Kamukta Kahani दामिनी
11-17-2018, 12:47 AM,
#19
RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--10

गतान्क से आगे…………………..

अब भैया की हिम्मत कुछ बढ़ी उन्होने मम्मी को बड़े प्यार से अपनी ओर खींचते हुए कहा

"मोम मेरी सब से बड़ी गर्ल फ्रेंड तो आप हो ... आप के सामने मुझे कोई और जाँचती ही नहीं ..." और हँसने लगे

मम्मी ने अपने को छुड़ाते हुए कहा

" बस बस अब बहुत हो गया ..ये आज कल के बच्चे ... बेटी अपने बाप को बॉय फ्रेंड बोलती है और ये बेटा है मुझे ही गर्ल फ्रेंड बना रहा है ... " और वो मुस्कुराते हुए किचन की ओर चल पडी ..पर साफ ज़हीर था अंदर ही अंदर अपनी तारीफ सुन उनके मन में भी लड्डू फूट रहे थे.

"ह्म्‍म्म्मम..भैया कुछ बात समझ में आई..?? " मैने उन्हें आँख मारते हुए कहा .

"कुछ , कुछ .." उन्होने हंसते हुए कहा.

"हाँ भैया ...आइ आम शुवर मम्मी की चूत भी आपकी बातों से गीली हो गयी है.."

और हम दोनों जोरों से हँसने लगे..

उस दिन शाम को चाइ पे हम सभी थे..ऐसा कोयिन्सिडेन्स कभी कभी होता था ... कभी भैया गायब तो कभी पापा ....हँसी मज़ाक चल रही थी ...के पापा ने बातया उन्हें अगले दिन ही टूर पर जाना है...

मम्मी का चेहरा उतर गया ...भैया की बाँछें खिल गयीं ..उन्होने मेरी ओर देख मुस्कुरा दिया ...

"आरीए आरीई ओओह मम्मी ....आप उदास क्यूँ हो गयीं... पापा कोई हमेशा के लिए थोड़ी जा रहें हैं ...और हम सब तो हैं ना आप के साथ ...मेरी भी एक्सट्रा क्लासस अब ख़त्म होनेवाले हैं ..मैं जल्दी आ जाया करूँगा ... मम्मी आप उदास मत हों ..प्ल्ज़्ज़ ... " उन्होने मम्मी के कंधों को दबाते हुए कहा ..

"वाह ..वाह ..बेटा है आख़िर मेरा ..देख कम्मो कितना प्यार है इसे तुझ से..तेरी कितनी चीन्ता है.... हाँ बेटा अभी ..तू अपनी मम्मी का पूरा ख़याल रखना ..देखना इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए... " पापा ने बड़े फक्र से कहा .

"अरे हाँ पापा ..यू डॉन'त वरी ...आप बेफिक्र रहो ..मैं मम्मी का पूरा ख़याल रखूँगा और दामिनी भी तो है ना साथ..क्यूँ दामिनी है ना..???"

"बिल्कुल भैया ..हम साथ साथ है ..... " और हमारी आँखें चमक रही थी एक दूसरे को देख .... !

और उस रात जब मम्मी और पापा अपने रूम में गुड - बाइ चुदाई कर रहे थे , भैया ने पापा के जाने की खुशी में मुझे ही मम्मी समझ खूब मस्ती में चोदा ..खूब प्यार से ...वह अपना लौडा मेरी चूत में डाले पड़े रहते और हम बातें करते ,,बीच बीच में हल्के हल्के पुश लगाते रहते .... मैं भी बातें करते करते उनके होंठ चूस लेती ...उनके सीने में हाथ फिराती ...उनकी निपल्स उंगलियों से सहलाती ....और बातें भी करते ..हमें कोई जल्दी नहीं थी ...कोई टेन्षन नहीं था ...

"दामिनी ..."उन्होने अपना लौडा मेरी चूत में घूमाते हुए कहा ..अंदर ही था ...उनकी चूतड़ गोल गोल घूम रही थी ....

"उईईईई...अया ...हाँ भैया बोलो ना ..."

उन्होने मेरे गाल पर हाथ फिराते हुए कहा " अगर मम्मी राज़ी नहीं हुई तो....??" उन्होने अपने लौडे का अंदर घिसना बंद कर पूछा..

"भैया ..प्ल्ज़्ज़ घिसते रहो ना ..अच्छा लग रहा है.....मानेंगी कैसे नहीं मेरे भोले भैया ...उनकी चूत भी फड़फदा रही हैं ना तुम्हारे जैसे जवान और कड़क लंड के लिए..."

उन्होने घिसाई फिर से शुरू कर दी ..अब भैया भी एक्सपर्ट हो रहे थे और हम दोनों का एक बहुत ही अच्छा अंडरस्टॅंडिंग बनता जा रहा था चुदाई का....हम दोनों को एक दूसरे की इच्छाओं का पता चल जाता ..

"पर बहना ये तुम कैसे कह सकती हो ...?"

"अरे बाबा भैया तुम उनकी आँखें देखते नहीं..?? कैसे चमक उठती हैं ..? और चाल कैसी मदमस्त हो जाती हैं ...और होंठों पे कैसी सेक्सी मुस्कुराहट आ जाती है ..?? और भैया अब तो आप भी सेडक्षन में एक्सपर्ट हो ...देखना ना तुम्हारा लौडा जाते ही मम्मी कैसी पागल हो जाती हैं ..कैसे उनकी चूत से पानी की नदी बहती है ..."

ये बात सुनते ही शायद भैया काफ़ी एग्ज़ाइटेड हो गये ..उनका लौडा मेरी चूत के अंदर ही और कड़ा हो गया , और लंबा हो गया..मुझे लगा जैसे कोई साँप अंदर ही अंदर बढ़ता जा रहा है ..मेरे बदन में झूरजूरी हो रही थी ..

भैया ने भी मुझे मेरी चुटडो को अपनी हथेलियों से जकड़ते हुए अपनी ओर खिचा और लौडा पूरा बाहर निकाला और एक झट्के में अंदर पेल दिया ..फतच की आवाज़ हुई और अंदर का अब तक का जमा पानी उनके लौडे और मेरी चूत की दीवार के बीच से बाहर पिचकारी की तरह उनकी जांघों पर पड़ा ...

भैया ने मुझे चूम लिया और होंठ चूसते हुए कहा ..."दामिनी तेरी चूत कितनी गीली रहती है बहना ...आह्ह्ह्ह मुझे इतना अच्छा लगता है तेरी चूत के अंदर ..मन करता ही हमेशा अंदर डाले पड़ा रहूं .."

'हाँ भैया तुम्हारा लंड भी कितना कड़क है ..बस मुझे भी मन करता है इसे अपनी चूत में डाले रहूं ...ऊवू भैया ...उईईईईई ....अया ..हाँ ऐसे ही धक्का लगाओ ना ...और ज़ोर से .....अया ..हाँ ...बस ऐसे ही मम्मी को भी चोद्ना ...मेरे राजा भैया ...हाआँ ....अया .."

और भैया मेरी चूतड़ उठा उठा कर अपना कड़क लौडा पेले जाते ..मैं कराह उठती ...सीसक उठती हर धक्के में ...अब हर धक्का मुझे मस्ती और मदहोशी की नयी उँचाइयों की ओर ले जाता ...

हम दोनों मदहोशी की लहर में झूम रहे थे ...

"दामिनी तुम कितने प्यार से चुद्ति हो....मम्मी भी इतने प्यार से चुदेन्गि ना बहना ..?? "

"हाँ भैया तुम देखना ना वो कितना प्यार देंगी तुम को ..भैया तुम जब उनको चोद्ना ना तो दरवाज़ा खुला रखना मैं तुम दोनो की चुदाई देखूँगी ...अपनी आँखों से .....आ कितना मज़ा आएगा ना भैया ..उनकी फूली फूली चूत ..मुलायम चूत तुम्हारे स्टील रोड से चुदेन्गि ....आ भैया तुम उन्हें रौंद देना ...हाँ मेरे राजा भैया .......ऊऊओ ....आआआः भैया ..भैया ..उफफफफफ्फ़ ..आज तुम्हें क्या हो गया है ..कैसे धक्के पे धक्का लगा रहे हो .......अयाया ..हाँ मेरे राजा ...बस चोद्ते जाओ .....पेलते जाओ ..."

मेरी बात सुन सुन उनका धक्का ज़ोर और ज़ोर पकड़ता जाता .वो पागलों की तरह मुझे चोदे जा रहे .

"हाँ बहना .... हाँ मैं उन्हें भी ऐसे ही चोदून्गा ....बिल्कुल ऐसे ही..मेरे हर धक्के में उनकी चूत फैलेगी और रस की पिचकारी निकलेगी ....ऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दामिनी .."

और मैने महसूस किया उनका लौडा मेरी चूत में और कड़ा और लंबा होता जा रहा था ....ओए मेरी चूत की गहराइयों में घुसता जा रहा था..उन गहराइयों में जो आज तक अनछुई थी ..मैं कांप रही थी ..मेरी जाँघ थर थारा रही थी ....मैं एक अजीब ही मदहोशी में थी ..जैसे आज भी मेरी पहली चुदाई हो..मैं उनके हर धक्के में निहाल हो रही थी ...

"हाँ हाँ ..भैया ..मम्मी की चूत रौंद देना तुम अपने स्टील रोड से .. उनकी फूली फूली चूत ..मुलायम चूत , रस से भरी चूत ....चोद चोद कर उनका पूरा पानी निकाल देना ..ऊवू ...उईईईईईईईईईई ..ओह्ह गॉड ..हाँ भैया बस ऐसे ही ....हााईयईई ....." उनके हर धक्के में आज एक अजीब पागलपन था मम्मी की बात से वह और भी एग्ज़ाइटेड हो गये थे और मुझे चोद्ते जा रहे थे .....ज़ोर से और ज़ोर से ..मेरे चूतड़ थामे ..उपर उठा उठा के धक्का लगाते ..हर धक्के में मैं चीहूंक उठती ..कराह उठती ..मेरी चूत रब्बर की तरह फैलती जा रही थी ....

उनका धक्का इतना जोरदार था के उनके लौडे और मेरी चूत की दीवारों के बीच से मेरे रस की पिचकारी छूट रही थी ..इतना मोटा हो गया था उनका लंड ....

मैं अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर उनका लौडा अंदर ले रही थी ....और फिर

"आआआआआआआआआह दामिनी.....आआआआः ........ऊऊऊऊऊऊओ..हाईईईई करते हुए भैया ने मुझे जाकड़ लिया ..." और मैने अपने अंदर पिघले लावा की पिचकारी महसूस की..अया गरम तो था पर अंदर इसकी गर्मी से मैं सिहर उठी ..मेरा पूरा बदन झन झना गया ...मैं कांप उठी ....और मैं भी अपने आप को रोक नहीं सकी और साथ ही झड़ती गयी //कमर और चूतड़ उछाल उछाल कर ..दोनों एक दूसरे के बाहों में झाड़ रहे थे , हिचकोले ले रहे थे ..एक बार ..दो बार ,बार बार बार ..झट्के पे झटका .....थोड़ी देर बाद सब कुछ शांत था ..शीतल था ....जैसे दोनों के अंदर का तूफान , अंदर की ज्वालामुखी एक दूसरे में फूट कर शांत हो गया ..

सुख और मस्ती की चरम सीमा थी ... हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे ...एक दूसरे को महसूस कर रहे थे ....उनका लौडा मेरी चूत में था सिकुडा हुआ ..पर अंदर ..हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे काफ़ी देर ..

भैया की सांस जब नॉर्मल हुई वे वैसे ही पड़े रहे मेरे पर और मुझे चूमने लगे ..मेरी आँखें खुली ..मैं मुस्कुराते हुए उन्हें देख रही थी ..मैने उन्हें अपनी तरफ खींच लिया अपने सीने से चिपका लिया ..और अपनी चूची अपने हाथों से उनके मुँह में डाल दिया ..भैया उन्हें चूस रहे थे ...मैं उन्हें अपनी चूची पीला रही थे ,उन्हें निहारे जा रही थी ....

भाई -बहेन का ये प्यार बड़ा ही सम्पूर्न प्यार है .... हर तरह से परिपूर्न ... कोई बंधन नहीं ..कोई सीमा नहीं .... हम दोनों इस असीम प्यार में खोए थे ..और उनके चूची चूसने से मैं भी आनंद विभोर हो उठती .....और फिर ऐसे ही चूस्ते चूस्ते वो मेरे सीने में सर रखे और मैं अपनी बाहें उनके गर्दन के गिर्द डाले , कब हमारी आँखें लग गयीं पता नहीं..हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे ..नंगे ....उनका लौडा मेरी चूत में ...हर अंग एक दूसरे से लिपटा था ....

सुबह जब मेरी नींद खुली तो देखा हम दोनों वैसे ही एक दूसरे से चिपके सो रहे थे ..एक दूसरे की बाहों में ..भैया की सीकूडी लंड मेरी चूत के मुँह से लगी थी ...उसमें वीर्य और मेरे रस की पपडि जमी थे... और उनका च्चेहरा मेरे सीने से लगा था ...

मैने उन्हें जगाया "भैया उठो ..जल्दी उठो ..अरे बाबा मम्मी कभी भी आपके रूमे में आ सकती हैं ..आप को चाई देने ...उठो जल्दी करो...."

भैया अंगडायाँ लेते हुए उठे और बड़बड़ाने लगे.."ये क्या दामिनी ..चैन से सोने भी नहीं देती ..कितना हसीन सपना था ....अयाया मैं मम्मी को चोद रहा था....."

"ही ही ही...."मैं हंस पडि ..."अरे भैया ..जल्दी जाओ अपने रूम..वरना अभी जब हक़ीक़त में आप को मम्मी दिखाएँगी ना ..तो उनका रूप उतना हसीन नहीं होगा ...."

" हाँ यार बात तो सही है ...." वो बौखलाते हुए उठे ..और जाने लगे ...

मैं और जोरों से हंस पडि ...." अरे भोले भैया ..अपने कपड़े तो पहनते जाओ....""

फिर जल्दी जल्दी उन्होने अपनी शॉर्ट्स टाँगों के बीच डालते हुए मेरी ओर बड़े प्यार से देखा और बाहर निकल गये..

क्रमशः……………………..
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Kamukta Kahani दामिनी - by sexstories - 11-17-2018, 12:43 AM
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