छा चलो अब हम लोग सोफे पर बैठ कर आराम से बातें करते हैं ...ऐसे टेबल के आमने सामने एक फॉरमॅलिटी सी हो जाती है " आंटी ने कहा और उठ कर दीवाल से लगे सोफे पर बैठ गयीं और हम दोनो को अपने अगाल बगल बैठने को कहा .
हम भी अब तक काफ़ी रिलॅक्स्ड थे उनके साथ ..
उन्होने बड़ी बेतकलुफि से एक हाथ मेरी जाँघ पर रखा और दूसरा हाथ भैया की जाँघ पर और हल्के हल्के अपनी हथेलियों से सहलाने लगीं ...उनके हाथों में जादू था ...हम दोनो सिहर उठे ..
" देखो अब मैं जो कहने जा रही हूँ आज मिलने का असल मक़सद येई है .."
" वो क्या है आंटी "..हम ने पूछा ..उनका हाथ अब धीरे धीरे मेरी जांघों से बढ़ता हुआ जांघों के बीच मेरी चूत तक पहुँच गया था ..और वैसे ही दूसरा हाथ भैया के लंड के उपर ...हम दोनों मस्ती में थे ..भैया का तंबू साफ दीख रहा था..
" तुम दोनों अपने आपस के रिलेशन्षिप के चलते कहीं किसी और से रिलेशन्षिप रखने में हिचकिचाओगे तो नहीं ..इसकी टेस्ट आज होगी ..."
हम दोनों हैरान थे ...ये टेस्ट आज ही और शायद यहीं होगा पर कैसे ...हमारे चेहरे पर आश्चर्य था .
वो समझ गयीं .
" देखो घबडाओ नहीं ..." उन्होने कहते हुए अपनी हथेलियों की हरक़तों में तेज़ी लाना शुरू कर दिया ...मेरी चूत में मेरी जीन्स के उपर से ही उंगली करने लगीं बड़े नपे तुले ढंग से और भैया का लंड तो जैसे उन्होने जाकड़ लिया था उनके पॅंट के उपर ही से ..." मैं नॉर्मली ये काम अपने किसी असिस्टेंट को देती हूँ ..पर क्योंकि तुम मेरे खास क्लाइंट हो और मेरी खास दोस्त कामिनी के बेटे बेटी हो मैं खुद ही टेस्ट करूँगी ...तुम लोग बे हिचक मुझसे कुछ भी कर सकते हो .." अब तक मेरी चूत से पानी रीस रहा था और भैया का लंड पॅंट फाड़ बाहर आने को तैयार ...
ये सुनते ही हमारी हिम्मत बढ़ गयी ...मैं उन से चिपक गयी और उनकी चुचियाँ उनके ब्लाउस से बाहर खींच खींच कर निकाल दी.. बाहर आते ही चुचियाँ उछल पडी और एक सुडौल चूची सहलाने लगी..क्या चुचियाँ थी ..गोल गोल ...ना ज़्यादा टाइट ना ढीली ..बस ऐसा लग रहा था किसी पानी से भरे बलून को दबा रहे हों...और भैया ने उनकी दूसरी चूची अपने मुँह में ली और धीरे धीरे चूसने लगे ..उन पर भी अब कुछ कुछ असर हो रहा था..उनकी आवाज़ भराई थी ..उन्होने अपनी पीठ का वेट सोफे की बॅक रेस्ट पर डाल दिया और अपना सर भी पीछे कर लिया ...उनका हाथ अब मेरे पेट सहला रहा था ..और दूसरा हाथ भैया की पॅंट की ज़िप खोल कर उनके लौडे को आज़ाद कर दिया था .और वह उसे धीरे धीरे सहला रहीं थी और अपनी भार्राई आवाज़ में कहे जा रही थी
" देखो ना सेक्स कितनी अच्छी चीज़ है ..अपनी भावनाओं को बाहर लाने के लिए ..पर हमारे समाज में इसे जाने क्यूँ इतना बुरा समझते हैं ..."
उनकी और हमारी हरकतें अब तेज़ पकड़ती जा रहीं थी ,भैया अब उनकी चूची तो चूस ही रहे थे ,साथ ही साथ उन्होने उनकी पतली सारी के उपर ही से उनकी जांघों को भी सहलाना शुरू कर दिया ..मैने भी दूसरी जाँघ पर हाथ रखा ...ओूह कितना मखमली था ..सॉफ्ट और चिकना ,,जैसे हाथ फिसल जाए ..
क्रमशः……………………..
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