RE: Kamukta Kahani दामिनी
अब एक कौर मैं खीलती मोम को तो दूसरा भैया ..बड़े प्यार से हम नाश्ता करते रहे ..फिर अचानक भैया ने मम्मी के मुँह में अपना मुँह लगा दिया और मम्मी के मुँह का नीवाला अपनी मुँह में ले लिया और पूरा गटक गये
" उफ़फ्फ़ मोम ..तुम्हारे मुँह में जाते ही देखो ना इसका टेस्ट कितना मस्त हो गया ,,अब तो मैं हमेशा तुम्हारे मुँह से ही खाऊंगा .."
" मैं भी मोम.." मैं भी बोल पड़ी ..
मम्मी तो बस हमें देखे जा रहीं थी ....इस समय हमारे अंदर ना कोई सेक्स की भावना ना कोई वासना थी ..था तो बस सिर्फ़ एक दूसरे के लिए अटूट और बे - इंतहा प्यार ...
मम्मी अब बड़े आहिस्ता आहिस्ता चबातीं और दोनों के मुँह में बारी बारी डालती जातीं ...
हम सब प्यार , स्नेह और एक दूसरे के साथ में डूबे थे ... एक निस्चल प्यार की गंगा बहे जा रही थी ..
नाश्ता ख़त्म हुआ ..हम ने मम्मी से चिपकते हुए उनको चूमा और अपने अपने कॉलेज चल पड़े..
जाते जाते मूड के देखा तो मम्मी की आँखों से खुशी के आँसू टपक रहे थे ...
और ये सब हुआ सिर्फ़ मम्मी के आज़ाद और सब से अलग ख्यालातो की वाज़ेह से..
क्रमशः……………………..
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